उत्तर प्रदेश Switch to English
प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन में उत्तर प्रदेश आठवें स्थान पर
चर्चा में क्यों?
27 अक्टूबर, 2022 को जारी प्लास्टिक अल्टरनेटिव रिपोर्ट-2022 के अनुसार देश में प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन के मामले में उत्तर प्रदेश आठवें स्थान पर है।
प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट में विभिन्न राज्यों द्वारा कचरे को रिसाइकिल कर पुन: इस्तेमाल के लिये नवप्रयोगों के बारे में भी बताया गया है।
- विदित है कि उत्तर प्रदेश ने 2018 से सिंगल यूज़ प्लास्टिक के निर्माण, संग्रह, परिवहन, बिक्री, रिसाइकिलिंग के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा रखा है तथा प्रदेश में प्लास्टिक कचरे को ईंधन में बदलने के दो प्लांट लगाए गए हैं।
- राज्य के प्रयागराज में इसी तरह का एक प्लांट पिछले साल ही लगाया गया है। इसमें सिंगज यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल कर उसे ईंधन में बदला जाता है। इसके अलावा एक प्लांट मथुरा में पहले से ही काम कर रहा है। इन दोनों प्लांट की क्षमता 2700 टन प्रति साल है।
- प्लांट लगाने के अलावा प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल सड़क निर्माण में भी हो रहा है तथा पेपर मिलों ने सीमेंट मिल के साथ इस तरह के कचरे को नए रूप में इस्तेमाल करने की पहल की है।
- प्लास्टिक अल्टरनेटिव रिपोर्ट-2022 में बताया गया है कि देश में प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन के मामले में महाराष्ट्र का अव्वल स्थान है तथा प्रति व्यक्ति कचरा निकालने के मामले में गोवा नंबर एक पर है। इसके बाद दिल्ली व केरल का स्थान है और उत्तर प्रदेश 28वें नंबर पर है। सबसे कम प्रति प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन के मामले में नागालैंड, सिक्किम व त्रिपुरा शीर्ष पर हैं।
प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन में अन्य राज्यों की स्थिति-
राज्य |
प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन (प्रतिशत में) |
महाराष्ट्र |
13 |
तमिलनाडु |
12 |
गुजरात |
12 |
पश्चिम बंगाल |
9 |
कर्नाटक |
9 |
तेलंगाना |
7 |
दिल्ली |
7 |
उत्तर प्रदेश |
5 |
हरियाणा |
4 |
केरल |
4 |
मध्य प्रदेश |
3 |
पंजाब |
3 |
अन्य |
11 |
- इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में हर साल 34,69,780 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। यह आँकड़ा साल 2019-20 का है। देश में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा उत्सर्जन पाँच सालों यानी 2016-20 में दोगुना हो गया।
- रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि स्वच्छ भारत मिशन के चलते देश के विभिन्न राज्यों में कचर प्रबंधन इंफ्रास्ट्रचर काफी मज़बूत हुआ है और अब प्लास्टिक कचरे को दूसरे रूपों में तब्दील कर अन्यत्र उसका इस्तेमाल करने का चलन नई तकनीक के साथ बढ़ा है। हालाँकि, इसे और व्यापक स्तर पर ले जाने की ज़रूरत है, क्योंकि यह अभी पर्याप्त नहीं है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश पुलिस होगी अब हाईटेक
चर्चा में क्यों?
27 अक्टूबर, 2022 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर 650 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च कर अब उत्तर प्रदेश पुलिस को हाईटेक किया जा एगा।
प्रमुख बिंदु
- उत्तर प्रदेश पुलिस को हाईटेक करने की दिशा में जल्द ही इसे बॉडी वार्न कैमरा और फुल बॉडी प्रोटेक्टर से लैस किया जाएगा।
- गृह विभाग ने पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत 1200 बॉडी वार्न कैमरा खरीदने के लिये 4.8 करोड़ रुपए और 1650 फुल बॉडी प्रोटेक्टर फॉर वीमेन की खरीद के लिये 2.48 करोड़ रुपए तथा 30 हज़ार पोस्टमार्टम किट खरीदने के लिये छह करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है
- प्रदेश के 10 ज़िलों में करीब 641 करोड़ रुपए खर्च कर उच्चीकृत सोशल मीडिया मॉनीटरिंग सेल की स्थापना होने वाली है। इसी तरह 10 अन्य ज़िलों में लॉ एंड ऑर्डर के लिये क्यूआरटी की स्थापना की जाएगी।
- इसके अलावा 75 करोड़ रुपए की लागत से एसआईटी, ईओडब्ल्यू, सीबीसीआईडी और एसीओ के जाँच और विवेचना के लिये एक डेडिकेटेड एफएसएल की स्थापना की जाएगी। कन्नौज में डेडिकेटेट मिनी टेक्निकल लैब विकसित की जा रही है।
- एनसीआरबी की ओर से विकसित क्राइम सीन वीडियोग्राफी ऐप को पहले चरण में मुज़फ्फरनगर, बाराबंकी और अलीगढ़ में शुरू किया गया है तथा प्रदेश के अन्य ज़िलों में भी इसे लागू करने के लिये कार्य योजना तैयार की गई है। इसके लिये तकनीकी सेवा मुख्यालय ने पूरी प्रक्रिया हेतु तकनीकी समिति गठित की है।
- विदित है कि प्रदेश के सभी 1531 थानों में साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना हो चुकी है। प्रदेश के सभी 18 परिक्षेत्रीय साइबर थानों के प्रशासनिक भवन निर्माण संबंधी प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है तथा सात परिक्षेत्रीय साइबर थानों वाराणसी, झाँसी, बस्ती, अलीगढ़, आज़मगढ़, गोरखपुर और बाँदा के लिये कार्यदायी संस्था नामित कर दी गई है।
बिहार Switch to English
बिहार के स्कूलों के लिये तैयार हो रहा बहु-भाषीय शब्दकोश
चर्चा में क्यों?
27 अक्टूबर, 2022 को बिहार एससीइआरटी के निदेशक सज्जन राज शेखर ने बताया कि राज्य शिक्षा विभाग जनजातीय भाषाओं को सहेजने के लिये एक रोडमैप बनाने के साथ ही नई शिक्षा नीति के तहत क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाने हेतु बिहार में क्षेत्रीय भाषाओं/ बोलियों में कक्षा एक से प्लस टू तक की पढ़ाई के लिये बहु-भाषीय शब्दकोश तैयार कर रहा है।
प्रमुख बिंदु
- बिहार एससीइआरटी के निदेशक ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत बिहार में क्षेत्रीय भाषाओं/बोलियों में कक्षा एक से प्लस टू तक की कक्षाओं को पढ़ाने की रणनीति यह होगी कि मातृभाषा (मदरटंग) में अभ्यस्त स्कूली बच्चे को तमाम विषयों की पढ़ाई उसी की मातृभाषा में पढ़ाई जाए, ताकि वह समझ सके कि उसकी मातृभाषा में संबंधित विषयों के शब्दों या संबंधित अवधारणा को क्या कहा जाता है।
- उन्होंने बताया कि कक्षा एक से प्लस टू तक की पढ़ाई के लिये बहु-भाषीय शब्दकोश तैयार करने के पीछे का मकसद क्षेत्रीय बोलियों में पढ़ाते-समझाते हुए छात्रों को मुख्यधारा में लाना है, ताकि उच्च शिक्षा में वह भाषा आधारित पिछड़ेपन का शिकार न हों तथा विशेषतौर पर उसका उच्चारण भी बेहतर करने पर ज़ोर दिया जाएगा। इस संदर्भ में शिक्षा विभाग ने विशेषरूप से एससीइआरटी को दिशा-निर्देश भी दिये हैं।
- इसके तहत बिहार की स्थानीय बोलियों एवं भाषाओं का एक शब्दकोश तैयार किया जाएगा, जिसमें किसी विषय सामग्री को मातृभाषा में उच्चारण वाले शब्द और उससे संबंधित अंग्रेज़ी-हिन्दी के शब्द शामिल किये जाएंगे।
- शब्दकोश के अलावा एक विशेष रिसोर्स मैटेरियल भी बनाया जाएगा और यह सामग्री शिक्षकों को दी जाएगी, जिससे शिक्षकों को इसमें प्रशिक्षित किया जाएगा। यहाँ शिक्षक बच्चों को विषय मातृभाषा में पढ़ाएगा और इस तरह से अंगिका, बज्जिका, भोजपुरी, मगही, मैथिली आदि क्षेत्रीय भाषाओं में मुख्य धारा के विषय पढ़ाने की कवायद की जाएगी और यह कवायद अगले सत्र तक ही संभव हो सकेगी।
- ज्ञातव्य है कि बिहार की कुल जनसंख्या में एक फीसदी से कुछ ही अधिक अनुसूचित जनजातियाँ हैं तथा अनुसूचित जाति (वनवासी समुदाय) की मुख्य भाषाएँ मसलन मुंडारी, सदानी, संथाली, मुंगरी, गाराइत, चेरो आदि भाषाएँ हैं। विभिन्न कारणों से ये भाषाएँ बेहद संकटग्रस्त हैं।
- उल्लेखनीय है कि बिहार में खौंड, बेड़िया, संथाल, खैरवार, गोराइत, कोरवा, मुंडा आदि वनवासी जातियाँ चंपारण, रोहतास, शाहाबाद, पूर्णिया, भागलपुर, सहरसा, भोजपुर, मुंगेर, जमुई, कटिहार और बक्सर आदि ज़िलों में रहती हैं।
राजस्थान Switch to English
डॉ. भीमराव अंबडेकर राजस्थान दलित, आदिवासी उद्यम प्रोत्साहन योजना-2022
चर्चा में क्यों?
27 अक्टूबर, 2022 को राजस्थान के उद्योग आयुक्त महेंद्र पारख ने उद्योग भवन में राज्य के समस्त बैंकों के राज्यस्तरीय नियंत्रक अधिकारीगणों के साथ आयोजित बैठक में राज्य के औद्योगिक विकास में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये डॉ. भीमराव अंबेडेकर राजस्थान दलित, आदिवासी उद्यम प्रोत्साहन योजना-2022 का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- आयुक्त पारख ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत 25 लाख रुपए तक के ऋण पर 9 फीसद ब्याज अनुदान तथा 5 करोड़ रुपए तक के ऋण पर 7 प्रतिशत ब्याज अनुदान के साथ ही 25 लाख रुपए तक की सीमा में प्रोजेक्ट लागत का 25 फीसद तक मार्जिन मनी का भी प्रावधान किया गया है, जिससे अनुसूचित जाति एवं जनजाति के निवेशक नए उद्योग लगाने, सेवा क्षेत्र में तथा व्यापार के लिये भी प्रेरित होंगे।
- उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की बजट घोषणा की अनुपालना में उद्योग विभाग ने 8 सितंबर, 2022 को इस योजना की अधिसूचना जारी कर दी थी।
- योजनांतर्गत लक्षित वर्गों की प्रथम पीढ़ी के उद्यमियों सहित पात्र व्यक्तियों को उद्यम की स्थापना या विस्तार के लिये विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता अनुदान एवं अन्य सुविधाओं संबंधी प्रावधान किये गए हैं, जिससे उक्त वर्गों का आर्थिक सशक्तीकरण हो सकेगा।
- इस योजना के अंतर्गत लक्षित वर्गों के उद्यमियों को उद्यमिता एवं कौशल संवर्धन कार्यक्रम, इन्क्यूबेशन सेंटर के माध्यम से प्रायोगिक प्रशिक्षण, रियायती दर पर भूमि की उपलब्धता व अन्य परिलाभ, कम लागत पर ऋण सुविधा, सीजीटीएमएमएसई के अंतर्गत गारंटी फीस मार्जिन मनी अनुदान, व्याज अनुदान सहित विभिन्न प्रकार की सुविधाओं के माध्यम से लाभान्वित किया जाएगा।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान में उद्योगों को ईटीपी लगाने के लिये 13.88 करोड़ रुपए की अनुदान राशि जारी
चर्चा में क्यों?
27 अक्टूबर, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान निवेश प्रोत्साहन नीति 2014 एवं 2019 के अंतर्गत राज्य में औद्योगिक इकाइयों द्वारा अपशिष्ट उपचार संयंत्र (ईटीपी) की स्थापना के लिये 88 करोड़ रुपए की अनुदान राशि जारी करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री द्वारा राज्य में ईटीपी लगाने की स्वीकृति से विभिन्न उद्योगों द्वारा उत्सर्जित किये जाने वाले अपशिष्ट का उचित उपचार किया जा सकेगा तथा पर्यावरण संरक्षण में सहायता मिलेगी।
- राज्य में अधिक-से-अधिक उद्योगों को अपशिष्ट उपचार संयंत्र (ईटीपी) स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये यह योजना लाई गई है।
- ज्ञातव्य है कि ईटीपी लगने से जहाँ एक ओर हानिकारक औद्योगिक कचरे के निस्तारण में सहायता मिलती है, वहीं उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट से आमजन के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव से भी बचाव होता है।
- उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक इकाइयों को अपशिष्ट उपचार संयंत्र (ईटीपी) लगाने पर प्लांट एवं मशीनरी की लागत का 20 प्रतिशत अनुदान दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
हरियाणा Switch to English
केंद्रीय गृह मंत्री ने हरियाणा में 6,600 करोड़ रुपए से अधिक लागत की परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया
चर्चा में क्यों?
27 अक्टूबर, 2022 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हरियाणा के फरीदाबाद में आयोजित कार्यक्रम में राज्य के लिये 6,600 करोड़ रुपए से अधिक लागत की चार परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया।
प्रमुख बिंदु
- गृह मंत्री अमित शाह ने लगभग 5,618 करोड़ रुपए लागत की हरियाणा ‘ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर परियोजना’ का शिलान्यास तथा सोनीपत ज़िले के बड़ी गाँव में बने 590 करोड़ रुपए लागत के रेल कोच नवीनीकरण कारखाने का उद्घाटन किया।
- उन्होंने 315 करोड़ 40 लाख रुपए की लागत से रोहतक में बने देश के पहले सबसे लंबे एलिवेटेड रेलवे ट्रैक का लोकार्पण किया। इसके अलावा उन्होंने भोंडसी में 106 करोड़ रुपए की लागत के हरियाणा पुलिस आवास परिसर का उद्घाटन भी किया, जिसमें 576 पुलिस कर्मियों के परिवार रह सकेंगे।
- इस मौके पर केंद्रीय रेल एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि रेल कोच नवीनीकरण कारखाना से बहुत बड़ा इको सिस्टम तैयार होगा तथा रेलवे ने हरियाणा के सात स्टेशनों का कंपलीट रिडेवलपमेंट सेक्शन किया है।
- उन्होंने बताया कि फरीदाबाद में 262 करोड़ की लागत से वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन का टेंडर फाइनल हो गया है। इसी तरह से गुरुग्राम, चंडीगढ़, अंबाला कैंट, करनाल, कुरुक्षेत्र और पानीपत में वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन बनाने के मास्टर प्लान की तैयारी है।
झारखंड Switch to English
झारखंड के डॉ. श्रीकांत पाल ने बनाया सबसे छोटा एंटीना
चर्चा में क्यों?
26 अक्टूबर, 2022 को झारखंड में स्थित बीआइटी मेसरा राँची के डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के प्रो. डॉ. श्रीकांत पाल के ‘अल्ट्रा वाइडबैंड एंटीना’को भारत सरकार से स्वीकृति मिल गई है तथा इसके लिये उन्हें भारत सरकार की ओर से पेटेंट सर्टिफिकेट भी भेज दिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- एंटीना का प्रोटोटाइप 9 जुलाई, 2013 को फाइल किया गया था और इसे मान्यता मिलने में आठ वर्ष लग गए। यह एंटीना संचार माध्यम के लिये बने देश के अब तक के सबसे छोटे एंटीना के रूप में विकसित है।
- डॉ. श्रीकांत ने बताया कि इस एंटीने का आकार 14 गुणा 11 एमएम और बैंडविड्थ क्षमता 10:1 है तथा यह ‘ट्विस्टेड हेलिकल वेब’थ्योरी पर काम करेगा। इससे निकलने वाली तरंगें खास दिशा, स्प्रिंग की तरह घुमावदार लहर (स्पाइरल वेब फ्रंट) एक जगह से दूसरी जगह तक तेज़ी से पहुँचाने में मददगार हैं और इससे चंद सेकेंड में हैवी डाटा को भेजना आसान होगा। इसके अलावा इसके प्रयोग से बफरिंग की समस्या खत्म हो जाएगी।
- उन्होंने बताया कि इस एंटीना की कॉमर्शियल वैल्यू है और इसकी विशेषता को देखते हुए सैमसंग ग्लोबल रिसर्च टीम, साउथ कोरिया के रिसर्च एंड डेवलपमेंट हेड ने इसे खरीदने की इच्छा व्यक्त की है। इसे तैयार करने में रिसर्च स्कॉलर मृणमय चक्रवर्ती ने सहयोग किया है।
- उन्होंने बताया कि यह एंटीना एक निश्चित क्षेत्र में लगे सैकड़ों एंटीना का काम अकेले करने में सक्षम है। इसे किसी कनेक्टिंग केबल की ज़रूरत नहीं तथा इसे सिविल कम्युनिकेशन, आर्मी डाटाबेस कम्युनिकेशन, सैटेलाइट डाटा ट्रांसमिशन में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
- ज्ञातव्य है कि डॉ. श्रीकांत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई सफलता हासिल कर चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2009 में यूएस के वेस्ट वर्जिनिया में स्थापित ग्रीन बैंक टेलीस्कोप के बेहतर संचालन के लिये खास बैंडस्टॉप फिल्टर तैयार किया था, जिससे जीबीटी का ऑब्जरवेशन रेंज बढ़ गया, वहीं 2011 में मैनचेस्टर में स्थापित जॉडरेल बैंक टेलीस्कोप के लिये सुपर कंडक्टिंग डिवाइस तैयार करने में भी सफल रहे।
उत्तराखंड Switch to English
महिला क्षैतिज आरक्षण के अध्यादेश का ड्राफ्ट तैयार, राज्यपाल की मंज़ूरी के बाद होगा लागू
चर्चा में क्यों?
27 अक्टूबर, 2022 को उत्तराखंड के कार्मिक एवं सतर्कता सचिव शैलेश बगौली ने मीडिया को बताया कि राज्य की महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण के लिये अध्यादेश का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। अगले हफ्ते ड्राफ्ट विधायी विभाग को भेजा जाएगा, वहाँ से राज्यपाल की मंज़ूरी के लिये राजभवन भेजा जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के लिये अध्यादेश का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। राज्यपाल की मंज़ूरी के बाद राज्य में महिला क्षैतिज आरक्षण का कानून बन जाएगा।
- विदित है कि नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा महिला क्षैतिज आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाने के बाद राज्य सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया। क्षैतिज आरक्षण बहाल कराने के लिये पिछले दिनों प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में अध्यादेश लाने पर सहमति बनी थी।
- शैलेश बगौली के मुताबिक प्रदेश सरकार की नौकरियों में राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण बहाल कराने के लिये भी शासन स्तर पर प्रयास शुरू हो गए हैं। इस संबंध में न्याय विभाग से विचार-विमर्श चल रहा है। क्षैतिज आरक्षण के समर्थन में ठोस विधिक आधार तैयार करने के बाद प्रस्ताव न्याय विभाग को भेजा जाएगा।
- गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण के शासनादेश को निरस्त कर दिया था।
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुरोध पर राज्यपाल लेख जख गुरमीत सिंह (सेनिख) ने राजभवन में कई वर्षों से लंबित राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण विधेयक को लौटा दिया। इस विधेयक के लौटने के बाद सरकार से क्षैतिज आरक्षण के लिये तात्कालिक तौर पर अध्यादेश या विधेयक लाने की मांग की गई।
उत्तराखंड Switch to English
केंद्र ने उत्तराखंड के हवाले की एचएमटी की 45.33 एकड़ ज़मीन
चर्चा में क्यों?
27 अक्टूबर, 2022 को केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय ने नैनीताल के हल्द्वानी में स्थित एचएमटी की बहुप्रतीक्षित 33 एकड़ भूमि उत्तराखंड सरकार को हस्तांतरित कर दी। मंत्रालय ने भूमि हस्तांतरण के आदेश जारी कर दिये हैं।
प्रमुख बिंदु
- आदेश के अनुसार रानीबाग और हल्द्वानी स्थित एचएमटी की 33 एकड़ भूमि उत्तराखंड सरकार को 72 करोड़ दो लाख 10 हज़ार रुपए की रिज़र्व प्राइज़ पर हस्तांतरित की गई है। बाज़ार दर पर भूमि की बहुत अधिक लागत है।
- गौरतलब है कि राज्य सरकार कई वर्षों से भूमि प्राप्त करने के लिये केंद्र सरकार से अनुरोध कर रही थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भूमि हस्तांतरित करने का अनुरोध किया था। साथ ही, अगस्त में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्रनाथ पांडेय के साथ बैठक में भी यह मुद्दा उठाया था।
- एचएमटी की भूमि पर राज्य सरकार मिनी सिडकुल का निर्माण कर सकती है। राज्य में बड़ी संख्या में उद्यमी निवेश करने के इच्छुक हैं, लेकिन सरकार के सामने उद्योगों के लिये भूमि की व्यवस्था करना बहुत बड़ी चुनौती है।
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