उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में लागू होगी कबाड़ नीति
चर्चा में क्यों?
28 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त चंद्र भूषण सिंह ने बताया कि राज्य परिवहन विभाग ने भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के मानक को आधार बनाकर कबाड़ नीति लागू करने का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है, जिसके तहत राज्य में एक अप्रैल से कबाड़ नीति लागू हो जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि केंद्र सरकार के बाद उत्तर प्रदेश में भी यह कबाड़ नीति लागू हो रही है।
- इस नीति में यदि कोई अपने 15 साल पुराने वाहन को कबाड़ सेंटर पर बेचता है तो उसे लगभग 22 रुपए प्रति किलो के हिसाब से इसका दाम मिलेगा। वाहन के कुल वज़न का 65 प्रतिशत हिस्सा ही उसका मूल वजन माना जाएगा और उस रकम का भी 90 प्रतिशत का ही भुगतान होगा।
- इस नीति में एक अप्रैल 2023 से 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप में भेजने की तैयारी है। इसमें राज्य सरकार के सभी 15 साल पुराने वाहनों को कबाड़ करना होगा। इसके लिये सरकार ने दो लक्ष्य तय किये हैं।
- पहले लक्ष्य में, सभी इस अवधि के सरकारी स्वामित्व वाले वाहनों को स्क्रैप करना है, जिसमें सभी सरकारी विभागों, स्थानीय निकाय, उपक्रमों आदि के वाहनों को लेना है। दूसरे लक्ष्य में, निजी वाहनों को लाना होगा जिनके लिये स्वैच्छिक रूप से नीति तय की गई है। यानी वह यदि चाहें तो इस नीति का लाभ उठा सकते हैं।
- पूरे प्रदेश में अब तक 12 कबाड़ सेंटरों पर काम शुरू हो गया है। सभी निजी संचालक हैं।
- अभी निजी वाहनों की आयु तय नहीं की गई है। 15 साल बाद ऐसे वाहन की फिटनेस करानी होती है। यदि वह फिट है तो उसका पंजीकरण अगले पाँच साल के लिये रिन्युअल हो जाता है। ऐसे ही निजी व्यावसायिक वाहन ट्रक आदि का भी हर दो साल में फिट होने की स्थिति में रिन्युअल होता रहता है।
- विदित है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यह नियम समाप्त कर दिया गया है। वहाँ पेट्रोल चलित वाहन की उम्र 15 साल और डीजल वाहन की उम्र 10 साल तय कर दी गई है। इसके बाद उनका पंजीकरण रिन्युअल नहीं होगा। या तो उन्हें एनसीआर से बाहर ले जाना होगा या कबाड़ में बेचना होगा।
- गौरतलब है कि प्रदेश भर में 203 सरकारी कार्यालयों ने अब तक अपने 15 साल पुराने वाहनों की सूचना भेज दी है। इनमें 3367 वाहन ऐसे हैं जो 15 साल से पुराने हैं। सबसे ज्यादा पुलिस विभाग में ऐसे वाहन हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस के पास कुल 397 वाहन ऐसे हैं। इनमें से 366 वाहन तो 15 साल पुराने हैं जो अभी चल रहे हैं जबकि 31 वाहन बीस साल से ज्यादा पुराने हैं।
- यदि इस नीति में कोई अपनी 15 साल पुरानी बाइक कबाड़ में बेचता तो उसे लगभग 2500 रुपए मिलेंगे। यदि बाइक का वजन 180 किलो है तो उसका वजन 65 प्रतिशत माना जाएगा। इसी तरह से यदि कोई अपनी 15 साल पुरानी एसयूवी कार देने लगे और उसका वजन 2000 किलो हो तो उसका कुल वजन 1200 किलो माना जाएगा। उसे 25740 रुपए दिये जाएंगे।
- हालाँकि स्क्रैप सेंटर से इसका एक प्रमाण पत्र भी प्राप्त होगा जिससे दिखाकर नए वाहन के रजिस्ट्रेशन कराने पर छूट मिलेगी।
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मनरेगा मजदूरों के लिये नई दरों की घोषणा
चर्चा में क्यों?
28 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के मनरेगा कार्यालय के अपर आयुक्त ने बताया कि भारत सरकार ने मनरेगा मजदूरों के लिये नई दरों की घोषणा कर दी है, जिसके तहत उत्तर प्रदेश के मनरेगा मजदूरों को भी अब 213 की जगह 230 रुपये मजदूरी दी जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- मनरेगा मजदूरों के लिये घोषित नई दरों के अंतर्गत प्रदेश के तीन करोड़ से अधिक मनरेगा मजदूरों को एक अप्रैल से उन्हें प्रतिदिन की मजदूरी 17 रुपये अधिक मिला करेगी।
- प्रदेश में अब यदि कोई मनरेगा मजदूर महीने में लगातार 30 दिन काम करेगा तो उसे मिलने वाली कुल मजदूरी में 510 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि प्रदेश में करीब 3.20 करोड़ जाब कार्ड धारक मनरेगा मजदूर हैं। इनमें से करीब 1.62 करोड़ मजदूर सक्रिय रहते हुए मनरेगा का काम कर रहे हैं।
- कोरोना वर्ष 2020-21 के दौरान प्रवासी मजदूरों के बाहर से लौट आने पर गाँवों में रोज़गार की मांग बहुत बढ़ गई थी, जिसके कारण 39.45 लाख मानव दिवस इस वर्ष काम के लिये सृजित करना पड़ा था। इसके बाद वर्ष 2021-22 में 32.56 करोड़ और चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में करीब 31 करोड़ मानव दिवस पर मजदूरों ने काम किया।
- विदित है कि मनरेगा के तहत केंद्र सरकार से निर्धारित कामों से अलग हटकर इस योजना से उत्तर प्रदेश में पाँच नये काम शुरू कराए हैं, जिसमें नदियों का पुनरुद्धार, महिला समूहों द्वारा सूचना पटेा का निर्माण, महिला समूहों की महिलाओं को मनरेगा में मेट बनाया जाना, बैंकिंग करेस्पांडेट सखी द्वारा मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का भुगतान तथा ज़िलों में हाईटेक नर्सरी निर्माण का काम किया जा रहा है।
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