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उत्तराखंड में बढ़ता वनाग्नि का प्रकोप
चर्चा में क्यों?
27 अप्रैल, 2022 को उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन कार्यालय की ओर से जारी आँकड़ों के अनुसार प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊँ, दोनों मंडलों में वनाग्नि की सबसे अधिक घटनाएँ सामने आई हैं।
प्रमुख बिंदु
- प्रदेश में कुल 227 स्थानों पर जंगलों में आग लगी, जिसमें कुल 561 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है तथा इससे 11 लाख रुपए से अधिक की आर्थिक क्षति का आकलन किया गया है।
- 15 फरवरी से शुरू हुए फायर सीजन में इस वर्ष अब तक वनाग्नि की कुल 1443 घटनाएँ सामने आ चुकी हैं, जिनमें गढ़वाल में 642, कुमाऊँ में 724 और संरक्षित वन्य जीव क्षेत्र की 77 घटनाएँ शामिल हैं। इनसे 2432.62 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित होने के साथ ही 60 लाख रुपए से अधिक की आर्थिक क्षति का आकलन किया गया है।
- वनाग्नि ने उत्तराखंड में वायु को प्रदूषित कर दिया है। वनाग्नि की घटनाओं के कारण यहाँ ब्लैक कार्बन की मात्रा में 12 से 13 गुना वृद्धि हुई है। वायुमंडल में इस ब्लैक कार्बन की गणना के लिये केंद्रीय गढ़वाल विश्व विद्यालय के भौतिकी विभाग में भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के सहयोग से एथेलोमीटर स्थापित किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि वन सीमांत समुदायों को सूचित, सक्षम और सशक्त बनाने तथा उन्हें राज्य वन विभागों के साथ काम करने के लिये प्रोत्साहित करके जंगल की आग को कम करने हेतु 2018 में जंगल की आग पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPFF) शुरू की गई थी।
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