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स्टेट पी.सी.एस.

  • 29 Mar 2023
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उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश में लागू होगी कबाड़ नीति

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त चंद्र भूषण सिंह ने बताया कि राज्य परिवहन विभाग ने भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के मानक को आधार बनाकर कबाड़ नीति लागू करने का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है, जिसके तहत राज्य में एक अप्रैल से कबाड़ नीति लागू हो जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • विदित है कि केंद्र सरकार के बाद उत्तर प्रदेश में भी यह कबाड़ नीति लागू हो रही है।
  • इस नीति में यदि कोई अपने 15 साल पुराने वाहन को कबाड़ सेंटर पर बेचता है तो उसे लगभग 22 रुपए प्रति किलो के हिसाब से इसका दाम मिलेगा। वाहन के कुल वज़न का 65 प्रतिशत हिस्सा ही उसका मूल वजन माना जाएगा और उस रकम का भी 90 प्रतिशत का ही भुगतान होगा।
  • इस नीति में एक अप्रैल 2023 से 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप में भेजने की तैयारी है। इसमें राज्य सरकार के सभी 15 साल पुराने वाहनों को कबाड़ करना होगा। इसके लिये सरकार ने दो लक्ष्य तय किये हैं।
  • पहले लक्ष्य में, सभी इस अवधि के सरकारी स्वामित्व वाले वाहनों को स्क्रैप करना है, जिसमें सभी सरकारी विभागों, स्थानीय निकाय, उपक्रमों आदि के वाहनों को लेना है। दूसरे लक्ष्य में, निजी वाहनों को लाना होगा जिनके लिये स्वैच्छिक रूप से नीति तय की गई है। यानी वह यदि चाहें तो इस नीति का लाभ उठा सकते हैं।
  • पूरे प्रदेश में अब तक 12 कबाड़ सेंटरों पर काम शुरू हो गया है। सभी निजी संचालक हैं।
  • अभी निजी वाहनों की आयु तय नहीं की गई है। 15 साल बाद ऐसे वाहन की फिटनेस करानी होती है। यदि वह फिट है तो उसका पंजीकरण अगले पाँच साल के लिये रिन्युअल हो जाता है। ऐसे ही निजी व्यावसायिक वाहन ट्रक आदि का भी हर दो साल में फिट होने की स्थिति में रिन्युअल होता रहता है।
  • विदित है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यह नियम समाप्त कर दिया गया है। वहाँ पेट्रोल चलित वाहन की उम्र 15 साल और डीजल वाहन की उम्र 10 साल तय कर दी गई है। इसके बाद उनका पंजीकरण रिन्युअल नहीं होगा। या तो उन्हें एनसीआर से बाहर ले जाना होगा या कबाड़ में बेचना होगा।
  • गौरतलब है कि प्रदेश भर में 203 सरकारी कार्यालयों ने अब तक अपने 15 साल पुराने वाहनों की सूचना भेज दी है। इनमें 3367 वाहन ऐसे हैं जो 15 साल से पुराने हैं। सबसे ज्यादा पुलिस विभाग में ऐसे वाहन हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस के पास कुल 397 वाहन ऐसे हैं। इनमें से 366 वाहन तो 15 साल पुराने हैं जो अभी चल रहे हैं जबकि 31 वाहन बीस साल से ज्यादा पुराने हैं।
  • यदि इस नीति में कोई अपनी 15 साल पुरानी बाइक कबाड़ में बेचता तो उसे लगभग 2500 रुपए मिलेंगे। यदि बाइक का वजन 180 किलो है तो उसका वजन 65 प्रतिशत माना जाएगा। इसी तरह से यदि कोई अपनी 15 साल पुरानी एसयूवी कार देने लगे और उसका वजन 2000 किलो हो तो उसका कुल वजन 1200 किलो माना जाएगा। उसे 25740 रुपए दिये जाएंगे।
  • हालाँकि स्क्रैप सेंटर से इसका एक प्रमाण पत्र भी प्राप्त होगा जिससे दिखाकर नए वाहन के रजिस्ट्रेशन कराने पर छूट मिलेगी।

उत्तर प्रदेश Switch to English

मनरेगा मजदूरों के लिये नई दरों की घोषणा

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश के मनरेगा कार्यालय के अपर आयुक्त ने बताया कि भारत सरकार ने मनरेगा मजदूरों के लिये नई दरों की घोषणा कर दी है, जिसके तहत उत्तर प्रदेश के मनरेगा मजदूरों को भी अब 213 की जगह 230 रुपये मजदूरी दी जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • मनरेगा मजदूरों के लिये घोषित नई दरों के अंतर्गत प्रदेश के तीन करोड़ से अधिक मनरेगा मजदूरों को एक अप्रैल से उन्हें प्रतिदिन की मजदूरी 17 रुपये अधिक मिला करेगी।
  • प्रदेश में अब यदि कोई मनरेगा मजदूर महीने में लगातार 30 दिन काम करेगा तो उसे मिलने वाली कुल मजदूरी में 510 रुपये का इजाफा हो जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि प्रदेश में करीब 3.20 करोड़ जाब कार्ड धारक मनरेगा मजदूर हैं। इनमें से करीब 1.62 करोड़ मजदूर सक्रिय रहते हुए मनरेगा का काम कर रहे हैं।
  • कोरोना वर्ष 2020-21 के दौरान प्रवासी मजदूरों के बाहर से लौट आने पर गाँवों में रोज़गार की मांग बहुत बढ़ गई थी, जिसके कारण 39.45 लाख मानव दिवस इस वर्ष काम के लिये सृजित करना पड़ा था। इसके बाद वर्ष 2021-22 में 32.56 करोड़ और चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में करीब 31 करोड़ मानव दिवस पर मजदूरों ने काम किया।
  • विदित है कि मनरेगा के तहत केंद्र सरकार से निर्धारित कामों से अलग हटकर इस योजना से उत्तर प्रदेश में पाँच नये काम शुरू कराए हैं, जिसमें नदियों का पुनरुद्धार, महिला समूहों द्वारा सूचना पटेा का निर्माण, महिला समूहों की महिलाओं को मनरेगा में मेट बनाया जाना, बैंकिंग करेस्पांडेट सखी द्वारा मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का भुगतान तथा ज़िलों में हाईटेक नर्सरी निर्माण का काम किया जा रहा है।

बिहार Switch to English

बिहार के 10 शहरों के विकास के लिये बनाई गई प्लानिंग एरिया अथॉरिटी

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के नगर विकास एवं आवास विभाग ने दस नये विस्तारित शहरों की प्लानिंग एरिया अथॉरिटी (आयोजना क्षेत्र प्राधिकार) को अधिसूचित कर दिया है, जिनमें नवादा, मधेपुरा, भागलपुर, जहानाबाद, गोपालगंज, बांका, सोनपुर, शेखपुरा, सुपौल और अरवल शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

  • नये विस्तारित शहरों की प्रत्येक प्लानिंग एरिया अथॉरिटी में संबंधित ज़िले के डीएम अध्यक्ष, जबकि संबंधित प्लानिंग एरिया अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सदस्य सचिव बनाए गए हैं।
  • इनके अलावा, संबंधित ज़िले के उप विकास आयुक्त, अपर समाहर्त्ता (राजस्व), पथ निर्माण, पीएचईडी और ग्रामीण कार्य विभाग से संबंधित कार्यपालक अभियंता, संबंधित क्षेत्र में आने वाले नगर निकाय के कार्यपालक अभियंता, मुख्य नगर निवेशक तथा क्षेत्रीय निवेश संगठन या उनके प्रतिनिधि और नगर निवेशन का विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्तियों को अथॉरिटी का पदेन सदस्य बनाया गया है।
  • प्लानिंग एरिया अथॉरिटी पर विस्तारित क्षेत्र के लिये मास्टर प्लान के साथ ही अन्य विकास योजनाओं की तैयारी, इसके क्रियान्वयन और अन्य नियमानुकूल कार्रवाई की जिम्मेदार होगी। इससे संबंधित क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण के लिये नक्शा भी अथॉरिटी ही पास करेगी।
  • विदित है कि विभाग ने करीब दो महीने पहले ही संबंधित निकाय सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों को जोड़कर इन 10 आयोजना क्षेत्रों को अधिसूचित किया था। अब अथॉरिटी बनने से इन क्षेत्रों के विकास में तेजी आएगी।
  • उल्लेखनीय है कि राज्य में पहले से 33 प्लानिंग एरिया अथॉरिटी अधिसूचित हैं। दस नये प्लानिंग एरिया की अथॉरिटी अधिसूचित होने पर इनकी कुल संख्या बढ़कर 43 हो गई है।
  • अधिकारियों के मुताबिक प्लानिंग एरिया अथॉरिटी के फंक्शनल होने से संबंधित क्षेत्र का शहरीकरण तेज होगा और उनमें व्यावसायिक व आवासीय गतिविधियाँ बढ़ेंगी।
  • डीएम की अध्यक्षता में गठित यह कमेटी सबसे पहले सर्वे कर क्षेत्र का मास्टर प्लान तैयार करेगी। फिर इलाके की विशेषताओं के मुताबिक शहरीकरण के तत्त्वों को बढ़ावा देगी। इसके अंतर्गत चयनित बड़ी योजनाओं की अनुशंसा राज्य सरकार से की जाएगी ताकि उसके लिये आवश्यक राशि का प्रबंध किया जा सके।
  • राज्य के इन 43 नये शहरों में प्लानिंग अथॉरिटी गठित की गई है, जिसके अंतर्गत आरा, अररिया, औरंगाबाद, बगहा, बेगूसराय, बेतिया, भभुआ, बिहारशरीफ, बोधगया, बक्सर, छपरा, दरभंगा, डेहरी, फारबिसगंज, गया, हाजीपुर, जमुई, कटिहार, खगड़िया, किशनगंज, लखीसराय, मधुबनी, मोतिहारी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, पटना, पूर्णिया, राजगीर, सहरसा, सासाराम, शिवहर, सीतामढ़ी, सीवान, नवादा, मधेपुरा, भागलपुर, जहानाबाद, गोपालगंज, बांका, सोनपुर, शेखपुरा, सुपौल और अरवल ज़िले शामिल हैं।

राजस्थान Switch to English

प्रतापगढ़ में ‘पीपलखूंट हाइलेवल कैनाल’के लिये 2000 करोड़ रुपए स्वीकृत

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रतापगढ़ ज़िले में ‘पीपलखूंट हाइलेवल कैनाल’ के निर्माण के लिये 2000 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया। इस योजना से ज़िले के 5000 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।

प्रमुख बिंदु

  • ‘पीपलखूंट हाइलेवल कैनाल’के तहत माही बेसिन के अधिशेष जल से प्रतापगढ़ ज़िले के अनकमांड क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।
  • इस योजना से ज़िले की पीपलखूंट तहसील के पीपलखूंट, राझड़ी चौकी, टामटिया, नालचौकी, नालदा, केलामेला, बोरी, महूड़ीखेड़ा, मोरवानिया, ठेचला, सोबनिया, जेथलिया आदि गाँव लाभान्वित होंगे।
  • मुख्यमंत्री की इस स्वीकृति से 3.72 टीएमसी अतिरिक्त सिंचाई जल उपलब्ध होने से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा तथा क्षेत्र का विकास सुनिश्चित हो सकेगा।
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्व में ‘पीपलखूंट हाइलेवल कैनाल’के निर्माण की बजट घोषणा की थी। उक्त घोषणा की क्रियान्विति में यह स्वीकृति दी गई है।

राजस्थान Switch to English

पन्नाधाय, अमरा जी भगत और केसरी सिंह बारहठ का बनेगा पेनोरमा

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023, को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में स्वतंत्रता सेनानी केसरी सिंह बारहठ, महाबलिदानी पन्नाधाय और लोकदेवता अमरा जी भगत के पेनोरमा के निर्माण के लिये 12 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की स्वीकृति से चित्तौड़गढ़ ज़िले में पन्नाधाय के पैतृक स्थल पाण्डोली में 4 करोड़ रुपए की लागत से ‘पन्नाधाय पेनोरमा’बनेगा। पेनोरमा में पन्नाधाय के कृतित्व एवं व्यक्तित्व को विभिन्न माध्यमों से दर्शाया जाएगा। आमजन को उनके बलिदान, त्याग, साहस एवं स्वाभिमान की जानकारी मिलेगी।
  • चित्तौड़गढ़ ज़िले में भदेसर तहसील के गाँव दौलतपुरा (ग्राम पंचायत बागुंड) में लोकदेवता अमरा जी भगत (अनगढ़ बावजी) का पेनोरमा भी 4 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होगा। यहाँ सामाजिक सरोकार के कार्यों के बारे में जानकारी मिलेगी।
  • भीलवाड़ा के शाहपुरा में स्वतंत्रता सेनानी केसरी सिंह बारहठ के पेनोरमा का निर्माण होगा। इसमें 4 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इस पेनोरमा से युवा वर्ग अपने अधिकारों के प्रति शिक्षित और जागृत होगा।  
  • इन तीनों ही पेनोरमा में मुख्य भवन, सभागार, हॉल, पुस्तकालय, प्रतिमा, छतरी, शिलालेख, स्कल्पचर्स, ऑडियो-वीडियो सिस्टम जैसे विभिन्न कार्य होंगे। तीनों जगह निर्माण कार्य पर्यटन विकास कोष से कराए जाएंगे।
  • महाबलिदानी पन्नाधाय का जन्म चित्तौड़ के पास ‘माताजी की पांडोली’नामक गाँव मे वर्ष 1501 ई. में एक गुर्जर परिवार मे हुआ था। महाराणा सांगा के पुत्र और महाराणा प्रताप के पिता उदयसिंह की रक्षा के लिये पन्नाधाय ने अपने पुत्र चंदन का बलिदान देकर संपूर्ण विश्व में अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। उदयसिंह के जीवन-रक्षा के लिये पन्नाधाय की स्वामिभक्ति, चंदन के बलिदान और कीरत बारी के साहस की गाथा ‘महाबलिदानी पन्नाधाय पेनोरमा’में फिर से जीवंत होगी।
  • स्वतंत्रता सेनानी केसरी सिंह बारहठ का जन्म 21 नवंबर, 1872 को हुआ था। वे शाहपुरा क्षेत्र के देव खेड़ा के जागीरदार थे। स्वतंत्रता आंदोलन की रणनीति तय करने के लिये वे अपनी हवेली पर गुप्त मंत्रणा किया करते थे। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी को भी पूरा सहयोग दिया था। केसरी सिंह ने राजस्थानी में लिखे 13 सोरठे के ज़रिये भी लोगों में क्रांति का बिगुल फूँका था।
  • उन्होंने युवाओं में क्रांति की अलख जगाई। उन्होंने पूरे परिवार को आज़ादी के आंदोलन में झोंक दिया। शक्ति, भक्ति और कुर्बानी की कण-कण में महान क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ और उनके परिवार की शौर्य गाथा देश भर में गूँजती है।
  • राजस्थान के चित्तौड़गढ़ ज़िले के बड़ी सादड़ी विधानसभा इलाके में नरबदिया तहसील के भदेसर में संत शिरोमणि अमरा भगत का समाधि स्थल है। जब संत अमरा भगत का जन्म हुआ तो उन्होंने जन्म के 9 दिन तक अपनी माँ का दूध नहीं पिया था। सूर्य पूजन की रस्म पूरी करने के बाद माँ का दूध पीने पर इस यशस्वी बालक की चर्चा पूरे इलाके में फैल गई। उस समय देश में प्लेग नाम की महामारी और लाल ताव के नाम की बीमारी फैली तो उन्होंने इस महामारी से बचाने के लिये अनगढ़ बावजी की धूनी पर घोर तपस्या की और लोगों को बचाया।

मध्य प्रदेश Switch to English

चेंटीखेड़ा, दौरी और बहुती नहर परियोजना को मिली स्वीकृति

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023 को मध्य प्रदेश मंत्री परिषद की बैठक में जल संसाधन विभाग की चेंटीखेड़ा वृहद् सिंचाई परियोजना को मंजूर किया गया। वहीं वृहद् परियोजना नियंत्रण मंडल की 119वीं बैठक में दौरी सागर मध्यम परियोजना और बहुती नहर परियोजना का शेष निर्माण कार्य को मंजूरी प्रदान की गई।

प्रमुख बिंदु

  • जल संसाधन विभाग की चेंटीखेड़ा, दौरी और बहुती नहर परियोजनाओं से प्रदेश में 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता का निर्माण होगा।
  • चेंटीखेड़ा वृहद् सिंचाई परियोजना : श्योपुर ज़िले में चेंटीखेड़ा वृहद् सिंचाई परियोजना की अनुमानित लागत 539 करोड़ रुपए है। योजना के अंतर्गत 67.88 एमसीएम के मिट्टी के बांध निर्माण एवं पाईप नहर का निर्माण किया जाना है। परियोजना से 15 हज़ार 300 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा सकेगी।
  • दौरी सागर मध्यम् परियोजना : सतना में प्रस्तावित दौरी सागर मध्यम् परियोजना की अनुमानित लागत 175 करोड़ रुपए है। परियोजना के अंतर्गत जलाशय निर्माण एवं पाईप नहर प्रणाली का निर्माण किया जाएगा। 36 माह की अवधि में पूरी होने वाली परियोजना से सतना ज़िले के लगभग 7200 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
  • बहुती नहर परियोजना : सतना ज़िले में बहुती नहर परियोजना का शेष निर्माण कार्य किया जाना है। बहुती नहर प्रणाली बाणसागर जलाशय से निकली है, जिससे रीवा एवं सतना ज़िले के 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित किया जा सकेगा। परियोजना की अनुमानित लागत 351 करोड़ 48 लाख 80 हज़ार रुपए है।

मध्य प्रदेश Switch to English

मेपकॉस्ट और वन विभाग द्वारा वन बायोमास मैपिंग कार्य शुरू

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023 को मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मेपकास्ट) के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जीडी बैरागी ने बताया कि विज्ञान के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए नवाचार के क्रम में मेपकॉस्ट ने वन विभाग के सहयोग से फॉरेस्ट बायोमास की मैपिंग का कार्य शुरू किया है।

प्रमुख बिंदु

  • खास बात यह है कि मेपकास्ट द्वारा की जाने वाली इस मैपिंग से मिले परिणाम का केलीब्रेशन और वेलीडेशन (मिलान) जनवरी 2024 में लांच होने वाले निसार सेटेलाइट डाटा से किया जाएगा। यह सेटेलाइट, नासा और इसरो के संयुक्त तत्वावधान में शुरू किये गए नासा इसरो सिंथेटिक अर्पचर राडार (निसार) प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
  • वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जीडी बैरागी ने बताया कि सेटेलाइट में मुख्य रूप से दो बैंड एल और एस भेजे जा रहे हैं। एक हेक्टेयर के प्लॉट से प्राप्त किये गए डेटा का मिलान सेटेलाइट के एल बैंड सेंसर के माध्यम से किया जायेगा। यह मध्य प्रदेश के लिये वन वायोमास आकलन के लिये उपयोगी होगा। अब बायोमास की मैपिंग सेटेलाइट के माध्यम से भी जाँच सकेंगे।
  • डॉ. बैरागी ने बताया कि यह काम मेपकास्ट और इसरो की टीम द्वारा किया जा रहा है। फॉरेस्ट बायोमास की मैपिंग के लिये नर्मदापुरम ज़िले को चिन्हित किया गया है। यहाँ एक हेक्टेयर के 10 प्लाट पर स्थायी तौर पर मैपिंग का कार्य किया जाएगा। स्थायी प्लॉट्स पर वर्ष में एक बार भौतिक रूप से बायोमास मैपिंग का कार्य किया जाएगा। इसमें पेड़ की ऊँचाई, मोटाई, शाखाओं की गिनती आदि को नापकर बायोमास निकाला जाएगा।
  • डॉ. बैरागी ने बताया कि इस परियोजना से प्राप्त परिणाम से सेटेलाइट से वन वायोमास की मेपिंग की जा सकेगी, जिसका उपयोग वन और पर्यावरण-संरक्षण में होगा।

हरियाणा Switch to English

‘पदमा’ में स्थापित होगा वेंचर कैपिटल फंड

चर्चा में क्यों?

27 मार्च, 2023 को हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा स्टार्टअप शुरू करने वाले युवा उद्यमियों की तरह ‘पदमा’(प्रोग्राम टू एक्सीलेरेट डेवलपमेंट फॉर एमएसएमई एडवांसमेंट) में भी वेंचर कैपिटल फंड स्थापित किया जाएगा, ताकि ‘वन ब्लॉक वन प्रोडक्ट’ के तहत अधिक से अधिक युवा इंटरप्रेन्योर बन सकें।

प्रमुख बिंदु

  • उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, जिनके पास उद्योग एवं वाणिज्य विभाग का प्रभार भी है, ने ‘पदमा’को लागू करने के लिये विभाग द्वारा तैयार की गई रणनीति के बारे में एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से जानकारी ली और उसमें सुधार के लिये कई अहम सुझाव भी दिये।
  • उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से बजट में राज्य सरकार ने युवाओं को स्टार्टअप स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु 5 करोड़ रुपए तक के 200 करोड़ के वेंचर कैपिटल फंड की योजना बनाई है, ठीक इसी प्रकार ‘पदमा’के प्रति प्रोत्साहित करने के लिये भी वेंचर कैपिटल फंड बनाया जाएगा।
  • विदित है कि प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की ‘पदमा’योजना के तहत ‘वन ब्लॉक-वन प्रोडक्ट’ पहल शुरू की है। इस पहल का उद्देश्य क्लस्टर दृष्टिकोण का लाभ उठाकर और संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देकर ब्लॉक स्तर पर सूक्ष्म और लघु उद्यमों को बढ़ावा देना है।
  • हाल ही में पेश किये गए बजट में भी अगले 5 वर्षों में ‘पदमा’के लिये 1,000 करोड़ रुपए प्रस्तावित हैं, जिससे डिज़ाइनिंग, ब्रांडिंग, मार्केटिंग और एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम जैसे नए इनोवेटिव इंसेंटिव पेश किये जाएंगे।
  • प्रदेश में जहाँ युवाओं को स्टार्टअप स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित करने तथा अपेक्षित कौशल, व्यक्तित्व और संचार कौशल के साथ युवाओं में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिये इक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना की जाएगी और बैंकों, वित्तीय संस्थानों और उद्यम पूंजी निधियों से ऋण की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाएगी, वहीं ‘पदमा’के तहत विशेषकर ग्रामीण युवाओं को इंटरप्रेन्योर बनाया जाएगा।
  • राज्य में ‘पदमा’के तहत उद्योग लगाने हेतु करीब दो दर्जन स्थानों की पहचान कर ली गई है, जल्द ही बाकी ब्लॉक में जगहों को अंतिम रूप देकर लोगों को उद्योग स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • राज्य सरकार द्वारा ‘पदमा’के लिये 6 स्कीमें बनाने की योजना तैयार की गई है, जिसमें विभिन्न इंसेंटिव इत्यादि देने का प्रावधान किया जाएगा।


मध्य प्रदेश Switch to English

मुख्यमंत्री को कृषि मंत्री ने अवार्ड सौंपा

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023 को मध्य प्रदेश के किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने मध्य प्रदेश को फार्म गेट एप के लिये दिल्ली में मिला अवार्ड मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपा।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश को कंप्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा राज्य सरकारों की प्रोजेक्ट केटेगरी में फॉर्म गेट एप के लिये 20वाँ सीएसआई-एसआईजी ई-गर्वेनेंस अवार्ड-2022 प्रदान किया गया है।
  • यह एप एंड्रॉयड बेस्ड एप्लीकेशन है। इसे किसान अपने एंड्राइड मोबाइल पर निशुल्क डाउनलोड कर सकता है। इससे किसान अपनी मर्जी अनुसार अपनी उपज को अपने घर, खलिहान, गोदाम से विक्रय में सक्षम हुआ है।
  • किसानों को अपनी उपज को मंडी में लाकर विक्रय करने के साथ-साथ घर बैठे अपनी उपज अपने दाम पर विक्रय की आजादी मिली है। मध्य प्रदेश ऐसा करने वाला देश में इकलौता राज्य है। उक्त प्रणाली को भारत सरकार द्वारा बहुत सराहा गया है।
  • मध्य प्रदेश की कृषि उपज मंडी समितियों में संचालित एम.पी. फार्म गेट एप प्रदेश की 8 मंडियों भोपाल, हरदा, इंदौर, देवास, गुना, सागर, जबलपुर एवं सतना में 1 अगस्त, 2022 से पायलट के रूप में एंड्राइड एप के माध्यम से प्रारंभ किया गया। साथ ही 27 सितंबर, 2022 से उज्जैन मंडी को पायलट योजना में शामिल किया गया। एम.पी. फार्म गेट एप का मध्य प्रदेश की समस्त 259 कृषि उपज मंडी समितियों में संचालन किया जा रहा है।
  • एमपी फार्म गेट एप का उपयोग कर 12981 कृषकों द्वारा 64 लाख क्विंटल विभिन्न कृषि उपज विक्रय किया गया है। फार्म गेट से किसानों से सीधा क्रय, पूर्व में सौदा पत्रक पोर्टल के माध्यम से अप्रैल 2021 में किया गया था। धीरे-धीरे इस एप का प्रयोग ज्यादातर किसानों द्वारा किया जाने लगा है। अब तक इस एप का उपयोग कर मंडी प्रांगण में 16 प्रतिशत तक की आवक हो चुकी है।


हरियाणा Switch to English

राशनलाइजेशन आयोग की संरचना और कार्यक्षेत्र के बारे में अधिसूचना जारी

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने राजन गुप्त की अध्यक्षता में गठित राशनलाइजेशन आयोग की संरचना और कार्यक्षेत्र के बारे में अधिसूचना जारी की।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य के एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि जारी अधिसूचना के अनुसार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति 6 महीने की अवधि के लिये की जाएगी। हालाँकि, उनका कार्यकाल राज्य सरकार के विवेक पर 3 महीने के लिये और अधिक अवधि के लिये बढ़ाया जा सकता है।
  • राशनलाइजेशन आयोग के अध्यक्ष का पद हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव के समकक्ष होगा तथा इस आयोग का मुख्यालय चंडीगढ़/पंचकूला में होगा।
  • राशनलाइजेशन आयोग एक स्वायत्त और स्व-नियामक निकाय के रूप में कार्य करेगा। संबंधित विभाग, जिसके संबंध में आयोग राशनलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू करेगा, के प्रशासनिक सचिव को उस विभाग के राशनलाइजेशन के प्रयोजन के लिये आयोग के सदस्य के रूप में सहयोजित माना जाएगा। वह संबंधित विभाग के राशनलाइजेशन के उद्देश्य से आयोग के विचार-विमर्श में पूरी तरह से भाग लेंगे।
  • राशनलाइजेशन आयोग के सुचारु कामकाज के लिये अध्यक्ष के परामर्श से राज्य सरकार राशनलाइजेशन आयोग के लिये अपेक्षित पदों को मंज़ूर करेगी। पदों को आयोग द्वारा विभिन्न तरीके से भरा जा सकता है। राज्य के किसी भी विभाग, बोर्ड या निगम से प्रतिनियुक्ति पर और हरियाणा राज्य के किसी भी विभाग, बोर्ड या निगम से सेवानिवृत्त व्यक्ति की पुनर्नियुक्ति द्वारा भरा जा सकता है।
  • इसके अलावा, राज्य सरकार के निर्देशों और नीतियों के अनुसार कॉन्ट्रैक्चुअल रोज़गार के माध्यम से भी पदों को भरा जा सकता है।
  • आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट छह महीने की अवधि के भीतर प्रस्तुत करेगा, जिसे सरकार के विवेक पर 3 महीने तक बढ़ाया जा सकता है और यथाशीघ्र एक अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। यदि सरकार उचित समझती है तो, सरकार अपने विवेक से आयोग के कार्यकाल को इसी प्रकार से और अवधि के लिये बढ़ा सकती है।
  • आयोग के कार्य-
    • आयोग सार्वजनिक सेवाओं के वितरण को और अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने की दृष्टि से कर्मचारियों की संख्या के युक्तिकरण के लिये विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्डों और निगमों के पुनर्गठन के लिये सिफारिशें करेगा।
    • इसी प्रकार, प्रत्येक विभाग, बोर्ड और निगम के स्वीकृत भरे हुए एवं रिक्त पदों की समीक्षा करना और उनके युक्तिकरण के लिये सिफारिशें करना, विभिन्न विभागों, बोर्डों और निगमों के मुख्यालय के साथ-साथ फील्ड स्तर पर संगठनात्मक संरचना का अध्ययन करना और उन्हें अधिक उत्तरदायी और कुशल बनाने के लिये सिफारिशें करना, सरकारी विभागों/बोर्डों और निगमों की दक्षता में सुधार के लिये और सभी स्तरों के अधिकारियों को अधिक जवाबदेह बनाने के लिये आधुनिक प्रबंधन प्रणालियों की शुरुआत की सिफारिश करना शामिल हैं।
    • विभिन्न विभागों के कर्त्तव्यों और कार्यों के चार्टर की तैयारी के लिये सिफारिशें करना और ऐसे कर्त्तव्यों और कार्यों को कुशलतापूर्वक निर्वहन करने के लिये उचित प्रशासनिक संरचना का सुझाव देना भी आयोग के कार्यों में शामिल है।
    • इसके अलावा, हरियाणा राज्य में सरकारी विभागों, बोर्डों और निगमों के कामकाज में दक्षता और पारदर्शिता में सुधार के लिये भी आयोग कोई अन्य सिफारिश कर सकता है।
  • आयोग की शक्तियाँ और उत्तरदायित्व-
    • आयोग एक स्वतंत्र और स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करेगा और यह अपनी स्वयं की प्रक्रिया तैयार करेगा और अपने स्वयं के कामकाज को विनियमित करेगा। आयोग अपने कामकाज का रिकॉर्ड रखेगा।
    • आयोग के पास किसी भी विभाग, बोर्ड या निगम से किसी भी प्रकार की जानकारी मांगने की पूर्ण शक्तियाँ होंगी, जिनमें स्वीकृत पदों की संख्या, भरे हुए, रिक्त, और ऐसे पदों के विरुद्ध नियोजित कर्मचारियों के प्रकार, पिछले वर्षों के दौरान किये गए बजटीय प्रावधान और वास्तविक व्यय सहित विभाग का बजट, संपूर्ण या किसी विशेष स्तर/क्षेत्रीय संगठन आदि के रूप में विभाग के कर्त्तव्यों और उत्तरदायित्वों की प्रकृति, विभाग द्वारा संभाले जा रहे विषयों से संबंधित कानून, नियम और निर्देश तथा आयोग द्वारा अपने विचार-विमर्श के लिये प्रासंगिक मानी गई कोई अन्य जानकारी शामिल है।
    • यदि कोई अधिकारी/कर्मचारी आयोग द्वारा मांगी गई जानकारी प्रस्तुत करने में विफल रहता है तो वह हरियाणा सिविल सेवा दंड और अपील नियम, 2016 या उसके लिये लागू किसी भी संबंधित नियम के तहत सरकार के संबंधित अधिकारियों द्वारा अनुशासनहीनता के लिये कार्यवाही करने हेतु उत्तरदायी होगा।

झारखंड Switch to English

झारखंड में जल्द बनेंगे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के 6 फोरलेन कॉरिडोर

चर्चा में क्यों?

27 मार्च, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड के औद्योगिक और पर्यटन क्षेत्रों के विकास को लक्ष्य बनाकर कॉरिडोर बनाने की योजना तैयार की गई है, जिसके अंतर्गत राज्य पथ निर्माण विभाग द्वारा फोरलेन वाले छह रोड कॉरिडोर बनाए जाएंगे।

प्रमुख बिंदु

  • विदित है कि फोरलेन वाले ये सभी कॉरिडोर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हाइवे होंगे, साथ ही इन कॉरिडोर के बनने से राज्य के अंदर यात्रा करने वालों को कम समय और कम दूरी तय करनी पड़ेगी, जिससे लोगों को बहुत ही सहूलियत होने की संभावना है।
  • जानकारी के अनुसार, इनमें 393 किमी. का ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर, 121 किमी. का इस्टर्न कॉरिडोर, 275 किमी. का नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर, 140 किमी. का सेंट्रल कॉरिडोर, 270 किमी. का टूरिस्ट कॉरिडोर और 170 किमी. का होली टूरिस्ट कॉरिडोर शामिल है।
  • सभी कॉरिडोर का डीपीआर तैयार करने के लिये राज्य पथ निर्माण विभाग अनुभवी और तकनीकी रूप से दक्ष कंसल्टेंट को ज़िम्मेदारी देगा।
  • जिन छह कॉरिडोर का निर्माण किया जाना तय हुआ है, जो अलग-अलग रूटों पर लोगों को सुविधा उपलब्ध कराएगी, वे हैं-
    • इस्ट-वेस्ट कॉरिडोर : 393 किमी. मुड़ीसेमर से चतरा-बरही-बेंगाबादमधुपुर-सारठ-पालाजोरी होते हुए दुमका तक।
    • इस्टर्न कॉरिडोर : 121 किमी. साहिबगंज से जामताड़ा-निरसा- सिंदरी-चंदनक्यारी होते हुए चांडिल तक।
    • नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर : 275 किमी. झुमरीतिलैया से एनएच-2 पर (अंतकीडीह)- विष्णुगढ़ पेटरवारकसमार-बरलंगा-सिल्ली-रड़गांवसरायकेला-चाईबासा-जैतगढ़ होते हुए ओड़िशा की सीमा तक।
    • सेंट्रल कॉरिडोर : 140 किमी. रांची से बुढ़मू-टंडवा-चतरा-हंटरगंज होते हुए डोभी बिहार की सीमा तक।
    • टूरिस्ट कॉरिडोर : 270 किमी. मिलन चौक (सिल्ली रंगामाटी रोड) से सारजमडीह-तमाड़-खूंटी गोविंदपुरसिसई-घाघरा-नेतरहाट-गारू-सरयू-लातेहार-हेरहंज-बालूमाथमैक्लुस्कीगंज होते हुए चामा मोड़ तक।
    • होली टूरिस्ट कॉरिडोर : 170 किमी. रांची से ओरमांझी-गोला-रजरप्पा- डुमरी और गिरिडीह होते हुए देवघर तक। यह लुगुबुरू, पारसनाथ और बाबाधाम को आपस में जोड़ेगा।


झारखंड Switch to English

झारखंड सरकार ने कैबिनेट बैठक में 44 फैसलों को दी मंजूरी

चर्चा में क्यों?

27 मार्च, 2023 झारखंड कैबिनेट की बैठक में 44 फैसलों को मंजूरी दी गईं, जिसमें रांची में ट्रांसपोर्ट नगर के निर्माण के अलावा सिमडेगा-खूंटी के सभी प्रखंड मुख्यालयों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये आधारभूत संरचना का विकास सहित कई अन्य महत्त्वपूर्ण निर्णय शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

  • कैबिनेट की बैठक में राज्य के शहरी स्थानीय निकाय के कर्मियों को दिये जा रहे सातवें वेतन पुनरीक्षण के फलस्वरूप देय वेतन में सरकार के वित्तीय भार निर्धारण की स्वीकृति भी दी गई।
  • मंत्रिपरिषद की बैठक में लिये गए कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण फैसले इस प्रकार हैं -
    • राजधानी राँची में EPC Model पर ट्रांसपोर्ट नगर निर्माण योजना के फेज-2 के लिये कुल 57,82,58,156/- रुपए की योजना की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई।
    • वित्तीय वर्ष 2022-23 में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये Network Infrastructure Development के तहत पायलट परियोजना के रूप में सिमडेगा खूंटी के सभी प्रखंड मुख्यालयों तथा दुमका ज़िला के दुमका प्रखंड के Saturation के लिये कुल 84 करोड़ रुपए खर्च की स्वीकृति दी गई।
    • झारखंड राज्यांतर्गत अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के नियंत्रणाधीन संचालित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों का संचालन गैर-सरकारी संस्थाओं के माध्यम से कराने की अवधि विस्तार एवं संचालन हेतु इकरारनामा करने की स्वीकृति दी गई।
    • झारखंड राज्य के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के नियंत्रणाधीन संचालित आश्रम, विद्यालयों/पीवीटीजी, आवासीय प्राथमिक विद्यालयों/अनुसूचित जनजाति आवासीय प्राथमिक विद्यालयों/अनुसूचित जाति आवासीय प्राथमिक विद्यालयों का संचालन गैर-सरकारी संस्थाओं के माध्यम से कराने की अवधि, विस्तार एवं संचालन हेतु इकरारनामा करने की स्वीकृति दी गई।
    • एनटीपीसी नॉर्थ कर्णपुरा परियोजना, टंडवा क्षेत्र में पड़ने वाली गहरी जलाशय हेतु अर्जित भूमि में से आंशिक रकबा 25.99 एकड़ भूमि ASH DYKE एवं WATER RESERVOIR निर्माण हेतु एनटीपीसी नॉर्थ कर्णपुरा परियोजना (NKSTPP), टंडवा को हस्तांतरित करने की स्वीकृति दी गई।
    • ‘झारखंड कार्यपालिका नियमावली, 2000 (समय-समय पर यथा संशोधित) की प्रथम अनुसूची में पर्यटनकला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग को आवंटित कार्य-दायित्व राष्ट्रीय कैडेट कोर और सहायक कैडेट कोर’, को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के कार्य दायित्व में सम्मिलित किये जाने की स्वीकृति दी गई।
    • ‘नमामि गंगे योजना’के अंतर्गत 310.11 करोड़ रुपए की लागत पर Interception & Diversion (I&D) and Sewerage Treatment Plant (STP) परियोजना, रामगढ़ को प्रशासनिक स्वीकृति दी गई।
    • केंद्र प्रायोजित योजना अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन 2.0 (अमृत 2.0) के अंतर्गत 4648.58 लाख रुपए की लागत पर तकनीकी स्वीकृति प्राप्त बड़कीसरैया शहरी जलापूर्ति परियोजना को प्रशासनिक स्वीकृति दी गई।
    • झारखंड कृषि अधीनस्थ सेवा (भर्ती एवं प्रोन्नति) नियमावली, 2013 (समय-समय पर यथा संशोधित) में आवश्यक संशोधन की स्वीकृति दी गई।
    • झारखंड राज्य आपूर्ति सेवा नियमावली, 2013 (समय-समय पर यथा संशोधित) में संशोधन करते हुये झारखंड राज्य आपूर्ति सेवा (भर्ती, प्रोन्नति एवं अन्य सेवा शर्तें) नियमावली, 2023 को गठन की स्वीकृति दी गई।


छत्तीसगढ़ Switch to English

श्रमिकों के लिये न्यूनतम वेतन की नई दरें निर्धारित

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार श्रमायुक्त छत्तीसगढ़ द्वारा लेबर ब्यूरो शिमला द्वारा जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर विभिन्न अनुसूचित नियोजनों में कार्यरत श्रमिकों के लिये एक अप्रैल 2023 से 30 सितंबर, 2023 तक के लिये न्यूनतम वेतन दरें निर्धारित की गई हैं।

प्रमुख बिंदु

  • ये दरें 45 अनुसूचित, सामान्य नियोजन के लिये प्रतिदिन 20 रुपए और प्रतिमाह 260 रुपए की वृद्धि की गई है। कृषि नियोजन में कार्यरत श्रमिकों के लिये 225 रुपए प्रतिमाह की वृद्धि की गई है।
  • इसी तरह से अगरबत्ती उद्योग में नियोजित श्रमिकों के लिये प्रति एक हज़ार अगरबत्ती के लिये 5 रुपए 85 पैसे की वृद्धि की गई है।
  • न्यूनतम वेतन की निर्धारित दरों के लागू होने पर अब अकुशल श्रमिक ज़ोन ‘अ’के लिये 10 हज़ार 480 रुपए, ज़ोन ‘ब’ के लिये 10 हज़ार 200 रुपए और ज़ोन ‘स’ के लिये 9 हज़ार 960 रुपए प्रतिमाह न्यूनतम वेतन निर्धारित किया गया है।
  • इसी तरह से अर्द्धकुशल श्रमिको को ज़ोन ‘अ’ के लिये 11 हज़ार 130 रुपए, ज़ोन ‘ब’ के लिये 10 हज़ार 870 रुपए और ‘स’ के लिये 10 हज़ार 610 रुपए प्रतिमाह न्यूनतम देय होगा।
  • कुशल श्रमिकों को ज़ोन ‘अ’ के लिये 11 हज़ार 910 रुपए, ज़ोन ‘ब’के लिये 11 हज़ार 650 रुपए और ज़ोन ‘स’के लिये 11 हज़ार 390 रुपए न्यूनतम वेतन देय होगा।
  • उच्च कुशल श्रमिकों को ज़ोन ‘अ’ के लिये 12 हज़ार 990 रुपए, ‘ब’ के लिये 12 हज़ार 430 रुपए और ज़ोन ‘स’ के लिये 12 हज़ार 170 रुपए प्रतिमाह न्यूनतम वेतन मिलेगा।
  • कृषि श्रमिकों के लिये निर्धारित न्यूनतम वेतन अकुशल कृषि श्रमिकों के लिये 8 हज़ार 400 रुपए प्रतिमाह दिया जाएगा। इसी प्रकार से अगरबत्ती निर्माण श्रमिकों के लिये अगरबत्ती रोलर्स में एक हज़ार अगरबत्ती बनाने पर 32 रुपए 81 पैसे और सुगंधित सेंटेड अगरबत्ती बनाने पर 33 रुपए 51 पैसे देय होगा।

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में पेपरलेस होगी विधानसभा

चर्चा में क्यों?

27 मार्च, 2023 को देहरादून स्थित विधानसभा भवन कार्यालय कक्ष में स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने विधायकों व सूचना एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी के अफसरों संग हुई बैठक में बताया कि प्रदेश में गोवा, हिमाचल और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर जल्द ई-विधानसभा बनाई जाएगी, जिससे विधानसभा का सत्र पेपरलेस होगा।

प्रमुख बिंदु

  • बैठक में स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से समय और श्रम की बचत होती है। इलेक्ट्रॉनिक फोरम से ई-विधानसभा का उपयोग करके अधिक संख्या में लोगों का समावेश करना आसान होगा। विधायकों के अलावा आम जनता भी प्रक्रिया में भाग ले सकेगी और सब अपनी राय रख दे सकेगी।
  • ई-विधानसभा बनाने से कागज़ों की बचत होगी। विधानसभा कार्यों में बहुत से दस्तावेज़ों का उपयोग किया जाता है, जिससे काफी खर्चा आता है, लेकिन ई-विधानसभा के माध्यम से दस्तावेज़ इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध हो सकते हैं, जिससे कागज़ों की बचत हो सकती है।
  • इसके अलावा ई-विधानसभा के माध्यम से दस्तावेज़ों को आसानी से संग्रहित किया जा सकता है। कम कागज़ों के उपयोग से पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है।
  • ई-विधानसभा बनने से उत्तराखंड के गठन से अभी तक के जितने भी विधानसभा सदन चले हैं, की पूरी जानकारी भी एक जगह डिजिटल संग्रहित की जाएगी।
  • विदित है कि हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश में ई-विधानसभा में इस्तेमाल होने वाली तकनीक का अध्ययन कर लिया गया है, जिसकी तर्ज पर उत्तराखंड विधानसभा को भी ई-विधानसभा बनाया जाएगा।


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