नीलिमा केरकेट्टा बनीं झारखंड लोक सेवा आयोग की नई अध्यक्ष | झारखंड | 23 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
22 सितंबर, 2022 को भारतीय प्रशासनिक सेवा की सेवानिवृत्त अधिकारी डॉ. मेरी नीलिमा केरकेट्टा झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की अध्यक्ष बनाई गई हैं। राज्यपाल रमेश बैस की स्वीकृति के बाद कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने उन्हें अध्यक्ष पद पर नियुक्त करते हुए अधिसूचना जारी की।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि जेपीएससी अध्यक्ष पद अमिताभ चौधरी के 5 जुलाई, 2022 को 62 वर्ष पूरा होने के बाद से खाली था। अध्यक्ष नहीं रहने से आयोग में कई नियुक्तियाँ, इंटरव्यू, प्रोन्नति आदि कार्य ठप हैं।
- डॉ. नीलिमा पदभार ग्रहण करने की तिथि से अधिकतम 62 वर्ष की आयु तक अध्यक्ष पद पर रहेंगी। इस तरह वह अगस्त 2024 तक इस पद पर रह सकेंगी।
- डॉ. नीलिमा महाराष्ट्र कैडर की 1994 बैच की आइएएस अधिकारी रही हैं। वर्ष 2008 से 2013 तक झारखंड में कई पदों पर रहीं और स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुईं।
- गुमला ज़िला स्थित करनी गाँव की रहनेवाली डॉ. केरकेट्टा ने उर्सूलाइन कॉन्वेंट गर्ल्स हाईस्कूल राँची से मैट्रिक, बीएयू से स्नातक, आइसीएआर, नई दिल्ली से एमएससी व पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। इनके पिता डॉ. आर केरकेटेा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति रहे हैं।
झारखंड के हर ज़िले में बनेगा 10 बेड का आयुष हॉस्पिटल | झारखंड | 23 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
22 सितंबर, 2022 को झारखंड आयुष विभाग के निदेशक ने सभी ज़िला आयुष पदाधिकारियों को पत्र भेजकर सभी ज़िलों में 10-10 बेड वाला आयुष हॉस्पिटल का निर्माण करने का निर्देश दिया।
प्रमुख बिंदु
- एलोपैथी चिकित्सा पद्धति (Allopathic System of Medicine) की तर्ज़ पर राज्य में अब आयुर्वेद के सहारे मरीज़ों का इलाज होगा। इसके लिये इनडोर आयुर्वेद हॉस्पिटल (Indoor Ayurveda Hospital) का निर्माण होगा।
- 10-10 बेड के अस्पताल राज्य के सभी 24 ज़िले में बनेंगे। फिलहाल इस हॉस्पिटल में 10 बेड की सुविधा उपलब्ध होगी। इससे मरीज़ों को इलाज की सुविधा मिलेगी। कुल 25 डिसमिल ज़मीन पर आयुष अस्पताल का निर्माण किया जाएगा।
- इस संबंध में आयुष विभाग के निदेशक ने सभी ज़िला आयुष पदाधिकारियों को पत्र भेजकर इस पर अमल करने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि देसी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने और मरीज़ों को देश की प्राचीन चिकित्सा पद्धति से लाभ दिलाने के लिये ज़रूरतमंद मरीज़ को आयुष अस्पताल में भर्ती कराकर आयुष चिकित्सा पद्धति से नो साइड इफेक्ट वाला इलाज किया जाएगा।
- आयुष चिकित्सा के लिये अब तक आउटडोर सुविधा रही है। 10 बेड वाले आयुष अस्पताल उपलब्ध हो जाने के बाद अब मरीज़ों को इंडोर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराते हुए अस्पताल में भर्ती कर आयुष चिकित्सा पद्धति से इलाज कराया जा सकेगा।
- गौरतलब है कि कोरोना काल सहित आए दिन पनप रहे विभिन्न रोगों को देखते हुए जननी भारत वर्ष सहित लगभग पूरे विश्व का झुकाव आयुष, विशेषकर प्राकृतिक चिकित्सा आयुर्वेद की ओर हुआ है, जिसमें आयुष चिकित्सा की तीनों विंग आयुर्वेदिक चिकित्सा, होम्योपैथिक चिकित्सा और यूनानी चिकित्सा पद्धति को नो साइड इफेक्ट वाला बताया गया है।