हरियाणा Switch to English
हरियाणा में रिकॉर्ड 65% मतदान
चर्चा में क्यों
हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, राज्य की 10 लोकसभा सीटों और करनाल विधानसभा सीट के लिये चुनाव शांतिपूर्ण रहे, वर्ष 2024 के आम चुनावों में लगभग 65% मतदान हुआ।
मुख्य बिंदु:
- इसके बाद अंबाला संसदीय क्षेत्र में 66.9% और कुरुक्षेत्र में 66.2% मतदान हुआ
- इसी तरह, फरीदाबाद में 59.7%, हिसार में 64.6%, सोनीपत में 62.2%, रोहतक में 64.5%, भिवानी-महेंद्रगढ़ में 65.2%, करनाल में 63.2% और गुड़गाँव में 60.6% मतदान हुआ
- 99 मतदान केंद्र थे जो पूरी तरह से महिला कर्मचारियों द्वारा संचालित किये गए थे और 71 मतदान केंद्र दिव्यांग जन (PwD) कर्मचारियों द्वारा संचालित किये गए थे।
बिहार Switch to English
बिहार शराबबंदी की उपलब्धि
चर्चा में क्यों?
लैंसेट रीज़नल हेल्थ साउथईस्ट एशिया जर्नल में प्रकाशित नए शोध के अनुसार, वर्ष 2016 में बिहार के शराब प्रतिबंध से दैनिक और साप्ताहिक खपत के 2.4 मिलियन मामलों तथा अंतरंग साथी के विरुद्ध हिंसा के 2.1 मिलियन मामलों को नियंत्रित किया गया।
- यह अनुमान लगाया गया है कि इस प्रतिबंध ने राज्य में 1.8 मिलियन पुरुषों को अधिक वज़न या मोटापे से ग्रस्त होने से रोका है।
मुख्य बिंदु:
- अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान, गरीबी, स्वास्थ्य और पोषण प्रभाग, अमेरिका सहित शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने राष्ट्रीय तथा ज़िला स्तर के स्वास्थ्य एवं घरेलू सर्वेक्षणों के आँकड़ों का विश्लेषण किया
- सख्त शराब विनियमन नीतियाँ बार-बार शराब पीने वालों और अंतरंग साथी हिंसा के कई पीड़ितों के लिये एक बड़े जनसंख्या स्तर पर स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकती हैं।
- अप्रैल 2016 में, बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 ने पूरे राज्य में शराब के निर्माण, परिवहन, बिक्री तथा खपत पर लगभग पूर्ण रोक लगा दी।
- इसके सख्त प्रवर्तन ने प्रतिबंध को "स्वास्थ्य और घरेलू हिंसा के परिणामों पर सख्त शराब प्रतिबंध नीति के वास्तविक कारण प्रभावों का अनुमान लगाने के लिये एक आकर्षक स्वाभाविक प्रयोग" बना दिया।
- प्रतिबंध से पूर्व राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 3, 4 और 5 के अनुसार, बिहार में पुरुषों द्वारा शराब पीने की दर 9.7% से बढ़कर 15% हो गई थी, जबकि पड़ोसी राज्यों में यह 7.2% से बढ़कर 10.3% हुई थी।
- प्रतिबंध के बाद भावनात्मक हिंसा में 4.6% और यौन हिंसा में 3.6% की कमी देखी गई है।
नशे से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत (DPSP) (अनुच्छेद 47):
- अनुच्छेद 47 में उल्लेख किया गया है कि "विशेष रूप से, राज्य मादक पेय और स्वास्थ्य के लिये हानिकारक दवाओं के औषधीय प्रयोजनों को छोड़कर इनके उपभोग पर प्रतिबंध लगाने के लिये नियम बनाएगा
- जबकि DPSP अपने आप में कानूनी रूप से लागू करने योग्य नहीं हैं, वे लक्ष्य निर्धारित करते हैं कि राज्य को ऐसी स्थितियाँ स्थापित करने की आकांक्षा रखनी चाहिये जिसके तहत नागरिक अच्छा जीवन जी सकें।
- इस प्रकार, शराब को संविधान और विस्तार से भारतीय राज्य द्वारा एक अवांछनीय बुराई के रूप में देखा जाता है जिसे विनियमित करने की आवश्यकता है।
- सातवीं अनुसूची:
- संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, शराब एक राज्य का विषय है, यानी, राज्य विधानमंडलों के पास इसके संबंध में कानून का मसौदा तैयार करने का अधिकार और ज़िम्मेदारी है, जिसमें "मादक शराब का उत्पादन, निर्माण, कब्ज़ा, परिवहन, खरीद तथा बिक्री" शामिल है।
- इस प्रकार, शराब से संबंधित कानून अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं, जो निषेध और निजी बिक्री के बीच पूरे स्पेक्ट्रम में आते हैं।
उत्तराखंड Switch to English
राजाजी टाइगर रिज़र्व
चर्चा में क्यों
मुख्य वन्यजीव वार्डन के अनुसार, कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से राजाजी टाइगर रिज़र्व में स्थानांतरित की गई एक बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया है।
मुख्य बिंदु:
- यह बाघिन कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से राजाजी टाइगर रिज़र्व में स्थानांतरित की गई तीन बाघिनों में से एक है।
- राजाजी राष्ट्रीय उद्यान हिमाचल प्रदेश और हरियाणा सहित अन्य संभावित बाघ आवासों के लिये एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है
- पश्चिमी राजाजी टाइगर रिज़र्व में दिसंबर 2020, जनवरी 2021, मई 2023 में चार बाघ, तीन मादा और एक नर का स्थानांतरण किया गया।
राजाजी टाइगर रिज़र्व
- स्थान: हरिद्वार (उत्तराखंड), शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में। यह राजाजी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है।
- पृष्ठभूमि: राजाजी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1983 में उत्तराखंड में तीन अभयारण्यों यानी राजाजी, मोतीचूर और चीला को मिलाकर की गई थी।
- इसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सी. राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया था; जो लोकप्रिय रूप से "राजाजी" के नाम से जाने जाते हैं।
- इसे वर्ष 2015 में देश का 48वाँ बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था।
- मुख्य विशेषताएँ:
- वनस्पति: चौड़ी पत्ती वाले पर्णपाती वन, नदी-वनस्पति, झाड़ियाँ, घास के मैदान और देवदार के वन इस पार्क में वनस्पतियों की शृंखला का निर्माण करते हैं।
- साल (Shorea robusta) विशिष्ट प्रमुख वृक्ष प्रजाति है।
- जीव-जंतु: यह रिज़र्व बाघ, हाथी, तेंदुआ, हिमालयी काला भालू, स्लॉथ भालू, सियार, लकड़बग्घा, स्पॉटेड डियर, सांभर, बार्किंग डियर, नीलगाय, बंदरों और पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियों सहित स्तनधारियों की 50 से अधिक प्रजातियों का निवास स्थान है।
- नदियाँ: गंगा और सोंग नदियाँ यहाँ से बहती हैं।
- वनस्पति: चौड़ी पत्ती वाले पर्णपाती वन, नदी-वनस्पति, झाड़ियाँ, घास के मैदान और देवदार के वन इस पार्क में वनस्पतियों की शृंखला का निर्माण करते हैं।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश: कई प्रधानमंत्रियों का जन्मस्थान
चर्चा में क्यों?
आज़ादी के बाद से अब तक भारत में 15 प्रधानमंत्री हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश, जहाँ भारत की 17% आबादी (वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार) निवास करती है, 6 प्रधानमंत्रियों का जन्मस्थान रहा है।
मुख्य बिंदु:
- 9 प्रधानमंत्रियों ने लोकसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया है, जिनमें से कुछ कई निर्वाचन क्षेत्रों से हैं।
- पद पर रहने वाले सभी प्रधानमंत्रियों में से 75% का कार्यकाल ऐसे प्रधानमंत्रियों का था, जो उत्तर प्रदेश से सांसद के रूप में भी कार्यरत थे।
- इसमें नेहरु का लगभग 17 वर्ष का कार्यकाल, उनकी पुत्री इंदिरा गांधी का 15 वर्ष से अधिक का संचयी कार्यकाल, अटल बिहारी वाजपेयी का छह वर्ष का कार्यकाल (वर्ष 1996 में 13 दिन, वर्ष 1998 में 13 महीने और वर्ष 1999 से 5 वर्ष तक) और वर्तमान प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी जो मई 2014 से पद पर हैं, का कार्यकाल शामिल हैं
- जबकि वर्तमान प्रधानमंत्री का जन्म गुजरात में हुआ था और बाद में वे इस राज्य के मुख्यमंत्री बने, उन्होंने वर्ष 2014 तथा वर्ष 2019 में वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चुना।
- पी. वी. नरसिम्हा राव (आंध्र प्रदेश) और मनमोहन सिंह, जो राज्यसभा में राजस्थान तथा असम के सांसद थे, को छोड़कर प्रत्येक काॅन्ग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान लोकसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया है
- 215 मिलियन लोगों (वर्ष 2011 की जनगणना) के साथ उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। लोकसभा में 80 सदस्य भी यहीं से चयनित होते हैं।
- उत्तर प्रदेश से लोकसभा में 20% सांसद हैं और राज्य में निर्णायक जीत प्रायः यह निर्धारित करती है कि केंद्र में कौन सत्ता में आएगा।
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