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हलमा की परंपरा
चर्चा में क्यों?
26 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने झाबुआ ज़िले के हाथीपाव पहाड़ी पर हलमा उत्सव और विकास यात्रा के समापन समारोह में कहा कि हलमा की परंपरा को समूचे मध्य प्रदेश में विस्तारित किया जायेगा।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने कहा कि हलमा ऐसी परंपरा है, जिससे प्रकृति को ग्लोबल वार्मिंग से बचाया जा सकता है। वनवासी समाज की हलमा परंपरा अद्वितीय है। यह संकट में खड़े मनुष्य की सहायता का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि इस परंपरा को समूचे मध्य प्रदेश में विस्तारित करते हुए जल, मिट्टी और पर्यावरण-संरक्षण का कार्य किया जाएगा।
- भारत के जनजाति समाज में आज भी जीवन यापन की कई देशज विधाएँ मौजूद हैं जो वर्तमान समय में विकास के कारण उत्पन्न विभिन्न समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। उन्हीं में से एक विधा है भील जनजाति की हलमा परंपरा। इस परंपरा के महत्त्व के कारण ही 24 अप्रैल, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में इसका जिक्र किया।
- हलमा ने झाबुआ ज़िले के बड़े हिस्से में जल संकट को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई है। भील समुदाय की यह परंपरा देशज विधाओं की तकनीकी समृद्धता का अनोखा उदाहरण है।
- आदिवासी जनजातियों में हलमा हाँडा और हीडा जैसे नामों से परस्पर सामुदायिक सहयोग की भावना की इस तरह की प्रथा या परंपरा मौजूद हैं और लोक साहित्य में इनका उल्लेख भी है। परंतु कालांतर में ये लुप्त होती गईं।
- गौरतलब है कि हलमा भील समाज में एक मदद की परंपरा है। जब कोई व्यक्ति या परिवार अपने संपूर्ण प्रयासों के बाद भी अपने पर आए संकट से उबर नहीं पाता है तब उसकी मदद के लिये सभी ग्रामीण भाई-बंधु जुटते हैं और अपने नि:स्वार्थ प्रयत्नों से उसे मुश्किल से बाहर ले आते हैं।
- यह एक ऐसी गहरी और उदार परंपरा है जिसमें संकट में फँसे व्यक्ति की सहायता तो की जाती है पर दोनों ही पक्षों द्वारा किसी भी तरह का अहसान न तो जताया जाता है न ही माना जाता है। परस्पर सहयोग और सहारे की यह परंपरा दर्शाती है कि समाज में एक दूजे की मजबूती कैसे बना जाता है। किसी को भी मझधार में अकेले नहीं छोड़ा जाता है बल्कि उसे निश्छल मदद के द्वारा समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाता है।
- भील शब्द का महत्त्व इसीलिये भी अधिक हो जाता है क्योंकि इस जनजाति को भारत की सबसे प्राचीन और अपनी परंपराओं को जीवित रखने वाली जनजाति माना जाता है। भील भारत की तीसरी सबसे बड़ी जनजातीय समाज है। आज़ादी से पहले हुए अंतिम जनगणना 1941 के अनुसार देश में भीलों की आबादी लगभग 2 मिलियन थी जो अब 17 मिलियन हो चुकी है।
- भील समुदाय मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र सहित देश के अन्य राज्यों में भी हैं। मध्य प्रदेश का भील समुदाय अन्य भील समुदाय के जैसे ही अपनी परंपरा को जीवित रखे हुए है। आज भी मध्य प्रदेश के भीलों की सांस्कृतिक परंपरा उनके धार्मिक कृत्यों, उनके गानों तथा नृत्यों, उनके सामुदायिक देवी-देवताओं, त्वचा के गोदनों, पौराणिक गाथाओं तथा विधा में अभिव्यक्त होती है। उनके घरों से सौंदर्यशास्त्र का सहज बोध प्रकट होता है।
- उल्लेखनीय है कि सन 2005 में हलमा परंपरा को एक गैर-सरकारी संगठन ‘शिवगंगा’ने शुरू किया। महेश शर्मा और हर्ष चौहान की इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। महेश शर्मा को भारत सरकार द्वारा उनके कार्यों के लिये 2019 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। आज वो भील जनजातियों के बीच झाबुआ के गांधी बन चुके हैं।
- हलमा को बड़े पैमाने पर 2008 में व्यवहारिक रूप दिया गया। परिणामस्वरूप साल 2009 के पहले हलमा में पानी के छोटे-छोटे गड्ढे बनाने के लिये आठ सौ लोग सामने आए और श्रम दान किया, अगले वर्ष यानि 2010 में सहभागिता बढ़कर 1600 हो गई। 2011 में दस हज़ार लोग इसमें शामिल हुए और आज यह संख्या एक आंदोलन का रूप ले चुकी है, जिसे देखने और समझने के लिये सरकार से लेकर शोधार्थियों की बड़ी संख्या इस पर शोध कर रही है। साथ ही बाहरी दुनिया से बढ़ते संपर्क ने इस क्षेत्र को आधुनिक तकनीकों से अपनी समस्या के समाधान का तरीका भी सिखाया है।
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मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना-2023 का अनुमोदन
चर्चा में क्यों?
25 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रि-परिषद की वर्चुअल बैठक में मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में महिलाओं के सर्वांगीण विकास, आर्थिक स्वालंबन, स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सतत् सुधार को बनाए रखने एवं महिलाओं की परिवार में निर्णय की भूमिका सुदृढ़ किये जाने के लिये ‘मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना-2023’ का अनुमोदन किया।
प्रमुख बिंदु
- योजना में समय-सीमा में स्वीकृति दिये जाने का प्रावधान रखा गया है। प्रदेश की 23 से 60 वर्ष आयु के मध्य की विवाहित महिलाओं को योजना के लाभ की पात्रता होगी।
- प्रत्येक पात्र महिला को उसकी पात्रता अवधि में 1000 रुपए प्रतिमाह के मान से राशि सीधे उसके आधार लिंक्ड बैंक खाते में जमा की जाएगी।
- किसी परिवार की 60 वर्ष से कम आयु की महिला को सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में यदि प्रतिमाह 1000 रुपए से कम राशि प्राप्त हो रही होगी, तो उस महिला को वह राशि प्रदाय कर 1000 रुपए तक राशि की पूर्ति करने का योजना में प्रावधान किया गया है।
- योजना में समस्त आवेदन नि:शुल्क ऑनलाइन प्राप्त किये जाएंगे। इसके अतिरिक्त हितग्राही यदि स्वयं उपस्थित होकर ‘आवेदन के लिये आवश्यक जानकारी का प्रपत्र’देती है तो उसकी भी प्रविष्टी ऑनलाइन पोर्टल पर करने की व्यवस्था की गई है।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 में योजना अंतर्गत लगभग एक करोड़ महिला हितग्राहियों को 1000 रुपए प्रतिमाह के मान से राशि खाते में जमा की जाएगी।
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मध्य प्रदेश उद्योगों की स्थापना एवं परिचालन का सरलीकरण अधिनियम, 2023
चर्चा में क्यों?
25 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रि-परिषद की वर्चुअल बैठक में मंत्रि-परिषद ने मध्य प्रदेश उद्योगों की स्थापना एवं परिचालन का सरलीकरण अध्यादेश, 2023 के स्थान पर मध्य प्रदेश उद्योगों की स्थापना एवं परिचालन का सरलीकरण अधिनियम, 2023 को प्रतिस्थापित किये जाने के संदर्भ में निर्णय लिया।
प्रमुख बिंदु
- औद्योगिक उपक्रम या औद्योगिक इकाई द्वारा निवेश आशय प्रस्ताव का आवेदन ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से निर्धारित प्रारूप में नोडल एजेंसी को किया जाएगा।
- नोडल एजेंसी द्वारा पूर्ण प्राप्त निवेश आशय प्रस्ताव की अभिस्वीकृति निर्धारित प्रारूप में जारी की जाएगी।
- एमपी इंडस्ट्रियल डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड भोपाल को नोडल एजेंसी नामांकित किया गया है, जो अभिस्वीकृति प्रमाण-पत्र जारी करेगी।
- औद्योगिक उपक्रम या औद्योगिक इकाई द्वारा अधिसूचित क्षेत्रों में उद्योग स्थापना के संबंध में प्राप्त की जाने वाली विनिर्दिष्ट सेवा, अनुमति, अभिस्वीकृति प्रमाण पत्र प्राप्ति दिनांक से 3 साल अथवा औद्योगिक उपक्रम या औद्योगिक इकाई के व्यवसायिक गतिविधि संचालन प्रारंभ किये जाने तक जो भी पहले हो, उन्मुक्त रहेगा। उक्त अवधि समाप्त होने के 6 माह के अंदर आवश्यक अनुमतियाँ, सम्मतियाँ प्राप्त करेगा।
- जारी अभिस्वीकृति प्रमाण-पत्र की वैधता अवधि में कोई सक्षम प्राधिकारी अधिनियम में वर्णित अनुमतियों के संबंध में निरीक्षण नहीं कर सकेगा।
- इस अधिनियम में राज्य के पास अधिसूचित क्षेत्रों का चयन करने के प्रावधान होंगे जहाँ यह अधिनियम लागू किया जाएगा।
- इकाई के प्रारंभ होने के पूर्व इकाई द्वारा आवेदन किये जाने पर संबंधित विभाग अथवा एजेंसी द्वारा आवश्यक होने पर निरीक्षण कर अनुमति एवं सहमति दी जा सकेगी।
- राज्य सरकार अधिसूचना के माध्यम से राज्य स्तरीय साधिकार समिति का गठन कर सकेगी। समिति सक्षम प्राधिकारी एवं औद्योगिक उपक्रमों के साथ समन्वय कर विवाद का मैत्रीपूर्ण हल निकालेगी।
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