छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ शौर्य पदक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पुलिस मुख्यालय रायपुर ने बस्तर में नक्सल मोर्चे पर तैनात 7 पुलिसकर्मियों को ‘छत्तीसगढ़ शौर्य पदक’ से सम्मानित करने के संबंध में आदेश जारी किया।
प्रमुख बिंदु
- नक्सल मोर्चे पर कामयाबी दिलाने वाले इन जांबाज जवानों को एक नवंबर को छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के मौके पर सम्मानित किया जाएगा।
- सम्मानित होने वाले ये जवान पिछले कई वर्षों से नक्सलियों का सामना कर रहे हैं, नक्सल ऑपरेशन में कई बड़ी सफलताएँ दिलाई हैं तथा कई बड़े एनकाउंटर में शामिल होकर कई नक्सलियों को ढेर किया है।
- इन जवानों में 2 दंतेवाड़ा में तथा 5 नारायणपुर ज़िले में पदस्थ हैं। इनमें एक सहायक उप-निरीक्षक, चार प्रधान आरक्षक और दो आरक्षक शामिल हैं।
- सम्मानित होने वाले जवान हैं- सोमारू कड़ती (एएसआई, डीआरजी दंतेवाड़ा), केशर लाल सरोज (प्रधान आरक्षक, डीआरजी दंतेवाड़ा), बैसाखू राम सोम (प्रधान आरक्षक, नारायणपुर), पुनऊ राम दुग्गा (प्रधान आरक्षक, नारायणपुर), सकेंद्र कुमार नेताम (प्रधान आरक्षक, नारायणपुर), विवेक सिंह (आरक्षक, नारायणपुर) तथा रमेश कुमार अंधारे (आरक्षक, नारायणपुर)।
- इससे पहले भी दंतेवाड़ा की डीआरजी टीम के जवानों को पुरस्कार मिल चुका है, जिसमें सबसे पहला नाम संजय पोटाम का आता है, जिनको राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया था।
- उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ ‘शौर्य पदक’ प्रत्येक वर्ष छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस
(1 नवंबर) को ड्यूटी के दौरान वीरतापूर्ण प्रदर्शन करने वाले राज्य पुलिस के जवानों को प्रदान किया जाता है। शौर्य पदक को मरणोपरांत भी प्रदान किया जाता है। - यह शौर्य पदक कांसे का बना होता है, जिसके आगे के भाग में राज्य का प्रतीक चिह्न तथा पीछे के भाग में राजकीय वृक्ष ‘साल’ का चित्र अंकित होता है।
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