उत्तर प्रदेश Switch to English
बहुआयामी गरीबी सूचकांक : उत्तर प्रदेश तीसरा सर्वाधिक गरीब राज्य
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नीति आयोग के द्वारा बहुआयामी गरीबी सूचकांक जारी किया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश सर्वाधिक गरीबी के मामले में तृतीय स्थान पर है।
प्रमुख बिंदु
- उत्तर प्रदेश की 37.79 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है, जो बिहार एवं झारखंड के बाद देश में सर्वाधिक है।
- उत्तर प्रदेश की 44.47 प्रतिशत जनसंख्या कुपोषण का शिकार है, जबकि सिक्किम देश का सबसे कम कुपोषित राज्य है।
- श्रावस्ती उत्तर प्रदेश का सबसे गरीब ज़िला है, जहाँ की 74.38 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है। वहीं बहराइच (71.88 प्रतिशत), बलरामपुर (69.45), लखीमपुर खीरी (59.95 प्रतिशत) एवं गोंडा (59.26 प्रतिशत) राज्य के सर्वाधिक गरीब ज़िले हैं।
- लखनऊ राज्य का सबसे कम गरीब ज़िला है, जहाँ के केवल 12.16 प्रतिशत लोग गरीब हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के सबसे कम गरीब ज़िले हैं- (1) लखनऊ (12.16 प्रतिशत), (2) कानपुर नगर (14.34 प्रतिशत), (3) गौतमबुद्ध नगर (17.08 प्रतिशत), (4) गाज़ियाबाद (17.47 प्रतिशत) एवं (5) झाँसी (20.27 प्रतिशत)।
- उत्तर प्रदेश को बहुआयामी गरीबी सूचकांक में 0.18 स्कोर प्राप्त हुआ है, जिसमें ग्रामीण एमपीआई स्कोर 0.21 एवं शहरी एमपीआई स्कोर 0.085 प्रतिशत है।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस एसएन शुक्ला पर चलेगा अभियोग
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के एक मामले में भ्रष्टाचार व षडयंत्र के आरोपित लखनऊ पीठ के पूर्व न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला के खिलाफ अभियोग चलाने की मंज़ूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- यह मामला लखनऊ में कानपुर रोड स्थित प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से जुड़ा है। 2017 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने प्रसाद इंस्टीट्यूट समेत देश के 46 मेडिकल कॉलेजों में मानक पूरे न करने पर नए प्रवेशों पर रोक लगा दी थी।
- जाँच एजेंसी की प्राथमिकी के अनुसार, 24 अगस्त, 2017 को उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष एक और याचिका दायर की गई थी। याचिका पर 25 अगस्त, 2017 को न्यायमूर्ति शुक्ला की खंडपीठ द्वारा सुनवाई की गई और उसी दिन संस्था के पक्ष में आदेश पारित किया गया। इसी मामले में न्यायमूर्ति शुक्ला पर भ्रष्टाचार का आरोप है।
- सीबीआई ने इस साल 16 अप्रैल को सेवानिवृत्त न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत मुकदमा चलाने के लिये उच्च न्यायालय से अनुमति मांगी थी।
- सीबीआई ने न्यायमूर्ति शुक्ला के अलावा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आईएम कुद्दूसी, प्रसाद शिक्षा न्यास के भगवान प्रसाद यादव और पलाश यादव, स्वयं ट्रस्ट और निजी व्यक्तियों भावना पांडे और सुधीर गिरि को भी FIR में नामजद किया था। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आपराधिक साज़िश) की धारा 120 बी और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत आरोप लगाए गए हैं।
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