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मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की समीक्षा
चर्चा में क्यों?
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के सचिव ने अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, दिल्ली और झारखंड में मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों की समीक्षा के लिये एक उच्च स्तरीय बैठक का नेतृत्व किया।
मुख्य बिंदु
- प्रमुख मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की समीक्षा:
- बैठक में 17 महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं से संबंधित 21 मुद्दों की समीक्षा की गई, जिनमें सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत 9 परियोजनाएँ शामिल थीं।
- सभी परियोजनाओं की कुल लागत 13,501 करोड़ रुपए से अधिक हो गई।
- वाराणसी-राँची-कोलकाता एक्सप्रेसवे परियोजना, जिसकी कीमत 9,623.72 करोड़ रुपए है, मुख्य फोकस थी। इस परियोजना में छह पैकेजों में सात मुद्दे शामिल थे।
- रणनीतिक स्थानों पर नए एनआईटी पर ध्यान केंद्रित:
- बैठक में रणनीतिक स्थानों पर नए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) स्थापित करने की सरकार की योजना पर ज़ोर दिया गया।
- इन NIT का उद्देश्य तकनीकी शिक्षा में क्षेत्रीय असमानताओं को पाटना तथा कुशल इंजीनियरों और तकनीकी पेशेवरों की बढ़ती मांग को पूरा करना है।
- शैक्षणिक क्षेत्र के अलावा, ये संस्थान नवाचार, अनुसंधान और उद्योग सहयोग को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय आर्थिक विकास को भी गति देंगे।
- वाराणसी-राँची-कोलकाता एक्सप्रेसवे परियोजना:
- यह एक्सप्रेसवे भारत माला योजना के तहत एक प्रमुख परियोजना है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाएगी।
- इससे व्यापार और माल ढुलाई को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे उन उद्योगों को लाभ होगा जो समुद्री व्यापार के लिये कोलकाता और हल्दिया बंदरगाहों पर निर्भर हैं।
- कुशल परियोजना निगरानी के प्रति प्रतिबद्धता:
- सचिव ने परियोजना निगरानी के लिये संस्थागत ढाँचे को मज़बूत करने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
- उन्होंने अधिकारियों को लंबित परियोजना मुद्दों के समाधान में सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया।
- उन्होंने निजी समर्थकों से परियोजना के त्वरित कार्यान्वयन के लिये परियोजना निगरानी समूह (PMG) तंत्र (PMG पोर्टल) का उपयोग करने का आग्रह किया।
- PMG तंत्र केंद्र सरकार, राज्य प्राधिकरणों और निजी हितधारकों के बीच सहयोग के माध्यम से चिंताओं का कुशल और समय पर समाधान सुनिश्चित करता है।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT)
- स्थापना:
- उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग की स्थापना वर्ष 1995 में की गई थी तथा वर्ष 2000 में औद्योगिक विकास विभाग को इसमें मिला दिया गया।
- यह अपने वर्तमान स्वरूप में 27 जनवरी 2019 को अस्तित्व में आया, जब पूर्ववर्ती औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग का नाम बदलकर उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) कर दिया गया।
- उद्देश्य:
- यह विभाग राष्ट्रीय प्राथमिकताओं एवं सामाजिक-आर्थिक उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिये प्रोत्साहन एवं विकासात्मक उपायों के निर्माण एवं कार्यान्वयन के लिये जिम्मेदार है।
- यह देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह को सुविधाजनक बनाने और बढ़ाने के लिये भी ज़िम्मेदार है।
- यह भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।