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राज्य के 100 एपीएचसी बनेंगे मॉडल अस्पताल
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में पहल करते हुए 100 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (एपीएचसी) को मॉडल अस्पताल बनाने का निर्णय लिया है।
प्रमुख बिंदु
- वित्तीय वर्ष 2022-23 में 100 एपीएचसी को मॉडल अस्पताल बनाए जाने से वहाँ गंभीर बीमारियों की जाँच व सभी बीमारियों के प्रारंभिक इलाज की सुविधा लोगों को प्राप्त होगी।
- इन 100 एपीएचसी में आधारभूत संरचना को मज़बूत करने, आवश्यकतानुसार कमरों के निर्माण, जाँच उपकरण इत्यादि के इंतजाम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत किये जाएंगे।
- राज्य स्वास्थ्य समिति ने केंद्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के समक्ष वर्ष 2022-23 के लिये प्रस्तावित योजना बजट प्रस्ताव के तहत एपीएचसी को मॉडल अस्पताल के रूप में विकसित करने की आवश्यकता जताई है। केंद्र सरकार द्वारा इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दिये जाने व राशि आवंटित किये जाने के बाद क्रियान्वयन शुरू होगा।
- स्वास्थ्य उपकेंद्रों व एपीएचसी को उत्क्रमित कर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है। वहीं, मॉडल एपीएचसी में आधारभूत संरचना को मज़बूत कर वहाँ मरीज़ों को प्रारंभिक इलाज की सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी।
- एपीएचसी में एक चिकित्सक, दो एएनएम की तैनाती की जाएगी। इसके साथ ही गैर-संचारी रोगों, मधुमेह, रक्तचाप व अन्य बीमारियों की जाँच से जुड़ी सभी सुविधाएँ, टीकाकरण की सुविधा सहित टेलिमेडिसिन की सुविधाएँ भी इन अस्पतालों में उपलब्ध कराई जाएंगी।
- इसके अलावा गर्भावस्था एवं शिशु जन्म देखभाल, नवजात एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल, बाल एवं किशोरावस्था स्वास्थ्य देखभाल, परिवार नियोजन, गर्भनिरोधक सेवाएँ, संचारी रोग प्रबंधन, गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग एवं रेफरल व फॉलोअप की व्यवस्था के साथ अन्य सुविधाएँ भी मिलेंगी।
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बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22
चर्चा में क्यों?
25 फरवरी, 2022 को बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बिहार विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन सदन के पटल पर राज्य का 16वाँ आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 पेश किया।
प्रमुख बिंदु
- आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार बिहार के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 2020-21 में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई और कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये लगाए गए ‘लॉकडाउन’के प्रभाव के बावजूद वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से बेहतर है।
- सर्वेक्षण के अनुसार मौजूदा बाज़ार मूल्य पर 2020-21 के दौरान भारत के 86,659 रुपए प्रति व्यक्ति आय की तुलना में बिहार में प्रति व्यक्ति आय 50,555 रुपए रही।
- पिछले पाँच वर्षों 2016-17 से 2020-21 के दौरान बिहार में प्राथमिक क्षेत्र में 2.3 प्रतिशत, द्वितीयक क्षेत्र में 4.8 प्रतिशत और तृतीयक क्षेत्र में 8.5 प्रतिशत की उच्चतम दर से वृद्धि हुई।
- राज्य में पिछले पाँच वर्षों 2016-17 से 2020-21 के दौरान कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में 2.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है।
- 2020-21 में राज्य सरकार का कुल खर्च पिछले वर्ष की तुलना में 13.4 प्रतिशत बढ़कर 1,65,696 करोड़ रुपए पहुँच गया, जिसमें 26,203 करोड़ रुपए पूंजीगत व्यय और 1,39,493 करोड़ रुपए राजस्व व्यय शामिल है।
- पिछले पाँच वर्षों के दौरान कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में 2.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। पशुधन और मत्स्य पालन की वृद्धि दर क्रमश: 10 प्रतिशत एवं 7 प्रतिशत रही।
- पिछले दस वर्ष में राज्य का शहरीकरण काफी तेज़ी से बढ़ा है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में शहरीकरण का स्तर महज़ 11.3 प्रतिशत था, जो वर्तमान में 15.3 प्रतिशत हो गया है।
- वर्ष 2011 में देश की कुल शहरी आबादी का सिर्फ 3.1 प्रतिशत हिस्सा बिहार में था। राज्य सरकार ने उम्मीद जताई है कि उच्च दर से बढ़ रही शहरी अर्थव्यवस्था को देखते हुए अगले दशक में बिहार में शहरीकरण का स्तर काफी ऊँचा होगा।
- सर्वेक्षण में बिहार के ज़िलों के बीच आर्थिक असमानता की तरह शहरीकरण में भी काफी असमानता बताई गई है। पटना ज़िले में शहरीकरण का स्तर सर्वाधिक (44.3 प्रतिशत) है, इसके अतिरिक्त सिर्फ दो ज़िलों- मुंगेर (28.3 प्रतिशत) और नालंदा (26.2 प्रतिशत) में ही शहरीकरण का प्रतिशत 25 से अधिक है।
- वर्ष 2019-20 के आँकड़ों के मुताबिक प्रति व्यक्ति आय के मामले में पटना ज़िला 131.1 हज़ार रुपए के साथ सबसे ऊपर है। वहीं दूसरे नंबर पर बेगूसराय ज़िला है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय 51.4 हज़ार रुपए है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में इनके बाद मुंगेर (44.3 हज़ार), भागलपुर (41.8 हज़ार), रोहतास (35.8 हज़ार), मुज़फ्फरपुर (34.8 हज़ार), औरंगाबाद (32 हज़ार), गया (31.9 हज़ार), भोजपुर (31.6 हज़ार) और वैशाली (30.9 हज़ार रुपए) हैं।
- कम प्रति व्यक्ति आय वाले ज़िलों में शिवहर (19.6 हज़ार रुपए), अररिया (20.6 हज़ार), सीतामढ़ी (22.1 हज़ार), पूर्वी चंपारण (22.3 हज़ार), मधुबनी (22.6 हज़ार), सुपौल (22.9 हज़ार), किशनगंज (23.2 हज़ार) व नवादा (23.4 हज़ार रुपए) शामिल हैं।
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