झारखंड Switch to English
हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे
चर्चा में क्यों?
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता हेमंत सोरेन 28 नवंबर 2024 को झारखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।
प्रमुख बिंदु
- राज्यपाल का निर्णय:
- राज्यपाल ने हेमंत सोरेन का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उन्हें मनोनीत मुख्यमंत्री नियुक्त किया तथा नई सरकार बनने तक पद पर बने रहने को कहा।
- राज्यपाल की भूमिका (अब LG):
- अनुच्छेद 164 के तहत, राज्यपाल बहुमत वाली पार्टी या गठबंधन के नेता को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- राज्यपाल ऐसी सरकार का गठन सुनिश्चित करता है जिसे विधानमंडल में बहुमत का समर्थन प्राप्त हो।
- पद की शपथ:
- अनुच्छेद 164(3) के अनुसार, किसी राज्य के राज्यपाल को किसी मंत्री को पद ग्रहण करने से पहले पद और गोपनीयता की शपथ दिलानी चाहिये।
- यह शपथ संविधान के प्रति निष्ठा और विधि के अनुसार कर्त्तव्यों के निर्वहन का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री की नियुक्ति
- संविधान के अनुच्छेद 164 में प्रावधान है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी।
- विधानसभा चुनाव में बहुमत प्राप्त करने वाली पार्टी के नेता को राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है।
- राज्यपाल नाममात्र का कार्यकारी अधिकारी है, लेकिन वास्तविक कार्यकारी अधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है।
- हालाँकि, राज्यपाल द्वारा प्राप्त विवेकाधीन शक्तियां राज्य प्रशासन में मुख्यमंत्री की शक्ति, अधिकार, प्रभाव, प्रतिष्ठा और भूमिका को कुछ हद तक कम कर देती हैं।
- किसी ऐसे व्यक्ति को, जो राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं है, छह माह के लिये मुख्यमंत्री नियुक्त किया जा सकता है, जिसके दौरान उसे राज्य विधानमंडल के लिये निर्वाचित होना चाहिये अन्यथा वह मुख्यमंत्री नहीं रह जाएगा।
मध्य प्रदेश Switch to English
ग्वालियर में संपीड़ित बायोगैस संयंत्र
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, ग्वालियर मध्य प्रदेश में अत्याधुनिक संपीड़ित बायोगैस (CBG) संयंत्र के साथ भारत की पहली आधुनिक और आत्मनिर्भर गौशाला शुरू की।
प्रमुख बिंदु
- स्थान और प्रबंधन:
- CBG संयंत्र ग्वालियर नगर निगम द्वारा प्रबंधित ग्वालियर की सबसे बड़ी गौशाला आदर्श गौशाला में स्थित है। इसमें 10,000 से अधिक मवेशी हैं।
- अद्वितीय उपलब्धि:
- मध्य प्रदेश का पहला CBG संयंत्र, जो स्थानीय मंडियों और घरों से एकत्र किये गए मवेशियों के गोबर और जैविक अपशिष्ट जैसे सब्जी एवं फलों के अपशिष्ट से बायोगैस का उत्पादन करता है ।
- प्रौद्योगिकी और आउटपुट:
- 100 टन मवेशियों के गोबर से प्रतिदिन 2-3 टन बायो-सीएनजी का उत्पादन होता है ।
- प्रतिदिन 10-15 टन सूखी जैविक-उर्वरक उत्पन्न होती है, जो जैविक कृषि को बढ़ावा देती है।
- अतिरिक्त जैविक अपशिष्ट प्रसंस्करण के लिये विंड्रो कम्पोस्टिंग को शामिल किया गया है ।
- विंड्रो कम्पोस्टिंग जैविक अपशिष्ट से कम्पोस्ट बनाने की एक विधि है, जिसमें अपशिष्ट को लंबे, संकरे ढेरों में एकत्रित कर दिया जाता है, जिन्हें विंड्रो कहा जाता है तथा उन्हें नियमित रूप से पलटा जाता है।
- इसे कम्पोस्ट बनाने की एक लागत प्रभावी विधि माना जाता है, लेकिन इससे सबसे अधिक उत्सर्जन भी हो सकता है।
- पर्यावरणीय लाभ:
- गाय के गोबर और जैविक अपशिष्ट को बायो-सीएनजी और जैविक उर्वरक में परिवर्तित करता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आती है।
- यह जीवाश्म ईंधन के लिये एक स्वच्छ, पर्यावरण-अनुकूल विकल्प प्रदान करता है, जो जलवायु परिवर्तन शमन में योगदान देता है।
- गाय के गोबर जैसे कम उपयोग वाले संसाधनों को मूल्यवान ऊर्जा और उर्वरक में परिवर्तित करना, चक्रीय अर्थव्यवस्था प्रथाओं को बढ़ावा देना ।
- आर्थिक और सामाजिक प्रभाव:
- स्थानीय लोगों के लिये रोज़गार का सृजन, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा तथा हरित ऊर्जा कौशल को बढ़ावा।
- आस-पास के ज़िलों के किसानों को किफायती जैव-उर्वरक उपलब्ध कराता है तथा जैविक कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करता है।
- सतत् विकास के लिये मॉडल:
- भारत की पहली आत्मनिर्भर गौशाला के रूप में लालटिपारा संयंत्र अन्य क्षेत्रों के लिये अपनाने हेतु एक अग्रणी मॉडल के रूप में कार्य करता है।
बायोगैस
- बायोगैस एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में कार्बनिक पदार्थ के विघटन से उत्पन्न होता है। इस प्रक्रिया को अवायवीय पाचन कहते हैं।
- बायोगैस को नवीकरणीय प्राकृतिक गैस (RNG) या बायोमेथेन के रूप में भी जाना जाता है। यह अधिकांश मीथेन (CH4) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) से निर्मित है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
रायपुर में सुशासन सम्मेलन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रायपुर में सुशासन पर दो दिवसीय सम्मेलन में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रधानमंत्री के तहत शुरू किये गए शासन सुधारों में "ईज़ ऑफ लिविंग" और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी गई है ।
प्रमुख बिंदु
- कार्यक्रम विवरण:
- प्रशासनिक सुधार एवं शिकायत निवारण विभाग (DARPG) और छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया ।
- सार्वजनिक सेवा वितरण सुधारों पर चर्चा करने के लिये नीति निर्माताओं, नौकरशाहों और विशेषज्ञों को एक साथ लाया गया।
- विकेंद्रीकृत शासन पर चर्चा:
- शासन संबंधी चर्चाओं को सत्ता के केंद्रीय कक्षों से आगे ले जाने के महत्त्व पर बल दिया गया।
- राज्यों में आयोजित सम्मेलनों से क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप समाधान सुनिश्चित होते हैं तथा केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
- इसी प्रकार के कार्यक्रम जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु तथा अन्य राज्यों में भी आयोजित किये गए, जो राष्ट्रव्यापी पहुँच को दर्शाते हैं।
- ऐतिहासिक प्रशासनिक सुधार:
- नौकरशाही की लालफीताशाही को कम करने के लिये 2,000 से अधिक अप्रचलित नियमों को हटा दिया गया है।
- सत्यापित दस्तावेज़ों की आवश्यकता को समाप्त करके प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया, जिससे नागरिकों में विश्वास मज़बूत हुआ।
- पेंशनभोगियों के लिये चेहरा पहचानने वाली तकनीक शुरू की गई, जिससे भौतिक सत्यापन की आवश्यकता समाप्त हो गई।
- समय पर भुगतान के लिये पेंशन और परिवार पात्रता प्रणालियों का डिजिटलीकरण बढ़ाया गया।
- ग्रुप B और C के पदों के लिये साक्षात्कार समाप्त कर दिया गया, जिससे भर्ती प्रक्रियाओं में पक्षपात और भ्रष्टाचार कम हो गया।
- सुधारों का प्रभाव:
- शासन सुधारों का उद्देश्य विलंब को कम करना, भ्रष्टाचार से निपटना और नागरिकों के लिये प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना है।
- कार्यकुशलता बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया गया, जिससे विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और ग्रामीण आबादी को लाभ मिला।
राजस्थान Switch to English
कोर शीत लहर क्षेत्र
चर्चा में क्यों?
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (NPCCHH) ने राजस्थान तथा 16 अन्य राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिये शीत लहर की स्थिति पर सार्वजनिक सलाह जारी की है।
प्रमुख बिंदु
- शीत लहर ऋतु और मुख्य शीत लहर क्षेत्र:
- शीत लहर 24 घंटे के भीतर तापमान में होने वाली तीव्र गिरावट है, जो कृषि, उद्योग, वाणिज्य और सामाजिक गतिविधियों के लिये पर्याप्त सुरक्षा की आवश्यकता उत्पन्न करती है।
- शीत लहर का मौसम नवंबर से मार्च तक रहता है तथा दिसंबर और जनवरी में सबसे अधिक ठंड पड़ती है।
- प्रभावित क्षेत्र:
- तेलंगाना, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा।
- सुभेद्य समूह:
- परामर्श में निम्नलिखित जनसंख्या को विशेष रूप से जोखिमग्रस्त बताया गया है:
- बेघर व्यक्ति
- बुजुर्ग लोग
- आर्थिक रूप से वंचित व्यक्ति
- गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाएँ
- बच्चे
- आउटडोर श्रमिक और किसान
- रात्रि आश्रयों के प्रबंधक
- परामर्श में निम्नलिखित जनसंख्या को विशेष रूप से जोखिमग्रस्त बताया गया है:
- शीत लहर की परिभाषा:
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मानकों के अनुसार :
- मैदानी इलाकों में शीत लहर तब आती है जब न्यूनतम तापमान ≤10°C होता है।
- पहाड़ी क्षेत्रों के लिये इसे न्यूनतम तापमान ≤0°C के रूप में परिभाषित किया गया है।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मानकों के अनुसार :
- संभावित स्वास्थ्य समस्याएँ:
- हाइपोथर्मिया बहुत कम तापमान के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होता है।
- फ्रॉस्टबाइट ठंडे तापमान के कारण त्वचा और ऊतकों को होने वाली क्षति है।
- नॉन-फ्रीजिंग कोल्ड इंजरी, इमर्शन फुट जैसी स्थितियाँ हैं, जो लंबे समय तक ठंड और गीली स्थितियों के संपर्क में रहने के कारण उत्पन्न होती हैं।
- गंभीर मामलों में, यदि सावधानी न बरती जाए तो ठंड के कारण मृत्यु भी हो सकती है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग
- IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी।
- यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी है।
- यह मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख एजेंसी है।
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