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झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 21 Nov 2023
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झारखंड के कोडरमा ज़िले में मिला लिथियम का भंडार

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2023 को भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद ने प्रेस वार्ता में बताया कि कोडरमा ज़िले में भविष्य का खजाना कहे जाने वाले खनिज ‘लिथियम’ का भंडार मिला है। जीएसआइ की प्रारंभिक जाँच में इसकी पुष्टि हो गयी है।

प्रमुख बिंदु

  • जीएसआइ के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद ने प्रेस वार्ता में बताया कि कोडरमा में माइका के साथ-साथ लिथियम का भी भंडार है। अब जी-3 लेवल की खुदाई कर विस्तृत रूप से यह पता चल सकेगा कि यहाँ लिथियम की मात्रा कितनी है।
  • उन्होंने कहा कि 2050 तक देश में बैटरी पर निर्भरता बढ़ने वाली है। इसके लिये लिथियम सबसे जरूरी तत्व है। इसलिये लिथियम की खोज पर फोकस किया जा रहा है। जम्मू में लिथियम के भंडार का पता चल चुका है। राजस्थान के भीलवाड़ा और आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में भी लिथियम भंडार की संभावना है।
  • महानिदेशक ने बताया कि लिथियम की खुदाई (एक्सट्रेक्शन) की तकनीक चीन के पास है। इस पर उसकी मोनोपोली है। लिहाजा, जीएसआइ धनबाद के सिंफर, आइआइटी आइएसएम व अन्य आइआइटी समेत कई अन्य संस्थानों के साथ एमओयू किया जायेगा, खुदाई करनेवाले संस्थानों को भारत सरकार फंडिंग भी करेगी।
  • महानिदेशक ने बताया कि तमाड़ में दो जगहों पर सोने की खदान का पता चला है। पूर्व में भी झारखंड में सोने की दो खदानों का पता चल चुका है। खनिज मिलने से सबसे ज्यादा फायदा राज्य सरकार को राजस्व के रूप में होगा। संबंधित इलाकों में रोज़गार का सृजन होगा।


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झारखंड की नदियों के कछार में की जाएगी हीरे की खोज, केंद्र की मिली मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड के राँची और पलामू प्रमंडलीय ज़िलों की कई नदियों के कछार में हीरा खोजा जायेगा। केंद्र सरकार के खान मंत्रालय ने इस परियोजना को स्वीकृति दे दी है।

प्रमुख बिंदु

  • विदित हो कि भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग ने 2019 में यह परियोजना तैयार की है। इसके लिये मुगल शासन के ‘जहाँगीरनामा’से लेकर 1917 तक दर्जनों विश्व प्रसिद्ध लेखकों की पुस्तकों में झारखंड के ‘डायमंड रिवर’ का नक्शा और अन्य जानकारियों को आधार बनाया गया है।
  • फ्रांसिसी यात्री जेबी ट्रेवर्नियर के भारत यात्रा वृतांत पुस्तक में जारी नक्शा छोटानागपुर में डायमंड रिवर के पास भी खोजबीन होगी। इसके लिये राँची, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, लातेहार समेत कई ज़िलों के नदी विशेषकर कोयल, शंख नदी का सर्वेक्षण किया जाएगा।
  • नदी के किनारे जहाँ ज़मीन से कीड़ा, मुसा, दीमक पाये जाते हैं, उन स्थानों को इसमें शामिल किया गया है। साथ ही प्रदेश में जहाँ-जहाँ अन्य खनिज बड़े पैमाने में निकाले जा रहे हैं, वहाँ भी सर्वेक्षण किया जाएगा।
  • जहाँगीरनामा के अनुवादक मुंशी देवी प्रसाद व दूसरे अनुवादक ब्रजरत्नदास ने बताया कि राँची की शंख नदी के किनारे छोटे-बड़े दोनों तरह के हीरे पाये जाते हैं। ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’के अनुवादक डॉ. मथुरालाल शर्मा ने भी इसकी पुष्टि की है।
  • एच कुपलेन ने बंगाल डिस्ट्रक्ट गजेटियर मानभूम में नागवंशियों के क्षेत्राधिकार में हीरा होने की बात लिखी है। जबकि, बिहार डिस्ट्रिक्ट गजेटियर राँची में एमजी हैलिट ने राँची की शंख नदी के कछार में हीरा होने का उल्लेख किया है।
  • इसी तरह प्रो. जोन डाउसन ने पुस्तक ‘द हिस्ट्री ऑफ इंडिया एज टोल्ड बॉय इट्स ऑन हिस्टोरियन’ में झारखंड की शंख नदी के किनारे छोटे-बड़े दोनों प्रकार के हीरे पाये जाने का जिक्र किया है।
  • इसके अलावा कर्नल डाल्टन की पुस्तक ‘इथनोलॉजी ऑफ बंगाल’, जेबी ट्रेविनियर की पुस्तक ‘ट्राइबल्स इन इंडिया’, सीएफ जॉर्ज की पुस्तक ‘वाट ए डिक्शनरी ऑफ द इकोनॉमिक प्रोडक्ट ऑफ इंडिया’, वी बाल की पुस्तक ‘द डायमंडस, कोल एंड गोल्ड ऑफ इंडिया’आदि में भी इस तरह के जिक्र हैं।


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