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उत्तराखंड में होगा नेवले की प्रजाति ‘माउंटेन वीजल’का संरक्षण
चर्चा में क्यों?
25 जुलाई, 2022 को मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि वन विभाग की अनुसंधान सलाहकार समिति (आरएसी) ने उच्च हिमालयी क्षेत्र में पारिस्थितकीय संतुलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेवले की प्रजाति ‘माउंटेन वीजल’का राज्य में संरक्षण के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि विभाग की अनुसंधान शाखा ने इसके लिये पाँचवर्षीय कार्ययोजना तैयार की है। जल्द ही बदरीनाथ, हरकी दून, हर्षिल समेत अन्य स्थानों पर माउंटेन वीजल (Mountain Weasel) का अध्ययन शुरू किया जाएगा।
- उच्च हिमालयी क्षेत्र में तीन हज़ार मीटर से अधिक ऊँचाई पर पाई जाने वाली नेवले की यह प्रजाति भारत में लद्दाख में पाई जाती है। लद्दाख के बाद अब उत्तराखंड में भी इसका संरक्षण होगा।
- सामान्य तौर पर दिखने वाले नेवलों से कुछ अलग माउंटेन वीजल पतला शरीर और गर्दन, छोटे पैर और छोटे सिर वाला एकांतप्रिय स्तनधारी प्राणी है। मस्टेलिडे परिवार (family Mustelidae) का यह जीव दिखने में खूबसूरत भी है।
- उत्तराखंड में माउंटेन वीजल की चार प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह उच्च हिमालयी क्षेत्र में चूहे, पीका जैसी प्रजातियों का शिकार कर इनकी संख्या को विनियमित करने में प्राकृतिक रूप से मददगार भी है।
- गौरतलब है कि माउंटेन वीजल (मुस्टेला अल्ताइका), जिसे पेल वीजल, अल्ताई वीजल या सोलोंगोई के नाम से भी जाना जाता है, मुख्यरूप से उच्च ऊँचाई वाले वातावरण, साथ ही चट्टानी टुंड्रा और घास वाले वुडलैंड्स में रहता है।
- इस प्रजाति का भौगोलिक वितरण कज़ाखस्तान, तिब्बत और हिमालय से लेकर मंगोलिया, उत्तर-पूर्वी चीन और दक्षिणी साइबेरिया तक एशिया के कुछ हिस्सों में है। हालाँकि, इस प्रजाति के लिये सबसे अहम क्षेत्र लद्दाख, भारत है।
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उत्तराखंड में बनेगा सख्त नकलरोधी कानून
चर्चा में क्यों?
25 जुलाई, 2022 को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी ने बताया कि आयोग ने नए नकलरोधी कानून का प्रस्ताव पास कर दिया है। राजस्थान और एसएससी के नकलरोधी कानून का अध्ययन करने के बाद आयोग इसका ड्राफ्ट शासन को भेजेगा।
प्रमुख बिंदु
- स्नातकस्तरीय परीक्षा में पेपर लीक प्रकरण के बीच उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा सख्त नकलरोधी कानून बनाया जा रहा है। यह कानून इसी साल फरवरी में आए राजस्थान के नकलरोधी कानून की तर्ज़ पर सख्त होगा।
- अभी तक पेपर लीक का कोई भी मामला प्रकाश में आने के बाद उत्तराखंड के नकलरोधी कानून के तहत आरोपियों पर आईपीसी की धारा 420, 120 बी या हाईटेक नकल होने पर आईटी एक्ट में ही मुकदमे दर्ज़ होते हैं।
- राजस्थान के नकलरोधी कानून की तर्ज़ पर नकल गिरोह के सदस्यों पर दस लाख से दस करोड़ रुपए तक जुर्माना हो सकेगा। इसके अलावा उनकी संपत्ति भी कुर्क की जा सकेगी। साथ ही, नकल का अपराध साबित होने पर पांच से दस साल की सज़ा का भी प्रावधान किया जाएगा।
- अगर कोई छात्र/उम्मीदवार किसी नकल गिरोह से पेपर खरीदने का दोषी पाया जाता है तो उस पर एक लाख रुपए जुर्माने के साथ ही तीन साल तक की सज़ा भी हो सकेगी। अगर छात्र/उम्मीदवार उस नकल गिरोह का सदस्य पाया गया तो गिरोह के हिसाब से ही उस पर कार्रवाई की जाएगी।
- आयोग की ओर से नकल रोकने के लिये यह भी नया प्रावधान किया जा रहा है कि यदि कोई छात्र/उम्मीदवार नकल करते पकड़ा जाता है तो वह दो साल तक किसी भी तरह की परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सकेगा।
- राजस्थान की तर्ज़ पर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षाओं में पेपर लीक या नकल को संज्ञेय और गैर- जमानती अपराध की श्रेणी में माना जाएगा। नकल और पेपर लीक की जाँच एडिशनल एसपी स्तर का अफसर ही कर सकेगा। नकल रोकने के लिये जाँच एजेंसी में एंटी चीटिंग सेल भी बनाई जा सकती है।
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