नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 27 Apr 2022
  • 1 min read
  • Switch Date:  
छत्तीसगढ़ Switch to English

राज्यपाल ने किया छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2022 पर हस्ताक्षर

चर्चा में क्यों? 

26 अप्रैल, 2022 को छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959 में संशोधन के लिये प्रस्तुत विधेयक छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2022 पर हस्ताक्षर किये। 

प्रमुख बिंदु 

  • छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2022 के अनुसार भू-राजस्व संहिता के मूल अधिनियम की 12 धाराओं, अध्याय 7 की 48 धाराओं एवं अध्याय 14 की 16 धाराओं में संशोधन किया गया है।  
  • संशोधित विधेयक में मूल अधिनियम की धारा 50 की उपधारा 01 में बंदोबस्त आयुक्त के स्थान पर ‘आयुक्त भू-अभिलेख’ प्रतिस्थापित किया गया है। इसी प्रकार बंदोबस्त अधिकारी के स्थान पर ‘ज़िला सर्वेक्षण अधिकारी’ प्रतिस्थापित किया गया है।   
  • मूल अधिनियम के अध्याय 7 में शीर्षक ‘नगरेतर क्षेत्रों में राजस्व सर्वेक्षण तथा बंदोबस्त’ के स्थान पर ‘भू-सर्वेक्षण तथा भू-राजस्व निर्धारण’ शब्द प्रतिस्थापित किया गया है।  
  • संशोधित विधेयक में नवीन धारा 178 ख का अंत:स्थापन किया गया है। इसके अनुसार तहसीलदार, खाता विभाजन हेतु प्राप्त आवेदनों को सर्वप्रथम ई-नामांतरण पोर्टल में प्रविष्ट कर हितबद्ध पक्षकारों को सूचना जारी करेगा एवं आम सूचना या इश्तहार का प्रकाशन करेगा।   
  • किसी प्रकरण में आपत्ति प्राप्त होने पर या तहसीलदार को प्रकरण, किसी कारण से विवादित प्रतीत होने पर, वह ऑनलाइन ई-नामांतरण पोर्टल से प्रकरण को अपने ई-राजस्व न्यायालय में स्थानांतरित कर पंजीकृत करेगा, अन्यथा प्रकरण में समस्त कार्यवाही ऑनलाइन ई-नामांतरण पोर्टल में की जाएगी।  

छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ पुलिस के 11 जवान शूरवीर सम्मान से सम्मानित

चर्चा में क्यों? 

26 अप्रैल, 2022 को छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने राज्य में उत्कृष्ट कार्य करने वाले जांबाज पुलिस कर्मियों को सम्मानित करने के लिये आयोजित कार्यक्रम में आरक्षक से लेकर टीआई रैंक तक के 11 पुलिसकर्मियों को शूरवीर सम्मान से सम्मानित किया। 

प्रमुख बिंदु 

  • सम्मान पाने वालों में उपनिरीक्षक जाकिर अली, महिला आरक्षक मनीषा यादव, सहायक उपनिरीक्षक भूपेश सिंह, प्रधान आरक्षक संदीप दीक्षित, प्रधान आरक्षक सरफराज चिश्ती, निरीक्षक रमन उसेंडी, उपनिरीक्षक दीपिका निर्मलकर, सहायक उपनिरीक्षक मनोज राठौर, प्रधान आरक्षक सुशील पांडे, निरीक्षक विजय चेलक तथा निरीक्षक सुमतराम साहू शामिल हैं।   
  • गृहमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि पुलिस को ईमानदारी से अपना काम करना चाहिये, ताकि आम जनता में उसके प्रति सम्मान दिखे और अपराधियों के मन में पुलिस का भय हो।
  • गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा नक्सली इलाकों के लिये दिये गए सूत्र वाक्य ‘विश्वास, विकास, सुरक्षा’ की चर्चा करते हुए कहा कि राज्य शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर विगत 3 वर्षों में लगभग 2 हज़ार माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्य धारा में शामिल होना स्वीकार किया है।

छत्तीसगढ़ Switch to English

हैबियस कॉर्पस रिट मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का महत्त्वपूर्ण निर्णय

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षी मामले में कहा कि लापता व्यक्तियों के मामलों को बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका के प्रावधान के तहत नहीं लाया जा सकता है। 

प्रमुख बिंदु 

  • जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस एन.के. चद्रवंशी ने ऐसे मामलों के संदर्भ में कहा कि ‘‘लापता व्यक्तियों के मामले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के नियमित प्रावधानों के तहत दर्ज़ किये जाने हैं और संबंधित पुलिस अधिकारी आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत निर्धारित तरीके से इसकी जाँच करने के लिये बाध्य हैं।’’ 
  • उच्च न्यायालय ने कहा कि जो चीज सुसंगत रहती है वह यह है कि ‘अवैध निरोध’ का आधार स्थापित करना और इस तरह की किसी भी ‘अवैध हिरासत’ के बारे में एक मज़बूत संदेह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्थानांतरित करने के लिये एक शर्त है और संवैधानिक न्यायालय बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार नहीं करेंगे, जहाँ ‘अवैध हिरासत’ के बारे में संदेह का कोई आरोप नहीं है।  
  • यूनियन ऑफ इंडिया बनाम युमनाम आनंद एम और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि ‘‘संविधान के अनुच्छेद 21 में यह घोषित है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किसी भी व्यक्ति को जीवन और स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, अत्यधिक तत्परता के साथ अवैध हिरासत के प्रश्न की जाँच करने के लिये एक मशीनरी की निश्चित रूप से आवश्यकता है। बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट इस प्रकृति का एक उपकरण है।’’  
  • गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 32 में वर्णित संवैधानिक उपचारों के अधिकार के तहत 5 रिट- बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण एवं अधिकार पृच्छा का उल्लेख है।

 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow