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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 29 Jun 2023
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उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक में कुल 23 प्रस्तावों पर लगी मुहर

चर्चा में क्यों?

28 जून, 2023 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में राजधानी लखनऊ स्थित लोकभवन में हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य की नई टाउनशिप स्थापना नीति के संबंध में प्रस्ताव को पास करने के साथ- साथ कुल 23 प्रस्तावों पर मुहर लगी।  

प्रमुख बिंदु  

  • बैठक में उत्तर प्रदेश निजी विश्विद्यालय अधिनियम-2019 के तहत अयोध्या में महर्षि महेश योगी रामायण विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये मुहर लग गई है।   
  • बैठक में अन्य महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव, जिन पर मुहर लगी है-  
    • छोटे शहरों में निजी क्षेत्र के सहयोग से छोटी-छोटी कालोनियाँ लाई जाएंगी। 
    • 29 जून को व्यापारी कल्याण दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव।  
    • महात्मा बुद्ध कृषि एवं कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुशीनगर का प्रस्ताव। 
    • जगत गुरु राम भद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट को उत्तर प्रदेश जगत गुरु राम भद्राचार्य विकलांग राज्य विश्वविद्यालय करने का प्रस्ताव। कुलपति जगद्गुरु रामभद्राचार्य आजीवन कुलाधिपति रहेंगे तथा उनके बाद राज्यपाल कुलाधिपति होंगे।
    • 6 जनपदों में वायबिलिटी कैप फंड के आधार पर स्वास्थ्य सुविधाओं के संबंध में प्रस्ताव। 
    • जनपद कौशांबी में इंट्रो इस्राइल एक्सीलेंस ऑफ फूड के स्थापना के लिये भूमि स्थानांतरण का प्रस्ताव। 
    • मुख्यमंत्री सूक्ष्म उद्यमी दुर्घटना बीमा का प्रस्ताव। इसके तहत 5 लाख तक की वित्तीय सेवा प्राप्त हो सकेगी। इसके लिये 18 से 60 साल के उद्यमी आवेदन कर सकते हैं। 
    • आगरा और मथुरा में हेलीकॉप्टर सेवा का प्रस्ताव।  
    • मथुरा चीनी मील का पुन: चलाए जाने का प्रस्ताव। 
    • वृक्षारोपण अभियान 2023 में प्रदेश में 35 करोड़ वृक्षारोपण किये जाने का प्रस्ताव।


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आईएमएस बीएचयू ने तैयार किया हर्बल एंटीबायोटिक

चर्चा में क्यों?

28 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के बनारस स्थित बीएचयू के आईएमएस के आयुर्वेद संकाय ने गंभीर संक्रमण में रक्षा के लिये बेअसर रही एंटीबायोटिक के स्थान पर हर्बल एंटीबायोटिक तैयार की है।  

प्रमुख बिंदु  

  • बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के रसशास्त्र और भैषज्यकल्पना विभाग में प्रो. आनंद चौधरी के साथ डॉ. प्रिया मोहन के नेतृत्व में पूरी टीम ने हर्बल एंटीबायोटिक तैयार की है।  
  • माइक्रो बायोलॉजी विभाग के लैब में जीवाणु पर इसका ट्रायल किया जा चुका है। ‘ग्राम निगेटिव’जीवाणु पर यह ज्यादा असरदार रहा है। इसके बाद दो चरण का अभी ट्रायल बाकी है। अगर इसमें कामयाबी मिलती है तो पूरी दुनिया के लिये हर्बल एंटीबायोटिक संजीवनी साबित होगी।  
  • बीएचयू के माइक्रोबायोलाजी लैब में दो तरह के जीवाणु को इसमें लिया गया है। ग्राम पॉजिटिव (मोटी कोशिका) और ग्राम निगेटिव (पतली कोशिका) पर इसका अलग-अलग असर देखा गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि ग्राम निगेटिव पर ज्यादा असर हुआ।  
  • दरसअल ग्राम-निगेटिव बैक्टीरिया एंटीबॉडी के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं। हर्बल औषधियों के इस पर असर होने से बड़ी उम्मीद जगी है।   
  • विदित है कि चांदी के सिलोरेक को एंटीबायोटिक माना जाता है। हर्बल एंटीबायोटिक में चांदी के भस्म के अलावा नीम, वट, गिलोय, कृष्ण तुलसी हैं।  
  • प्रो. आनंद चौधरी ने बताया कि अभी इसमें दो चरण में काम किया जाएगा। उम्मीद है कि एक साल में इसको फाइनल टचअप दिया जा सकेगा। इसके बाद पेटेंट के लिये पेटेंट फैसिलिटिंग सेंटर (पीएफसी) को भेजा जाएगा।   
  • वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि साँस नली से जुड़े इन्फेक्शन, सर्दी-जुकाम, गले में खराश, साइनस, निमोनिया के साथ ही कान, छाती दर्द की समस्या होने पर लोग खुद से इलाज शुरू कर देते हैं। लोग मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक गोलियाँ लेकर निगल लेते हैं। वे यह नहीं जानते कि उनकी तबीयत वायरस की वजह से खराब हुई है, जो अपना समय लेकर ही ठीक होगी। 
  • वायरल इँफेक्शन में एंटीबायोटिक्स खाने पर यह दवा ‘जहर’का काम करती है। शरीर में इँफेक्शन से लड़ने वाले गुड बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देती है। इससे खतरनाक बैक्टीरिया को शरीर पर हावी होने का मौका मिल जाता है। साथ ही, बैड बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स से बचने के लिये तैयार हो जाता है। फिर उस पर दवाओं का असर नहीं होता।  
  • आईएमएस बीएचयू के मेडिसिन विभाग के प्रो. धीरज किशोर के अनुसार बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। एंटीबायोटिक दो शब्दों ‘एंटी’और ‘बायोस’से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘एंटी लाइफ।  
  • यानी ये दवाएँ बैक्टीरिया को नष्ट कर, उन्हें बढ़ने से रोकती हैं, लेकिन हर बीमारी की वजह बैक्टीरिया नहीं होते। ऐसे में लोग बीमार होने पर खुद से दवा लेते हैं। और ग्रामीण इलाके में झोलाछाप भी वायरल इंफेक्शन में एंटीबायोटिक दे देते हैं, जो कि पूरी तरह गलत है।  
  • कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारी-  
    • मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’के अनुसार, 2019 में एंटीबायोटिक का असर कम होने से दुनिया में 12.70 लाख मौतें हुईं। 
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस वैश्विक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और विकास के लिये सबसे बड़े खतरों में से एक है।  
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निमोनिया, टीबी और साल्मोनेलोसिस जैसे संक्रमणों की बढ़ती संख्या का इलाज करना कठिन होता जा रहा है क्योंकि उनके इलाज के लिये इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक कम प्रभावी हो जाती है।  
    • भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने दावा किया है कि भारत में इसमें सुधार के लिये जल्द ही कदम नहीं उठाए गए तो एंटी माइक्रोबियल रजिस्टेंस निकट भविष्य में एक महामारी का रूप ले सकता है। हर साल पाँच से 10 प्रतिशत की दर से यह रेजिस्टेंस बढ़ रहा है।


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बरेली में बनेगा कुत्तों पर शोध करने वाला देश का पहला कैनाइन सेंटर

चर्चा में क्यों?

26 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के बरेली के आईवीआरआई में कुत्तों के व्यवहार और उनसे संबंधित विभिन्न बीमारियों पर अध्ययन करने के लिये जल्द ही देश का पहला कैनाइन सेंटर बनाया जाएगा। 

प्रमुख बिंदु  

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), दिल्ली ने इस एडवांस रिसर्च सेंटर फॉर कैनाइन प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है।
  • विदित है कि बरेली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में अक्सर कुत्तों के काटने की खबर आती है। जाने-अनजाने में कई बार पालतू कुत्ते अपने मालिक पर ही आक्रामक हो जाते हैं। ऐसे में कुत्तों पर एक शोध केंद्र की आवश्यकता महसूस की गई, जिसमें उनके व्यवहार एवं बीमारियों पर शोध किया जा सके। 
  • आईवीआरआई बरेली ने एक डीपीआर बनाकर आईसीएआर दिल्ली को भेजा, जिसे मंजूरी मिल गई है। अगले दो महीने में आईवीआरआई बरेली में इस प्रोजेक्ट के लिये भवन निर्माण और अन्य कार्य शुरू हो जाएंगे।  
  • आईवीआरआई बरेली के रेफरल पॉली क्लीनिक के प्रभारी डॉ. अमर पाल ने बताया कि कैनाइन सेंटर में कुत्तों की आंतरिक और बाह्य संरचना पर विस्तृत शोध किया जाएगा। साथ ही, कुत्तों में कैंसर जैसी बीमारियों पर भी शोध होगा।  
  • कैनाइन सेंटर में सीटी स्कैन, एमआरआई, ट्यूमर, रेडियोथेरेपी, हाईटेक पैथोलॉजी आदि की सुविधाएँ होंगी। सेंटर का मुख्य केंद्र आईवीआरआई होगा और इसके तीन सब-सेंटर भी बनाए जाएंगे। 
  • आईवीआरआई बरेली के डायरेक्टर डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि यह सेंटर सभी सुविधाओं से परिपूर्ण होगा। यहाँ कुत्तों के ब्रीड से लेकर उनकी बीमारियों और वैक्सीन आदि पर काम होगा।


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