न्यू ईयर सेल | 50% डिस्काउंट | 28 से 31 दिसंबर तक   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 26 Nov 2021
  • 1 min read
  • Switch Date:  
उत्तर प्रदेश Switch to English

प्रधानमंत्री ने किया एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट का शिलान्यास

चर्चा में क्यों?

25 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के जेवर में एशिया के सबसे बड़े नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Noida International Airport) का शिलान्यास किया।

प्रमुख बिंदु 

  • यह एयरपोर्ट विश्व का चौथा सबसे बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और उत्तर प्रदेश का 5वाँ इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा। वहीं दिल्ली एनसीआर में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) के बाद यह दूसरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा।
  • नोएडा एयरपोर्ट को ज्यूरिख एअरपोर्ट इंटरनेशनल (Zurich Airport International AG) द्वारा तैयार किया जा रहा है।
  • पहले चरण में नोएडा एयरपोर्ट को 1300 हेक्टेयर ज़मीन पर 10,050 करोड़ रुपए की लागत से वर्ष 2024 तक तैयार किया जाएगा। पहला चरण पूरा होने पर नोएडा एयरपोर्ट की क्षमता 1.2 करोड़ यात्रियों की होगी। 
  • नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अडन्न की सीओओ किरण जैन ने कहा कि हवाई अड्डे को एक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन हवाई अड्डा बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है और सितंबर/अक्टूबर 2024 तक परिचालन शुरू करने का लक्ष्य है।
  • नोएडा एयरपोर्ट पर ग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन सेंटर भी होगा जिसमें मल्टीमाडल ट्रांजिट हब, हाउसिंग मेट्रो, हाई स्पीड रेल स्टेशन, टैक्सी, बस सर्विस और प्राइवेट पार्किंग जैसी सुविधाएँ मौजूद होंगी। इन सुविधाओं के चलते सड़क, रेल और मेट्रो के जरिये एयरपोर्ट तक बिना रोक-टोक कनेक्टिविटी की सुविधा होगी। मेट्रो सेवा के जरिये नोएडा और दिल्ली एयरपोर्ट को जोड़ा जाएगा।
  • इस एयरपोर्ट पर स्टेट ऑफ आर्ट MRO (Maintenance, Repair & Overhauling) सर्विस भी उपलब्ध होगी। एयरपोर्ट को इस प्रकार से डिजाइन किया गया कि इससे ऑपरेटिंग खर्चों को कम रखा जा सकेगा एवं यात्रियों के ट्रांसफर प्रोसेस को शीघ्रता से किया जा सकेगा।  
  • आसपास की सड़कों, हाईवे जैसे यमुना एक्सप्रेस-वे, वेस्टर्व फेरिफेरल, ईस्टर्न फेरिफेरल, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे और दूसरे हाईवे को भी एयरपोर्ट से सीधा कनेक्ट किया जाएगा। एयरपोर्ट को दिल्ली-वाराणसी के बीच प्रस्तावित हाई स्पीड रेल से भी जोड़ा जाएगा, जिससे दिल्ली और नोएडा एयरपोर्ट की दूरी 21 मिनट में पूरी की जा सकेगी.
  • यह एयरपोर्ट स्विंग एयरक्राफ्ट स्टैंड कांसेप्ट के तहत तैयार किया जाएगा जिससे एयरलाइंस उसी contact stand से विमान की पोजीशन को बदले बिना घरेलू और इंटरनेशनल फ्लाइट्स को ऑपरेट कर सकेंगे। इससे एयरक्रॉफ्ट के टर्नअराउंड को जल्दी और आसानी से तथा यात्रियों के ट्रांसफर प्रोसेस को जल्दी से पूरा किया जा सकेगा। 
  • नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर्यावरण के लिहाज से देश का पहला नेट जीरो एमिसन एअरपोर्ट होगा। पास की जमीन पर पेड़ों को लगाकर फारेस्ट पार्क तैयार किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश Switch to English

निर्यात नीति उत्तर प्रदेश 2020-25

चर्चा में क्यों?

25 नवंबर, 2021 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद ने निर्यात नीति उत्तर प्रदेश 2020-25 के प्रख्यापन का निर्णय लिया है। पहली बार इतनी विस्तृत निर्यात नीति का प्रख्यापन किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • इस नीति का उद्देश्य निर्यात के क्षेत्र में विकास एवं प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, निर्यात सहायक संस्थाओं को निर्यात संबंधी आवश्यक सहायता व सेवा प्रदान करना, राज्य से निर्यात में वृद्धि हेतु तकनीकी एवं भौतिक अवसंरचनाओं की स्थापना एवं विकास, निर्यात को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उद्योगों के निर्यात सामर्थ्य के विकास हेतु आवश्यक समर्थन प्रदान करना, स्थानीय/देश में निर्मित उत्पादों हेतु वैश्विक बाज़ार में उपलब्ध अवसरों का चिन्हांकन करना तथा निर्यात संबंधी सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं को अंगीकृत करते हुए क्षमता विकास को प्रोत्साहित करना है।
  • निर्यात नीति उत्तर प्रदेश 2020-25 के फोकस क्षेत्र हस्तशिल्प, कृषि एवं प्रसस्कृत खाद्य उत्पाद, इंजीनियरिंग गुड्स एंड टेक्सटाइल, चर्म उत्पाद, कालीन एवं दरियाँ, ग्लास एवं सिरेमिक उत्पाद, काष्ठ उत्पाद, स्पोर्ट्स गुड्स, रक्षा उत्पाद, सेवा क्षेत्र, शिक्षा पर्यटन, आई.टी. एवं आई.टी.ई.एस., मेडिकल वेल्यू ट्रेवल्स तथा लॉजिस्टिक्स हैं।
  • निर्यात नीति 2020-25 के अंतर्गत पात्र इकाइयों को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं तथा अन्य आनुषंगिक क्रिया-कलापों पर होने वाला व्यय बजट में प्रावधानित धनराशि की सीमा के अंतर्गत रखा जाएगा।
  • प्रदेश के प्रत्येक जनपद में क्लस्टर आधारित विशेष आर्थिक परिक्षेत्र में विकसित की जाने वाली अवस्थापना सुविधाओं का विकास कार्य उत्तर प्रदेश निर्यात अवस्थापना विकास योजना हेतु प्रावधानित धनराशि से वित्त पोषित किया जाएगा।
  • उत्तर प्रदेश निर्यात प्रोत्साहन नीति 2020-25 कृषकों की आय को दोगुना करने तथा कृषि क्षेत्र से निर्यात को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से उन सभी अवयवों को अंगीकृत कर सकेगी, जो उत्तर प्रदेश कृषि प्रोत्साहन नीति -2019 से अनाच्छादित हैं।
  • नीति के अनुसार पशु क्रय-विक्रय हेतु ई-हाट पोर्टल विकसित किया जाएगा। खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित निर्यातक इकायों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता सुनिश्चित किये जाने हेतु विशेष सेवाओं के हायर किये जाने पर वित्तीय सहायता का प्रावधान नीति में किया गया है।
  • प्रदेश में प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों की उपलब्धता तथा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में उपलब्ध अवसरों, प्रदेश में विद्यमान संभावनाओं का उपयोग, युवाओं के लिये रोज़गार सृजन, निर्यात की दिशा में त्वरित वृद्धि, प्रदेश में निर्यात-परक, प्रोत्साहन वातावरण का सृजन इत्यादि के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश निर्यात नीति 2020-25 के प्रख्यापन का निर्णय लिया गया है।

बिहार Switch to English

राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 : बिहार में लिंगानुपात में उल्लेखनीय सुधार

चर्चा में क्यों?

24 नवंबर, 2021 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा जारी राष्ट्रीय पारिवारिक सर्वेक्षण-5 के अनुसार बिहार के लिंगानुपात में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। यह 2015-16 के सर्वेक्षण (NHFS-4) के 1062 से बढ़कर 1090 हो गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • बिहार में लिंगानुपात (प्रति हज़ार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या) बढ़कर 1090 हो गया है, जो पिछले सर्वेक्षण (NFHS-4 2016-16) में 1062 था।
  • बिहार के शहरी क्षेत्रों का लिंगानुपात जहाँ केवल 982 है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों का लिंगानुपात 1111 है।
  • सर्वेक्षण के अनुसार, बिहार के 15-49 आयु वर्ग की महिलाओं में साक्षरता दर केवल 55 प्रतिशत है, जो चिंता का कारण बना हुआ है।
  • बिहार में शिशु मृत्यु दर पिछले सर्वेक्षण के 48.1 से घटकर 46.8 (प्रति हज़ार) हो गया है।
  • बिहार में परिवार नियोजन के मामले में जबरदस्त सुधार हुआ है। NFHS-4 के अनुसार बिहार के 15-49 वर्ष आयु श्रेणी की महिलाओं में केवल 24.1 प्रतिशत महिलाओं ने परिवार नियोजन किया था, जो NFHS-5 में बढ़कर 55.8 प्रतिशत हो गया है।
  • वहीं बिहार के 15-49 वर्ष की 63.5 प्रतिशत महिलाएँ एनिमिया की शिकार हैं, जो पिछले सर्वेक्षण में 60.3 प्रतिशत थी।
  • बिहार में कुल प्रजनन दर भी पिछले सर्वेक्षण के 3.4 से घटकर 3.0 (बच्चे/स्त्री) हो गई है।

बिहार Switch to English

एस.डी.जी. शहरी सूचकांक, 2021 में पटना का खराब प्रदर्शन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘नीति आयोग’के द्वारा सतत् विकास लक्ष्य (SDG) शहरी सूचकांक जारी किया गया, जिसमें बिहार की राजधानी पटना का प्रदर्शन निराशाजनक है। पटना को 56 शहरों में 52वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। इसमें पटना को परफॉर्मर श्रेणी (50-64) में रखा गया है।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि नीति आयोग द्वारा प्रथम बार इस प्रकार के सतत् विकास लक्ष्य के अंतर्गत शहरी इंडेक्स जारी किया गया है। 
  • इंडेक्स में देश के 56 नगरीय क्षेत्रों को 77 सूचकांकों में प्राप्त की गई प्रगति के आधार पर रैंकिंग दी गई है, जिसमें सर्वाधिक 75.5 अंक प्राप्त कर शिमला प्रथम रैंक पर है। इस सूचकांक में पटना को कुल 57.29 स्कोर प्राप्त हुआ है।
  • इस सूचकांक में शहरों को कुल 4 श्रेणियों में बाँटा गया है- (I) अचीवर (100 अंक), (II) फ्रंट रनर (65-99 अंक), (III) परफॉर्मर (50-64 अंक) तथा (IV) एसपीरेंट (0-49 अंक)।
  • सतत विकास लक्ष्य (SDG) - 1 (शून्य गरीबी) की प्राप्ति के मामले में पटना को केवल 45 स्कोर प्राप्त हुआ है। जबकि एसडीजी लक्ष्य 8 को प्राप्त करने के मामले में पटना ने सबसे खराब प्रदर्शन किया है। इसमें पटना का स्कोर केवल 17 है।
  • एसडीजी-12 (सतत् उपभोग एवं उत्पादन प्रतिरूप सुनिश्चित करना) को प्राप्त करने के मामले में पटना ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 100 स्कोर प्राप्त किया है
  • गौरतलब है कि संयुत्त राष्ट्र संघ द्वारा सतत् विकास को सुनिश्चित करने हेतु 17 एसडीजी लक्ष्य निर्धारित किये गए है। एसडीजी के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु देश तथा राज्य प्रतिबद्ध हैं।

मध्य प्रदेश Switch to English

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे -5 में मध्य प्रदेश की उल्लेखनीय प्रगति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के आँकड़ों में प्रदेश ने वर्ष 2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 के मुकाबले अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है।

प्रमुख बिंदु

  • नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में शिशु लिंगानुपात बेहतर होकर वर्ष 2020-21 में 956 पर पहुँच गया है, जबकि वर्ष 2015-16 में यह 927 थी। वहीं कुल लिंगानुपात में भी सुधार हुआ है। वर्ष 2015 -16 में यह 948 थीं जो बढ़कर अब 970 हो गया है।
  • एनएफएचएस-5 के आँकड़ों में प्रदेश में 5 वर्ष तक आयु वर्ग के बच्चों में सभी प्रकार के कुपोषण की दरों में कमी आई है। प्रदेश में एनएफएचएस-4 वर्ष 2015-16 की तुलना में सर्वे-5 में राष्ट्रीय औसत से भी अधिक सुधार हुआ है।
  • प्रदेश में विभागीय योजनाओं के समन्वित एवं प्रभावी क्रियान्वयन से अति गंभीर कुपोषण दर में 29.3 प्रतिशत की कमी आई है। देश के अन्य प्रदेशों की तुलना में मध्य प्रदेश की स्थिति में 13 रैंक का सुधार हुआ है। इस सर्वे में मध्य प्रदेश 30वें स्थान से 17वें स्थान पर आ गया है। जहाँ देश में अति गंभीर कुपोषण दर 2.7 प्रतिशत बढ़ा है, वहीं मध्य प्रदेश में 29.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज़ हुई है।
  • दुबलेपन (वेस्टिंग) में प्रदेश अन्य राज्यों में सुधार के क्रम में तीसरे स्थान पर है। देश में 8.1 प्रतिशत का सुधार हुआ है, जबकि मध्य प्रदेश में 26.4 प्रतिशत का सुधार हुआ है। एनएफएचएस-4 में प्रदेश 32वें स्थान पर था, जो अब 24वें स्थान पर आ गया है। 
  • कम वज़न (अंडरवेट) श्रेणी में सुधार में प्रदेश देश में द्वितीय स्थान पर है। देश में 10.3 प्रतिशत का सुधार हुआ है, जबकि मध्य प्रदेश में 22.9 प्रतिशत का सुधार हुआ है। एनएफएचएस-4 में प्रदेश 33वें स्थान पर था, अब 31वें स्थान पर आ गया है।
  • ठिगनेपन (स्टंटिंग) में अधिकतम सुधार करने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश छठवें नंबर पर है। देश में 7.8 प्रतिशत का सुधार हुआ है, जबकि प्रदेश में 15 प्रतिशत का सुधार हुआ है। एनएफएचएस-4 में प्रदेश 32वें स्थान पर था, जो अब 30वें स्थान पर आ गया है।
  • बाल विवाह की दर में देश में 13.1 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि मध्य प्रदेश में 28.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। 
  • इसके अतिरिक्त जन्म के समय लिंगानुपात में देश में 1.1 प्रतिशत का सुधार हुआ, जबकि मध्य प्रदेश में 3.1 प्रतिशत का सुधार दर्ज़ हुआ है।

मध्य प्रदेश Switch to English

मध्यप्रदेश में स्थापित होंगे 1500 मेगावाट के तीन सौर ऊर्जा प्लांट

चर्चा में क्यों?

25, नवंबर, 2021, को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने शाजापुर में 5250 करोड़ रुपए की लागत के 1500 मेगावाट क्षमता वाले आगर, शाजापुर और नीमच के सौर ऊर्जा पार्क के क्रय अनुबंध पर चयनित विकासकों के साथ हस्ताक्षर कर भूमि-पूजन किया।

प्रमुख बिंदु

  • मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम और सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) की संयुक्त कंपनी रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड द्वारा प्रदेश में आगर (550 मेगावाट), शाजापुर (450 मेगावाट) और नीमच (500 मेगावाट) में सौर परियोजनाएँ विकसित की जा रही हैं।
  • 1500 मेगावाट की इन सौर परियोजनाओं में आगर ज़िले में 550 मेगावाट की 2 यूनिट (350+200), शाजापुर ज़िले में 450 मेगावाट की 3 यूनिट (105+220+125) और नीमच ज़िले में 500 मेगावाट की क्षमता की 3 यूनिट (170+160+170 मेगावाट) स्थापित की जाएंगी। इन परियोजनाओं में मार्च 2023 से विद्युत उत्पादन प्रारंभ हो जाएगा।
  • परियोजना स्थापना के दौरान तकरीबन 4500 और परियोजना संचालन में लगभग 450 व्यक्तियों को रोज़गार मिलेगा। सौर ऊर्जा से विद्युत प्रारंभ होने से राज्य डिस्काम कंपनी को 25 सालों में लगभग 7600 करोड़ रुपए की बचत होगी।
  • इसके साथ ही प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाअभियान योजना-‘अ’ (प्रधानमंत्री ‘कुसुम-अ’) योजना में किसानों और विकासकों का प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनी के साथ ऊर्जा क्रय अनुबंध पर भी हस्ताक्षर किये गए।
  • किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आत्म-निर्भर बनाने में सहायक हो रही इस योजना में किसान अपनी अनुपयोगी भूमि पर 500 किलोवाट से 2 मेगावाट तक की क्षमता के अक्षय ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर सकेंगे। किसान यह ऊर्जा प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनी को बेच भी सकेंगे। संयंत्र स्थापना के लिये पर्याप्त धनराशि न होने पर किसान अपनी भूमि को विकासकों को लीज पर देकर संयंत्र स्थापित कर सकेंगे।
  • इस योजना में केंद्र शासन द्वारा प्रदेश को कुल 300 मेगावाट का लक्ष्य आवंटित किया गया है। लक्ष्य के विरुद्ध प्रदेश में प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया के माध्यम से अब तक 296 मेगावाट क्षमता के लिये 140 किसान और विकासकों का चयन सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापना के लिये किया गया है।
  • इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऊर्जा के क्षेत्र में जन-जागरूकता के उद्देश्य से चलाए जाने वाले ऊर्जा साक्षरता अभियान ‘ऊषा’का शुभारंभ किया। इस अभियान में मध्य प्रदेश के छात्र-छात्राओं और नागरिकों को ऊर्जा और सौर ऊर्जा के प्रति जागरूक करने के साथ ही विभिन्न लाभों के बारे में बताया जाएगा। श्रेणीगत प्रशिक्षण के माध्यम से इसमें चरणबद्ध सर्टिफिकेशन का भी प्रावधान किया गया है।

हरियाणा Switch to English

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 हरियाणा में लिंगानुपात में 57 अंकों की वृद्धि

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2020-2021) के आँकड़ों के अनुसार हरियाणा में लिंगानुपात में 57 अंकों की वृद्धि दर्ज़ की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (2015-2016) के अनुसार प्रदेश में बच्चों के जन्म के समय लिंग अनुपात 836 था और अब राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2020-2021) में यह 57 अंक की बढ़ोतरी के साथ 893 हो गया है।
  • राज्य में लिंग निर्धारण परीक्षण करने वाले नैदानिक केंद्रों आदि की पहचान करने के लिये स्वयंसेवकों का सहयोग लिया गया। इस संबंध में सटीक जानकारी देने वाले मुखबिरों को एक लाख रुपये की राशि प्रोत्साहन के रूप में देने का निर्णय लिया गया।
  • उल्लेखनीय है कि नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) के अनुसार दिसंबर, 2014 में हरियाणा में जन्म के समय लिंगानुपात 871 था, जो दिसंबर, 2020 में बढकर 922 हो गया था।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जनवरी 2015 में हरियाणा की धरती पानीपत से शुरू किये गए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का राज्य में सकारात्मक परिणाम सामने आ रहा है जिससे पिछले 5 वर्षों में 57 अंकों की बढ़ोतरी के साथ लिंगानुपात में काफी सुधार हुआ है।
  • इस अभियान की शुरुआत के बाद से ही प्रदेश में लिंगानुपात बढ़ाने और कन्या भ्रूण हत्या की संभावना को पूरी तरह से मिटाने के लिये सक्रिय उपाय किये गए। प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीएनडीटी) व एमटीपी अधिनियम के तहत व्यापक स्तर पर कदम उठाए गए।
  • इसके अलावा, हॉकी और कुश्ती जैसे खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली महिला खिलाड़ियों ने भी लोगों की मानसिकता को बदलने के लिये व्यापक प्रभाव डाला है और इससे भी लिंग-अनुपात में वृद्धि होना संभव हो पाया।
  • लाडली, आपकी बेटी-हमारी बेटी जैसी अन्य पहलों ने भी लिंगानुपात को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

झारखंड Switch to English

पुस्तक ‘द पीपुल्स लीडर’का विमोचन

चर्चा में क्यों? 

25 नवंबर, 2021 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने झारखंड मंत्रालय स्थित सभाकक्ष में राज्य के पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक सरयू राय की जीवनी पर आधारित पुस्तक ‘द पीपुल्स लीडर’का विमोचन किया।

प्रमुख बिंदु 

  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायक सरयू राय द्वारा लिखी गई पुस्तकें राज्य सरकार को एक बेहतर प्रबंधन के साथ आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करती हैं।
  • इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि कृतज्ञ समाज का उत्तरदायित्व है कि जो लोग अच्छे कार्य करते हैं उनके कार्यों की जानकारी जन-जन तक पहुँचानी चाहिये। 
  • उन्होंने कहा कि विधायक सरयू राय ने हमेशा अच्छे कार्य किये हैं। उन्होंने एकला चलो की राह को अपनाते हुए अपनी नीति और सिद्धांत के साथ कभी समझौता नहीं किया।
  • इस अवसर पर ‘द पीपुल्स लीडर’पुस्तक के लेखक विवेकानंद झा ने बताया कि सरयू राय से संबंधित व्यत्तिगत, सामाजिक, राजनीतिक जीवन के कई अनछुए पहलुओं को इस पुस्तक में दर्शाया गया है। 
  • वर्ष 1974 छात्र आंदोलन, आपातकाल में भूमिका, राजनीति में पदार्पण, विभिन्न मुद्दों पर मतभेद, घोटालों को उजागर करने की भूमिका से लेकर कई अन्य घटनाओं का जिक्र इस पुस्तक में किया गया है। 

छत्तीसगढ़ Switch to English

नीति आयोग द्वारा सतत् विकास लक्ष्य शहरी इंडेक्स जारी : रायपुर नगरीय क्षेत्र फ्रंट रनर

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी ‘सतत् विकास लक्ष्य शहरी इंडेक्स’में छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर नगरीय क्षेत्र को ‘फ्रंट रनर’की श्रेणी में रखा गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • उल्लेखनीय है कि नीति आयोग द्वारा प्रथम बार इस प्रकार के सतत् विकास लक्ष्य के अंतर्गत शहरी इंडेक्स को जारी किया गया है। 
  • इंडेक्स में देश के 56 नगरीय क्षेत्रों को 77 सूचकांको में प्राप्त की गई प्रगति के आधार पर रैंकिंग दी गई है, जिसमें सर्वाधिक 75.5 अंक प्राप्त कर शिमला प्रथम रैंक पर है। रायपुर ने 67.36 अंक प्राप्त कर 20वीं रैंक प्राप्त की है। 
  • छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस इंडेक्स में रायपुर शहर का स्कोर व रैंक अनेक बड़े व प्रमुख शहरों जैसे- मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, भुवनेश्वर, लखनऊ, प्रयागराज, रांची, इंदौर से बेहतर है।
  • गौरतलब है कि संयुत्त राष्ट्र संघ द्वारा सतत् विकास को सुनिश्चित करने हेतु 17 एसडीजी लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं। एसडीजी के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु देश तथा राज्य प्रतिबद्ध हैं। 
  • राज्य स्तर पर इन लक्ष्यों के अंतर्गत प्राप्त प्रगति के मूल्यांकन हेतु राज्य योजना आयोग द्वारा ‘एस.डी.जी. स्टेट इंडिकेटर फ्रेमवर्क’एवं ‘एस.डी.जी. बेसलाईन एवं प्रोग्रेस रिपोर्ट’ तैयार की गई है, जिसे छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 12 जुलाई 2021 को जारी किया गया है। इस फ्रेमवर्क के आधार पर विभागों द्वारा सतत् अनुश्रवण व अनुशीलन रायपुर शहर की इस उपलब्धि में सहायक रहा है।
  • ‘सतत् विकास लक्ष्य शहरी इंडेक्स’में रायपुर शहर को एस.डी.जी. गोल 12 (रिस्पोंसिबल प्रोडक्शन एंड कंजंप्शन) में सर्वाधिक 86 अंक, गोल 4 (क्वालिटी एजुकेशन) तथा गोल 6 (क्लीन वाटर एंड सेनिटेशन) में 79 अंक प्राप्त हुए हैं। 
  • इसके साथ ही गोल 7 (अर्फोडेबल एंड क्लीन एनर्जी), गोल 9 (इंडस्ट्री, इनोवेशन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर), गोल 11 (सटेनेबल सिटीज एंड कम्युनिटीज), गोल 13 (क्लाईमेट एक्शन) तथा गोल 16 (पीस, जस्टिस एंड स्ट्रोंग इंस्टीट्यूशन) में भी अच्छा स्कोर प्राप्त हुआ है, जिसके कारण रायपुर को ‘फ्रंट रनर’की श्रेणी में रखा गया है। 

उत्तराखंड Switch to English

नीति आयोग के एसडीजी अर्बन इंडेक्स में देहरादून का प्रदर्शन खराब

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी पहले ‘सतत् विकास लक्ष्य शहरी सूचकांक’में उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी देहरादून ने खराब प्रदर्शन किया है। यह 63.71 अंकों के साथ देश के 56 शहरों में 35वें स्थान पर तथा ‘परफॉर्मर’की श्रेणी में है। 

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि नीति आयोग द्वारा प्रथम बार इस प्रकार के सतत् विकास लक्ष्य के अंतर्गत शहरी इंडेक्स जारी किया गया है। 
  • इंडेक्स में देश के 56 नगरीय क्षेत्रों को 77 सूचकांकों में प्राप्त की गई प्रगति के आधार पर रैंकिंग दी गई है, जिसमें सर्वाधिक 75.5 अंक प्राप्त कर शिमला प्रथम रैंक पर है। 
  • शहरों को 100 में से प्राप्त स्कोर के आधार पर विभाजित किया गया है। 65 और 99 के बीच स्कोर प्राप्त करने वाले शहरों को ‘फ्रंट-रनर ’, 50 और 64 के बीच स्कोर वाले शहरों को ‘परफॉर्मर’ तथा  50 से कम स्कोर वाले शहरों को ‘एस्पिरेंट्स’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वहीं 100 अंकों वाले शहर को ‘अचीवर’की श्रेणी में रखा गया है।
  • अच्छे स्वास्थ्य और भलाई, गरीबी नहीं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, सस्ती और हरित ऊर्जा जैसे 14 स्थायी लक्ष्यों के आधार पर शहरों को अंक दिये गए। इन स्थायी लक्ष्यों में, देहरादून ने तीन श्रेणियों- शून्य भूख, उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढाँचे और जलवायु कार्रवाई में क्रमश: 45, 47 और 31 अंकों के साथ खराब प्रदर्शन किया है।
  • देहरादून ने पाँच श्रेणियों - कोई गरीबी नहीं, अच्छा स्वास्थ्य व भलाई, अच्छा काम व आर्थिक विकास, असमानताओं में कमी और स्थायी शहर व समुदाय में 52 से 59 अंक हासिल किये। जबकि शेष सात वर्गों में किफायती और स्वच्छ ऊर्जा श्रेणी में सबसे ज्यादा अंक के साथ 72 से 96 अंक हासिल किये हैं।
  • गौरतलब है कि संयुत्त राष्ट्र संघ द्वारा सतत् विकास को सुनिश्चित करने हेतु 17 एसडीजी लक्ष्य निर्धारित किये गए है। एसडीजी के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु देश तथा राज्य प्रतिबद्ध हैं।

 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2