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स्टेट पी.सी.एस.

  • 28 Apr 2022
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बिहार Switch to English

दरभंगा : मखाना हब

चर्चा में क्यों? 

27 अप्रैल, 2022 को दरभंगा के सांसद डॉ. गोपाल जी ठाकुर ने केंद्र सरकार की ‘10,000 नई एफपीओ योजना का गठन और संवर्धन’ योजना के तहत दरभंगा स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र में एकदिवसीय कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस कार्यशाला का उद्देश्य ज़िले में मखाना उत्पादक किसानों का सहकारी कृषक उत्पादक संगठन बनाकर दरभंगा को मखाना हब के रूप में विश्वपटल पर स्थापित करने हेतु उपायों पर विचार करना है।  
  • गौरतलब है कि ‘एक ज़िला एक उत्पाद’ के अंतर्गत मखाना के उत्पादन एवं विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिये दरभंगा ज़िला को प्रधानमंत्री द्वारा एवं राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री द्वारा पुरस्कार प्रदान किया गया है। 
  • इस अवसर पर सांसद डॉ. ठाकुर ने कहा कि दरभंगा एयरपोर्ट पर कार्गो कॉम्प्लेक्स का निर्माण हो जाने से मखाना एवं अन्य स्थानीय उत्पादों के वैश्विक व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा।
  • उल्लेखनीय है कि इस योजना की शुरुआत फरवरी 2020 में उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में 6,865 करोड़ रुपए के बजटीय प्रावधान के साथ की गई थी।  
  • इसके तहत वर्ष 2020-21 में FPOs के गठन हेतु 2200 से अधिक FPOs उत्पादन क्लस्टरों का आवंटन किया गया है।  
  • इसके तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता निम्न प्रकार है- 
  • 3 वर्ष की अवधि हेतु प्रति FPO के लिये 18.00 लाख रुपए का आवंटन।  
  • FPO के प्रत्येक किसान सदस्य को 2 हज़ार रुपए (अधिकतम 15 लाख रुपए प्रति एफपीओ) का इक्विटी अनुदान प्रदान किया जाएगा।  
  • FPO को संस्थागत ऋण सुलभता सुनिश्चित करने के लिये पात्र ऋण देने वाली संस्था से प्रति एफपीओ 2 करोड़ रुपए तक की ऋण गारंटी सुविधा का प्रावधान किया गया है।

राजस्थान Switch to English

आकाश मिसाइल के एडवांस वर्जन का सफल परीक्षण

चर्चा में क्यों? 

27 अप्रैल, 2022 को सरहदी ज़िले जैसलमेर के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में आकाश मिसाइल के एडवांस वर्जन आकाश प्राइम का सफल परीक्षण किया गया। 

प्रमुख बिंदु 

  • गौरतलब है कि आकाश मिसाइल भारत में बनी ज़मीन-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल है। इसे ज़मीन पर किसी भी वाहन या स्थायी जगह से दागा जा सकता है। 
  • आकाश मिसाइल परिवार में अब तक कुल 2 मिसाइलें थीं, अब आकाश प्राइम इस वर्ग की तीसरी अहम मिसाइल बन गई है। ये मिसाइलें हवा में किसी भी तरह के एयरक्राफ्ट को नष्ट करने में सक्षम है। 
  • इस मिसाइल की रेंज आसमान में 30 किलोमीटर तक है और ये एक बार में 60 किलोग्राम तक पेलोड ले जा सकती है। ये मिसाइल हवा में भी नियंत्रित की जा सकती है और खुद भी सेंसर्स के ज़रिये ड्रोंस से लेकर फाइटर जेट्स तक को निशाना बना सकती है। 
  • आकाश प्राइम ऊँचाइयों पर उड़ रहे फाइटर जेट्स से लेकर ड्रोंस, क्रूज मिसाइल, एयर-टू-सर्फेस मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों को भी आसानी से भेदने में सक्षम है। ये बेसिक आकाश मिसाइल के मुकाबले करीब 10 गुना ज़्यादा इलाके को स्कैन कर सकती है। 
  • मिसाइल की खास बात है कि यह दुश्मन के विमानों का पता लगाकर आसमान में ही ध्वस्त करने में सक्षम है। यह मिसाइल विमान को 30 किमी. दूर और 18 हज़ार मीटर ऊँचाई तक टारगेट कर सकती है। 
  • आकाश मिसाइलों को डीआरडीओ ने विकसित किया है और इनका उत्पादन भारत डायनेमिक्स लिमिटेड की ओर से किया जाता है। इसके सर्विलाँस, रडार, कमांड सेंटर और लॉन्चर को बनाने की ज़िम्मेदारी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (बीईएल), टाटा पावर स्ट्रैटिजिक इंजीनियरिंग डिविजन और लार्सन एंड टूब्रो के पास है।

मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश में मवेशी को सार्वजनिक स्थान पर खुला छोड़ने पर होगी कार्रवाई

चर्चा में क्यों? 

26 अप्रैल, 2022 को कैबिनेट द्वारा मध्य प्रदेश नगरपालिका विधि (संशोधन) अध्यादेश, 2022 के प्रारूप को मंज़ूरी दी गई। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस अध्यादेश के तहत मध्य प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में सड़क या सार्वजनिक स्थान पर जान-बूझकर या उपेक्षापूर्वक किसी मवेशी या अन्य पशु को छोड़ा या बांधा जाता है, तो संबंधित व्यक्ति से एक हज़ार रुपए जुर्माना वसूला जाएगा। 
  • नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा प्रस्तावित जुर्माना राशि 5,000 रुपए थी, किंतु मंत्रियों के सुझाव पर इसे 1,000 रुपए कर दिया गया। 
  • गौरतलब है कि प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में सार्वजनिक स्थानों पर जानवरों को खुला छोड़ने की बढ़ती समस्या को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अनेक याचिकाएँ दाखिल की गई थीं, जिन पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने राज्य सरकार को विचरण करने वाले बेसहारा पशुओं के संबंध में नियमित कार्रवाई तथा ज़ुर्माने की राशि निर्धारित करने के निर्देश दिये थे।

हरियाणा Switch to English

हरियाणा सरकार ने 18 पटवारियों/कानूनगो को किया सम्मानित

चर्चा में क्यों? 

27 अप्रैल, 2022 को हरियाणा सरकार के चकबंदी विभाग द्वारा पंचकूला के रैड बिशप पर्यटन केंद्र में राज्य भर के कुल 18 पटवारियों/कानूनगो को सम्मानित किया गया।  

प्रमुख बिंदु 

  • चकबंदी विभाग की निदेशक आमना तस्नीम ने बताया कि जिन 18 पटवारियों/कानूनगो को सम्मानित किया गया, उन्होंने कोविड-19 के दौरान सराहनीय कार्य किया था।  
  • इनमें से 7 पटवारियों/कानूनगो को हीरो मोटोकॉर्प की ओर से मोटरसाइकिल व प्रशस्ति-पत्र तथा 11 पटवारियों/कानूनगो को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया।  
  • राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के राज्य मंत्री अनूप धानक ने बताया कि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने इससे पहले जींद में भी बेहतरीन कार्य करने वाले पटवारियों को सम्मानित किया था।

झारखंड Switch to English

झारखंड कृषि ऋण माफी योजना

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में झारखंड की कृषि निदेशक निशा उरांव ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा ‘झारखंड कृषि ऋण माफी योजना’ के तहत प्रतिदिन 906 किसानों को लाभान्वित करते हुए 3.34 करोड़ रुपए की ऋण माफी कर रही है। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस योजना का उद्देश्य राज्य के अल्पावधि कृषि ऋण धारक कृषकों को ऋण के बोझ से राहत देना, फसल ऋण धारक की ऋण पात्रता में सुधार लाना, नई फसल के लिये ऋण प्राप्ति सुनिश्चित करना, कृषक समुदाय के पलायन को रोकना और कृषि अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करना है।  
  • योजना के तहत 31 मार्च, 2022 तक 3,83,102 किसानों के 1529.01 करोड़ रुपए के ऋण माफ किये गए हैं, जिनमें से वित्तीय वर्ष 2020-21 में 1,22,238 लोगों को कुल 494.96 करोड़ रुपए वितरित किये गए थे। वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2,60,864 किसानों को 1034.05 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है।  
  • ऋण माफी योजना के लाभार्थी के लिये आवश्यक पात्रताएँ निम्नलिखित हैं- 
  • जो रैयत किसान अपनी भूमि पर स्वयं कृषि करते हैं। 
  • गैर-रैयत किसान, जो अन्य रैयतों की भूमि पर कृषि कार्य करते हैं। 
  • आवेदक को अल्पविधि फसल ऋणधारक होना चाहिये तथा फसल ऋण झारखंड में स्थित अर्हताधारी बैंक से निर्गत होना चाहिये।  
  • झारखंड राज्य का निवासी किसान, जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक हो एवं किसान के पास वैध आधार नंबर, किसान क्रेडिट कार्डधारक तथा मान्य राशन कार्डधारक होना चाहिये।   
  • एक परिवार से एक ही फसल ऋण धारक सदस्य पात्र होंगे। आवेदक के पास मानक फसल ऋण खाता होना चाहिये।  

छत्तीसगढ़ Switch to English

तीनदिवसीय खैरागढ़ महोत्सव का शुभारंभ

चर्चा में क्यों? 

27 अप्रैल, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजनांदगाँव ज़िले के खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में तीनदिवसीय खैरागढ़ महोत्सव का शुभारंभ किया।  

प्रमुख बिंदु 

  • इस दौरान मुख्यमंत्री ने 6 करोड़ 51 लाख रुपए के विकास कार्यों का भूमिपूजन किया तथा चिटफंड कंपनी की धोखाधड़ी के शिकार हुए राजनांदगाँव ज़िले के 17,127 निवेशकों को एक करोड़ 57 लाख रुपए की राशि वापस लौटाई।  
  • मुख्यमंत्री बघेल ने राजनांदगाँव ज़िले में 14 करोड़ 74 लाख रुपए की लागत से स्थापित 9 स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेज़ी माध्यम विद्यालय का लोकार्पण भी किया।  
  • उल्लेखनीय है कि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ द्वारा खैरागढ़ महोत्सव का आयोजन 27 से 30 अप्रैल, 2022 तक किया जा रहा है।   
  • मुख्यमंत्री ने खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के संस्थापक खैरागढ़ के राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह और रानी पद्मावती देवी तथा राजकुमारी इंदिरा को स्मरण करते हुए उन्हें नमन किया।   
  • गौरतलब है कि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय एशिया का पहला विश्वविद्यालय है, जो दृश्य और प्रदर्शन कला के लिये समर्पित है। यह भारत का एकमात्र संगीत एवं ललित कला का विश्वविद्यालय है।  
  • सन् 1956 में खैरागढ़ रियासत के तत्कालीन राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह और रानी पद्मावती देवी ने संगीत एवं ललित कला विश्वविद्यालय खोलने के लिये अपना महल दान कर दिया था और अपनी बेटी ‘इंदिरा’ के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नाम रखा था।

छत्तीसगढ़ Switch to English

अक्षय तृतीया को छत्तीसगढ़ में मनाया जाएगा ‘माटी पूजन दिवस’

चर्चा में क्यों? 

27 अप्रैल, 2022 को राज्य शासन द्वारा राज्य में अक्षय तृतीया को ‘माटी पूजन दिवस’ के रूप में मनाए जाने के संबंध में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा का परिपालन करते हुए निर्देश जारी कर दिये गए।  

प्रमुख बिंदु 

  • उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये अनेक पहल कर रही है। इस कड़ी में मिट्टी की उर्वरा शक्ति के पुनर्जीवन के लिये रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों के स्थान पर वर्मी कंपोस्ट के उपयोग के साथ ही गो-मूत्र एवं अन्य जैविक पदार्थों के उपयोग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्य किया जा रहा है।   
  • इसी उद्देश्य को ही आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष 3 मई को अक्षय तृतीया पर राज्य में ‘माटी पूजन दिवस’ मनाने का महा अभियान प्रारंभ किया जा रहा है।   
  • आयोजन को लेकर जारी निर्देश के अनुसार इस अवसर पर राजधानी रायपुर में राज्यस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। वहीं सभी ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं ज़िला पंचायत स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर परंपरागत रूप से माटी पूजन किया जाएगा।  
  • माटी पूजन कार्यक्रम में धरती माता की रक्षा की शपथ ली जाएगी और मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन किया जाएगा।  
  • इन कार्यक्रमों में ज़िलों के प्रभारी मंत्री, विधायकगण, त्रिस्तरीय पंचायतों के जनप्रतिनिधि सहित कृषक एवं नागरिक शामिल होंगे। पर्यावरण से जुड़े इस महत्त्वपूर्ण आयोजन में सामाजिक संगठनों तथा विद्यालय व महाविद्यालय के विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।  
  • गौरतलब है कि अक्षय तृतीया को छत्तीसगढ़ में ‘अक्ती’ के नाम से भी जाना जाता है। 

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में बढ़ता वनाग्नि का प्रकोप

चर्चा में क्यों? 

27 अप्रैल, 2022 को उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन कार्यालय की ओर से जारी आँकड़ों के अनुसार प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊँ, दोनों मंडलों में वनाग्नि की सबसे अधिक घटनाएँ सामने आई हैं। 

प्रमुख बिंदु 

  • प्रदेश में कुल 227 स्थानों पर जंगलों में आग लगी, जिसमें कुल 561 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है तथा इससे 11 लाख रुपए से अधिक की आर्थिक क्षति का आकलन किया गया है।  
  • 15 फरवरी से शुरू हुए फायर सीजन में इस वर्ष अब तक वनाग्नि की कुल 1443 घटनाएँ सामने आ चुकी हैं, जिनमें गढ़वाल में 642, कुमाऊँ में 724 और संरक्षित वन्य जीव क्षेत्र की 77 घटनाएँ शामिल हैं। इनसे 2432.62 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित होने के साथ ही 60 लाख रुपए से अधिक की आर्थिक क्षति का आकलन किया गया है। 
  • वनाग्नि ने उत्तराखंड में वायु को प्रदूषित कर दिया है। वनाग्नि की घटनाओं के कारण यहाँ ब्लैक कार्बन की मात्रा में 12 से 13 गुना वृद्धि हुई है। वायुमंडल में इस ब्लैक कार्बन की गणना के लिये केंद्रीय गढ़वाल विश्व विद्यालय के भौतिकी विभाग में भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के सहयोग से एथेलोमीटर स्थापित किया गया है।  
  • उल्लेखनीय है कि वन सीमांत समुदायों को सूचित, सक्षम और सशक्त बनाने तथा उन्हें राज्य वन विभागों के साथ काम करने के लिये प्रोत्साहित करके जंगल की आग को कम करने हेतु 2018 में जंगल की आग पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPFF) शुरू की गई थी।

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