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बहुआयामी गरीबी सूचकांक, 2021 के अनुसार बिहार देश का सबसे गरीब राज्य
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी बहुआयामी गरीबी सूचकांक, 2021 में बिहार को देश का सबसे गरीब राज्य बताया गया है।
प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है। वहीं केरल देश का न्यूनतम गरीब राज्य है, यहाँ की केवल 0.71 प्रतिशत जनसंख्या ही गरीब है।
- बिहार की 51.88 प्रतिशत जनसंख्या (देश में सर्वाधिक) कुपोषण की शिकार है, वहीं सिक्किम देश का सबसे कम कुपोषित राज्य है।
- रिपोर्ट के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (2015-16) के आँकड़ों के अनुसार बिहार की 39.86 प्रतिशत जनसंख्या बिजली की पहुँच से दूर थी, जबकि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-20) के अनंतिम आँकड़ों के अनुसार बिहार की मात्र 3.7 प्रतिशत जनसंख्या ही बिजली की पहुँच से दूर है, जो बिजली के क्षेत्र में बिहार की उल्लेखनीय प्रगति को प्रदर्शित करता है।
- इस बहुआयामी सूचकांक में बिहार को 0.265 स्कोर प्राप्त हुआ है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों का एमपीआई स्कोर 0.286 एवं शहरी क्षेत्रों का एमपीआई स्कोर 0.117 है, जो बताता है कि बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक गरीबी है।
- किशनगंज बिहार का सबसे गरीब ज़िला है, जहाँ की 64.75 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है। वहीं अररिया (64.65 प्रतिशत), मधेपुरा (64.35 प्रतिशत), पूर्वी चंपारण (64.13 प्रतिशत) एवं सुपौल (64.10 प्रतिशत) सर्वाधिक गरीब ज़िले हैं।
- पटना बिहार का सबसे कम गरीब ज़िला है जहाँ की सिर्फ 29.20 प्रतिशत जनसंख्या ही गरीब है। वहीं भोजपुर (40.50 प्रतिशत), सिवान (40.55 प्रतिशत), रोहतास (40.74 प्रतिशत) एवं मुंगेर (40.99 प्रतिशत) बिहार के सबसे कम गरीब ज़िले हैं।
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