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पहली बार ईको टूरिज़्म थीम पर आयोजित होगा गोरखपुर महोत्सव
चर्चा में क्यों?
27 दिसंबर, 2022 को उक्तर प्रदेश के गोरखपुर के डीएफओ विकास यादव ने बताया कि प्रदेश में लोगों को जंगल और पर्यावरण की अहमियत समझाने के लिये वन विभाग पहली बार ईको टूरिज़्म की थीम पर गोरखपुर महोत्सव का आयोजन करेगा। यह महोत्सव 11 से 13 जनवरी, 2023 तक आयोजित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- डीएफओ विकास यादव ने बताया कि जंगल मैराथन के तहत पाँच किलोमीटर तक बच्चों व सामाजिक संगठनों, सामान्य नागरिकों को जंगल के बीच घुमाया जाएगा। इस दौरान लोगों को जंगल और उसके माहौल के बारे में जानकारी दी जाएगी। यह मैराथन देवरिया बाईपास के सूबा बाज़ार से शुरू होकर विनोद वन में खत्म होगा।
- उन्होंने बताया कि गोरखपुर महोत्सव में मैराथन, फोटो प्रदर्शनी, सिनेमा और स्टाल के माध्यम से लोगों को वन की खासियत और प्राकृतिक सौंदर्य के बारे में बताया व समझाया जाएगा। इसमें वन विभाग की कार्ययोजनाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी।
- इसके अलावा ग्रीन ऑस्कर से सम्मानित विश्व विख्यात पर्यावरणविद् माइक एच. पांडेय द्वारा निर्देशित पाँच अलग-अलग फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी। गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में फिल्म के माध्यम से लोगों को ईको टूरिज़्म की खासियत को समझाने की कोशिश की जाएगी।
- वन विभाग और बैंबू मिशन की ओर से तैयार बाँस के उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। कार्यक्रम स्थल पर ईको टूरिज़्म फोटोग्राफी का भी स्टाल लगाया जाएगा। इसमें शहर के अलग-अलग सुंदर प्राकृतिक स्थलों की तस्वीरें होंगी।
- चिड़ियाघर में दो दिन कार्यक्रम होंगे। एक दिन नेचर वॉक होगा और दूसरे दिन चिड़ियाघर के वेटलैंड में बर्डवाच कार्यक्रम होगा। अभी तक पाँच स्कूलों के बच्चों को कार्यक्रमों से जोड़ा गया है।
- ज्ञातव्य है कि ईको टूरिज़्म का मतलब है- प्राकृतिक सौंदर्य के करीब जाना और उसका आनंद लेना। इसके तहत पर्यटकों को प्राकृतिक क्षेत्रों में ले जाया जाता है, ताकि के कुदरत के सौंदर्य का आनंद ले सकें। साथ ही पर्यावरण के संरक्षण के बारे में जागरूक हो सकें।
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अब चौरीचौरा नाम से जाना जाएगा गोरखपुर का मुंडेरा बाज़ार नगर पंचायत
चर्चा में क्यों?
27 दिसंबर, 2022 को गोरखपुर के एसडीएम शिवम सिंह ने बताया कि गोरखपुर के मुंडेरा बाज़ार नगर पंचायत का नाम जल्द ही चौरीचौरा हो जाएगा। शासन के प्रस्ताव पर निर्णय लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नाम परिवर्तन को लेकर अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- एसडीएम शिवम सिंह ने बताया कि जंग-ए-आजादी के इतिहास में चौरीचौरा का नाम अमिट है। अंग्रेजी हुकूमत की ज्यादतियों के खिलाफ चौरीचौरा में हुए प्रतिशोध के शताब्दी वर्ष के दौरान ही इस ऐतिहासिक स्थल से जुड़े तथ्यों को दुरुस्त करने का अभियान शुरू किया गया है।
- उन्होंने बताया कि तहसील और थाने का नाम तो पहले से ही चौरीचौरा है। पहले विधानसभा क्षेत्र का नाम मुंडेरा बाजार था। वर्ष 2012 के चुनाव से पहले इस विधानसभा क्षेत्र का नाम भी चौरीचौरा कर दिया गया। मुख्य बाजार मुंडेरा बाजार होने के कारण नगर पंचायत का नाम अभी तक मुंडेरा बाजार ही रह गया।
- गौरतलब है कि तत्कालीन डीएम के. विजयेंद्र पांडियन ने मुंडेरा बाजार नगर पंचायत का नाम बदलकर चौरीचौरा नगर पंचायत करने के लिये शासन को प्रस्ताव भेजा था। प्रशासन के प्रस्ताव पर शासन ने गृह मंत्रालय को एनओसी के लिये प्रस्ताव भेज दिया था।
- एसडीएम शिवम सिंह ने बताया कि मुंडेरा बाजार एक बाजार है जो चौरीचौरा में समाहित है। पहले सिर्फ मुंडेरा बाजार के मतदाता थे और कुल 11 वार्ड थे। चुनाव से पूर्व विस्तारित क्षेत्र में भोपा बाजार, राघोपुर, चौरा, भगवानपुर, बाल बुजुर्ग गाँव भी सम्मिलित होने से अब 16 वार्ड और कुल मतदाताओं की संख्या 26 हज़ार हो गई है।
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