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बिहार की बेटी फलक की फिल्म ‘चंपारण मटन’ऑस्कर की दौड़ में शामिल
चर्चा में क्यों?
27 जुलाई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के मुजफ्फरपुर ज़िले की बेटी फलक अभिनीत की फिल्म ‘चंपारण मटन’ऑस्कर की दौड़ में शामिल हो गई।
प्रमुख बिंदु
- फलक अभिनीत की फिल्म ‘चंपारण मटन’ने अमेरिका, फ्राँस और ऑस्ट्रिया जैसे देशों की फिल्मों के साथ अकेले स्टूडेंट अकादमी अवॉर्ड के सेमीफाइनल में अपनी जगह बना ली है।
- ऑस्कर के स्टूडेंट एकेडमी अवॉर्ड 2023 के सेमीफाइनल राउंड में फिल्म का चयन हुआ है। इस अवॉर्ड के लिये दुनियाभर के फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों का चयन किया गया था। 1700 से अधिक फिल्मों को चुना गया था।
- ‘चंपारण मटन’फिल्म का निर्देशन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे के रंजन कुमार की ओर से किया गया है। फिल्म मात्र आधे घंटे की है।
- ज्ञातव्य है कि स्टूडेंट अकादमी अवॉर्ड प्रशिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालय में फिल्म बनाना, पढ़ रहे छात्र और छात्राओं को दिया जाता है, यह ऑस्कर की ही शाखा होती है। 1972 से यह अवॉर्ड अच्छी फिल्मों को दिया जा रहा है। स्टूडेंट एकेडमी अवॉर्ड चार कैटेगरी में दिया जाता है।
- ‘चंपारण मटन’ नैरेटिव समेत तीन अन्य श्रेणियों में शामिल है। यह एकमात्र भारतीय फिल्म है, जो इस अवॉर्ड में शामिल हुई है। विदित है कि यहाँ अवॉर्ड पाने वाली फिल्में ऑस्कर अवॉर्ड से नवाज़ी जा चुकी हैं।
- यहाँ सेमीफाइनल में इसका 16 फिल्मों से मुकाबला होने वाला है। इसी श्रेणी में अर्जेंटीना, बेल्ज़ियम, जर्मनी जैसे देश की फिल्में भी शामिल हैं।
- अभिनेत्री फलक बताती है कि आधे घंटे की यह फिल्म लोगों को अपने रिश्ते में ईमानदारी और किसी भी हाल में हार नहीं मानने के लिये प्रेरित करती है। इस फिल्म की कहानी लॉकडाउन के बाद नौकरी छूट जाने वाले शख्स पर आधारित है।
- इसकी संवेदनशीलता लोगों के दिल को छू लेती है। यही कारण है कि फिल्म को स्टूडेंट अकादमी अवॉर्ड के लिये ऑस्कर में चुना गया है।
- गौरतलब है कि भारतीय सिनेमा से लेकर हर सिनेमा के लिये ऑस्कर अवॉर्ड खास होता है। सिनेमा के जगत में इसे सबसे बड़ा अवॉर्ड माना जाता है। इसमें विजेता को कोई अतिरिक्त धनराशि नहीं दी जाती है।
- इस अवॉर्ड के मिल जाने के बाद किसी भी कलाकार को पूरी दुनिया में पहचान मिल जाती है। एक अभिनेता के पूरे कॅरियर को इससे काफी फायदा पहुँचता है। अभिनेता की मार्केट वैल्यू में भी इससे काफी बढ़ोतरी हो जाती है।
- एकेडमी अवॉर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार एक ऑस्कर स्टैच्यू को बनाने में करीब 1000 डॉलर तक का खर्च होता है।
- वहीं साल 1950 तक ऑस्कर अवॉर्ड का मालिकाना हक कलाकार के पास था, लेकिन अब इसमें परिवर्तन आया है। एकेडमी के नियमों के अनुसार कलाकार अब अवॉर्ड की कीमत रुपयों में नहीं लगा सकते हैं।
- अगर कोई अपने अवॉर्ड को बेचना चाहता है तो उसे एक डॉलर में अवॉर्ड ऑस्कर को वापस करना होगा। इस तरह इस अवॉर्ड की कीमत रुपयों में नहीं लगाई जा सकती है। यह अवॉर्ड पूरे देश के साथ विदेश में भी पहचान दिलाता है।
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