उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी की नई नीति
चर्चा में क्यों?
26 फरवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि प्रदेश में आग्जिलरी नर्स एंड मिडवाइफरी (एएनएम), जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम) और पैरामेडिकल कोर्स में अब प्रदेश स्तरीय मेरिट से दाखिला होगा। इसके लिये उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी नई नीति बना रही है।
प्रमुख बिंदु
- उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी की नई नीति पर कॉलेज के प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों से सलाह मांगी गई है।
- उल्लेखनीय है कि प्रदेश में एएनएम की 19,220 व जीएनएम की 18,323 सीटें हैं। पैरामेडिकल के विभिन्न डिग्री एवं डिप्लोमा कोर्स में करीब 20 हजार से अधिक सीटें हैं। अभी तक इनमें दाखिला कॉलेज प्रबंधन करता था, परंतु अब कॉलेज अपनी मर्जी से दाखिला नहीं ले पाएंगे।
- दरअसल वर्ष 2023-24 से केंद्रीयकृत व्यवस्था बनाई जा रही है, जिसके तहत छात्रों को कोर्सवार आवेदन करना होगा, इसमें वरिष्ठता क्रम में कॉलेज का नाम भरना होगा।
- उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी में आने वाले आवेदनों में न्यूनतम योग्यता व इंटरमीडिएट में मिले नंबरों के हिसाब से राज्य स्तरीय मेरिट बनाई जाएगी, फिर काउंसिलिंग के जरिये कॉलेज अलॉट होंगे।
- फैकल्टी के सचिव प्रो. आलोक कुमार के मुताबिक अभी तक यह आरोप लगता था कि कॉलेजों की मिलीभगत से कम मेरिट वाले छात्रों को मनचाहे कोर्स और कॉलेज में दाखिला मिल जाता है। परंतु इस नई व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी और मेधावी छात्रों के साथ न्याय होगा।
बिहार Switch to English
बिहार के 500 थानों में एक साथ महिला हेल्प डेस्क की सुविधा शुरू
चर्चा में क्यों?
26 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के 500 थानों में एक साथ महिला हेल्प डेस्क की सुविधा शुरू की। इसके साथ ही उन्होंने बिहार पुलिस का अपडेटेड वेबसाइट और सोशल मीडिया सेंटर का उद्घाटन भी किया।
प्रमुख बिंदु
- इन महिला हेल्प डेस्क को महिला पुलिस पदाधिकारी व महिला कर्मियों द्वारा ही संचालित किया जाएगा ताकि पीड़िताएँ आसानी से अपनी बात रख सकें। प्रथम चरण में 500 थानों में यह व्यवस्था की गई है।
- अधिकारियों ने बताया कि बिहार पुलिस का नया वेबसाइट यूजर फ्रेंडली होगा। स्क्रीन रीडर की सुविधा होने से दृष्टिहीन भी इसके कंटेट को सुन सकते हैं।
- इस वेबसाइट में सिटीजन सर्विस होने से आम व्यक्ति प्राथमिकी, गुमशुदा व्यक्तियों आदि के संबंध में जानकारी ले सकेंगे। इसमें ज़िलों के तमाम पुलिस अधिकारियों के नंबर भी उपलब्ध रहेंगे।
- सोशल मीडिया केंद्र के शुभारंभ का उद्देश्य आम लोगों को यथाशीघ्र सही और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना है, ताकि भ्रामक खबरों का खंडन हो सके। यह हफ्ते में सात दिन और लगातार 24 घंटे काम करेगा।
बिहार Switch to English
भागलपुर के 5 कृषक उत्पादक संगठन को मिला एक्सपोर्ट लाइसेंस
चर्चा में क्यों?
26 फरवरी, 2023 को आत्मा (Agriculture Technology Management Agency) के उप-परियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से भागलपुर के पाँच कृषक उत्पादक संगठन को एक्सपोर्ट लाइसेंस मिला है।
प्रमुख बिंदु
- आत्मा के उप-परियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि पहली बार यहां के किसान उत्पादक संगठन को यह लाइसेंस मिला है। इससे एक ओर जहाँ यहाँ के प्रोडक्ट को सीधे निर्यात किया जा सकेगा और वहीं अब उनको ग्लोबल मार्केट मिलेगा। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी।
- प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि इससे पहले एपिडा के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों के एक्सपोर्टर का सहारा लेना पड़ता था। अब किसानों की ओर से किसी भी प्रकार के उत्पाद का निर्यात किया जा सकता है और यहाँ से व्यापार कर सकते हैं।
- गौरतलब है कि भागलपुर का कतरनी चावल-चूड़ा और जर्दालू आम को जीआई टैग (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग) मिला है। कतरनी चावल, चूड़ा और जर्दालू आम भागलपुर की पहचान है। इसकी डिमांड देश व विदेश में काफी है। किसानों के बीच इसके उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है। केवल मार्केट की ज़रूरत थी, जो कि एक्सपोर्ट लाइसेंस प्राप्त होने के बाद मिलने लगेगा।
- इसके अलावा भागलपुर में स्ट्राबेरी, मशरूम, ड्रैगन फ्रूट, सेब, जुकुनी, विदेशी पपीता आदि की खेती बढ़ने लगी है। ग्लोबल मार्केट मिलने पर यहाँ के उत्पादों का निर्यात होगा तो किसानों को मुँहमांगा लाभ मिलेगा।
- इन कृषक उत्पादक संगठन को मिला लाइसेंस-
- ट्रांसपेरेंट एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, गोराडीह
- एग्रो प्वाइंट एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटैड, पीरपैंती
- ब्रसनिक एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, बिहपुर
- अंग प्रदेश उत्थान एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड
- सरस बसुधा एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, गोपालपुर
- विदित है कि किसान आत्मा योजना (ATMA Yojana) का पूरा नाम Agriculture Technology Management Agency है। ये स्कीम उन किसानों के लिये है जो आज भी आधुनिक खेती से होने वाले फायदे से दूर हैं।
- इस स्कीम के तहत किसानों को आधुनिक यंत्रों की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके साथ ही किसानों को इस बात की भी जानकारी दी जाती है कि कैसे आधुनिक यंत्र के इस्तेमाल से खेती करके अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता हैं।
राजस्थान Switch to English
‘रोज़ शो-2023’
चर्चा में क्यों?
26 फरवरी, 2023 को राजस्थान की राजधानी जयपुर में हॉट डेस्टिनेशन बन चुके सिटी पार्क में द रोज़ सोसाइटी ऑफ राजस्थान की ओर से 48वें ‘रोज़ शो-2023’ का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- प्रदेश के आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा ने बताया कि देश-दुनिया में मशहूर हो चुका सिटी पार्क 400 किस्म के गुलाबों की खुशबू से गुलज़ार रहा। द रोज़ सोसाइटी ऑफ राजस्थान की ओर से आयोजित 48वाँ रोज़ शो ने न केवल स्थानीय बल्कि बाहर से आने वाले पर्यटकों को भी आकर्षित किया।
- उन्होंने बताया कि आमजन में सिटी पार्क की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोसायटी ने फरवरी माह में आयोजित होने वाले ‘रोज़ शो’ को हर वर्ष सिटी पार्क में ही आयोजित करने का फैसला किया है।
- ‘रोज़ शो-2023’ में आमजनों ने भी उन्नत किस्म के गुलाब की कलम के साथ हिस्सा लिया। अच्छे गुलाबों की किस्मों को सम्मानित भी किया गया। इसके अलावा पेंटिंग कंपीटीशन सहित कई अन्य रचनात्मक व सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये गए।
- प्रदर्शनी में नीलकमल, ट्यूलिप, होम गार्डन नर्सरी द्वारा विभिन्न प्लांट्स का भी प्रदर्शन किया गया। शो में ग्रुप 1 से 3 में 400 से ज्यादा किस्म के रंग-बिरंगे गुलाबों का प्रदर्शन किया गया तथा बेहतरीन किस्म के गुलाब के लिये सम्मानित भी किया गया।
- कार्यक्रम में एंपरर ऑफ द शो का पुरस्कार सचिव जेडीए, एंप्रेस ऑफ द शो माया बालान, किंग ऑफ द शो रामचंद्र सैनी, क्वीन ऑफ द शो सचिव जेडीए, प्रिंस ऑफ द शो रामलाल, प्रिंसेस ऑफ द शो माया बालान एवं बेस्ट एक्जिबिटर ऑफ द शो होटल रामबाग पैलेस को दिया गया।
मध्य प्रदेश Switch to English
हलमा की परंपरा
चर्चा में क्यों?
26 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने झाबुआ ज़िले के हाथीपाव पहाड़ी पर हलमा उत्सव और विकास यात्रा के समापन समारोह में कहा कि हलमा की परंपरा को समूचे मध्य प्रदेश में विस्तारित किया जायेगा।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने कहा कि हलमा ऐसी परंपरा है, जिससे प्रकृति को ग्लोबल वार्मिंग से बचाया जा सकता है। वनवासी समाज की हलमा परंपरा अद्वितीय है। यह संकट में खड़े मनुष्य की सहायता का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि इस परंपरा को समूचे मध्य प्रदेश में विस्तारित करते हुए जल, मिट्टी और पर्यावरण-संरक्षण का कार्य किया जाएगा।
- भारत के जनजाति समाज में आज भी जीवन यापन की कई देशज विधाएँ मौजूद हैं जो वर्तमान समय में विकास के कारण उत्पन्न विभिन्न समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। उन्हीं में से एक विधा है भील जनजाति की हलमा परंपरा। इस परंपरा के महत्त्व के कारण ही 24 अप्रैल, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में इसका जिक्र किया।
- हलमा ने झाबुआ ज़िले के बड़े हिस्से में जल संकट को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई है। भील समुदाय की यह परंपरा देशज विधाओं की तकनीकी समृद्धता का अनोखा उदाहरण है।
- आदिवासी जनजातियों में हलमा हाँडा और हीडा जैसे नामों से परस्पर सामुदायिक सहयोग की भावना की इस तरह की प्रथा या परंपरा मौजूद हैं और लोक साहित्य में इनका उल्लेख भी है। परंतु कालांतर में ये लुप्त होती गईं।
- गौरतलब है कि हलमा भील समाज में एक मदद की परंपरा है। जब कोई व्यक्ति या परिवार अपने संपूर्ण प्रयासों के बाद भी अपने पर आए संकट से उबर नहीं पाता है तब उसकी मदद के लिये सभी ग्रामीण भाई-बंधु जुटते हैं और अपने नि:स्वार्थ प्रयत्नों से उसे मुश्किल से बाहर ले आते हैं।
- यह एक ऐसी गहरी और उदार परंपरा है जिसमें संकट में फँसे व्यक्ति की सहायता तो की जाती है पर दोनों ही पक्षों द्वारा किसी भी तरह का अहसान न तो जताया जाता है न ही माना जाता है। परस्पर सहयोग और सहारे की यह परंपरा दर्शाती है कि समाज में एक दूजे की मजबूती कैसे बना जाता है। किसी को भी मझधार में अकेले नहीं छोड़ा जाता है बल्कि उसे निश्छल मदद के द्वारा समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाता है।
- भील शब्द का महत्त्व इसीलिये भी अधिक हो जाता है क्योंकि इस जनजाति को भारत की सबसे प्राचीन और अपनी परंपराओं को जीवित रखने वाली जनजाति माना जाता है। भील भारत की तीसरी सबसे बड़ी जनजातीय समाज है। आज़ादी से पहले हुए अंतिम जनगणना 1941 के अनुसार देश में भीलों की आबादी लगभग 2 मिलियन थी जो अब 17 मिलियन हो चुकी है।
- भील समुदाय मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र सहित देश के अन्य राज्यों में भी हैं। मध्य प्रदेश का भील समुदाय अन्य भील समुदाय के जैसे ही अपनी परंपरा को जीवित रखे हुए है। आज भी मध्य प्रदेश के भीलों की सांस्कृतिक परंपरा उनके धार्मिक कृत्यों, उनके गानों तथा नृत्यों, उनके सामुदायिक देवी-देवताओं, त्वचा के गोदनों, पौराणिक गाथाओं तथा विधा में अभिव्यक्त होती है। उनके घरों से सौंदर्यशास्त्र का सहज बोध प्रकट होता है।
- उल्लेखनीय है कि सन 2005 में हलमा परंपरा को एक गैर-सरकारी संगठन ‘शिवगंगा’ने शुरू किया। महेश शर्मा और हर्ष चौहान की इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। महेश शर्मा को भारत सरकार द्वारा उनके कार्यों के लिये 2019 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। आज वो भील जनजातियों के बीच झाबुआ के गांधी बन चुके हैं।
- हलमा को बड़े पैमाने पर 2008 में व्यवहारिक रूप दिया गया। परिणामस्वरूप साल 2009 के पहले हलमा में पानी के छोटे-छोटे गड्ढे बनाने के लिये आठ सौ लोग सामने आए और श्रम दान किया, अगले वर्ष यानि 2010 में सहभागिता बढ़कर 1600 हो गई। 2011 में दस हज़ार लोग इसमें शामिल हुए और आज यह संख्या एक आंदोलन का रूप ले चुकी है, जिसे देखने और समझने के लिये सरकार से लेकर शोधार्थियों की बड़ी संख्या इस पर शोध कर रही है। साथ ही बाहरी दुनिया से बढ़ते संपर्क ने इस क्षेत्र को आधुनिक तकनीकों से अपनी समस्या के समाधान का तरीका भी सिखाया है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना-2023 का अनुमोदन
चर्चा में क्यों?
25 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रि-परिषद की वर्चुअल बैठक में मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में महिलाओं के सर्वांगीण विकास, आर्थिक स्वालंबन, स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सतत् सुधार को बनाए रखने एवं महिलाओं की परिवार में निर्णय की भूमिका सुदृढ़ किये जाने के लिये ‘मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना-2023’ का अनुमोदन किया।
प्रमुख बिंदु
- योजना में समय-सीमा में स्वीकृति दिये जाने का प्रावधान रखा गया है। प्रदेश की 23 से 60 वर्ष आयु के मध्य की विवाहित महिलाओं को योजना के लाभ की पात्रता होगी।
- प्रत्येक पात्र महिला को उसकी पात्रता अवधि में 1000 रुपए प्रतिमाह के मान से राशि सीधे उसके आधार लिंक्ड बैंक खाते में जमा की जाएगी।
- किसी परिवार की 60 वर्ष से कम आयु की महिला को सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में यदि प्रतिमाह 1000 रुपए से कम राशि प्राप्त हो रही होगी, तो उस महिला को वह राशि प्रदाय कर 1000 रुपए तक राशि की पूर्ति करने का योजना में प्रावधान किया गया है।
- योजना में समस्त आवेदन नि:शुल्क ऑनलाइन प्राप्त किये जाएंगे। इसके अतिरिक्त हितग्राही यदि स्वयं उपस्थित होकर ‘आवेदन के लिये आवश्यक जानकारी का प्रपत्र’देती है तो उसकी भी प्रविष्टी ऑनलाइन पोर्टल पर करने की व्यवस्था की गई है।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 में योजना अंतर्गत लगभग एक करोड़ महिला हितग्राहियों को 1000 रुपए प्रतिमाह के मान से राशि खाते में जमा की जाएगी।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश उद्योगों की स्थापना एवं परिचालन का सरलीकरण अधिनियम, 2023
चर्चा में क्यों?
25 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रि-परिषद की वर्चुअल बैठक में मंत्रि-परिषद ने मध्य प्रदेश उद्योगों की स्थापना एवं परिचालन का सरलीकरण अध्यादेश, 2023 के स्थान पर मध्य प्रदेश उद्योगों की स्थापना एवं परिचालन का सरलीकरण अधिनियम, 2023 को प्रतिस्थापित किये जाने के संदर्भ में निर्णय लिया।
प्रमुख बिंदु
- औद्योगिक उपक्रम या औद्योगिक इकाई द्वारा निवेश आशय प्रस्ताव का आवेदन ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से निर्धारित प्रारूप में नोडल एजेंसी को किया जाएगा।
- नोडल एजेंसी द्वारा पूर्ण प्राप्त निवेश आशय प्रस्ताव की अभिस्वीकृति निर्धारित प्रारूप में जारी की जाएगी।
- एमपी इंडस्ट्रियल डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड भोपाल को नोडल एजेंसी नामांकित किया गया है, जो अभिस्वीकृति प्रमाण-पत्र जारी करेगी।
- औद्योगिक उपक्रम या औद्योगिक इकाई द्वारा अधिसूचित क्षेत्रों में उद्योग स्थापना के संबंध में प्राप्त की जाने वाली विनिर्दिष्ट सेवा, अनुमति, अभिस्वीकृति प्रमाण पत्र प्राप्ति दिनांक से 3 साल अथवा औद्योगिक उपक्रम या औद्योगिक इकाई के व्यवसायिक गतिविधि संचालन प्रारंभ किये जाने तक जो भी पहले हो, उन्मुक्त रहेगा। उक्त अवधि समाप्त होने के 6 माह के अंदर आवश्यक अनुमतियाँ, सम्मतियाँ प्राप्त करेगा।
- जारी अभिस्वीकृति प्रमाण-पत्र की वैधता अवधि में कोई सक्षम प्राधिकारी अधिनियम में वर्णित अनुमतियों के संबंध में निरीक्षण नहीं कर सकेगा।
- इस अधिनियम में राज्य के पास अधिसूचित क्षेत्रों का चयन करने के प्रावधान होंगे जहाँ यह अधिनियम लागू किया जाएगा।
- इकाई के प्रारंभ होने के पूर्व इकाई द्वारा आवेदन किये जाने पर संबंधित विभाग अथवा एजेंसी द्वारा आवश्यक होने पर निरीक्षण कर अनुमति एवं सहमति दी जा सकेगी।
- राज्य सरकार अधिसूचना के माध्यम से राज्य स्तरीय साधिकार समिति का गठन कर सकेगी। समिति सक्षम प्राधिकारी एवं औद्योगिक उपक्रमों के साथ समन्वय कर विवाद का मैत्रीपूर्ण हल निकालेगी।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा में होंगी 26वीं अखिल भारतीय वन खेल-कूद प्रतियोगिताएँ
चर्चा में क्यों?
25 फरवरी, 2023 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि राज्य में जल्द ही 26वीं अखिल भारतीय वन खेल-कूद प्रतियोगिताओं का आयोजन होने वाला है। तथा प्रतियोगिता का लोगो व शुभंकर भी जारी कर दिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि खेलों का पॉवर हाऊस कहा जाने वाला हरियाणा में इससे पहले भी दो बार क्रमश: वर्ष 2003 में 10वीं एवं वर्ष 2013 में 13वीं अखिल भारतीय वन खेल-कूद प्रतियोगिता का सफलतापूर्वक आयोजन किया जा चुका है।
- इस बार 10 से 14 मार्च तक इन खेलों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें समस्त राज्यों, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार, केंद्रशासित प्रदेशों एवं वन अनुसंधानों के लगभग 2500 प्रतिभागियों के भाग लेने की संभावना है। वन विभाग में ग्रुप सी में फॉरेस्ट गार्ड के पद पर खिलाड़ियों को नियुक्त कर अलग-अलग खेल टीमें बनाई जाएंगी।
- मुख्यमंत्री ने खेलों के मस्कट का ‘कृष’ नामकरण किया।
- गौरतलब है कि पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार प्रतिवर्ष अखिल भारतीय वन खेल-कूद प्रतियोगिता करवाता है, जिसका जिम्मा प्रति वर्ष किसी राज्य को सौंपा जाता है। इस बार 26वीं वन खेल-कूद प्रतियोगिता के आयोजन का जिम्मा हरियाणा वन विभाग को दिया गया है।
- वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 1993 में वन विभाग में खेलों के समुचित प्रोत्साहन के लिये वार्षिक अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता का आरंभ किया गया था, जिसका प्रथम आयोजन हैदराबाद में किया गया। तब से अब तक कुल 25 बार प्रतियोगिता का आयोजन किया जा चुका है।
- मुख्यमंत्री ने बताया कि अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता के लोगो हेतु ब्लैक बक यानि काला हिरन को चुना गया है, जो कि राज्य की संस्कृति में रचा-बसा शानदार तेजस्वी वन्य जीव है एवं हरियाणा का राज्य पशु है। लोगो में राज्य का नक्शा यह इंगित करता है कि हरियाणा राज्य इस वर्ष खेलों का आयोजन कर रहा है जो कि सभी क्षेत्रों में तीव्र प्रगति के साथ खेलों में भी सबसे आगे है।
- वृत्ताकार घेरे में चिन्हित खेल हरियाणा में प्रमुख रूप से आयोजित खेलों के बारे में है जिन्हें प्रतियोगिता के दौरान खेला जाएगा। ऊपर लोगों में दिखायी गई पत्तियाँ वन भाईचारे को दर्शाती हैं।
- विदित है कि भारतीय पौराणिक ग्रंथों में काले हिरन को श्रीकृष्ण जी का सारथी माना जाता है। इसे कहीं-कहीं वायु देवता व चंद्र देवता का वाहन भी बताया गया है।
- 26वीं अखिल भारतीय वन खेल-कूद प्रतियोगिताओं का मुख्य केंद्र पंचकूला के सेक्टर-3 में स्थित ताऊ देवी लाल स्टेडियम होगा। इस स्टेडियम में सभी प्रकार की दौड़ें पैदल चाल, बाधादौड़, चक्का फेंक, भाला फेंक, हैमर थ्रो लंबी कूद, ऊँची कूद, गोला फेंक, ट्रिपल जंप, इनडोर गेम्स जैसे कि बैडमिंटन, कैरम, टेबल टेनिस और चेस बास्केटबॉल, क्रिकेट, हॉकी, कबड्डी, वालीबॉल एवं रस्साकसी आयोजित होंगी।
- इसके आलावा, गोल्फ क्लब, सेक्टर-3 पंचकूला में गोल्फ तथा जिमखाना क्लब, सेक्टर -6 में लॉन टेनिस ब्रिज, स्नूकर, बिलियर्ड और स्क्वैश प्रतियोगिताएँ भी होंगी। तीरंदाजी पंजाब विश्वविद्यालय के खेलकूद मैदान में तथा शूटिंग प्रतियोगिता शूटिंग रेंज चंडीगढ़ में होगी। भारोतोलन प्रतियोगिता राजकीय महाविद्यालय सेक्टर-1 पंचकूला में आयोजित होगी।
- उपरोक्त सभी प्रतियोगिताओं में 285 तरह के खेल कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिसमें महिलाओं व पुरूषों के लिये ओपेन वेटेरन एवं सीनियर वेटेरन श्रेणी के लगभग 2500 प्रतियोगी हिस्सा लेंगे। ओपन श्रेणी में सभी भाग ले सकते हैं। वेटेरन व सीनियर वेटेरन श्रेणी 45 वर्ष से 52 वर्ष तक तथा सीनियर वेटेरन 52 वर्ष से ऊपर के प्रतियोगियों के लिये हैं जो 43 टीमों के रूप में 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों तथा 7 प्रतिशत संस्थाओं से आ रही हैं।
- आयोजन के लिये यातायात की व्यवस्था, खानपान, स्वागत, आवास एवं सफाई आदि के लिये अलग-अलग कमेटी का गठन किया जा चुका है। सभी खेल स्थलों को प्लास्टिक मुक्त रखा गया है और सभी जगह G-20 तथा लाइफ (लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) का लोगो भी अंकित किया जाएगा।
हरियाणा Switch to English
गुरुग्राम मेट्रो ने वर्ष 2022-23 में जनवरी तक कुल 34.24 करोड़ रुपए का राजस्व किया अर्जित
चर्चा में क्यों?
24 फरवरी, 2023 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल, जो एचएमआरटीसी के अध्यक्ष भी हैं, ने हरियाणा मास रैपिड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचएमआरटीसी) के निदेशक मंडल की 51वीं बैठक के दौरान बताया कि गुरुग्राम मेट्रो ने पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले वर्ष 2022-23 में जनवरी तक कुल 34.24 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया है।
प्रमुख बिंदु
- मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि वर्ष 2021-22 की जनवरी की अवधि तक 6.78 करोड़ का लाभ हुआ था, जो 405 प्रतिशत सुधार दर्शाता है।
- उन्होंने बताया कि सवारियों के साथ-साथ अन्य वाणिज्यिक और विपणन गतिविधियों में वृद्धि के कारण राजस्व में वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष 8500 यात्री प्रतिदिन की तुलना में इस वित्तीय वर्ष में दैनिक यात्रियों की संख्या भी 42000 प्रतिदिन हो गई है।
- मुख्य सचिव ने एचएमआरटीसी के पिछले दस महीनों के राजस्व प्रदर्शन को देखते हुए और यात्रियों को अंतिम मील कनेक्टिविटी प्रदान करके यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी करने तथा पार्किंग स्थल विकसित करके, विज्ञापन साइट की नीलामी/निविदा व किराया आदि के माध्यम से अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिये नए तरीके और साधन खोजने के लिये एक समिति गठित करने के भी निर्देश दिये।
- उन्होंने बताया कि बोर्ड ने एचएमआरटीसी द्वारा राजीव चौक से पंचगाँव तक मेट्रो कनेक्टिविटी की परियोजना को भी मंजूरी दी गई। 20 स्टेशनों के साथ एमआरटीएस की कुल लंबाई लगभग 35 किलोमीटर होगी।
- बैठक में बताया गया कि हुडा सिटी सेंटर से साइबर सिटी, गुरुग्राम तक 28.5 किलोमीटर लंबी मेट्रो परियोजना को भी पीएम गति शक्ति परियोजनाओं में शामिल किया गया है। यह परियोजना पहले से ही पीआईबी द्वारा अनुमोदित है और अब अंतिम अनुमोदन के लिये आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) के पास है।
- संजीव कौशल ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के साथ फरीदाबाद और गुरुग्राम के बीच मेट्रो कनेक्टिविटी को डबल डेकर वाया-डक्ट के लिये भी विचार किया जाएगा तथा एनसीटी दिल्ली सरकार से सराय-काले-खाँ (एसकेके)-शाहजहाँपुर-नीमराना-बहरोड़ (एसएनबी) और सराय-काले-खाँ (एसकेके)-पानीपत आरआरटीएस कॉरिडोर की डीपीआर की मंजूरी देने का अनुरोध किया जाएगा।
- ये परियोजनाएँ दैनिक यात्रियों के साथ-साथ आम जनता को कुशल और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन प्रणाली प्रदान करेंगी। इससे गुरुग्राम और इसके आस-पास के क्षेत्र में व्यावसायिक विकास को भी गति मिलेगी।
झारखंड Switch to English
राष्ट्रपति पुरस्कार के लिये कोडरमा के अरकोशा और कंझाटांड़ गाँवों का चयन
चर्चा में क्यों?
26 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड के कोडरमा ज़िले में संचालित जल शक्ति अभियान के तहत ‘कैच द रेन’ के लिये कोडरमा के जरगा पंचायत स्थित कंझाटांड़ और सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त ग्राम के लिये मरकच्चो के अरकोशा पुनर्वास गाँव का चयन राष्ट्रपति पुरस्कार के लिये किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- दोनों गाँवों को देश का प्रतिष्ठित पुरस्कार 3 और 4 मार्च को नयी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम के दौरान देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों मिलेगा।
- उल्लेखनीय है कि कोडरमा ज़िले के उपायुक्त आदित्य रंजन के नेतृत्व में ज़िला प्रशासन ने केंद्र और राज्य सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं को धरातल पर उतारने में महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
- ज़िले में नीलांबर पीतांबर जल समृद्धि योजना, बिरसा आम बागवानी योजना, कृषि विभाग से संचालित विभिन्न योजनाओं में कई उल्लेखनीय कार्य किया गया है। इसके अलावा जल शक्ति मंत्रालय पेयजल एवं स्वच्छता विभाग और जल संसाधन विभाग की योजनाओं का भी बेहतर तरीके से क्रियान्वयन किया जा रहा है।
- आगामी 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित स्वच्छता सुजल शक्ति सम्मान के लिये स्वच्छता, तरल कचरा प्रबंधन, ओडीएफ, प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, कैच द रैन आदि योजनाओं में बेहतर कार्य करने वाली महिला प्रतिनिधि स्वच्छ ग्राही नेचुरल लीडर को सम्मानित करने के लिये बीते 5 फरवरी को ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किया गया था। इसमें ज़िले से 4 प्रतिभागियों को नामित किया गया था।
- इन प्रतिभागियों में से जल शक्ति अभियान के तहत कैच द रेन और सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त ग्राम के लिये कंझाटांड़ और अरकोशा का चयन राष्ट्रपति पुरस्कार के लिये किया गया है।
झारखंड Switch to English
भारतीय महिला फुटबॉल टीम के राष्ट्रीय कैंप के लिये सिमडेगा की 2 महिला फुटबॉलर चयनित
चर्चा में क्यों?
26 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार अंडर-17 सैफ महिला फुटबॉल चैंपियनशिप 2023 के लिये भारतीय महिला फुटबॉल टीम के राष्ट्रीय कैंप के लिये सिमडेगा की दो महिला फुटबॉलरों (विकसित बाड़ा और सौलिना डांग) का चयन हुआ है।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि अंडर-17 सैफ महिला फुटबॉल चैंपियनशिप 2023 का आयोजन 20 से 29 मार्च तक बांग्लादेश में किया जाएगा।
- विदित है कि इस चैंपियनशिप के लिये 20 से 22 फरवरी तक मध्य प्रदेश के इंदौर में भारत के 100 से अधिक महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को ऑल इंडिया फुटबॉल महासंघ की ओर से ट्रायल लिया गया था, जिसमें 35 खिलाड़ियों का राष्ट्रीय कैंप के लिये चयन हुआ, जिसमें सिमडेगा की दो खिलाड़ी विकसित बाड़ा और सौलिना डांग भी शामिल हैं।
- दोनों खिलाड़ी संत पात्रिक आवासीय बालिका फुटबॉल प्रशिक्षण केंद्र गुमला में फुटबॉल कोच बीना के संरक्षण में ट्रेनिंग ले रही हैं।
- विकसित बाड़ा सिमडेगा के कोलेबिरा प्रखंड के रसिया के दोकाटोली की रहने वाली है, वहीं सौलिना डांग बानो प्रखंड की बांकी पंचायत के हेलगारहा की रहने वाली है।
- ज्ञातव्य है कि हॉकी सिमडेगा के अध्यक्ष मनोज कोनबेगी ने सिमडेगा की इन दोनों महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को कोरोना काल के समय आर्थिक रूप से एवं पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराकर मदद की गई थी।
- गौरतलब है कि रसिया की रहने वाली विकसित बाड़ा आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार की रहने वाली है तथा सौलिना डांग भी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र की रहने वाली है। खेतीबाड़ी के अलावा मज़दूरी कर परिवार का भरण-पोषण होता है।
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उत्तराखंड के ऊर्जा ज़रूरतों के आकलन की जिम्मेदारी अब अमेरिकी संस्था को
चर्चा में क्यों?
26 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2025 तक ऊर्जा ज़रूरतों के आकलन की जिम्मेदारी अमेरिकी संस्था मैकेंजी को सौंपी है।
प्रमुख बिंदु
- राज्य सरकार ने तय किया है कि राज्य को श्रेष्ठ बनाने के लिये 2025 तक की ऊर्जा ज़रूरतों को भी पूरा करने की आवश्यकता है। लिहाजा, हर क्षेत्र में बिजली की कुल ज़रूरत का आकलन करने की जिम्मेदारी मैकेंजी को दी गई है।
- राज्य सरकार प्रदेश को 2025 तक श्रेष्ठ राज्य बनाने के लिये प्रयासरत है। ऊर्जा भी इसका अहम हिस्सा है क्योंकि जल विद्युत परियोजनाओं से अपेक्षाकृत बिजली नहीं मिल पा रही है।
- अमेरिकी संस्था मैकेंजी प्रदेश के सभी पहलुओं पर बिजली की आवश्यकताओं को देखते हुए सरकार को रिपोर्ट देगी। संस्था यह भी सुझाएगी कि किस तरह से ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा किया जा सकता है।
- सरकार ने यह भी तय किया है कि सभी विभाग बताएंगे कि आने वाले समय में कितनी बिजली खपत होगी और वे कितनी बिजली बचाएंगे। बिजली बचाने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं, इसके लिये हितधारकों के साथ एक बैठक हो भी चुकी है।
- सरकार का फोकस है कि विभागों में सौर ऊर्जा जैसे विकल्प तैयार किये जाएँ, ताकि वह अपनी बिजली खुद पैदा करें और खुद इस्तेमाल करें।
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एकल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये योजनाओं पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देने की तैयारी
चर्चा में क्यों?
26 फरवरी, 2023 को उत्तराखंड की महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि राज्य सरकार एकल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये एक लाख रुपए तक की योजनाओं पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देने की तैयारी में है। विभाग की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि महिला दिवस (आठ मार्च) पर इसका एलान हो सकता है।
- एकल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये एक लाख रुपए तक की योजनाओं पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देने से पशुपालन, मत्स्य पालन, कंप्यूटर प्रशिक्षण, मसाला उद्योग, मिलेट्स सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्वरोज़गार के लिये बढ़ावा मिलेगा।
- रेखा आर्य ने बताया कि प्रदेश की 45 वर्ष तक की ऐसी महिलाएँ, जिसके पति की मौत हो गई है या फिर अविवाहित हैं और आर्थिक रूप से कमजोर हैं। ऐसी महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा। इसके लिये यह भी शर्त रखी गई है कि महिलाओं की मासिक आय छह हजार रुपए से अधिक न हो।
- विभागीय अधिकारियों के मुताबिक समाज कल्याण विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में एकल महिलाओं की संख्या साढ़े तीन लाख है। इसमें 45 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएँ भी शामिल हैं।
- विदित है कि राज्य में आर्थिक रूप से कमज़ोर महिलाओं की संख्या डेढ़ से दो लाख के बीच हो सकती है।
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काशी विश्वनाथ की तर्ज पर हरकी पौड़ी कॉरिडोर
चर्चा में क्यों?
26 फरवरी, 2023 को उत्तराखंड राज्य की धार्मिक नगरी हरिद्वार के ज़िलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने बताया कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर हरिद्वार की हरकी पौड़ी कॉरिडोर को भी विकसित किया जाएगा, जिसका निर्माण कार्य 2024 में शुरू होने की उम्मीद है। इसके लिये कैबिनेट ने संवैधानिक मंजूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- ज़िलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने बताया कि कॉरिडोर के काम अलग-अलग पाँच प्रोजेक्ट में चलेंगे।
- उन्होंने बताया कि कॉरिडोर विकसित करने के लिये आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोसल) बन गई है। मैकेनाइज संस्था कॉरिडोर के कार्यों को अंतिम रूप दे रही है। जल्द ही कॉरिडोर विकसित करने के लिये कंसल्टेंट की नियुक्ति की जाएगी तथा कंसल्टेंट द्वारा कॉरिडोर की डिजाइन और प्लानिंग का कार्य किया जाएगा। इसके बाद कॉरिडोर की डीपीआर बनाई जाएगी।
- विनय शंकर पांडे ने बताया कि हरकी पैड़ी कॉरिडोर की डीपीआर बनने के बाद और कॉरिडोर विकसित करने से पहले हरिद्वार में श्रीगंगा सभाव्यापार मंडल, साधु संत, अखाड़ों, मीडिया और समाजसेवियों से विचार-विमर्श किया जाएगा। विचार-विमर्श के बाद कार्य शुरू होगा।
- ज़िलाधिकारी ने बताया कि कॉरिडोर बनाने का मुख्य उद्देश्य हरिद्वार को खूबसूरत बनाना है, न कि लोगों को उजाड़ना। कॉरिडोर विकसित करने के लिये अतिक्रमण को तोड़ा जाएगा।
- उन्होंने बताया कि हरकी पैड़ी पहुँचने के लिये तीन मार्ग पड़ते हैं। भीमगोड़ा, अपर रोड और मोतीबाजार से होकर लोग हरकी पैड़ी पहुँचते हैं। इन मार्गों की दशा और दिशा दोनों सुधारने का कार्य किया जाएगा।
- कॉरिडोर के लिये हरकी पैड़ी, कनखल, सतीकुंड, संन्यास रोड, भूपतवाला क्षेत्र, भारतमाता मंदिर क्षेत्र, मनसा देवी मंदिर, चंडी देवी मंदिर आदि को विकसित करने की योजना है।
- हरकी पैड़ी क्षेत्र में काफी कार्य किये जाएंगे। बिजली और पानी की निकासी को भूमिगत किया जाएगा। जगह-जगह फव्वारे और परिदृश्य बनाए जाएंगे।
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