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स्टेट पी.सी.एस.

  • 27 Oct 2022
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उत्तर प्रदेश Switch to English

लंपी वायरस के टीकाकरण में उत्तर प्रदेश देश में अव्वल

चर्चा में क्यों? 

26 अक्टूबर, 2022 को उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि पशुओं में लंपी वायरस की रोकथाम के लिये सरकारी अभियान में 1.50 करोड़ पशुओं का टीकाकरण करके उत्तर प्रदेश ने देश में पहला स्थान हासिल किया है। प्रदेश में लंपी वायरस से रिकवरी दर 95 प्रतिशत है। 

प्रमुख बिंदु 

  • प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर गुजरात रहा। मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के 32 ज़िले लंपी वायरस से प्रभावित हैं। इनमें करीब 1.05 लाख पशु लंपी वायरस से ग्रस्त हैं। 
  • यह उपलब्धि मात्र दो महीने के अभियान में प्राप्त हुई है। कोरोना की तर्ज़ पर पशुओं में तेज़ी से फैल रहे लंपी जैसे घातक रोग को नियंत्रित करने के लिये अभियान की शुरुआत की गई थी। 
  • इसके मद्देनज़र घर-घर पशु चिकित्सकों को भेजकर उपचार किया गया, जिससे अब तक 1 लाख से अधिक पशु रोगमुक्त हो चुके हैं। विभाग द्वारा टीम-9 का गठन किया गया, जिसके वरिष्ठ नोडल अधिकारियों द्वारा प्रभावित बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, आगरा और अलीगढ़ मंडलों में अभियान चलाकर लंपी चक्र को तोड़ा गया।  
  • प्रवक्ता ने बताया कि चिकित्सकों की टीम द्वारा 26 ज़िलों में 89 डेडीकेटेड गो चिकित्सा स्थल बनाकर भी संक्रमण के फैलाव को रोका गया। 1.50 करोड़ टीकाकरण लक्ष्य लगभग 2000 टीमों द्वारा पूरा किया गया है, जबकि 31 अक्टूबर तक 1.60 करोड़ पशुओं के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है।  
  • गौरतलब है कि लंपी स्किन डिजीज कोगांठदार त्वचा रोग वायरसभी कहा जाता है। वहीं शार्ट में LSDV कहा जाता है। यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक पशु से दूसरे पशु को होती है। आसान शब्दों में कहें तो संक्रमित पशु के संपर्क में आने से दूसरा पशु भी बीमार हो सकता है।  
  • यह बीमारी Capri Pox  अपतने नामक वायरस के चलते होती है। इस वायरस का संबंध गोट फॉक्स और शीप पॉक्स वायरस के फैमिली से है। जानकारों की मानें तो मच्छर के काटने और खून चूसने वाले कीड़ों के ज़रिये यह बीमारी मवेशियों को होती है। 
  • विदित है कि इस वायरस की चपेट में आने से अब तक हज़ारों मवेशी काल के गाल में समा गए हैं। सरकारी रिपोर्ट की मानें तो 50 हज़ार से अधिक गायों और भैंसों की मौत हो चुकी है। वहीं, लाखों की संख्या में मवेशी लंपी वायरस की चपेट में है। राजस्थान में लंपी वायरस का कहर अधिक देखने को मिल रहा है। अब तक लंपी वायरस का एंटीडोज तैयार नहीं हुआ है, इस वजह से बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हुई है। 

बिहार Switch to English

बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग का गठन

चर्चा में क्यों 

26 अक्टूबर, 2022 को बिहार सरकार ने बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग का गठन कर दिया है। इस आयोग में अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी चक्रपाणि हिमांशु को दी गई है, जबकि राजीव कांत मिश्रा को उपाध्यक्ष बनाया गया है।   

प्रमुख बिंदु   

  • बिहार सरकार के श्रम संसाधन विभाग ने आयोग के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है।  
  • बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग 22 सदस्यीय है। इसमें रानीगंज के विधायक अचमित ऋषिदेव, मसौढ़ी की विधायक रेखा देवी और औरंगाबाद के विधायक आनंद शंकर सिंह को शामिल किया गया है, जबकि सदस्यों में विधान पार्षद सौरभ कुमार और रविंद्र प्रसाद सिंह भी शामिल किये गए हैं।   
  • इसके अलावा 10 पदेन सदस्य और विभिन्न हितों/वर्गों के 5 सदस्य होंगे।   
  • इस आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत सभी सदस्यों का कार्यकाल भी तीन वर्षों का होगा। 

बिहार Switch to English

नालंदा विश्व धरोहर को सुरक्षित रखने का मास्टर प्लान अंतिम चरण में

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में बिहार सरकार ने नालंदा महाविहार धरोहर को सुरक्षित रखने के लिये कार्य शुरू कर दिया है। इस हेतु मास्टर प्लान तैयार करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं। 

प्रमुख बिंदु 

  • नए निर्मित मास्टर प्लान के अनुसार अब इस धरोहर की तरफ भारी-भरकम गाड़ियाँ नहीं जाएंगी। इन गाड़ियों की पार्किंग के लिये नव नालंदा महाविहार के निकट स्थित झील के इर्द-गिर्द पार्किंग स्थल बनाए गए हैं। 
  • इस महाविहार के 300 मीटर के आस-पास किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य को प्रतिबंधित किया गया है। 
  • वहीं, धरोहर के आस-पास की अनेक दुकानों को हटाने के निर्देश दिये गए हैं तथा युवा एवं कला, संस्कृति और नगर विकास विभाग ने इसके लिये विस्तृत योजना बनाई है। 
  • उल्लेखनीय है कि 17 अक्टूबर, 2022 को प्राचीन नालंदा महाविहार के विश्व धरोहर के दर्जे पर खतरा होने की चिंता भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ने जाहिर की थी। 
  • गौरतलब है कि 16 मई, 2016 को नालंदा महाविहार के अवशेष को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में सम्मिलित किया था। 
  • विदित है कि यूनेस्को की सूची में शामिल पुरातत्त्व महत्त्व के स्थलों का मास्टर प्लान बनाकर वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर, पेरिस को भेजना पड़ता है। तय समय-सीमा में एकीकृत मास्टर प्लान नहीं भेजने पर विश्व धरोहर समिति, उस धरोहर के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण बना लेती है और उसके विश्व धरोहर के दर्जे को समाप्त कर सकती हैं। 

राजस्थान Switch to English

ईसरदा पेयजल परियोजना के लिये 6 नए कार्यालयों के गठन को मंजूरी

चर्चा में क्यों? 

26 अक्टूबर, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ई.आर.सी.पी.) के अंतर्गत ईसरदा पेयजल परियोजना के लिये 6 नवीन कार्यालयों के गठन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी। ये कार्यालय दौसा ज़िले में खोले जाएंगे। 

प्रमुख बिंदु 

  • पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ई.आर.सी.पी.) के अंतर्गत ईसरदा पेयजल परियोजना का निर्माण दौसा व सवाई-माधोपुर ज़िलों में पेयजल आपूर्ति के लिये किया जा रहा है।  
  • 3651 करोड़ रुपए की ईसरदा पेयजल परियोजना से दोनों ज़िलों के 1256 गाँवों तथा 6 शहरों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। 
  • मुख्यमंत्री ने 6 नवीन कार्यालयों में अतिरिक्त मुख्य अभियंता के 1, अधीक्षण अभियंता के 1, अधिशासी अभियंता के 6, सहायक अभियंता के 14 सहित कुल 65 पदों के सृजन के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है।  
  • मुख्यमंत्री ने नवीन कार्यालयों में फर्नीचर व अन्य ज़रूरी सामान उपलब्ध कराने हेतु 18 लाख रुपए की राशि भी स्वीकृत की है। उक्त स्वीकृति से ईसरदा जल परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन में सहायता मिलेगी तथा समयबद्ध तरीके से योजना के पूर्ण होने पर क्षेत्र में आमजन को निर्बाध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। 

राजस्थान Switch to English

राष्ट्रीय युवा योजना के सातदिवसीय राष्ट्रीय एकता एवं सद्भावना शिविर की शुरुआत

चर्चा में क्यों? 

26 अक्टूबर, 2022 को जाने-माने गांधीवादी विचारक स्वर्गीय डॉ. एस.एन. सुब्बाराव (भाई जी) द्वारा स्थापित राष्ट्रीय युवा योजना (एनवाईपी) द्वारा राजस्थान के जयपुर के दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केंद्र में सातदिवसीय राष्ट्रीय एकता एवं सद्भावना शिविर की शुरुआत की गई।  

प्रमुख बिंदु 

  • 26 अक्टूबर से 1 नवंबर के बीच आयोजित होने वाले इस अखिल भारतीय शिविर में देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से 500 से ज़्यादा स्वयं सेवक और जाने-माने गांधीवादी शिरकत कर रहे हैं। 
  • पूर्व महाधिवक्ता जी.एस. बापना ने बताया कि 27 अक्टूबर को सुब्बाराव जी की पहली पुण्यतिथि है। पिछले साल इसी दिन जयपुर में उनका निधन हुआ था। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही इस बार यह शिविर जयपुर में आयोजित किया गया है।  
  • सुब्बाराव जीवनभर देश में भाईचारा, सद्भावना एवं प्रेम के प्रचार-प्रसार और सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ संघर्ष के लिये युवाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से देश के कोने-कोने में शिविर आयोजित करते थे। उन्हीं के काम को आगे बढ़ाते हुए यह शिविर आयोजित किया जा रहा है। इसमें भारत के सभी राज्यों के साथ राजस्थान के सभी 33 ज़िलों से स्वयं सेवक हिस्सा ले रहे हैं।  
  • स्वर्गीय सुब्बाराव की याद में दुर्गापुरा गोशाला में राष्ट्रीय एकता बगीचा लगाया जाएगा, जिसमें देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आए सभी स्वयं सेवक एक-एक पौधा लगाएंगे।  
  • शिविर संयोजक हनुमान सहाय शर्मा के अनुसार इस शिविर में प्रतिष्ठित गांधीवादी विचारकों के व्याख्यान होंगे और व्यक्तित्व विकास पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। सर्वधर्म प्रार्थना के बाद युवाओं को स्वानुशासन का पाठ पढ़ाया जाएगा। 

राजस्थान Switch to English

राजस्थान के 344 आवासीय विद्यालयों में स्थापित होंगी डिजिटल लाइब्रेरी

चर्चा में क्यों?

26 अक्टूबर, 2022 को डिजिटल लर्निंग के महत्त्व को समझते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के 344 आवासीय विद्यालयों में डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित करने के लिये 36.56 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री के इस निर्णय से जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, अल्पसंख्यक मामलात, स्कूल शिक्षा विभाग आदि के अधीन संचालित विभिन्न आवासीय विद्यालयों, बहुद्देशीय हॉस्टल व कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में अत्याधुनिक सुविधा से लैस डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित हो सकेंगी।
  • गौरतलब है की वित्त एवं विनियोग विधेयक, 2022-23 की चर्चा के दौरान की गई घोषणा की अनुपालना में मुख्यमंत्री ने यह स्वीकृति प्रदान की है।
  • मुख्यमंत्री ने अल्प आय वर्ग के विद्यार्थियों को डिजिटल लर्निंग का लाभ दिलाने की दृष्टि से विभिन्न विभागों के अधीन आवासीय शिक्षण संस्थानों एवं चयनित विद्यालयों में 9वीं से 12वीं की कक्षाओं के लिये डिजिटल लाइब्रेरी एवं अन्य आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु वित्तीय प्रावधान की घोषणा की थी।
  • इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 500 मदरसों में अब स्मार्ट क्लासरूम करने के लिये 13.10 करोड़ रुपए के अतिरिक्त बजट की स्वीकृति प्रदान की है।
  • उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने प्रदेश के मदरसों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की शुरुआत कर दी है। अब मदरसों में बेहतर शिक्षा के लिये इनमें स्मार्ट क्लासरूम जैसी विभिन्न सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी, यहाँ विद्यार्थी अब ब्लैक बोर्ड की जगह स्मार्ट बोर्ड के ज़रिये तालीम (शिक्षा) हासिल करेंगे।
  • राजस्थान मदरसा बोर्ड द्वारा पंजीकृत मदरसों में से 500 मदरसों में स्मार्ट क्लासरूम स्थापित किये जाने के लिये प्रति मदरसा 2.62 लाख रुपए खर्च होंगे।
  • गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने बजट वर्ष 2022-23 में पंजीकृत मदरसों में स्मार्ट क्लासरूम मय इंटरनेट की सुविधा चरणबद्ध रूप से कराए जाने की घोषणा की थी। इसी के तहत प्रथम चरण में आगामी वर्ष में 500 मदरसों को अपग्रेड किया जाएगा।

मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश स्थापना दिवस के मौके पर बटरफ्लाई फेस्टिवल का होगा आयोजन

चर्चा में क्यों?

26 अक्टूबर, 2022 को सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व सोहागपुर के उप-संचालक ने बताया कि मध्य प्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर ‘एक ज़िला एक उत्पाद’के तहत सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व नर्मदापुरम द्वारा 1 से 6 नवंबर तक पनारपानी गार्डन पचमढ़ी एवं परसापानी नर्मदापुरम में बटरफ्लाई फेस्टिवल मनाया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • उप-संचालक ने जानकारी दी कि पर्यटकों के साथ ही वन्यप्राणी संरक्षण सप्ताह 1 से 6 नवंबर तक की अवधि के लिये चयनित एवं पुरस्कृत बच्चों तथा अनुभूति कार्यक्रम के विभिन्न कार्यक्रमों में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले बच्चों को सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व में भ्रमण कराया जाएगा।
  • बच्चों को गाइड एवं नेचुरोलिस्ट के द्वारा बटर फ्लाई के रहवास, जीवनचक्र एवं उनसे संबंधित अन्य जानकारी के संबंध में फील्ड विजिट कराई जाएगी।
  • इन गतिविधियों के माध्यम से बच्चों में बटर फ्लाई के लिये संवेदनशीलता का संचरण होगा।

हरियाणा Switch to English

HAU ने गेहूँ की किस्म WH1270 का बीज भरपूर मात्रा में उपलब्ध करवाने के लिये 9 कंपनियों से किया समझौता

चर्चा में क्यों?

26 अक्टूबर, 2022 को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) हिसार के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने बताया कि विश्वविद्यालय ने अगले सीजन में भरपूर मात्रा में बीज उपलब्ध करवाने के लिये पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देते हुए निजी क्षेत्र की 9 प्रमुख बीज कंपनियों से समझौता किया है।

प्रमुख बिंदु

  • कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने कहा कि इस किस्म की पैदावार व रोग प्रतिरोधक क्षमता को देखते हुए इसकी मांग अन्य राज्यों में भी लगातार बढ़ती जा रही है। इसके मद्देनज़र अगले सीजन में भरपूर मात्रा में बीज उपलब्ध करवाने के लिये विश्वविद्यालय ने निजी क्षेत्र की इन बीज कंपनियों से समझौता किया है।
  • विश्वविद्यालय ने डब्ल्यूएच 1270 के बीज उत्पादन एवं विपणन के लिये उत्तम सीड्स (हिसार), मॉडल एग्रीटेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (करनाल), कुरुक्षेत्र एग्रीटेक प्राइवेट लिमिटेड (इंद्री), शिव गंगा हाइब्रिड सीड्स प्राइवेट लिमिटेड (हिसार), हरियाणा सीड्स कंपनी (करनाल), क्वालिटी हाइब्रिड सीड्स कंपनी (हिसार), काश्तकार सीड्स विदिशा (मध्य प्रदेश), उन्नत बीज कंपनी (सिरसा) और शक्तिवर्धक हाइब्रिड सीड्स प्राइवेट लिमिटेड (हिसार) से समझौता किया है।
  • विदित है कि विश्वविद्यालय की तरफ से विकसित गेहूँ की किस्म डब्ल्यूएच 1270 को देश के उत्तर-पश्चिमी मैदानी भाग के सिंचित क्षेत्र में अगेती बिजाई वाली खेती के लिये अधिसूचित किया गया है। इसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है।
  • विश्वविद्यालय की सिफारिशों के अनुसार इस किस्म की बिजाई करके उचित खाद, उर्वरक व पानी दिया जाए तो इसकी औसत पैदावार 75.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है और अधिकतम पैदावार 91.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ली जा सकती है। इस किस्म की खास बात यह है कि यह गेहूँ की मुख्य बीमारियाँ पीला रतवा व भूरा रतवा के प्रति रोगरोधी है।

झारखंड Switch to English

ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक की कोर टीम में झारखंड के प्रज्वल पांडेय

चर्चा में क्यों?

25 अक्टूबर, 2022 को भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक ने कार्यभार संभाल लिया। ऋषि सुनक ने अपनी कोर टीम की घोषणा की है, जिसमें झारखंड के सिंदरी (धनबाद) के रहने वाले प्रज्वल पांडेय भी शामिल किये गए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • प्रज्वल पांडेय सिंदरी के रिटायर्ड पीडीआइएल कर्मी बागीश दत्त पांडेय के पौत्र हैं। प्रज्वल के माता-पिता राजेश पांडेय (सॉफ्टवेयर इंजीनियर) और मनीषा पांडेय सिंदरी में रहते थे।
  • अगस्त, 2022 में ऋषि सुनक जब प्रधानमंत्री पद के लिये खड़े हुए थे, तब प्रज्वल को उनकी पार्टी की ओर से मुख्य अभियान टीम में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया था, तब प्रज्वल ने ऋषि सुनक की टीम में कई वरिष्ठ नीति- सलाहकारों के साथ काम किया।
  • प्रज्वल पांडेय साल 2019 में मात्र 16 साल की उम्र में ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी में सदस्य के रूप में शामिल हुए थे।
  • इससे पहले वे साल 2019 में यूके यूथ पार्लियामेंट के निर्वाचित सदस्य चुने गए तथा युवा संसद सदस्य के रूप में ब्रिटिश संसद में पहली बार भाषण दिया था।

झारखंड Switch to English

खूंटी के हॉकी टर्फ मैदान को मिला एफआईएच फील्ड सर्टिफिकेट

चर्चा में क्यों?

26 अक्टूबर, 2022 को झारखंड के खूंटी के बिरसा कॉलेज में निर्मित हॉकी टर्फ मैदान को एफआईएच फील्ड सर्टिफिकेट प्राप्त हो गया है।

प्रमख बिंदु

  • विदित है यह सर्टिफिकेट मैदान की सभी गुणवत्ता को परखने के बाद प्रदान किया जाता है, ताकि मैदान विभिन्न सुविधाएँ, खिलाड़ियों की सुरक्षा, उपलब्ध संसाधन और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मैच के आयोजन के मापदंडों में खरा उतर सके। इन बातों की पुष्टि होने के उपरांत ही एफआईएच फील्ड सर्टिफिकेट प्रदान करने की अनुमति दी जाती है।
  • इस सर्टिफिकेट प्राप्ति के बाद अब ज़िला के प्रतिभाशाली खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मैदान में अभ्यास कर अपनी प्रतिभा को और निखार सकेंगे।
  • इस मैदान पर बिछाए गए ब्लू एस्ट्रोटर्फ को वियतनाम से मंगाया गया है, जिसमें लगभग 8 करोड़ रुपए की लागत आई है।
  • इसमें मैदान, छात्रावास, गैलरी के अतिरिक्त चार हाई मास्क लईट लगाई गई हैं, जिनसे रात में भी मैच हो सकेंगे।
  • मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य में लगातार खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है। इसके तहत खिलाड़ियों का क्षमतावर्धन कर उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम में खेलने के अनुकूल भी बनाया जा रहा है।
  • इसके लिये विभिन्न ज़िलों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हॉकी टर्फ मैदान के निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है। फिलहाल सिमडेगा, चाईबासा समेत अन्य ज़िलों में हॉकी टर्फ फील्ड का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
  • उल्लेखनीय है कि खूंटी से अभी तक जयपाल सिंह मुंडा, मनोहर टोपनो और निक्की प्रधान समेत देश को तीन ओलंपियन मिले हैं।

उत्तराखंड Switch to English

जमरानी बांध से पहले बनेंगे दो कॉफर बांध

चर्चा में क्यों?

24 अक्टूबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बहु-उद्देशीय जमरानी बांध के निर्माण से पहले दो कॉफर बाँध और दो टनल बनाई जाएंगी। 600 मीटर की दो टनलों के ज़रिये गौला नदी का पानी एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचाया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • जमरानी बांध के लिये वित्त मंत्रालय से स्वीकृति मिलने का इंतज़ार है। सिंचाई विभाग ने बांध के निर्माण के लिये एडवांस टेंडर आमंत्रित किये हैं। 1828 करोड़ रुपए की लागत से कॉफर बांध, टनल, एप्रोच रोड आदि कार्य किये जाएंगे।
  • विदित है कि उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में गोला नदी पर बहु-उद्देशीय जमरानी बांध परियोजना का निर्माण प्रस्तावित है। परियोजना के प्रथम चरण में गोला बैराज का निर्माण, 244 किमी. नहर का पुनर्निर्माण और दामुवा एवं अमृतपुरी कॉलोनी का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। दूसरे चरण में मुख्य बांध के निर्माण पर विचार किया जा रहा है।
  • जमरानी बांध क्षेत्र में 20 लाख घनमीटर के दायरे में कंक्रीटेशन का कार्य किया जाना है। इसके लिये दो डायवर्जन टनल और दो कॉफर डैम बनाए जाने हैं। 600 मीटर की दो टनलों के ज़रिये नदी का पानी एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचाया जाएगा। सिंचाई विभाग ने इस पूरा खाका तैयार कर लिया है। पहाड़ी के बीच से होते हुए ये टनल गुज़रेगी।
  • गौरतलब है कि कॉफर बांध ऐसा स्थायी ढाँचा है, जिसे एक बड़े जलीय क्षेत्र को जलरहित करने के लिये बनाया जाता है, जिससे वहाँ निर्माण कार्य किया जा सके। इसके ज़रिये नदी के प्रवाह को सुरंग के माध्यम से वैकल्पिक मोड़ दिया जाता है। आमतौर पर दो कॉफर डैम बनाए जाते हैं- अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम कॉफर डैम। जब नदी तल में संरचना का निर्माण करना हो, तब ये बांध बनाए जाते हैं। बांध और संबंधित संरचनाओं का निर्माण पूरा होने पर डाउनस्ट्रीम कॉफर को हटा दिया जाता है और अपस्ट्रीम कॉफर बांध में पानी भर दिया जाता है।

उत्तराखंड Switch to English

लैंसडौन का नाम बदलकर ‘कालौं का डांडा’ रखने का प्रस्ताव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड के पौड़ी ज़िले में स्थित 132 साल पुराने लैंसडौन छावनी ने लैंसडौन का नाम ‘कालौं का डांडा (काले बादलों से घिरा पहाड़)’ रखने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजा है।

प्रमुख बिंदु

  • रक्षा मंत्रालय के आर्मी हेड कवार्टर ने सब एरिया उत्तराखंड से ब्रिटिशकाल में छावनी क्षेत्रों की सड़कों, स्कूलों, संस्थानों, नगरों और उपनगरों के रखे नामों को बदलने के लिये प्रस्ताव मांगे हैं।
  • रक्षा मंत्रालय ने उनसे ब्रिटिशकाल के समय के नामों के स्थान पर क्या नाम रखे जा सकते हैं, इस बारे में भी सुझाव देने को कहा गया है। इसी के तहत लैंसडौन छावनी ने इसका नाम ‘कालौं का डांडा’ रखने का प्रस्ताव भेजा है। पहले इसे ‘कालौं का डांडा’ पुकारा जाता था। स्थानीय लोग इसका नाम यही रखने की मांग वर्षों से करते आए हैं। रक्षा मंत्रालय को भी इस बाबत कई पत्र भेजे जा चुके हैं।
  • गौरतलब है कि 1886 में गढ़वाल रेजीमेंट की स्थापना हुई थी। 5 मई, 1887 को लेखकर्नल मेरविंग के नेतृत्व में अल्मोड़ा में बनी पहली गढ़वाल रेजीमेंट की पलटन 4 नवंबर 1887 को लैंसडौन पहुँची थी। उस समय लैंसडौन को ‘कालौं का डांडा’कहते थे। 21 सितंबर, 1890 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लैंसडौन के नाम पर इसका नाम लैंसडौन रखा गया।

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