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उत्तराखंड की उच्च जोखिम वाली हिमनद झीलों का आकलन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने राज्य में पाँच हिमनद झीलों का जोखिम मूल्यांकन एवं सर्वेक्षण करने के लिए विशेषज्ञों की दो टीमों का गठन किया है, जो "बाढ़ के प्रकोप" के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।
प्रमुख बिंदु
- यह प्रस्तावित किया गया है कि टीमें, मई-जून 2024 में इन झीलों पर अपना काम शुरू कर देंगी।
- हिमालयी राज्यों की 188 हिमनद झीलों में से 13 उत्तराखंड में स्थित हैं।
- फरवरी 2021 में उत्तराखंड में चमोली ज़िले में एक हिमनद झील का विस्फोट हुआ, जिससे ऋषिगंगा पर एक छोटी जल विद्युत परियोजना बह गई तथा अचानक बाढ़ आ गई, जिससे कई लोगों की मौत हो गई।
- उत्तराखंड की 13 हिमनद झीलों को 'ए', 'बी' एवं 'सी' के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें 'ए' अत्यधिक संवेदनशील है।
- उत्तराखंड में 13 हिमनद झीलों में से श्रेणी 'ए' में पाँच (अत्यधिक संवेदनशील), श्रेणी 'बी' में चार, (संवेदनशील) और श्रेणी 'सी' में चार (अपेक्षाकृत कम संवेदनशील) आती हैं।
- पाँच अति संवेदनशील झीलों में से चार पिथौरागढ ज़िले में और एक चमोली में है तथा चार संवेदनशील झीलों में से दो पिथौरागढ में एवं एक-एक चमोली व टिहरी में है।
- उत्तराखंड में 13 हिमनद झीलों में से श्रेणी 'ए' में पाँच (अत्यधिक संवेदनशील), श्रेणी 'बी' में चार, (संवेदनशील) और श्रेणी 'सी' में चार (अपेक्षाकृत कम संवेदनशील) आती हैं।
- पहली टीम में दो हिमनदी झीलों की संवेदनशीलता का आकलन राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रूड़की के विशेषज्ञ शामिल थे, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, लखनऊ, भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान, देहरादून, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण तथा उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र करेगा।
- पहले चरण के कार्य में उपग्रह डेटा अध्ययन एवं डेटा संग्रह, बैथिमेट्री और क्षेत्र सर्वेक्षण सम्मिलित होगा।
- दूसरी टीम का नेतृत्व, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC), पुणे, प्रमुख तकनीकी एजेंसी के रूप में कर रही है तथा इसमें देहरादून स्थित भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान सम्मिलित है | वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण तथा उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र 'ए' श्रेणी में आने वाली अन्य तीन हिमनद झीलों का अध्ययन व सर्वेक्षण करेगा।
भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान
- यह प्राकृतिक संसाधनों, पर्यावरण एवं आपदा प्रबंधन के लिए रिमोट सेंसिंग, जियोइन्फॉर्मेटिक्स और जीपीएस तकनीक के क्षेत्र में अनुसंधान, उच्च शिक्षा एवं प्रशिक्षण के लिए एक संस्थान है।
- इस संस्थान की स्थापना वर्ष 1966 में भारतीय अंतरिक्ष विभाग के तहत की गई थी।
- यह देहरादून, उत्तराखंड में स्थित है।
हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (GLOF)
- यह एक प्रकार की विनाशकारी बाढ़ है, जो हिमनद झील वाला बाँध के टूट जाने से आती है जिससे अत्यधिक मात्रा में पानी निकलता है।
- इस प्रकार की बाढ़ सामान्यतः ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने या भारी वर्षा या पिघले पानी के प्रवाह के कारण झील में पानी के संचय के कारण होती है।
- फरवरी 2021 में, उत्तराखंड के चमोली ज़िले में अचानक बाढ़ देखी गई, जिसके बारे में संदेह है कि यह GLOF के कारण हुई थी।
कारण:
- ये बाढ़ कई कारकों से उत्पन्न हो सकती है, जिनमें ग्लेशियर की मात्रा में परिवर्तन, झील के जल स्तर में परिवर्तन एवं भूकंप शामिल हैं।
- NDMA (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के अनुसार, हिंदू कुश हिमालय के अधिकांश हिस्सों में होने वाले जलवायु परिवर्तन के कारण हिमनदों के पीछे हटने से कई नए हिमनद झीलों का निर्माण हुआ है, जो GLOF का प्रमुख कारण हैं।
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