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‘अपशिष्ट प्रबंधन के लिये सहायता’ योजना
चर्चा में क्यों?
26 अक्टूबर, 2021 को हरियाणा सरकार ने उद्योगों को अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से औद्योगिक क्षेत्र के लिये ‘अपशिष्ट प्रबंधन के लिये सहायता’ योजना अधिसूचित की है, जिसके तहत राज्य में उद्योगों को कचरा संग्रहण, परिवहन, उपचार और निपटान जैसी अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों के लिये प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि यह योजना 1 जनवरी, 2021 से शुरू मानी जाएगी और पाँच वर्ष की अवधि तक लागू रहेगी। इस योजना के तहत 1 जनवरी, 2021 को या उसके बाद और 31 दिसंबर, 2025 से पहले भूमि, मशीनरी एवं उपकरण की खरीद पर सहायता प्रदान की जाएगी।
- अपशिष्ट प्रबंधन योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन एंड मैन्यूफैक्चरिंग (ईएसडीएम) क्षेत्र में संचालित उद्योगों के लिये इलेक्ट्रॉनिक कचरा प्रबंधन और ई-कचरा वसूली परियोजनाएँ स्थापित करने हेतु 50 करोड़ रुपए तक की मशीनरी और उपकरण सहित परियोजना लागत के 50 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- हरियाणा राज्य में कहीं भी इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन एंड मैन्यूफैक्चरिंग (ईएसडीएम) क्षेत्र में संचालित नई अल्ट्रा-मेगा परियोजनाओं, मेगा परियोजनाओं, बड़े उद्योगों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को केवल किये गए व्यय की प्रतिपूर्ति के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- एचईईपी-2020 के तहत अधिसूचित उद्योगों की प्रतिबंधात्मक सूची इस सहायता के लिये लागू नहीं होगी। पात्र इकाइयों को सांख्यिकीय उद्देश्य के लिये पोर्टल पर आईईएम/उद्यम पंजीकरण प्रमाण-पत्र (यूआरसी) और हरियाणा उद्यम ज्ञापन (एचयूएम) दाखिल करना होगा।
- इकाई वाणिज्यिक उत्पादन में होनी चाहिये। वितरण के समय इकाई नियमित उत्पादन में होनी चाहिये और बंद इकाई को सब्सिडी जारी नहीं की जाएगी।
- संवितरण की पद्धति के तहत वित्तीय सहायता का संवितरण तीन चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में पात्र सहायता की 25 प्रतिशत की पहली किश्त भूमि का शत-प्रतिशत कब्ज़ा लेने के बाद जारी की जाएगी और आवेदक द्वारा पात्र परियोजना लागत का 50 प्रतिशत व्यय किया होना चाहिये।
- पात्र सहायता की 25 प्रतिशत की दूसरी किश्त आवेदक द्वारा पात्र परियोजना लागत का 75 प्रतिशत खर्च करने के बाद वितरित की जाएगी। पात्र सहायता की 50 प्रतिशत की तीसरी और अंतिम किश्त का भुगतान तब किया जाएगा, जब आवेदक ने पात्र परियोजना लागत का शत-प्रतिशत खर्च किया हो। इन सभी मामलों में आवेदक को प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी होगी।
- कमियों को लिखित रूप में सात दिनों की अवधि के भीतर आवेदक को सूचित किया जाएगा और आवेदक को बताई गई कमियों को दूर करने के लिये 10 दिनों की समयावधि दी जाएगी।
- क्षेत्रीय अधिकारी, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रमाणित किये अनुसार उपकरण की स्थापना या योजना की अधिसूचना की तिथि, जो भी बाद में हो, से तीन महीने के भीतर अपना दावा प्रस्तुत नहीं करने पर आवेदक को अपशिष्ट प्रबंधन के लिये सहायता की पात्रता से वंचित कर दिया जाएगा।
- यदि किसी भी स्तर पर यह पाया जाता है कि आवेदक ने गलत तथ्यों के आधार पर सहायता का दावा किया है तो आवेदक को 12 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज दर के साथ सहायता वापस करने के अलावा कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा और उसे राज्य सरकार से कोई भी प्रोत्साहन/सहायता प्राप्त करने से वंचित कर दिया जाएगा।
- यदि आवेदक अनुदान की राशि ब्याज सहित वापस करने में विफल रहता है तो राशि भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल की जाएगी। तथ्यों और आँकड़ों के बेमेल होने के कारण भी आवेदक को सार्वजनिक खरीद से वंचित कर दिया जाएगा।
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100 बिस्तरों वाला क्रिटिकल कोविड आईसीयू
चर्चा में क्यों?
26 अक्टूबर, 2021 को राज्य सरकार ने हरियाणा के शहीद हसन खान मेवाती राजकीय मेडिकल कॉलेज नल्हड़, नूंह में 100 बिस्तरों वाला क्रिटिकल कोविड आईसीयू स्थापित किया है।
प्रमुख बिंदु
- चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि भारत सरकार के निर्देशानुसार मेडिकल कॉलेजों और घटक अस्पतालों में ट्रिपल लेयर ऑक्सीजन प्लानिंग की गई है।
- इस आईसीयू में 3,000 एलपीएम क्षमता के पीएसए संयंत्रों और 1026 डी-टाइप ऑक्सीजन सिलेंडरों के साथ 10,000 लीटर क्षमता का लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंक स्थापित किया गया है।
- यह अस्पताल साथ लगते एनसीआर-क्षेत्र, अलवर, मथुरा, रेवाड़ी और पलवल के मरीज़ों की चिकित्सा आवश्यकताओं को भी पूरा करेगा, जिससे इस क्षेत्र में स्वास्थ्य संस्थानों का बोझ कम होगा।
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