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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 28 Aug 2021
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राज्य के 1242 गोठान हुए स्वावलंबी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राज्य के कृषि विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार राज्य सरकार की महत्त्वपूर्ण फ्लैगशिप योजना ‘सुराजी गाँव योजना’ के ‘गरुवा’ घटक के तहत अब तक राज्य में निर्मित एवं सक्रिय रूप से संचालित 5,963 गोठानों में से 1,242 गोठान स्वावलंबी हो गए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार रायगढ़ ज़िले में सर्वाधिक 189 गोठान स्वावलंबी हुए हैं। दूसरे नंबर पर कबीरधाम ज़िले में 141 गोठान तथा तीसरे क्रम पर राजनांदगाँव ज़िले में 101 गोठान स्वावलंबी हुए हैं। 
  • इसी प्रकार गरियाबंद ज़िले में 25, धमतरी में 43, बलौदाबाज़ार में 49, रायपुर ज़िले में 25, दुर्ग में 64, बालोद में 30, बेमेतरा में 22, कोरबा में 61, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में 25, जांजगीर-चांपा में 44, बिलासपुर में 34, मुंगेली में 20, कोरिया में 23, जशपुर में 36, बलरामपुर में 18, सरगुजा में 39, सूरजपुर में 22, कांकेर में 69, कोंडागाँव में 21, दंतेवाड़ा में 29, नारायणपुर में 5, बस्तर में 26, बीजापुर में 12 तथा सुकमा ज़िले में 18 गोठान स्वावलंबी बन चुके हैं। 
  • गौरतलब है कि राज्य में पशुधन के संरक्षण एवं संवर्द्धन को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार द्वारा अब तक 10,107 गाँवों में गोठान के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है, जिनमें से 5,963 गोठानों का निर्माण पूरा हो चुका है और वहाँ पर गोबर खरीदी, वर्मी कंपोस्ट के निर्माण सहित अन्य आयमूलक गतिविधियाँ संचालित हो रही हैं। 
  • वर्तमान में 3,220 गोठानों का तेज़ी से निर्माण कराया जा रहा है, शेष 924 गोठानों के निर्माण का कार्य अभी शुरू कराया जाना है। 
  • अब तक 4 हज़ार से अधिक गोठानों में लगभग 7,600 एकड़ में हरा चारा लगाया गया है, जिसमें हाईब्रिड नेपियर घास का रोपण एवं अन्य चारा बुआई की गई है।

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वन अधिकार दावों को मान्यता देने में छत्तीसगढ़ अग्रणी

चर्चा में क्यों?

27 अगस्त, 2021 को छत्तीसगढ़ के केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा की अध्यक्षता में आयोजित आदिम जाति कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक में जानकारी दी गई कि छत्तीसगढ़ व्यक्तिगत तथा सामुदायिक वन अधिकार के दावों को मान्यता देने में पूरे देश में अग्रणी राज्य है।

प्रमुख बिंदु

  • प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य में अब तक 4 लाख 86 हज़ार व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्र के अंतर्गत 21 लाख 95 हज़ार 228 हेक्टेयर रकबा की भूमि वितरित की गई है।
  • इनमें व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्र के तहत 4 लाख 41 हज़ार 502 हितग्राहियों को 3 लाख 60 हज़ार 619 हेक्टेयर रकबा और 44 हज़ार 524 सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्र के तहत 18 लाख 34 हज़ार 609 हेक्टेयर रकबा की वितरित भूमि शामिल है।
  • इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने छत्तीसगढ़ में जनजातीय वर्ग के लोगों के हित में चलाए जा रहे कार्यक्रमों के बारे में विस्तृत जानकारी ली और इसका बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित कर उन्हें अधिक-से-अधिक लाभ पहुँचाने के लिये निर्देशित किया। उन्होंने जनजातीय वर्ग के समग्र उत्थान और उनकी उद्यमिता दक्षता के विकास पर विशेष ज़ोर दिया।
  • साथ ही, उन्होंने प्रदेश के वनांचल तथा आदिवासी दूरस्थ क्षेत्रों में जनजातीय वर्ग के स्वास्थ्य सुधार और बेहतर जीवनयापन की दिशा में संबंधित विभागों को समन्वित रूप से कार्य करने के भी निर्देश दिये। इसी तरह जनजातीय वर्ग के समग्र विकास हेतु उनकी शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देते हुए उन्हें अधिक-से-अधिक रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने के लिये निर्देशित किया।

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ट्राईफेड के आउटलेट का शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

27 अगस्त, 2021 को केंद्रीय जनजाति मंत्री अर्जुन मुंडा ने जगदलपुर के माँ दंतेश्वरी एयरपोर्ट में ट्राईफेड के आउटलेट का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस आउटलेट में बस्तर के कलाकारों द्वारा निर्मित बेलमेटल कलाकृति, कपड़े, वन उत्पाद को प्रदर्शनी सह-विक्रय के लिये रखा गया है। 
  • एयरपोर्ट में खुले इस आउटलेट से आने वाले आगंतुकों को बस्तर के कलाकारों द्वारा निर्मित उत्पाद एक स्थल पर मिल सकेंगे। साथ ही, बस्तर की कला का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार होगा। इसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ यहाँ के कलाकारों को मिलेगा।

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वनधन विकास केंद्रों को मिला सम्मान

चर्चा में क्यों?

27 अगस्त, 2021 को जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले में सेमरा स्थित फूड पार्क में आयोजित ट्राईफेड के वनधन सम्मेलन, 2021 कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न वनधन विकास केंद्रों को सम्मानित किया।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य के बस्तर ज़िले से वनधन केंद्र कुरूंदी, बकावण्ड, घोटिया और धुरागाँव को अवॉर्ड प्रदान किया गया। 
  • इसके अलावा राज्य के वनधन केंद्र कडेना धरमजयगढ़ (रायगढ़), वनधन केंद्र गरियाबंद, वनधन केंद्र डोंगानाला कटघोरा (कोरबा), वनधन केंद्र बरोडा (बलौदा बाज़ार), वनधन केंद्र कौरिनभाटा (राजनांदगाँव), वनधन केंद्र दुगली (धमतरी), वनधन केंद्र नारायणपुर, वनधन केंद्र पनचक्की (जशपुर) को भी विभिन्न वर्गों में अवॉर्ड दिये गए।
  • इन वनधन विकास केंद्रों को 5 वर्ग में संचालन के पैमाना, उत्पाद की अधिकतम बिक्री, मूल्यवर्द्धित वस्तुओं की श्रेणी, एमएफपी योजना के तहत समर्थन मूल्य पर खरीदी एवं मार्केटिंग के लिये नवाचार और रचनात्मक विचार के आधार पर सम्मानित किया गया।
  • केंद्रीय मंत्री ने सेमरा ट्राईफेड में लगाए गए स्टाल में बस्तरिया उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने वनधन विकास समिति से जुड़ी स्व-सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा इमली, काजू, तैलीय बीज, मूसली और महुआ के प्रसंस्करण के साथ ही गढ़ कलेवा के स्थानीय व्यंजन, हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा स्थापित शबरी के हस्तशिल्प, बस्तर कलागुड़ी कलाकृतियाँ, रेशम उत्पादन, हरिहर बस्तर के उत्पाद, ट्राईब्स इंडिया के उत्पाद, बस्तर पपीता, बस्तर कॉफी, बाँस कला केंद्र और हथकरघा से तैयार उत्पादों का निरीक्षण किया।

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