नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य | बिहार | 27 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
वन विभाग ने मौजूदा कानूनी जटिलताओं को दूर करने के लिये नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सीमाओं को संशोधित करना शुरू कर दिया है। यह पहल राजस्थान के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन की अध्यक्षता में जयपुर में आयोजित एक बैठक के दौरान शुरू हुई।
प्रमुख बिंदु
- बैठक में चर्चा:
- बैठक में निम्नलिखित के बीच असमानताओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया गया:
- अभयारण्य की मूल अधिसूचना 22 सितंबर 1980 को जारी की गई थी।
- 8 मार्च, 2019 को पारिस्थितिक-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) अधिसूचना जारी की गई।
- जयपुर चिड़ियाघर के उप वन संरक्षक (वन्यजीव) ने अभयारण्य की मूल सीमा का विवरण प्रस्तुत किया।
- वर्ष 1980 की अधिसूचना में केवल 11 GPS निर्देशांकों का उपयोग करके अभयारण्य की सीमाओं को परिभाषित किया गया था।
- वर्ष 2019 के ESZ मानचित्र में 100 संदर्भ बिंदु चिह्नित किये गए हैं, जिससे महत्त्वपूर्ण सीमा अंतर सामने आए हैं।
- इन विसंगतियों के परिणामस्वरूप कई कानूनी मामले और न्यायालयी चुनौतियाँ सामने आईं।
- अभयारण्य मानचित्र को संशोधित करने का निर्णय:
- प्राधिकारियों ने राजस्व अभिलेखों और 1980 की अधिसूचना के आधार पर अभयारण्य का संशोधित मानचित्र बनाने का निर्णय लिया ।
- जयपुर चिड़ियाघर के उप वन संरक्षक (वन्यजीव) को नया मानचित्र तैयार करने का कार्य सौंपा गया।
- मसौदा मानचित्र की समीक्षा एक समिति द्वारा की जाएगी और तत्पश्चात अनुमोदन के लिये राज्य सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा।
- पर्यावरण कार्यकर्त्ताओं का विरोध:
- पर्यावरण कार्यकर्त्ताओं ने अभयारण्य और ESZ मानचित्रों में विसंगतियों को उज़ागर किया है तथा वन विभाग पर गलत मानचित्र तैयार करने का आरोप लगाया है।
- लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज कराई गई, जिसने इस मुद्दे पर ध्यान दिया।
- वन प्राधिकारियों की प्रतिक्रिया:
- राजस्थान के मुख्य वन संरक्षक कार्यालय ने लोकायुक्त को जवाब देते हुए कहा:
- सात वर्ष बाद मानचित्रों पर सवाल उठाना अनुचित था।
- अभयारण्य और ESZ मानचित्र स्वीकृत और सटीक थे।
नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
- परिचय:
- यह राजस्थान के जयपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर अरावली पहाड़ियों में स्थित है।
- इसका नाम नाहरगढ़ किले के नाम पर रखा गया है, जो जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित 18वीं शताब्दी का किला था।
- इसका क्षेत्रफल 720 हेक्टेयर है।
- इसमें नाहरगढ़ जैविक उद्यान भी शामिल है, जो शेर सफारी के लिये प्रसिद्ध है।
- वनस्पति: इसमें शुष्क पर्णपाती वन, झाड़ियाँ और घास के मैदान शामिल हैं ।
- जीव-जंतु:
- स्तनधारी:
- पक्षी:
- पक्षी प्रेमियों के लिये यह एक स्वर्ग है, जहाँ मोर, उल्लू और ईगल जैसी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- सरीसृप एवं उभयचर:
- इंडियन रॉक अजगर और मॉनिटर लिज़ार्ड जैसे सरीसृपों का निवास स्थान।
- यहाँ मेंढक और टोड जैसे उभयचर प्राणी भी पाए जाते हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री ने ओलंपियन, पैरालंपिक एथलीटों को सम्मानित किया | बिहार | 27 Jan 2025
चर्चा में क्यों?
पटना के ताज सिटी सेंटर में स्पोर्टस्टार फोकस बिहार कॉन्क्लेव के दौरान, बिहार के मुख्यमंत्री ने एथलीटों और पैरा-एथलीटों को खेलों में उनकी उपलब्धियों और योगदान के लिये सम्मानित किया।
प्रमुख बिंदु
- सम्मानित किये गये खिलाड़ी:
- इस कार्यक्रम में उल्लेखनीय एथलीटों और पैरा-एथलीटों को सम्मानित किया गया, जिनमें शामिल हैं:
- दीपा मलिक, पैरालंपिक रजत पदक विजेता।
- विजेंदर सिंह, ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज।
- पी.आर. श्रीजेश, हॉकी में दोहरे ओलंपिक कांस्य पदक विजेता।
- शरद कुमार, दोहरे पैरालंपिक पदक विजेता।
- शिवा केशवन, छह बार के शीतकालीन ओलंपियन।
- हरेंद्र सिंह, भारतीय महिला हॉकी टीम के मुख्य कोच।
- राज्य एथलीटों के लिये विशेष पुरस्कार:
- स्पोर्टस्टार कॉन्क्लेव की परंपरा को ध्यान में रखते हुए, बिहार के एथलीटों को दो विशेष पुरस्कार दिये गए:
- डेकाथलीट जय प्रकाश सिंह को अनसंग चैंपियन पुरस्कार मिला।
- किशोर शतरंज प्रतिभा, मोहम्मद रेयान को यंग अचीवर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- दोनों पुरस्कार विजेताओं को 50-50 हजार रुपए का नकद पुरस्कार दिया गया।
पैरालिंपिक्स
- पैरालिंपिक्स पैरा एथलीटों के लिये सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय आयोजन है और यह ओलंपिक खेलों के तुरंत बाद आयोजित किया जाता है।
- विकलांग एथलीटों के लिये ओलंपिक शैली के खेल पहली बार वर्ष 1960 में रोम में आयोजित किये गये थे।
- इसकी देखरेख अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति (IPC) द्वारा की जाती है, जो IOC द्वारा मान्यता प्राप्त निकाय है।
h