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झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 27 Jan 2023
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झारखंड के डॉ. जानुम सिंह सोय पद्म श्री सम्मान के लिये चयनित

चर्चा में क्यों?

25 जनवरी, 2023 को राष्ट्रपति ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर वर्ष 2023 के लिये देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों ‘पद्म पुरस्कारों’की घोषणा की। इनमें झारखंड के डॉ. जानुम सिंह सोय को पद्म श्री अवार्ड के लिये चुना गया है।

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2023 के लिये, राष्ट्रपति ने तीन द्वय मामलों (एक द्वय मामले में, पुरस्कार को एक के रूप में गिना जाता है) सहित 106 पद्म पुरस्कार प्रदान करने की मंजूरी दी है।
  • सूची में 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। पुरस्कार पाने वालों की सूची में 19 महिलाएँ हैं और विदेशियों/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई की श्रेणी के 2 व्यक्ति और 7 मरणोपरांत पुरस्कार पाने वाले भी शामिल हैं।
  • झारखंड के कोल्हान विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रो. डॉ. जानुम सिंह सोय को ‘हो’भाषा के संरक्षण और संवर्धन में उल्लेखनीय योगदान के लिये पद्म श्री हेतु चयन किया गया है। डॉ. सोय पिछले चार दशक से ‘हो’भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में जुटे हैं। वे ‘हो’ जनजाति की संस्कृति और जीवनशैली पर छह पुस्तकें भी लिख चुके हैं।
  • गौरतलब है कि देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में पद्म पुरस्कार शामिल है। पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों- पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री के रूप में प्रदान किये जाते हैं। प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुरस्कारों की घोषणा की जाती है।
  • यह पुरस्कार कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल, सिविल सेवा आदि जैसे विभिन्न विषयों/गतिविधियों के क्षेत्रों में दिये जाते हैं।
  • असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिये ‘पद्म विभूषण’, उच्च स्तर की विशिष्ट सेवा के लिये ‘पद्म भूषण’और किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिये ‘पद्म श्री’से सम्मानित किया जाता है।
  • ये पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक समारोहों में प्रदान किये जाते हैं जो आमतौर पर हर साल मार्च/अप्रैल के आसपास राष्ट्रपति भवन में आयोजित किये जाते हैं। 

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झारखंड में मोटे अनाज की खेती को मिलेगा बढ़ावा

चर्चा में क्यों?

26 जनवरी, 2023 को झारखंड कृषि विभाग ने भारत सरकार के आदेश के आलोक में मोटे अनाज (मिलेट्स) को भी बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इसके लिये अब विभाग की इकाई समिति ने 10 करोड़ रुपए की योजना बनाई है।

प्रमुख बिंदु 

  • इस योजना में आने वाले सालों में झारखंड के विभिन्न ज़िलों में मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना तैयार की गई है। राज्य में मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने की पूरी संभावनाएँ हैं। यहाँ पहले कई प्रकार के मोटे अनाज उत्पन्न होते थे।
  • उल्लेखनीय है कि कृषि विभाग पिछले दो साल से अपने बड़े कार्यक्रम में मोटे अनाज के उत्पाद ही अतिथियों को परोसता है। कृषि विभाग की कार्यशाला में मडुआ की रोटी, मडुआ का पीठा, छिलका रोटी आदि परोसा जाता है।
  • कृषि विभाग मोटे अनाज की उपयोगिता और संभावना पर राज्य से लेकर प्रखंड स्तर पर सेमिनार का आयोजन करेगा।
  • ज्ञातव्य है कि भारत सरकार वर्ष 2023 को मिलेट्स ईयर के रूप में मना रहा है। इसको देखते हुए राज्य सरकार ने भी योजना तैयार की है। इसमें मोटे अनाज पर काम करने वाले विशेषज्ञों की राय भी ली जाएगी।
  • झारखंड में रागी उत्पादन की अच्छी संभावना है। एपिडा की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में 15 हज़ार टन के करीब रागी का उत्पादन होता है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में यहाँ 18 हज़ार टन के करीब उत्पादन हुआ था। ज्वार का भी उत्पादन करीब एक हज़ार टन हो रहा है। यह तब हो रहा है, जब सरकार की प्राथमिकता सूची में यह नहीं था।
  • इकाई समिति के निदेशक अजय कुमार ने बताया कि राज्य में वर्षों पहले से मोटे अनाज की खेती होती थी। यहाँ के जनजातीय समुदाय मोटे अनाज की भरपूर की खेती करते थे। बाज़ार नहीं होने के कारण इसको बढ़ावा नहीं मिल सका।
  • उन्होंने बताया कि अब मोटे अनाज को बाज़ार की दिक्कत नहीं है। यह बाज़ार में काफी महंगा भी बिक रहा है। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि यह पूरी तरह आर्गेनिक फसल है। इसमें कीटनाशक की ज़रूरत नहीं होती है और यह कम पानी में तैयार हो जाता है।
  • विदित है कि झारखंड में समय-समय पर सूखा पड़ जाता है। इसको देखते हुए झारखंड के लिये मोटे अनाज की खेती काफी कारगर साबित होगी।

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