नगरी दुबराज को मिला जीआई टैग | छत्तीसगढ़ | 28 Mar 2023
चर्चा में क्यों?
26 मार्च, 2023 को केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामलों के साथ खाद्य और सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर बताया कि छत्तीसगढ़ के धमतरी विकासखंड के नगरी के धान की ‘नगरी दुबराज’ किस्म को जीआई टैग मिला है।
प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि मध्य प्रदेश के रीवा में पाए जाने वाले सुंदरजा आम और मुरैना में बनने वाली गजक को भी जीआई टैग मिला है।
- उल्लेखनीय है कि ‘नगरी दुबराज’ छत्तीसगढ़ राज्य की दूसरी फसल है, जिसे जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री टैग, यानी जीआई टैग मिला है। इसके पहले जीरा फूल धान की किस्म के लिये प्रदेश को जीआई टैग मिल चुका है।
- विदित है कि 29 नवंबर, 2021 को ग्वालियर में आयोजित जियोग्राफिकल इंडिकेशन कमेटी की बैठक में छत्तीसगढ़ के धमतरी के ‘नगरी दुबराज’ किस्म को जीआई टैग देने के लिये अनुमोदन किया गया था।
- चेन्नई द्वारा गठित कमेटी में भारत के 10 विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा जाँचा और परखा गया तथा नगरी दुबराज की नगरी में उत्पत्ति होने का प्रमाण स्वीकार कर लिया गया।
- ज्ञातव्य है कि अक्टूबर 2021 में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने जीआई टैग के लिये नगरी दुबराज का प्रस्ताव भेजा था।
- नगरी दुबराज को छत्तीसगढ़ में बासमती भी कहा जाता है, क्योंकि छत्तीसगढ़ के पारंपरिक भोज कार्यक्रमों में सुगंधित चावल के रूप में इस चावल का प्रयोग किया जाता है।
- नगरी दुबराज की उत्पत्ति सिहावा के श्रृंगी ऋषि आश्रम क्षेत्र से मानी गई है। इसका वर्णन वाल्मीकि रामायण में भी किया गया है। विभिन्न शोध पत्रों में भी दुबराज का स्रोत नगरी सिहावा को ही बताया गया है।
- नगरी दुबराज से निकलने वाला चावल बहुत ही सुगंधित होता है। यह पूर्णरूप से देशी किस्म है और इसके दाने छोटे हैं। इसका चावल पकने के बाद खाने में बेहद नरम है। एक एकड़ में अधिकतम छह क्विंटल तक उपज मिलती है। धान की ऊँचाई कम और 125 दिन में पकने की अवधि है।
- वर्ल्ड इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी आर्गनाइज़ेशन (विपो) के अनुसार जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी खास फसल, प्राकृतिक या कृत्रिम उत्पाद को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है। यह बौद्धिक संपदा का अधिकार माना जाता है
- उल्लेखनीय है कि भारतीय संसद ने सन् 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स’ लागू किया था। इस आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाई जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य, व्यक्ति या संगठन इत्यादि को दे दिया जाता है।
नगरी दुबराज
गोंडवाना राष्ट्रीय आजीविका, कला एवं सांस्कृतिक महोत्सव 2023 | छत्तीसगढ़ | 28 Mar 2023
चर्चा में क्यों?
27 मार्च, 2023 को छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बीटीआई ग्राउंड, शंकर नगर रायपुर में चार दिवसीय ‘गोंडवाना राष्ट्रीय आजीविका, कला एवं सांस्कृतिक महोत्सव 2023’ का शुभारंभ किया। यह आयोजन नाबार्ड के छत्तीसगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा 30 मार्च तक किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- प्रदर्शनी में नाबार्ड ने 120 स्टॉल प्रायोजित किया है जिनमें नाबार्ड समर्थित स्वयं सहायता समूहों, एफपीओ, गैर कृषि क्षेत्र के कारीगरों समेत 250 प्रतिभागी सम्मिलित हुए हैं।
- छत्तीसगढ़ के विभिन्न ज़िलों से 125 प्रतिभागी, साथ ही देश के अन्य 15 राज्यों- यथा महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिमी बंगाल, झारखंड, तमिलनाडु, राजस्थान, आंध्र प्रदेश व हरियाणा से करीब 125 प्रतिभागी प्रदर्शनी में भाग लेकर इसका लाभ उठाएंगे। इसके अलावा राज्य के 5 ज़िलों से 125 किसानों और कारीगरों को भी एक्स्पोजर विजिट पर आमंत्रित किया गया है।
- इस अवसर पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि इस तरह के आयोजन आदिवासी और सांस्कृतिक परंपरा को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस मेले के आयोजन से ग्रामीण कुटीर उद्योगों तथा हस्तशिल्प को बढ़ावा मिलेगा एवं रोज़गार के बेहतर अवसर मिलेंगे।
- अपेक्स बैंक के अध्यक्ष बैजनाथ चंद्राकर ने कहा कि नाबार्ड के इस राष्ट्रीय मेला में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ अन्य राज्यों के ग्रामीण शिल्पकारों, बुनकरों, स्व-सहायता समूहों एवं किसानों द्वारा निर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी और बिक्री के लिये स्टॉल लगाए गए हैं। नाबार्ड द्वारा ऐसे शिल्पकारों एवं कारीगरों को प्रोत्साहित करने के लिये समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं।
- नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. ज्ञानेंद्र मणि ने ‘गोंडवाना राष्ट्रीय आजीविका, कला एवं सांस्कृतिक महोत्सव 2023’ का महत्त्व बताया और कहा कि नाबार्ड ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका अदा कर रहा है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत नाबार्ड समर्थित स्वयं सहायता समूह, शिल्पकार, उत्पादक संगठनों, हथकरघा, हस्तशिल्पकारों द्वारा निर्मित विभिन्न उत्पादों के प्रदर्शन और बिक्री हेतु एक मंच प्रदान करना है।