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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 27 Feb 2023
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उत्तराखंड के ऊर्जा ज़रूरतों के आकलन की जिम्मेदारी अब अमेरिकी संस्था को

चर्चा में क्यों?

26 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2025 तक ऊर्जा ज़रूरतों के आकलन की जिम्मेदारी अमेरिकी संस्था मैकेंजी को सौंपी है।

प्रमुख बिंदु 

  • राज्य सरकार ने तय किया है कि राज्य को श्रेष्ठ बनाने के लिये 2025 तक की ऊर्जा ज़रूरतों को भी पूरा करने की आवश्यकता है। लिहाजा, हर क्षेत्र में बिजली की कुल ज़रूरत का आकलन करने की जिम्मेदारी मैकेंजी को दी गई है।
  • राज्य सरकार प्रदेश को 2025 तक श्रेष्ठ राज्य बनाने के लिये प्रयासरत है। ऊर्जा भी इसका अहम हिस्सा है क्योंकि जल विद्युत परियोजनाओं से अपेक्षाकृत बिजली नहीं मिल पा रही है।
  • अमेरिकी संस्था मैकेंजी प्रदेश के सभी पहलुओं पर बिजली की आवश्यकताओं को देखते हुए सरकार को रिपोर्ट देगी। संस्था यह भी सुझाएगी कि किस तरह से ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा किया जा सकता है।
  • सरकार ने यह भी तय किया है कि सभी विभाग बताएंगे कि आने वाले समय में कितनी बिजली खपत होगी और वे कितनी बिजली बचाएंगे। बिजली बचाने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं, इसके लिये हितधारकों के साथ एक बैठक हो भी चुकी है।
  • सरकार का फोकस है कि विभागों में सौर ऊर्जा जैसे विकल्प तैयार किये जाएँ, ताकि वह अपनी बिजली खुद पैदा करें और खुद इस्तेमाल करें।

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एकल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये योजनाओं पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देने की तैयारी

चर्चा में क्यों?

26 फरवरी, 2023 को उत्तराखंड की महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि राज्य सरकार एकल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये एक लाख रुपए तक की योजनाओं पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देने की तैयारी में है। विभाग की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु 

  • महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि महिला दिवस (आठ मार्च) पर इसका एलान हो सकता है।
  • एकल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये एक लाख रुपए तक की योजनाओं पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देने से पशुपालन, मत्स्य पालन, कंप्यूटर प्रशिक्षण, मसाला उद्योग, मिलेट्स सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्वरोज़गार के लिये बढ़ावा मिलेगा।
  • रेखा आर्य ने बताया कि प्रदेश की 45 वर्ष तक की ऐसी महिलाएँ, जिसके पति की मौत हो गई है या फिर अविवाहित हैं और आर्थिक रूप से कमजोर हैं। ऐसी महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा। इसके लिये यह भी शर्त रखी गई है कि महिलाओं की मासिक आय छह हजार रुपए से अधिक न हो।
  • विभागीय अधिकारियों के मुताबिक समाज कल्याण विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में एकल महिलाओं की संख्या साढ़े तीन लाख है। इसमें 45 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएँ भी शामिल हैं।
  • विदित है कि राज्य में आर्थिक रूप से कमज़ोर महिलाओं की संख्या डेढ़ से दो लाख के बीच हो सकती है।

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काशी विश्वनाथ की तर्ज पर हरकी पौड़ी कॉरिडोर

चर्चा में क्यों?

26 फरवरी, 2023 को उत्तराखंड राज्य की धार्मिक नगरी हरिद्वार के ज़िलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने बताया कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर हरिद्वार की हरकी पौड़ी कॉरिडोर को भी विकसित किया जाएगा, जिसका निर्माण कार्य 2024 में शुरू होने की उम्मीद है। इसके लिये कैबिनेट ने संवैधानिक मंजूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु 

  • ज़िलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने बताया कि कॉरिडोर के काम अलग-अलग पाँच प्रोजेक्ट में चलेंगे।
  • उन्होंने बताया कि कॉरिडोर विकसित करने के लिये आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोसल) बन गई है। मैकेनाइज संस्था कॉरिडोर के कार्यों को अंतिम रूप दे रही है। जल्द ही कॉरिडोर विकसित करने के लिये कंसल्टेंट की नियुक्ति की जाएगी तथा कंसल्टेंट द्वारा कॉरिडोर की डिजाइन और प्लानिंग का कार्य किया जाएगा। इसके बाद कॉरिडोर की डीपीआर बनाई जाएगी।
  • विनय शंकर पांडे ने बताया कि हरकी पैड़ी कॉरिडोर की डीपीआर बनने के बाद और कॉरिडोर विकसित करने से पहले हरिद्वार में श्रीगंगा सभाव्यापार मंडल, साधु संत, अखाड़ों, मीडिया और समाजसेवियों से विचार-विमर्श किया जाएगा। विचार-विमर्श के बाद कार्य शुरू होगा।
  • ज़िलाधिकारी ने बताया कि कॉरिडोर बनाने का मुख्य उद्देश्य हरिद्वार को खूबसूरत बनाना है, न कि लोगों को उजाड़ना। कॉरिडोर विकसित करने के लिये अतिक्रमण को तोड़ा जाएगा।
  • उन्होंने बताया कि हरकी पैड़ी पहुँचने के लिये तीन मार्ग पड़ते हैं। भीमगोड़ा, अपर रोड और मोतीबाजार से होकर लोग हरकी पैड़ी पहुँचते हैं। इन मार्गों की दशा और दिशा दोनों सुधारने का कार्य किया जाएगा।
  • कॉरिडोर के लिये हरकी पैड़ी, कनखल, सतीकुंड, संन्यास रोड, भूपतवाला क्षेत्र, भारतमाता मंदिर क्षेत्र, मनसा देवी मंदिर, चंडी देवी मंदिर आदि को विकसित करने की योजना है।
  • हरकी पैड़ी क्षेत्र में काफी कार्य किये जाएंगे। बिजली और पानी की निकासी को भूमिगत किया जाएगा। जगह-जगह फव्वारे और परिदृश्य बनाए जाएंगे। 

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