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‘कहत कबीर’ पुस्तक
चर्चा में क्यों?
27 दिसंबर, 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में संत कबीर के दोहों पर केंद्रित पुस्तक ‘कहत कबीर’का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- कबीर विकास संचार अध्ययन केंद्र, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में पहली बार संत कबीर के 24 लोकप्रिय दोहों को कार्टून के माध्यम से व्यक्त किया गया है।
- मुख्यमंत्री ने इस पुस्तक में किये गए अभिनव प्रयोग की सराहना करते हुए कहा कि संत कबीर के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने में यह प्रयास सार्थक साबित होगा।
- पुस्तक के प्रकाशन पर कबीर शोध संस्थान के अध्यक्ष कुणाल शुक्ला ने बताया कि इस पुस्तक में संत कबीर के 24 दोहों पर आधारित 24 व्यंग चित्र हैं, जो अनूठे हैं। नई पीढ़ी को कबीर के दोहों को समझने में यह पुस्तक सहयोगी साबित होगी।
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देश का प्रथम ‘स्वदेशी ज्ञान अध्ययन केंद्र’
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के डॉ. हरी सिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर में प्रारंभ किये गए देश के प्रथम स्वदेशी ज्ञान अध्ययन केंद्र के संचालन के लिये छत्तीसगढ़ परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ द्वारा सहयोग और मार्गदर्शन दिया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- पारंपरिक वैद्यकीय ज्ञान आधारित चिकित्सा पद्धति की वैज्ञानिक प्रामाणिकता सिद्ध करने एवं दुर्लभ वनौषधियों के संरक्षण, संवर्धन एवं विकास के उद्देश्य से यह अध्ययन केंद्र प्रारंभ किया गया है।
- इस केंद्र के संचालन के लिये छत्तीसगढ़ परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ और डॉं. हरी सिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर के बीच 24 दिसंबर को एमओयू किया गया था।
- डॉ. हरी सिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने अध्ययन केंद्र के शुभारंभ अवसर पर कहा कि इस केंद्र के संचालन के लिये विश्वविद्यालय हर संभव मदद करेगा और यहाँ विलुप्त हो रहीं वनौषधियों के संरक्षण केंद्र के लिये विश्वविद्यालय परिसर में ही 10-20 एकड़ भूमि आवश्यकता अनुसार उपलब्ध कराई जाएगी।
- लोक स्वास्थ्य परंपरा संवर्धन अभियान भारत के राष्ट्रीय समन्वयक वैद्य निर्मल अवस्थी ने बताया कि यह केंद्र सरकार के सहयोग से संचालित किया जाएगा। भारत का यह ऐसा पहला स्वदेशी ज्ञान अध्ययन केंद्र होगा, जहाँ संपूर्ण भारत की लोक स्वास्थ्य परंपरा की वैज्ञानिक प्रामाणिकता सिद्ध करने हेतु पहल की जाएगी। विश्वविद्यालय में इसके लिये अलग से विभाग बनाया गया है, जिसे यूजीसी से मान्यता मिल चुकी है।
- इस अध्ययन केंद्र में विद्यार्थियों को अनुसंधान हेतु मदद एवं पारंपरिक वैद्यों की उपचार पद्धति को वैज्ञानिक प्रमाणिकता मिल सकेगी। यह कार्य वैद्यों के परिवार की सतत् आजीविका विकास में सहायक सिद्ध होगा, दूसरी ओर आम जनमानस को असाध्य बीमारियों में वनौषधि चिकित्सा पद्धति का लाभ मिल सकेगा।
- अवस्थी ने बताया कि इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के 25 ख्यातिप्राप्त पारंपरिक नाड़ी विशेषज्ञ वैद्य शामिल हुए। बस्तर, बिलासपुर एवं रायपुर के ख्यातिप्राप्त पारंपरिक वैद्यों ने आँखों से जाला निकाल कर वैज्ञानिकों को हतप्रभ कर दिया।
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नीति आयोग स्वास्थ्य सूचकांक 2021 में छत्तीसगढ़
चर्चा में क्यों?
27 दिसंबर, 2021 को सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग ने 2019-20 के लिये अपने स्वास्थ्य सूचकांक का चौथा संस्करण जारी किया, जिसमें समग्र स्वास्थ्य प्रदर्शन के आधार पर राज्यों की रैंकिंग की गई। इसमें बड़े राज्यों में समग्र स्वास्थ्य प्रदर्शन के मामले में छत्तीसगढ़ 10वें स्थान पर है, वहीं केरल शीर्ष पर है।
प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट को तीन भागों में बाँटा गया था- बड़े राज्य, छोटे राज्य और केंद्रशासित प्रदेश। छोटे राज्यों में मिज़ोरम सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य रहा जबकि नागालैंड सबसे नीचे रहा।
- नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रशासित प्रदेशों में चंडीगढ़ शीर्ष पर है, उसके बाद दादरा और नगर हवेली दूसरे नंबर पर तथा दिल्ली तीसरे नंबर पर है।
- बड़े राज्यों में समग्र स्वास्थ्य प्रदर्शन के मामले में छत्तीसगढ़ 50.70 स्कोर के साथ 19 राज्यों में 10वें स्थान पर है। वहीं केरल 82.20 स्कोर के साथ पहले, तमिलनाडु 72.42 स्कोर के साथ दुसरे एवं तेलंगाना 69.96 स्कोर के साथ तीसरे स्थान पर हैं।
- नीति आयोग का स्वास्थ्य सूचकांक एक भारित समग्र स्कोर है, जिसमें स्वास्थ्य प्रदर्शन के प्रमुख पहलुओं को शामिल करते हुए 24 संकेतक हैं।
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