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छत्तीसगढ़ की नवीन मछली पालन नीति कैबिनेट में मंज़ूर
चर्चा में क्यों?
24 नवंबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य की नवीन मछली पालन नीति में मछुआरा के हितों को ध्यान में रखते हुए संशोधन को मंज़ूरी दी गई।
प्रमुख बिंदु
- मछुआ समुदाय के लोगों की मांग और उनके हितों को संरक्षित करने के उद्देश्य से नवीन मछली पालन नीति में तालाब और जलाशयों को मछली पालन के लिये नीलामी करने के बजाय लीज पर देने के साथ ही वंशानुगत-परंपरागत मछुआ समुदाय के लोगों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है।
- तालाबों एवं सिंचाई जलाशयों के जलक्षेत्र आवंटन सीमा में 50 फीसद की कमी कर ज़्यादा से ज़्यादा मछुआरों को रोजी-रोज़गार से जोड़ने का प्रावधान किया गया है।
- प्रति सदस्य के मान से आवंटित जलक्षेत्र सीमा शर्त घटाने से लाभान्वित मत्स्य पालकों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।
- संशोधित नवीन मछली पालन नीति के अनुसार मछली पालन के लिये तालाबों एवं सिंचाई जलाशयों की अब नीलामी नहीं की जाएगी, बल्कि 10 साल के पट्टे पर दिये जाएंगे।
- तालाब और जलाशय के आबंटन में सामान्य क्षेत्र में ढीमर, निषाद, केंवट, कहार, कहरा, मल्लाह के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को तथा अनुसूचित जनजाति अधिसूचित क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को प्राथमिकता दी जाएगी।
- मछुआ से तात्पर्य उस व्यत्ति से है, जो अपनी आजीविका का अर्जन मछली पालन, मछली पकड़ने या मछली बीज उत्पादन का कार्य करता हो, के तहत वंशानुगत-परंपरागत धीवर (ढीमर), निषाद (केंवट), कहार, कहरा, मल्लाह को प्राथमिकता दिया जाना प्रस्तावित है।
- इसी तरह मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति अथवा मछुआ व्यत्ति को ग्रामीण तालाब के मामले में अधिकतम एक हेक्टेयर के स्थान पर आधा हेक्टेयर जलक्षेत्र तथा सिंचाई जलाशय के मामले में चार हेक्टेयर के स्थान पर दो हेक्टेयर जलक्षेत्र प्रति सदस्य/प्रति व्यक्ति के मान से आवंटित किया जाएगा।
- मछली पालन के लिये गठित समितियों का ऑडिट अभी तक सिर्फ सहकारिता विभाग द्वारा किया जाता था। अब संशोधित नवीन मछली पालन नीति में सहकारिता एवं मछली पालन विभाग की संयुत्त टीम ऑडिट की ज़िम्मेदारी दी गई है।
- त्रि-स्तरीय पंचायत व्यवस्था के अंतर्गत शून्य से 10 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र के तालाब एवं सिंचाई जलाशय को 10 वर्ष के लिये पट्टे पर आवंटित करने का अधिकार ग्राम पंचायत का होगा।
- जनपद पंचायत 10 हेक्टेयर से अधिक एवं 100 हेक्टेयर तक, ज़िला पंचायत 100 हेक्टेयर से अधिक एवं 200 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र तक, मछली पालन विभाग द्वारा 200 हेक्टेयर से अधिक एवं 1000 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र के जलाशय, बैराज को मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को पट्टे पर देगा।
- नगरीय निकाय के अंतर्गत आने वाले समस्त जलक्षेत्र नगरीय निकाय के अधीन होंगे, जिसे शासन की नीति के अनुसार 10 वर्ष के लिये लीज पर आवंटित किया जाएगा।
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छत्तीसगढ़ मंत्रिपरिषद की बैठक में लिये गये महत्त्वपूर्ण निर्णय
चर्चा में क्यों?
24 नवंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ ज़िला खनिज संस्थान नियम 2015 में संशोधन किये जाने के निर्णय सहित कई अन्य महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए।
प्रमुख बिंदु
- ज़िला खनिज संस्थान न्यास से संपादित अधोसंरचना के कार्य पर व्यय हेतु न्यास निधि में प्राप्त राशि से निश्चित प्रतिशत राशि के बंधन से मुत्त किये जाने के संबंध में छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान नियम 2015 में संशोधन किये जाने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत डीएमएफ के अन्य प्राथमिकता मद में उपलब्ध राशि का 20 प्रतिशत सामान्य क्षेत्र में तथा 40 प्रतिशत अधिसूचित क्षेत्र में व्यय किये जाने के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है, इससे अधोसंरचना के कार्य को गति मिलेगी, जिससे प्रदेश में सामाजिक एवं आर्थिक विकास तेज़ी से होगा।
- राज्य शासन छत्तीसगढ़ राज्य वनोपज संघ एवं निजी निवेशकों के मध्य संपादित त्रिपक्षीय एमओयू के आधार पर स्थापित वनोपज आधारित उद्योगों द्वारा जो उत्पाद निर्माण किये जाएंगे। छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड के अंतर्गत 40 प्रतिशत की छूट के साथ क्रय करते हुए संजीवनी एवं अन्य माध्यमों से विक्रय हेतु शासन द्वारा निर्णय लिया गया है।
- इस निर्णय के फलस्वरूप उन उद्योगों को जो वनोपज आधारित उत्पादों का निर्माण करना चाहते हैं, उनको बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ हर्बल के अंतर्गत अच्छी क्वालिटी के उत्पादों का विक्रय हो सकेगा।
- छत्तीसगढ़ लोक सेवा, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिये आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था में प्रवेश में आरक्षण संशोधन विधेयक के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- द्वितीय अनुपूरक अनुमान वर्ष 2022-23 का विधानसभा में उपस्थापन के लिये छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक 2022 का अनुमोदन किया गया।
- प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन साधारण प्रकृति के प्रकरणों को जनहित में वापस लिये जाने हेतु निर्धारित अवधि 31 दिसंबर, 2017 को बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2018 करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- मुख्यमंत्री जी के स्वेच्छानुदान राशि 70 करोड़ से बढ़ाकर 110 करोड़ किये जाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- भारत सरकार के संशोधन के अनुसार राजस्व पुस्तक परिपत्र खंड 6 क्रमांक 4 में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा प्रस्तुत संशोधन प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
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