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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 हरियाणा में लिंगानुपात में 57 अंकों की वृद्धि
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2020-2021) के आँकड़ों के अनुसार हरियाणा में लिंगानुपात में 57 अंकों की वृद्धि दर्ज़ की गई है।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (2015-2016) के अनुसार प्रदेश में बच्चों के जन्म के समय लिंग अनुपात 836 था और अब राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2020-2021) में यह 57 अंक की बढ़ोतरी के साथ 893 हो गया है।
- राज्य में लिंग निर्धारण परीक्षण करने वाले नैदानिक केंद्रों आदि की पहचान करने के लिये स्वयंसेवकों का सहयोग लिया गया। इस संबंध में सटीक जानकारी देने वाले मुखबिरों को एक लाख रुपये की राशि प्रोत्साहन के रूप में देने का निर्णय लिया गया।
- उल्लेखनीय है कि नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) के अनुसार दिसंबर, 2014 में हरियाणा में जन्म के समय लिंगानुपात 871 था, जो दिसंबर, 2020 में बढकर 922 हो गया था।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जनवरी 2015 में हरियाणा की धरती पानीपत से शुरू किये गए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का राज्य में सकारात्मक परिणाम सामने आ रहा है जिससे पिछले 5 वर्षों में 57 अंकों की बढ़ोतरी के साथ लिंगानुपात में काफी सुधार हुआ है।
- इस अभियान की शुरुआत के बाद से ही प्रदेश में लिंगानुपात बढ़ाने और कन्या भ्रूण हत्या की संभावना को पूरी तरह से मिटाने के लिये सक्रिय उपाय किये गए। प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीएनडीटी) व एमटीपी अधिनियम के तहत व्यापक स्तर पर कदम उठाए गए।
- इसके अलावा, हॉकी और कुश्ती जैसे खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली महिला खिलाड़ियों ने भी लोगों की मानसिकता को बदलने के लिये व्यापक प्रभाव डाला है और इससे भी लिंग-अनुपात में वृद्धि होना संभव हो पाया।
- लाडली, आपकी बेटी-हमारी बेटी जैसी अन्य पहलों ने भी लिंगानुपात को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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