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राजस्थान साहित्य अकादमी ने घोषित किये वर्ष 2023-24 के वार्षिक पुरस्कार
चर्चा में क्यों?
- 26 सितंबर, 2023 को राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के मीरा भवन में आयोजित संचालिका एवं सरस्वती सभा की बैठक के अनुमोदन के बाद अकादमी अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण ने अकादमी के वर्ष 2023-24 के वार्षिक पुरस्कारों की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- अकादमी की ओर से दिये जाने वाले वार्षिक पुरस्कारों के तहत वर्ष 2023-24 का सर्वोच्च मीरा पुरस्कार जयपुर निवासी रत्नकुमार सांभरिया को उनके उपन्यास ‘सांप’के लिये दिया जाएगा।
- अकादमी के सम्मान परंपरा में सर्वोच्च सम्मान ‘साहित्य-मनीषी’से प्रगतिशील लेखक, चिंतक और विचारक, अकादमी के पूर्व अध्यक्ष वेद व्यास को सम्मानित किया जाएगा।
- अकादमी के जनार्दनराय नागर सम्मान से प्रख्यात आलोचक, विद्वान डॉ. रणजीत को समादृत किया जाएगा।
- अकादमी के वर्ष 2023-24 के पुरस्कारों की श्रृंखला में सुधींद्र पुरस्कार उदयपुर के चेतन औदिच्य को कविता संग्रह ‘पानी’के लिये, रांगेय राघव पुरस्कार जालोर के पुरुषोत्तम पोमल के उपन्यास ‘पाषाण पुत्री क्षत्राणी हीरा-दे’के लिये, देवराज उपाध्याय पुरस्कार बीकानेर के आलोचक हरीश बी. शर्मा की कृति ‘प्रस्थान बिंदु’के लिये, कन्हैयालाल सहल पुरस्कार जयपुर के राघवेंद्र रावत को डायरी ‘मारक लहरों के बीच’के लिये दिया जाएगा।
- वहीं नाटक विधा का देवीलाल सामर पुरस्कार अजमेर के रासबिहारी गौड़ को कृति ‘गांधी ज़िंदा है’ के लिये, बाल साहित्य का शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार कोटा मूल की चेन्नई निवासी रोचिका अरुण शर्मा को कथाकृति ‘किताबों से बातें’के लिये तथा प्रथम कृति सुमनेश जोशी पुरस्कार उदयपुर के बिलाल पठान को ‘अब पेड़ फल बेचेंगे’के लिये दिया जाएगा।
- अकादमी सचिव डॉ. बसंत सिंह सोलंकी ने बताया कि संचालिका-सरस्वती बैठक अनुमोदन के पश्चात् अकादमी अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण ने विद्यालयी-महाविद्यालयी पुरस्कार की भी घोषणा की है।
- विजेता विद्यार्थियों में चंद्रदेव शर्मा पुरस्कार कविता के लिये दामोदर शर्मा (इक्कीस कॉलेज गोपल्याण-लूनकरनसर), कहानी के लिये सुरेंद्र सिंह (राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर), एकांकी के लिये अमनदीप निर्वाण (एसएसएस कॉलेज, तारानगर) तथा निबंध के लिये पवन कुमार गुसांई (इक्कीस कॉलेज, गोपल्याण) को दिया जाएगा।
- वहीं परदेशी पुरस्कार कविता के लिये शुंभागी शर्मा (राउमावि भवानीमंडी-झालावाड़), कहानी के लिये परी जोशी (द स्कोलर्स एरिना, उदयपुर), निबंध के लिये करुणा रंगा (इक्कीस एकेडमी फॉर एक्सीलेंस, गोपल्याण) तथा लघुकथा के लिये द्रोपती जाखड़ (इक्कसी एकेडमी फॉर एक्सीलेंस, गोपल्याण) को दिया जाएगा।
- वर्ष 2023-24 का सुधा गुप्ता पुरस्कार निबंध के लिये इक्कीस कॉलेज गोपल्याण की कौशल्या को दिया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि मीरा पुरस्कार के लिये पचहतर हज़ार रुपए, सुमनेश जोशी पुरस्कार के लिये इक्कीस हज़ार रुपए एवं अन्य पुरस्कारों के तहत इकत्तीस हज़ार रुपए अकादमी देती है। वहीं सर्वोच्च साहित्य मनीषी अढ़ाई लाख रुपए की एवं जनार्दन राय नागर सम्मान एक लाख रुपए राशि का होता है।
- विद्यालयी-महाविद्यालयी पुरस्कारों की राशि प्रत्येक के लिये पाँच हज़ार रुपए होती है।
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डोल मेले का विधिवत शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
- 26 सितंबर, 2023 को प्रदेश के बारां ज़िला प्रमुख उर्मिला जैन भाया ने नगर परिषद की ओर से बारां ज़िले में डोल तालाब के किनारे 15 दिवसीय डोल मेले का फीता काटकर विधिवत शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- प्रदेश के खान व गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि हाड़ौती का विख्यात डोल मेला पुरखों की अनुपम विरासत और समृद्ध संस्कृति का परिचायक है, इसे संरक्षित और पोषित करना राज्य की नैतिक ज़िम्मेदारी है।
- राज्य सरकार ने मेले का वैभव बढ़ाने के लिये 25 करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्य कराए हैं, आगामी दिनों में 50 करोड़ रुपए की राशि से और नए कार्य होंगे।
- डोल मेले का इतिहास-
- बूंदी के महाराव सुरजन हाड़ा ने अकबर को रणथंभौर का किला सौंप दिया था। उस समय वहाँ से दो देव मूर्तियों को लाया गया था, उनमें एक रंगनाथ जी और दूसरी कल्याणराय जी की थी। रंगनाथ जी की मूर्ति को बूंदी में स्थापित किया गया और कल्याणराय जी की मूर्ति को बारां लाया गया था। बूंदी की तत्कालीन रानी ने यहाँ इनका मंदिर बनवाया और मूर्ति को स्थापित किया। उसके बाद से ही यहाँ पहले कुछ दिन का मेला शुरू हुआ और आज यह विशाल रूप ले चुका है।
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राज्यपाल ने संविधान पार्क का किया लोकार्पण
चर्चा में क्यों?
- 26 सितंबर, 2023 को राज्यपाल कलराज मिश्र ने बांसवाड़ा ज़िले में स्थित गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के नवनिर्मित प्रवेश द्वार, संविधान उद्यान और संविधान स्तंभ का लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
- राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के अकादमिक भवन के शिलान्यास के साथ गोविंद गुरु की प्रतिमा का भी अनावरण किया।
- इस अवसर पर उन्होंने बताया कि गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय जनजातीय परंपराओं और संस्कृति से जुड़े उनके प्रकृति सरोकारों पर मौलिक शोध के लिये कार्य करेगा।
- विदित है कि गोविंद गुरु व्यक्ति नहीं संस्था थे। वह युग प्रवर्तक ऐसे महापुरुष थे, जिन्होंने अपने समय में सामाजिक जागरूकता की क्रांति का शंखनाद किया। गोविंद गुरु ने ‘भगत पंथ’की स्थापना के साथ धार्मिक जागृति और स्वाधीनता संग्राम में भी योगदान दिया था।
- संविधान उद्यान के निर्माण से देश की युवा पीढ़ी संविधान संस्कृति से जुड़ेगी और यह संविधान उद्यान नई पीढ़ी को संविधान प्रदत्त अधिकारों के साथ कर्त्तव्यों की याद दिलाता रहेगा।
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