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पीआरआई-सीबीओ कन्वर्जेंस परियोजना का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
24 अप्रैल, 2023 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान (SIRD) के संचालक पी.सी. मिश्रा ने छत्तीसगढ़ में पीआरआई-सीबीओ कन्वर्जेंस (Panchayati Raj Institutions-Community Based Organisation Convergence) परियोजना का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- परियोजना के तहत गाँवों में आजीविका के अवसर बढ़ाने और गरीबी कम करने के लिये राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के सामुदायिक संगठनों और ग्राम पंचायतों के अभिसरण (Convergence) से मिशन के अंतर्गत गठित स्वसहायता समूहों को उद्यमशील बनाया जाएगा।
- पीआरआई-सीबीओ कन्वर्जेंस परियोजना के अंतर्गत ग्रामीण गरीबी को कम करने और आजीविका के अवसर पैदा करने के लिये संकुल संगठन, ग्राम संगठन तथा स्वसहायता समूह जैसे स्थायी समुदाय आधारित संगठनों को बढ़ावा देकर ग्राम पंचायतें और स्वसहायता समूहों के संघ अभिसरण से काम करेंगी।
- इसके तहत समुदाय के भीतर सेवा वितरण तंत्र को बढ़ाने के लिये स्थानीय सरकार और लाइन विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जाएगा। ग्राम पंचायतों और लाइन विभागों के साथ सीबीओ नेटवर्क भी बनाया जाएगा।
- यह परियोजना बस्तर ज़िले के बकावंड, बास्तानार, लोहंडीगुड़ा और तोकापाल विकासखंडों तथा रायपुर ज़िले के अभनपुर, आरंग, धरसीवा और तिल्दा विकासखंड के कुल 200 ग्राम पंचायतों में संचालित की जाएंगी।
- इसमें इन सभी विकासखंडों की 25-25 ग्राम पंचायतों के ‘बिहान’के कुल 32 संकुल संगठनों और 640 ग्राम संगठनों सहित इनसे जुड़ी स्वसहायता समूह हिस्सेदारी करेंगी।
- राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (CCO) श्रीमती एलिस लकड़ा ने कार्यशाला में बताया कि त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं एवं ‘बिहान’के अंतर्गत गठित सामुदायिक संगठनों के बीच बेहतर सांमजस्य से गाँवों के विकास के लिये सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDG) के 17 संकेतकों का क्षेत्रीकरण कर उन्हें नौ थीमों में वर्गीकृत किया गया है।
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छत्तीसगढ़ के पहले ज़ीरो वेस्ट, अत्याधुनिक वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का लोकार्पण
चर्चा में क्यों?
26 अप्रैल, 2023 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर दक्षिण विधानसभा में भेंट-मुलाकात के दौरान भाठागाँव में 80 एमएलडी क्षमता का छत्तीसगढ़ का पहला ज़ीरो वेस्ट, अत्याधुनिक वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
- कार्यक्रम में उन्होंने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिये नगर निगम रायपुर के 9 बैक हो लोडर गाड़ियों को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
- अत्याधुनिक जल शोधन संयंत्र लगभग 15 करोड़ 86 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया है।
- इस संयंत्र का संचालन लैमेला ट्यूब सेटलर पद्धति से किया जाएगा। यह पूरी तरह से स्वचलित प्रणाली पर आधारित है।
- मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित जल शोधन संयंत्र के संचालन की पूरी प्रक्रिया और तकनीकी जानकारियाँ ली और कंट्रोल रूम का अवलोकन भी किया। इस मौके पर भी उन्होंने भाठागाँव में ही दो पुराने जल शोधन संयंत्रों के उन्नयन के बाद इसे लोकार्पित किया। इन पुराने जल शोधन संयंत्रों की क्षमता बढ़ाई गई है।
- नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि नवनिर्मित जल शोधन संयंत्र से राजधानी रायपुर को टैंकरमुक्त कर पर्याप्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके साथ ही पुराने शोधन यंत्रों के आधुनिकीकरण और क्षमता विस्तार से भी राजधानी टैंकरमुक्त हो सकेगी।
- भाठागाँव में पहले से स्थापित 150 एमएलडी के फील्टर प्लांट में भी क्षमता बढ़ाने के लिये छह नये मोटर पंप लगाए गए है। इन नये मोटर पंपों से 1706 क्यूबिक मीटर प्रति घंटा पानी देने वाले संयंत्र की क्षमता बढ़कर 2046 क्यूबिक मीटर प्रतिघंटा हो गई है। इसी तरह 80 एमएलडी के पुराने फील्टर प्लांट में भी छह नये मोटर स्थापित किये गए है। इस संयंत्र की क्षमता 954 से बढ़कर 995 क्यूबिक मीटर प्रति घंटा हो गई है।
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