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स्टेट पी.सी.एस.

  • 26 Oct 2022
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उत्तर प्रदेश Switch to English

नोएडा एयरपोर्ट पर देश के सबसे बड़े मेंटेनेंस, रिपेयरिंग और ओवरहालिंग (एमआरओ) के निर्माण का रास्ता साफ

चर्चा में क्यों?

25 अक्तूबर, 2022 को जेवर में बन रहे क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया के चौथे सबसे बड़े एयरपोर्ट के दूसरे चरण के निर्माण के लिये मार्ग पूरी तरह से प्रशस्त हो गया है। इससे नोएडा एयरपोर्ट पर देश के सबसे बड़े मेंटेनेंस, रिपेयरिंग और ओवरहालिंग (एमआरओ) के निर्माण का रास्ता भी साफ हो गया है।

प्रमुख बिंदु

  • पहले चरण के निर्माण लिये 1334 हेक्टेयर भूमि पूर्व में अधिग्रहण हो चुका है। इस पर निर्माण कार्य शुरू है। दूसरे चरण के निर्माण के लिये भूमि न मिलने की बाधा थी, पर उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों से छह गाँवों के किसान अपनी 1365 हेक्टेयर भूमि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (नियाल) को देने को तैयार हो गए हैं।
  • नए भूमि अधिग्रहण कानून के हिसाब से किसी भी परियोजना के लिये भूमि अधिग्रहण हेतु प्रभावित होने वाले 70 प्रतिशत किसानों की सहमति ज़रूरी है। 7164 किसानों में से करीब 80 प्रतिशत ने अपनी मंज़ूरी दे दी है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. (नियाल) के पास अब 2699 हेक्टेयर भूमि हो जाएगी।
  • एयरपोर्ट के लिये कुल 6200 हेक्टेयर भूमि आरक्षित है। क्षेत्रफल के मामले में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। इससे पहले किंग फहद इंटरनेशनल एयरपोर्ट सऊदी अरब, डेनवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट व डलास इंटरनेशनल एयरपोर्ट अमेरिका आदि तीन एयरपोर्ट ही क्षेत्रफल के मामले में सबसे बड़े हवाई अड्डों में शुमार थे। हालाँकि, रनवे के मामले में दूसरे अन्य एयरपोर्ट बड़े हैं। यहाँ कुल पाँच रनवे बनने हैं।
  • उल्लेखनीय है कि जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण अलग-अलग चरणों में पूरा होगा। पहले चरण के लिये 1334 हेक्टेयर भूमि पर दो रनवे का निर्माण कार्य शुरू है। पहले फेज का निर्माण भी चार भागों में होगा। एक रनवे का निर्माण कार्य 2024 में पूरा हो जाएगा। इस पर करीब 5700 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
  • एयरपोर्ट के चालू होने पर शुरुआती दौर में सालाना एक करोड़ 20 लाख यात्री सफर करेंगे। संख्या बढ़ने पर दूसरे चरण में एक और रनवे का निर्माण होगा। बाकी दो और रनवे का निर्माण अगले चरणों में होगा। चारों चरण पूरे होने पर एयरपोर्ट से सालाना करीब सात करोड़ यात्री सफर करेंगे।
  • इस परियोजना पर कुल 30 हज़ार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। एयरपोर्ट के निर्माण के लिये दूसरे चरण में जिस भूमि को लिया जा रहा है, उस पर एक रनवे व एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस, रिपेयरिंग और ओवरहालिंग (एमआरओ) का केंद्र बनेगा।
  • विदित है कि देश के 85 प्रतिशत हवाई जहाज़ मेंटेनेंस रिपेयर, ओवरहालिंग के लिये विदेश जाते हैं। इस पर सालाना 15 हज़ार करोड़ रुपए खर्च होते हैं। यह रकम विदेश चली जाती है। नोएडा एयरपोर्ट एमआरओ का बड़ा केंद्र बनने से विदेश जाने वाली मुद्रा की बचत होगी और युवाओं को रोज़गार भी मिलेगा।

बिहार Switch to English

बिहार सरकार का बड़ा ऐलान, प्रत्येक किसान परिवार को मिलेंगे 3500 रुपए

चर्चा में क्यों?

22 अक्तूबर, 2022 को राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस वर्ष सूखे का सामना कर रहे ज़िलों के प्रत्येक किसान परिवार को 3500 रुपए देने का फैसला किया है। सरकार के आदेश के मुताबिक किसानों के खाते में ये राशि छठ त्योहार से पहले भेज दी जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर साझा जानकारी के मुताबिक, राज्य के 11 सूखाग्रस्त ज़िलों के 96 प्रखंडों की 937 पंचायतों के 7841 राजस्व ग्रामों एवं इसके अंतर्गत आने वाले सभी गाँव, टोलों तथा बसावटों के सभी प्रभावित परिवारों को विशेष सहायता के रूप में 3500 रुपए उनके बैंक खाते में ट्रांसफर किये जा रहे हैं। कोई भी प्रभावित परिवार छूटे नहीं, अधिकारियों को इसका ध्यान रखने को कहा गया है।
  • विदित है कि इस साल उत्तर भारत के कई राज्यों में कम वर्षा के चलते किसानों पर सूखे की मार पड़ी है। बिहार भी इससे अछूता नहीं है। समय से वर्षा नहीं होने के चलते एक तो धान की बुवाई में देरी हुई थी, वहीं दूसरी तरफ जिन लोगों ने किसी तरह से धान की बुवाई कर भी दी तो फसल सूख जाने की वजह से उनकी उपज पर मार पड़ी है। ऐसे में कई परिवारों के सामने जीवनयापन का संकट आ गया है। ऐसे में बिहार सरकार का ये फैसला उनके राज्य के किसानों के लिये राहत लेकर आया है।
  • बिहार के साथ ही उत्तर प्रदेश के भी 62 ज़िलों को सूखे की मार झेलनी पड़ी थी। यहाँ भी किसानों की उपज बुरी तरह से प्रभावित हुई है। किसानों को नुकसान से उबारने के लिये अब सरकार दलहन-तिलहन के बीजों को मुफ्त में बाँट रही है। वहीं, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों में किसानों पर सूखे की मार पड़ी है।

मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश से पहले मिस्टर इंडिया बने विनीत शर्मा

चर्चा में क्यों?

25 अक्तूबर, 2022 को मध्य प्रदेश के अशोक नगर निवासी विनीत शर्मा ने देश की सबसे बड़ी पुरुष प्रतियोगिता मिस्टर इंडिया का खिताब अपने नाम किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस उपलब्धि के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके द्वारा प्रतिदिन आयोजित होने वाले पौधरोपण कार्यक्रम में विनीत शर्मा को शामिल कर उनके साथ पेड़ भी लगाया। साथ ही इस प्रतियोगिता को जीतने वाले प्रदेश के पहले युवा बनने पर इस गौरव को मध्य प्रदेश की उपलब्धि बताया।
  • ‘रूबरू मिस्टर इंडिया 2022’ विजेता विनीत शर्मा मिस्टर इंडिया संगठन के ब्रांड एंबेसडर हैं।
  • देश में सबसे बड़ी पुरुष प्रतियोगिता आयोजित कराने वाली कंपनी रूबरू मिस्टर इंडिया के 18वें संस्करण में जिन लोगों को फाइनलिस्ट के तौर पर सेलेक्ट किया गया था, उनमें विनीत मध्य प्रदेश के अकेले व्यक्ति थे।
  • इस प्रतियोगिता में करीब 30000 लोगों ने भाग लिया था। छह अलग-अलग राउंड में व्यक्तित्व, आत्मविश्वास, कम्युनिकेशन स्किल एवं अपनी आकर्षक छवि के दम पर विनीत मिस्टर इंडिया के फाइनलिस्ट बने थे।
  • विनीत शर्मा वर्तमान में इंदौर में खुद की एक कंपनी त्र्यंबकेश्वर कंस्ट्रक्शन एवं इंटीरियर डिज़ाइन चलाते हैं। विनीत सिविल इंजीनियर हैं, इनकी रुचि पावर लिफ्टिंग, फिटनेस एवं स्पोर्ट में है।
  • विनीत शर्मा ने बताया कि रूबरू मि. इंडिया कंपनी पुरुष प्रतियोगिताओं के क्षेत्र में 70% हिस्सेदारी करती है। वह यह प्रतियोगिता वर्ष 2014 से संचालित कर रही है। इस बार इस कंपनी का यह 18वाँ सत्र है।
  • रूबरू मिस्टर इंडिया का पूरे विश्व में अधिकतम संख्या में इंटरनेशनल मॉडलिंग कंपटीशन एवं चैंपियनशिप से संबंध रखने का रिकॉर्ड है। इसके अलावा इसी कंपनी ने भारतीय मूल के सबसे ज़्यादा लोगों को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष प्रतियोगिता में पुरस्कार एवं खिताब दिलाए हैं।

हरियाणा Switch to English

कुरुक्षेत्र पैनोरमा एवं विज्ञान केंद्र में सूर्यग्रहण पर पैनल प्रदर्शनी

चर्चा में क्यों?

25 अक्तूबर, 2022 को हरियाणा के कुरुक्षेत्र पैनोरमा एवं विज्ञान केंद्र में सूर्यग्रहण के अवसर पर दर्शकों के अवलोकनार्थ व्यापक प्रबंध किये गए। प्रात: काल केंद्र में सूर्यग्रहण मान्यताएं एवं वैज्ञानिक अवधारणा विषय पर एक प्रदर्शनी का उद्घाटन कुरुक्षेत्र के उपायुक्त शान्तनु शर्मा ने किया।

प्रमुख बिंदु

  • उपायुक्त शांतनु शर्मा ने कहा कि यह प्रदर्शनी समाज में फैले अंधविश्वास को दूर कर जनमानस के समक्ष वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रभावी तरीके से रखने में सक्षम है।
  • इस बार कुरुक्षेत्र में आंशिक सूर्यग्रहण रहा, कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण का समय 4:25 पर प्रारंभ हुआ तथा 5.39 पर समाप्त हुआ। इसका अधिकतर संक्रमण 5.28 मिनट तक रहा तथा कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 1 घंटा 14 मिनट रही।
  • उल्लेखनीय है कि जब चंद्रमा पृथ्वी एवं सूर्य के मध्य आ जाता है तो चंद्रमा सूर्य को आंशिक या पूर्ण रूप से ढक लेता है। इस खगोलीय घटना को विज्ञान की भाषा में सूर्यग्रहण कहा जाता है।
  • भागवत पुराण के अनुसार एक बार सूर्यग्रहण के अवसर पर श्रीकृष्ण, बलराम और द्वारका से प्रजाजनों के साथ कुरुक्षेत्र आए थे।
  • इस अवसर पर मत्स्य, उशीनर, कौशल, विदर्भ, शृंजय, कंबोज, कैकेय, कुन्ती, अनर्त आदि भारत के अनेक राज्यों के शासक भी आए। इसी अवसर पर ब्रज से नंद और यशोदा भी अन्य गोप-गोपियों संग कुरुक्षेत्र आए थे, इसलिये ही कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण मेला का आयोजन किया जाता है।
  • उपायुक्त ने कहा कि केंद्र द्वारा सूर्य, चंद्रमा एवं पृथ्वी की इस स्थिति को नज़दीक से देखने हेतु एक सेलेस्ट्रोन के दो टेलीस्कोप केंद्र के विज्ञान उद्यान में लगाए गए। केंद्र द्वारा किसी भी दर्शक को नंगी आँख से सूर्य ग्रहण न देखने की सलाह दी गई।
  • इस ऐतिहासिक खगोलीय घटना के समय कुरुक्षेत्र के पवित्र ब्रह्मसरोवर में लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। संतों से लेकर अन्य श्रद्धालुओं के लिये स्नान की अलग-अलग व्यवस्था की गई थी। युधिष्ठर घाट पर शाही स्नान की व्यवस्था की गई थी।
  • विदित है कि गीता स्थली कुरुक्षेत्र आस्था और पर्यटन का संगम है। पिछले दिनों पवित्र तीर्थ ज्योतिसर में भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप की मूर्ति का अनावरण किया गया था। आगे यहाँ पर थ्री-डी प्रोजेक्शन मैपिंग शो भी देखने को मिलेगा। आने वाले दिनों में इस शो का उद्घाटन किया जाएगा। इस शो में महाभारत और श्रीमद्भगवद गीता से जुड़े प्रसंगों को दिखाया जाएगा। इसके लिये अत्याधुनिक तकनीक जैसे ऑगमेंटेड रियलिटी, होलोग्राफिक इमेज, रोबोटिक और ड्रोन आदि का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • ज्योतिसर तीर्थ पर 2019 से एक लाइट एंड साउंड शो चल रहा है। इसके अतिरिक्त सरकार ने ज्योतिसर तीर्थ का परिक्रमा पथ भी बनवाया है। तीर्थ पर लाइटिंग का कार्य किया गया है और प्राचीन वट वृक्ष की सुरक्षा के लिये दीवार भी तैयार करवाई गई है।
  • उल्लेखनीय है कि धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की नगरी का विकास करने के लिये कुरुक्षेत्र डेवलपमेंट बोर्ड का गठन किया गया था। इस बोर्ड द्वारा 48 कोस सर्किट के तहत 164 स्थानों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है।
  • कृष्णा सर्किट योजना के तहत हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार द्वारा कुरुक्षेत्र को ऐसा तीर्थ स्थल बनाया जा रहा है, जो आकर्षण का केंद्र बनेगा। कुरुक्षेत्र में तिरुपति बालाजी का एक मंदिर बन रहा है एवं इस्कॉन मंदिर, अक्षरधाम मंदिर बन चुके हैं। गीता ज्ञान संस्थानम भी गीता के ज्ञान के प्रसार के लिये बहुत बड़ा संस्थान बनने वाला है। यहाँ रिसर्च का काम भी चल रहा है।

झारखंड Switch to English

सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत अभियान की शुरुआत

चर्चा में क्यों?

24 अक्तूबर, 2022 को झारखंड के हज़ारीबाग ज़िले में बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करने के उद्देश्य से हज़ारीबाग उपायुक्त नैंसी सहाय ने ज़िले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों, स्कूलों, पंचायतों एवं अन्य संस्थाओं में बाल विवाह मुक्त सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत अभियान की शुरुआत की।

प्रमुख बिंदु

  • भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने और इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिये यह अभियान कारगर साबित होगा।
  • ज़िला प्रशासन ने सभी मुखियाओं और जनप्रतिनिधियों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने, बाल विवाह को कैसे रोका जाए और बाल विवाह के बाद कानूनी परिणाम क्या होते हैं, इसके प्रति जानकारी देने के लिये कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिये हैं।
  • उपायुक्त नैंसी सहाय के अनुसार जो जनप्रतिनिधि बाल विवाह को रोकने में अपना कर्त्तव्य ईमानदारी से निभाएंगे, उनका आगामी 26 जनवरी को ज़िला प्रशासन द्वारा सम्मान किया जाएगा।

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में हिम तेंदुए छह साल में बढ़कर 121 हुए

चर्चा में क्यों?

23 अक्तूबर, 2022 को विश्व हिम तेंदुआ दिवस के मौके पर उत्तराखंड वन विभाग ने इन्हें लेकर आँकड़े जारी किये। इनके अनुसार राज्य में करीब 121 हिम तेंदुए हैं। 2016 में एक ऑकलन के दौरान इनकी संख्या 86 के आसपास थी।

प्रमुख बिंदु

  • वन विभाग के आँकड़ों के अनुसार उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं (Snow leopard) का कुनबा बढ़ रहा है, जो कि जैव-विविधता के लिहाज से शुभ संकेत है। स्नो लेपर्ड दुनिया के सबसे खूबसूरत और दुर्लभ जीवों में से एक है। राज्य में लंबे समय से हिम तेंदुओं की गणना और इस दुर्लभ जीव को संरक्षित करने के प्रयास चल रहे थे, इन कोशिशों के सफल नतीजे भी अब देखने को मिले हैं।
  • चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा ने बताया कि राज्य में हिम तेंदुए के लिये उपलब्ध क्षेत्रफल के 12764.35 वर्ग किमी. का सर्वे किया गया है। यह गिनती 2 चरणों में पूरी हुई। इसमें गोविंद राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य जीव विहार, केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग, नंदा देवी बायोस्फियर के उच्च स्थलीय क्षेत्र तथा उत्तराखंड के ट्रांस हिमालयी क्षेत्र शामिल किये गए।
  • इस वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार उत्तराखंड में हिम तेंदुओं की अनुमानित संख्या 121 आँकी गई। हिम तेंदुए राज्य के 3000 मीटर की ऊँचाई वाले हिमालयी क्षेत्र में रहते हैं। कैमरा ट्रैप में हिम तेंदुओं की गतिविधियां अक्सर नज़र आती हैं। उत्तराखंड के उत्तरकाशी की नेलांग वैली में भी हिम तेंदुओं, यानी स्नो लेपर्ड को कई बार देखा गया है।
  • हिम तेंदुआ का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा अनकिया (Panthera uncia) है। हिम तेंदुआ खाद्य श्रृंखला में शीर्ष शिकारी के रूप में अपनी स्थिति के कारण पहाड़ के पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के एक संकेतक के रूप में कार्य करता है।
  • हिम तेंदुए को IUCN की विश्व संरक्षण प्रजातियों की रेड लिस्ट में सूचीबद्ध किया गया है। इसके अलावा यह लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के परिशिष्ट-I में भी सूचीबद्ध है। यह भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I में सूचीबद्ध है।
  • भारत सरकार ने हिम तेंदुए की पहचान उच्च हिमालय की एक प्रमुख प्रजाति के रूप में की है। भारत वर्ष 2013 से वैश्विक हिम तेंदुआ एवं पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण (GSLEP) कार्यक्रम का हिस्सा है।
  • अक्तूबर 2020 में हिम तेंदुओं की रक्षा के लिये ‘हिमालय संरक्षक’नामक एक सामुदायिक स्वयंसेवक कार्यक्रम शुरू किया गया था।
  • वर्ष 2019 में ‘स्नो लेपर्ड पॉपुलेशन असेसमेंट’पर फर्स्ट नेशनल प्रोटोकॉल भी लॉन्च किया गया, जो इसकी आबादी की निगरानी के लिये बहुत उपयोगी है।
  • वर्ष 2009 में हिम तेंदुओं और उनके निवास स्थान के संरक्षण के लिये एक समावेशी एवं सहभागी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने हेतु ‘हिम तेंदुआ परियोजना’शुरू की गई थी।
  • हिम तेंदुआ संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम पँजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में शुरू किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि मध्य एशिया के पहाड़ी परिदृश्य में हिम तेंदुआ का एक विशाल, लेकिन खंडित वितरण है, जो हिमालय के विभिन्न हिस्सों, जैसे- लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम को कवर करता है।
  • हिम तेंदुए उन ऊँचे पहाड़ी इलाकों में रहते हैं, जो 18,000 फीट की ऊँचाई पर हैं, ज़्यादातर इस तरह के क्षेत्र हिमालय में हैं। चीन और मंगोलिया में हिम तेंदुओं की संख्या सबसे अधिक है। वे नेपाल, भारत, पाकिस्तान और रूस में भी पाए जाते हैं।
  • गौरतलब है कि 23 अक्तूबर, 2013 को हिम तेंदुए के संरक्षण पर पहले वैश्विक मंच के दौरान बिश्केक घोषणा को अपनाया गया था। फोरम किर्गिजस्तान की राजधानी बिश्केक में आयोजित किया गया था। वर्ष 2014 में, बिश्केक घोषणा की एक साल की सालगिरह मनाने के लिये, मंच पर मौजूद बारह देशों ने 23 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस घोषित किया।

मध्य प्रदेश Switch to English

रानी कमलापति रेलवे स्टेशन को मिला ‘फाइव स्टार ईट राइट स्टेशन’ का प्रमाण-पत्र

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पश्चिम मध्य रेल भोपाल मंडल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन को भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा ‘फाइव स्टार ईट राइट स्टेशन (Five Star Eat Right Station)’ प्रमाणित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • रानी कमलापति रेलवे स्टेशन को खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता के अनुपालन, स्वस्थ आहार की उपलब्धता, तैयारी के समय भोजन का प्रबंधन, खाद्य अपशिष्ट प्रबंधन, स्थानीय और मौसमी भोजन को बढ़ावा देने तथा खाद्य सुरक्षा एवं स्वस्थ आहार के बारे में जागरूकता पैदा करने के आधार पर आँका गया है।
  • ‘ईट राइट स्टेशन’पहल एफ.एस.एस.ए.आई. और एफ.एम.सी.जी. प्रमुख द्वारा शुरू किये गए ‘ईट राइट इंडिया’ मूमेंट का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य रेलवे स्टेशनों पर स्थित खानपान इकाइयों में खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता को बढ़ावा देना है।
  • विदित है कि सघन जाँचों एवं निरीक्षणों के बाद रानी कमलापति रेलवे स्टेशन को फाइव स्टार रेटिंग दी गई है।

हरियाणा Switch to English

हरियाणा से देश के सात राज्यों के 11 प्रमुख शहरों के लिये होगी सीधी उड़ान शुरू

चर्चा में क्यों?

25 अक्तूबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा से सात राज्यों के 11 प्रमुख शहरों के लिये सीधी उड़ान शुरू करने की तैयारी की गई है। इन शहरों में अमृतसर, जालंधर, श्रीनगर, जम्मू, जयपुर, इंदौर, अहमदाबाद, आगरा, वाराणसी, देहरादून तथा बिहार के गया का नाम शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

  • हिसार में वर्ष 2023 में एविएशन-हब काम करना शुरू कर देगा। इसके बाद से एयरपोर्ट से उड़ानें शुरू हो जाएंगी। गुरुग्राम में हेलीहब बनाने के लिये भी हरियाणा की ओर से केंद्र से सहयोग मांगा गया है, राज्य सरकार को उम्मीद है कि जल्द ही इसकी मंज़ूरी मिल जाएगी।
  • जल्द ही ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) का सेंटर हिसार के गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय या पॉलिटेक्निक में खोलने की तैयारी की जा रही है। कुछ औपचारिकताएँ पूरी कर ली गई हैं, जल्द ही बची हुई भी पूरी कर ली जाएंगी।
  • हिसार में एयरपोर्ट शुरू होते ही सीमावर्ती ज़िलों से सैन्य-बलों के कर्मचारियों व अधिकारियों को आने-जाने में सुविधा होगी। राज्य सरकार को उम्मीद है कि इससे राज्य के धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
  • केंद्र सरकार राज्य में सिविल एविएशन सेक्टर को भी विकसित करने जा रही है। गुरुग्राम में हेलीहब के निर्माण की तैयारी है, जिसके लिये हरियाणा सरकार की ओर से 25 एकड़ ज़मीन उपलब्ध करवा दी गई है।

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