उत्तर प्रदेश Switch to English
नीति आयोग की नवोन्वेषी कृषि पर राष्ट्रीय कार्यशाला
चर्चा में क्यों?
25 अप्रैल, 2022 को आज़ादी के अमृत महोत्सव में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में नीति आयोग द्वारा नवोन्वेषी कृषि पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वर्चुअली शामिल हुए।
प्रमुख बिंदु
- प्रथम-सत्र नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. रवि कुमार की अध्यक्षता में हुआ। राज्यों में प्राकृतिक खेती पर हुए प्रथम तकनीकी-सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी वर्चुअली अपने विचार रखे।
- प्राकृतिक खेती और नवोन्मेषी कृषि को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना के तहत उत्तर प्रदेश के 35 ज़िलों के लिये भारत सरकार द्वारा 82.83 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए हैं।
- मुख्यमंत्री ने ‘गाय आधारित प्राकृतिक खेती और नवीन कृषि’ पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में कहा कि यह योजना लगभग 38,670 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करेगी। यह योजना इस साल खरीफ सीजन से शुरू होकर तीन साल के लिये लागू की जाएगी।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि बुंदेलखंड क्षेत्र पारंपरिक रूप से विभिन्न रूपों में प्राकृतिक खेती का अभ्यास कर रहा है। इसे और बढ़ावा देने के लिये, राज्य सरकार ने क्षेत्र के सभी सात ज़िलों के सभी 47 विकास खंडों में 500-1,000 हेक्टेयर के क्लस्टर स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। अगले पाँच वर्षों में 175.46 करोड़ रुपए की परियोजना लागत पर लगभग 47,000 हेक्टेयर क्षेत्र का लक्ष्य रखा जाएगा, जिससे 1.17 लाख किसान लाभान्वित होंगे।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020-21 में उत्तर प्रदेश 619.47 लाख मीट्रिक टन का रिकॉर्ड उत्पादन हासिल कर देश का सबसे बड़ा खाद्यान्न उत्पादक राज्य बन गया है।
- प्राकृतिक खेती के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण के संरक्षण एवं मानव स्वास्थ्य के पोषण के लिये उचित पोषण प्रदान करने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य को पूरा करना होगा। इन सभी विविध लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक तरीका गाय आधारित प्राकृतिक खेती है।
- गाय आधारित प्राकृतिक खेती का अर्थ है- कम लागत और विषमुक्त खेती। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की ‘गो वंश’ पर प्रमुख निर्भरता है, जबकि कृषि का मशीनीकरण किया जा रहा है, कृषि अर्थव्यवस्था में बैलों की उपयोगिता भी महसूस की गई है।
- पिछले दो वर्षों में राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये गंगा नदी के 10 किमी. के दायरे में प्राकृतिक खेती को अपनाने हेतु अभियान शुरू किया गया है और नमामि गंगे के तहत चयनित ज़िलों में गंगा नदी के 10 किमी. के दायरे में बागवानी और कृषि वानिकी को भी प्राकृतिक खेती में शामिल किया गया है। इस कार्यक्रम से दो लाख से अधिक किसानों को लाभ होगा।
- नमामि गंगे और परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत पिछले तीन वर्षों के दौरान राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा था, जिसमें 4,784 क्लस्टर के गठन के साथ 75,680 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया था, जिससे 1.75 लाख किसान लाभान्वित हुए।
- परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत जैविक खेती के लिये 50,000 रुपए प्रति हेक्टेयर तीन साल की अवधि हेतु प्रदान किये गए, जिसमें 31,000 प्रति हेक्टेयर किसान प्रोत्साहन राशि भी शामिल है।
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