उत्तर प्रदेश Switch to English
तराई हाथी अभयारण्य को केंद्र की मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
23 अक्तूबर, 2022 को उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने तराई हाथी रिज़र्व (टीईआर) को अपनी मंज़ूरी दे दी है, जिसे दुधवा टाइगर रिज़र्व और लखीमपुर एवं पीलीभीत ज़िलों में स्थित पीलीभीत टाइगर रिज़र्व सहित 3,049 वर्ग किमी. क्षेत्र में विकसित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- उत्तर प्रदेश वन विभाग के अनुसार, विभाग ने अप्रैल में प्रस्ताव तैयार किया था और इसे 11 अक्तूबर को केंद्र को भेज दिया था। टीईआर के लिये केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय से मंज़ूरी मिलने के बाद अब जल्द ही राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी की जाएगी।
- गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में तराई हाथी रिज़र्व के अस्तित्व में आने के साथ, दुधवा टाइगर रिज़र्व उत्तर प्रदेश में अकेला राष्ट्रीय उद्यान होगा जो चार प्रतिष्ठित जंगली जानवरों की प्रजातियों - बाघ, एक सींग वाला गैंडा, एशियाई हाथी और दलदली हिरण की रक्षा और संरक्षण करेगा।
- दुधवा और पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के अलावा, हाथी रिज़र्व में किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य, कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य, दुधवा बफर ज़ोन और दक्षिण खीरी वन प्रभाग के कुछ हिस्से शामिल होंगे।
- तराई हाथी अभयारण्य की स्थापना वन्यजीव संरक्षण के मामले में एक मील का पत्थर होगी, विशेष रूप से एशियाई हाथियों के लिये, क्योंकि यह भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है, जहाँ हाथियों की सीमा-पार आवाजाही एक नियमित दिनचर्या है।
- केंद्र हाथी परियोजना के तहत सभी वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा, जो मानव-हाथी संघर्षों को सँभालने में मदद करेगा। दुधवा में हाथी अभयारण्य की स्थापना से उनके संरक्षण के प्रति हाथी केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने में मदद मिलेगी।
- साथ ही, परियोजना हाथी के तहत प्राप्त वित्तीय और तकनीकी सहायता का उपयोग दुधवा के शिविर में मौजूद हाथियों के प्रबंधन में किया जाएगा और मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं, जो वर्तमान में राज्य पर निर्भर हैं, को अधिक प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि दुधवा टाइगर रिज़र्व ने दशकों से विभिन्न घरेलू और सीमा पार गलियारों के माध्यम से जंगली हाथियों को आकर्षित किया है, जिसमें बसंता-दुधवा, लालझड़ी (नेपाल) -सथियाना और शुक्लाफांटा (नेपाल)-ढाका-पीलीभीत-दुधवा बफर ज़ोन कॉरिडोर शामिल हैं। प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत तराई एलीफेंट रिज़र्व इन गलियारों को पुनर्जीवित करने या बहाल करने में मदद करेगा, जो खराब हो गए हैं।
राजस्थान Switch to English
मुख्यमंत्री ने राजस्थान में विभिन्न बोर्ड के गठन को मंज़ूरी दी
चर्चा में क्यों?
23 अक्तूबर, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के प्रत्येक वर्ग के समग्र विकास एवं आर्थिक उत्थान के लिये राजस्थान चर्म शिल्प कला विकास बोर्ड, राजस्थान राज्य महात्मा ज्योतिबा फुले बोर्ड तथा राजस्थान राज्य रजक कल्याण बोर्ड के गठन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी।
प्रमुख बिंदु
- राजस्थान चर्म शिल्प कला विकास बोर्ड की स्वीकृति से चर्म व्यवसाय से संबंधित व्यक्तियों के जीवन स्तर में वृद्धि होगी एवं उनका आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सकेगा।
- इस बोर्ड के गठन से राज्य के औद्योगिक विकास में इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित होगी। साथ ही, उनके कार्यस्थल एवं विकास स्थल पर समस्त आधारभूत सुविधाओं यथा सड़क, पानी, बिजली, चिकित्सा, शिक्षा, उत्पादों के विपणन हेतु मार्केटिंग सेंटर विकसित हो सकेंगे।
- इस व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों को आधुनिक तकनीक आधारित चर्म रंगाई एवं अन्य उत्पादों हेतु देश में प्रतिष्ठित संस्थाओं के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था भी की जा सकेगी। बोर्ड के माध्यम से इस व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों की सामाजिक सुरक्षा हेतु योजनाएँ बनेंगी एवं उनका समयबद्ध क्रियान्वयन होगा।
- इस व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों के विकास हेतु समुचित वित्तीय सहयोग एवं बैंकों से वित्त का प्रबंध भी हो सकेगा। चर्म उत्पादों की सरकारी खरीद में निविदा प्रक्रिया से मुक्त रखने का कार्य भी बोर्ड द्वारा किया जा सकेगा। चर्म उत्पादों की खरीद व तकनीकी प्रोद्योगिकी में सहयोग के अलावा फुटवियर निर्माण एवं चर्म उत्पादों को प्रोत्साहन मिलेगा।
- ज़िला/राज्य स्तर पर सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन एवं उनके वित्तीय प्रबंधन से संबंधित कार्य किये जाएंगे। राजस्थान में पंजीकृत चर्म दस्तकार, बोर्ड में पंजीयन करवाकर योजनाओं का लाभ ले सकेंगे।
- राजस्थान राज्य महात्मा ज्योतिबा फुले बोर्ड के गठन से काछी, कुशवाह, माली, सैनी इत्यादि बागवान समाज के विभिन्न वर्गों के सामाजिक व शैक्षणिक स्तर में वृद्धि होगी। बोर्ड द्वारा इनकी आर्थिक अभिवृद्धि के लिये विभिन्न योजनाएँ प्रस्तावित की जाएंगी तथा आवश्यक मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जाएंगी।
- इस बोर्ड के गठन से बागवान समाज के लिये विभिन्न विकास एवं कल्याण से संबंधित योजनाओं का प्रारूप तैयार हो सकेगा तथा इन वर्गों की कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ ही उनके परंपरागत व्यवसाय को भी अधिक लाभदायक स्थिति में लाया जा सकेगा।
- रजक समाज के विभिन्न वर्गों की स्थिति का जायजा लेने के बाद प्रामाणिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर इन वर्गों को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराने तथा इनकी समस्याओं की पहचान कर उन्हें दूर करने के लिये सुझाव देने के उद्देश्य से राजस्थान राज्य रजक कल्याण बोर्ड का गठन किया गया है।
- राजस्थान चर्म शिल्प कला विकास बोर्ड का प्रशासनिक विभाग उद्योग एवं वाणिज्य विभाग होगा तथा राजस्थान राज्य रजक कल्याण बोर्ड व राजस्थान राज्य महात्मा ज्योतिबा फुले बोर्ड का गठन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अंतर्गत होगा।
- इन बोर्ड के गठन से प्रदेश के विभिन्न वर्गों के उत्थान के लिये नवीन योजनाएँ बनाई जा सकेंगी तथा उनके उत्थान के लिये आवश्यक कदम उठाए जा सकेंगे। इससे हर वर्ग का पिछड़ापन समाप्त हो सकेगा तथा हर वर्ग सर उठाकर जीवनयापन कर सकेगा।
मध्य प्रदेश Switch to English
क्राफ्ट अवार्ड में मुबारिक खत्री को मिला ‘मास्टर आर्टिसन ऑफ द ईयर’का खिताब
चर्चा में क्यों?
22 अक्तूबर, 2022 को दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय शिल्प पुरस्कार-2021 सम्मान समारोह में मध्य प्रदेश के शिल्पकार मुबारिक खत्री को ‘मास्टर आर्टिसन ऑफ द ईयर’ का खिताब प्रदान किया गया। उन्हें उनकी असाधारण शिल्प कौशल और उनके पारंपरिक शिल्प - बाग प्रिंट में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये यह पुरस्कार दिया गया।
प्रमुख बिंदु
- यह पुरस्कार शिल्प ग्राम संगठन द्वारा दिया जाता है, शिल्प ग्राम विश्व शिल्प परिषद की राष्ट्रीय इकाई है। मुख्य अतिथि- साद अल कद्दूमी (अध्यक्ष-विश्व शिल्प परिषद) और प्रसून जोशी (सेंसर बोर्ड इंडिया के प्रमुख) की उपस्थिति में दिल्ली में पुरस्कार समारोह आयोजित किया गया था।
- अंतर्राष्ट्रीय शिल्प पुरस्कार के लिये लगभग 40 देशों से नामांकन प्राप्त हुए, जिसमें मध्य प्रदेश के एकमात्र शिल्पकार मुबारिक खत्री को 2021 के लिये चुना गया।
- मुबारिक ने बाग ब्लॉक प्रिंट के अपने पारंपरिक शिल्प के पुनरुद्धार पर काम किया। मुबारिक खत्री को उनके आधुनिक नवाचारों और बाग के शिल्प में योगदान के लिये वर्ष 2017 के राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार के लिये भी चुना गया है, जो आने वाले दिनों में भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा उन्हें प्रदान किया जाएगा।
- मुबारिक खत्री ने अपनी पारंपरिक कला को समर्पण और भक्ति के साथ संरक्षित किया है और सैकड़ों आदिवासी युवाओं को उन्होंने प्रशिक्षित किया है और उन्हें आजीविका कमाने के लिये रोज़गार के साधन उपलब्ध कराया है।
- शिल्पकार मुबारिक खत्री ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में अपने आधुनिक नवाचारों को प्रस्तुत किया है।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा सरकार ने बच्चों को शिक्षा एवं रोज़गार देने के लिये एक नया मैकेनिज्म तैयार किया
चर्चा में क्यों?
23 अक्तूबर, 2022 को हरियाणा सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने बच्चों को शिक्षा देने से लेकर उन्हें रोज़गार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिये एक नया मैकेनिज्म तैयार किया है।
प्रमुख बिंदु
- इसके तहत परिवार पहचान पत्र में एकत्रित नागरिकों के डाटा को आयु वर्ग के अनुसार 6 वर्गों में विभाजित किया गया है।
- प्रत्येक वर्ग का जिम्मा एक विभाग को सौंपा गया है। प्रत्येक विभाग आयु वर्ग के अनुसार उसकी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार इत्यादि सभी योजनाओं और सेवाओं का लाभ पहुँचाने के साथ-साथ इनका संपूर्ण रिकॉर्ड भी रखेगा।
- राज्य सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, स्वाभिमान और स्वावलंबन पर ज़ोर देते हुए प्रत्येक नागरिक का सर्वांगीण विकास व कल्याण सुनिश्चित करने हेतु यह मैकेनिज्म तैयार किया है।
- कार्य योजना के अनुसार 6 साल तक की आयु के बच्चों का जिम्मा महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपा गया है। विभाग इन बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा और पोषण पर विशेष ध्यान रखेगा।
- साथ ही, विभाग हर बच्चे की ट्रैकिंग भी रखेगा कि वह बच्चा 6 साल तक की आयु तक घर पर, आंगनवाड़ी में या स्कूल में जा रहा है और उसे जरूरी पोषक आहार उपलब्ध हो रहा है या नहीं।
- इसके अलावा राज्य सरकार बच्चों की डे-केयर के लिये क्रैच स्थापित करने पर भी लगातार ज़ोर दे रही है।
- बच्चों को यदि शुरुआत में ही अच्छा पोषण और शिक्षा मिलेगी तो उसकी बुनियाद मज़बूत बनेगी और वे जीवन में सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेंगे।
- प्रारंभिक शिक्षा जितनी महत्त्वपूर्ण है, उससे भी कहीं अधिक स्कूली शिक्षा का महत्त्व है। इसलिये कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे, इस विजन के साथ अब स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 6 साल से 18 वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्चों की देखभाल की जाएगी।
- मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशानुसार स्कूल शिक्षा विभाग ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिये ड्रॉपआउट नीति तैयार कर रहा है, जिसके तहत विभाग हर बच्चे को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की विशेष ट्रैकिंग रखेगा, ताकि ड्रॉप आउट दर को कम किया जा सके।
- विभाग के पास प्रत्येक बच्चे का डाटा रहेगा कि वह स्कूल या आईटीआई या अन्य किसी संस्थान में शिक्षा ग्रहण कर रहा है या नहीं।
- इस रणनीति से राज्य सरकार को प्रत्येक बच्चे के बारे में संपूर्ण जानकारी होगी और यदि किसी कारणवश कोई बच्चा शिक्षण संस्थान से ड्रॉपआउट होता है तो सरकार उस बच्चे को वापस शिक्षण संस्थान में लाने का प्रयास करेगी।
- वहीं शिक्षा ग्रहण करने के बाद युवाओं के सामने रोज़गार की एक बड़ी समस्या होती है। इस दिशा में युवाओं की मदद के लिये राज्य सरकार ने अब विभागों को जिम्मेवारी सौंपी है।
- 18 साल से 24 साल आयु वर्ग तक के बच्चों का जिम्मा उच्चतर शिक्षा विभाग और 25 साल से अधिक आयु वर्ग का जिम्मा रोज़गार विभाग को सौंपा गया है। ये विभाग युवाओं के रोज़गार के साथ-साथ उनके कौशल विकास पर भी ज़ोर देंगे।
- शिक्षा के साथ-साथ कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके विभाग युवाओं को रोज़गारपरक तो बनाएंगे ही, वहीं औद्योगिक इकाइयों के साथ संपर्क स्थापित कर युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध करवाने में भी समन्वयक बनेंगे।
- इन सभी गतिविधियों के लिये परिवार पहचान-पत्र अथॉरिटी द्वारा इन विभागों को हर माह डाटा प्रेषित किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है परिवार पहचान-पत्र पोर्टल पर राज्य के 70 लाख परिवारों और 2.80 करोड़ सदस्यों का डाटा अपडेट हो चुका है। अधिकतम परिवारों का जाति, जन्म तिथि, आय का सत्यापन पूरा किया जा चुका है।
झारखंड Switch to English
अष्टम उरांव बनी किशोरी समृद्धि योजना की ब्रांड एंबेसडर
चर्चा में क्यों?
23 अक्तूबर, 2022 को गुमला ज़िला प्रशासन ने अंडर-17 भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान और गुमला की बेटी अष्टम उरांव को ‘सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना’ का ब्रांड एंबेसडर बनाया है साथ ही फुटबॉलर सुधा अंकिता तिर्की को भी ज़िला प्रशासन ने सम्मानित किया।
प्रमुख बिंदु
- भारतीय फुटबॉल अंडर-17 टीम की कप्तान अष्टम उरांव एवं खिलाड़ी सुधा अंकिता तिर्की के गुमला आगमन के उपरांत उपायुक्त सुशांत गौरव ने अपने सभाकक्ष में सम्मान समारोह आयोजित कर दोनों खिलाड़ियों को सम्मानित किया।
- गुमला डीसी सुशांत गौरव ने कहा कि किशोरी समृद्धि योजना के बेहतर प्रचार-प्रसार एवं जागरूकता के लिये अष्टम उरांव को ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है।
- ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने पर अष्टम उरांव ने कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि किशोरी समृद्धि योजना का बेहतर प्रचार-प्रसार कर सकें जिससे इस योजना का लाभ गुमला ज़िले की किशोरियों को मिल सके।
- विदित है कि गुमला ज़िला से 60 किमी. दूर स्थित बिशुनपुर प्रखंड के बनारी गोर्राटोली गाँव की अष्टम उरांव फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप में बालिका महिला फुटबॉल टीम की कप्तान हैं।
- गौरतलब है कि झारखंड की हेमंत सरकार ने बालिका शिक्षा पर ज़ोर, बाल विवाह का अंत और महिला सशक्तीकरण के उद्देश्य को लेकर राज्य में ‘सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना’की शुरुआत की है। इस योजना के तहत किशोरियों को अपने जीवन के संबंध में स्वतंत्र निर्णय लेने के लिये सक्षम बनाना है।
- ‘सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना’के तहत राज्य सरकार किशोरियों को अच्छी शिक्षा के लिये 40 हज़ार रुपए की सहायता राशि दे रही है। इसके तहत कक्षा आठवीं में छात्राओं को 2500 रुपए, कक्षा नौवीं में 2500 रुपए, कक्षा 10वीं में 5000 रुपए, कक्षा 11वीं और 12वीं में 5000-5000 रुपए और 18 से 19 साल होने पर किशोरियों को एकमुश्त 20 हज़ार रुपए दिये जाएंगे। इस तरह से कुल 40 हज़ार रुपए किशोरियों को मिलेंगे।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तर भारत भौगोलिक संकेतांक में उत्तराखंड को मिला पहला स्थान
चर्चा में क्यों?
24 अक्तूबर, 2022 को उत्तराखंड के उद्योग निदेशक सुधीर चंद्र नौटियाल ने बताया कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से वाराणसी में 16 से 21 अक्तूबर तक आयोजित उत्तर भारत भौगोलिक संकेतांक में उत्तराखंड ने पहला स्थान प्राप्त किया है।
प्रमुख बिंदु
- उत्तर भारत भौगोलिक संकेतांक महोत्सव में उत्तराखंड की ओर से जीआई पंजीकृत सात उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई थी। इन जीआई उत्पादों में बेरीनाग चाय, ऐपण और प्यूरा उत्पाद आकर्षण का केंद्र रहे।
- राज्य के उद्योग निदेशक ने बताया कि राज्य द्वारा जीआई पंजीकृत कुमांऊ च्यूरा ऑयल, मुनस्यारी रजमा, भोटिया दन, ऐपण, रिंगाल क्राफ्ट, ताम्र उत्पाद व थुलमा समेत अन्य उत्पाद प्रदर्शित किये गए।
- उन्होंने बताया कि भौगोलिक संकेतांक किसी क्षेत्र विशेषता वाले उत्पादों को कानूनी संरक्षण प्राप्त करता है।
- उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 16 से 21 अक्तूबर तक उत्तर भारत जीआई महोत्सव आयोजित किया गया है, जिसमें उत्तर के 11 राज्यों की ओर से 100 जीआई उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में मेडिक्लेम से मिलेगा कैशलेस इलाज
चर्चा में क्यों?
24 अक्तूबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के जीएसवीएम सुपर स्पेशियलिटी पीजीआई के नोडल अधिकारी डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि राज्य में अब जीएसवीएम पीजीआई समेत 6 मेडिकल कॉलेजों में बनाए गए सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉकों में मेडिक्लेम से मरीजों को कैशलेस इलाज मिलेगा। इसके लिये राज्य शासन ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी है।
प्रमुख बिंदु
- नोडल अधिकारी डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि सुपर स्पेशियलेटी ब्लॉकों को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली के मॉडल पर चलाया जाएगा। इसके लिये मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के ब्लू प्रिंट का अध्ययन भी किया जा रहा है।
- सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉकों में मेडीक्लेम के मरीजों का इलाज करने के लिये टीपीए ब्लॉक भी बनाया जाएगा, ताकि मरीजों को मेडिक्लेम के लिये दौड़भाग न करनी पड़े।
- ज्ञातव्य है कि सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत बनाया गया है।
- राज्य में 6 मेडिकल कॉलेज कानपुर, आगरा, मेरठ, प्रयागराज, झाँसी गोरखपुर में बनाए गए है। जीएसवीएम सुपर स्पेशियलिटी जीपीआई मेरठ, कानपुर और गोरखपुर में बनकर तैयार हो गया है और यहाँ पर मरीजों का सुपर स्पेशियलिटी इलाज भी शुरू हो चुका है।
- डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि राज्य में अभी तक सब कुछ मेडिकल कॉलेजों के संसाधनों से संचालित किया जा रहा है। लेकिन आने वाले एक महीने में इन्हें सोसाइटी बनाकर चलाया जाएगा।
- विदित है कि राज्य में अभी तक इन मेडिकल कॉलेजों को केजीएमयू-एसजीपीजीआई के मॉडल पर चलाने की तैयारी की जा रही थी, परंतु अब इन्हें राज्य शासन द्वारा मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज मॉडल पर चलाया जाएगा।
- जीएसवीएम पीजीआई में न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलॉजी, गैस्ट्रो, नेप्रो की ओपीडी लगनी शुरू हो गई है तथा कुछ ही दिनों में यहाँ गैस्ट्रो सर्जरी, यूरो की भी ओपीडी और इनडोर को शुरू किया जाएगा।
- आने वाले पाँच सालों के लिये पीजीआई के मेंटीनेस का काम निर्माण एजेंसी हाइड्स को सौंपा गया है।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान कॉन्ट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स, 2022 लागू
चर्चा में क्यों?
22 अक्तूबर, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में ‘राजस्थान कॉन्ट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स, 2022’ लागू करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी। ये नियम राज्य के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदाकर्मियों पर लागू होंगे।
प्रमुख बिंदु
- प्रदेश के 1 लाख 10 हज़ार से भी अधिक संविदाकर्मियों को इन नियमों के दायरे में लाकर लाभान्वित किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि केंद्रीय प्रवर्तित एवं राज्य सरकारों की विभिन्न जनकल्याणकारी और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं की क्रियान्विति में ये संविदाकर्मी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे, लेकिन इनकी सामाजिक सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा गया। यहाँ तक कि कई राज्यों में तो इनका मानदेय तक नहीं बढ़ाया गया।
- इस निर्णय से शिक्षा विभाग के शिक्षा कर्मी, पैरा टीचर्स, ग्राम पंचायत सहायक, अंग्रेजी माध्यम अध्यापक सहित कुल 41423 संविदाकर्मी, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के राजीविका व मनरेगा के कुल 18326, अल्प संख्यक विभाग के 5697 मदरसा पैरा टीचर्स, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग व चिकित्सा शिक्षा विभाग के 44833 संविदाकर्मियों सहित कुल 1 लाख 10 हज़ार 279 संविदाकर्मी इन नियमों से लाभान्वित होंगे।
- राजस्थान कॉन्ट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स, 2022 के लागू होने से संविदाकर्मियों की भर्ती पारदर्शी तरीके से हो सकेगी तथा इसमें आरक्षण का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। साथ ही जो संविदाकर्मी 5 साल तक काम कर लेंगे, भविष्य में उन पदों के नियमित होने पर उन्हीं संविदाकर्मियों में से स्क्रीनिंग कर उन्हें स्थायी किया जा सकेगा।
- नियमों में यह भी ध्यान रखा गया है कि किस पद को किस स्थायी पद के समकक्ष माना जाए, इसी आधार पर इन संविदाकर्मियों के लिये मानदेय का निर्धारण किया गया है और स्पेशल पे प्रोटेक्शन का प्रावधान भी रखा गया है। नियमित होने पर इन कर्मियों को ओ.पी.एस. का लाभ भी दिया जाएगा।
- संविदाकर्मियों को नियमित करने को लेकर समय-समय पर कई कमेटियाँ बनीं, लेकिन इनकी समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हो सका।
- विदित है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2021-22 के बजट में संविदाकर्मियों का विभागवार कैडर बनाने और वर्ष 2022-23 के बजट में इनके मानदेय में 20 प्रतिशत वृद्धि किये जाने की घोषणा की थी।
हरियाणा Switch to English
कुरुक्षेत्र दर्शन मोबाइल एप
चर्चा में क्यों?
23 अक्तूबर, 2022 को हरियाणा सरकार के एक प्रवक्ता ने जानकारी दी कि आगामी सूर्य ग्रहण मेला-2022 के तमाम अहम पहलू कुरुक्षेत्र प्रशासन की कुरुक्षेत्र दर्शन मोबाइल एप पर देखें जा सकेंगे।
प्रमुख बिंदु
- इस मोबाइल एप पर सूर्यग्रहण मेले से संबंधित तमाम अहम जानकारियाँ अपलोड कर दी गई है। इस एप पर कुरुक्षेत्र कैसे पहुँचें, कुरुक्षेत्र का इतिहास, पर्यटन स्थल और 48 कोस के तीर्थों का पूरा इतिहास देखा जा सकेगा।
- उल्लेखनीय है कि सूर्य ग्रहण मेला-2022 में देश-प्रदेश के लाखों लोग कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर के साथ-साथ आसपास के सरोवरों में स्नान करने के लिये पहुँचे हैं।
- इस सूर्य ग्रहण के महत्त्व और लोगों की श्रद्धा तथा दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये प्रशासन द्वारा कुरुक्षेत्र दर्शन मोबाइल एप तैयार की गई है।
- इस मोबाइल एप को कुरुक्षेत्र एनआईसी इन से भी लिंक कर दिया गया है। इस साइट पर जाने के बाद कुरुक्षेत्र दर्शन मोबाइल एप को देखा जा सकेगा। यह एप एक एंड्रॉइड एप है।
- कुरुक्षेत्र दर्शन मोबाइल एप पर कुरुक्षेत्र के सभी पर्यटन स्थलों की पूरी डिटेल को पढ़ा और देखा जा सकता है। इस एप पर कुरुक्षेत्र आने के तमाम मार्गों और संसाधनों का ब्यौरा भी अंकित किया गया है। इसके अलावा करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद और पानीपत ज़िले में स्थित 48 कोस के तीर्थों का भी ब्यौरा एप पर मिलेगा।
- इस एप पर सूचना केंद्र, महिला हेल्पलाइन नंबर, कंट्रोल रुम, स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ तमाम अहम दूरभाष नंबर भी अंकित किये गए हैं। इसके साथ-साथ सूर्य ग्रहण मेला के दौरान ब्रह्मसरोवर पर स्थित सभी घाटों की जानकारी भी नक्शे सहित अपलोड की गई है। इस मोबाइल एप पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 का शेड्यूल और अन्य जानकारियाँ भी डाली गई हैं।
राजस्थान Switch to English
राजीव गांधी किसान बीज उपहार योजना रबी 2022-23
चर्चा में क्यों?
22 अक्तूबर, 2022 को राजस्थान राज्य बीज निगम द्वारा ‘राजीव गांधी किसान बीज उपहार योजना रबी 2022-23’ लागू की गई है।
प्रमुख बिंदु
- राजस्थान राज्य बीज निगम के अध्यक्ष धीरज गुर्जर ने बताया कि किसानों को वैज्ञानिकों द्वारा नव विकसित उन्नत किस्मों का उच्च गुणवत्तायुक्त बीज उचित दर पर अधिक से अधिक मात्रा में उपलब्ध कराने एवं प्रमाणित बीजों के उपयोग मे बढ़ोतरी करने के उद्देश्य से राजस्थान राज्य बीज निगम द्वारा राजीव गांधी किसान बीज उपहार योजना रबी 2022-23 लागू की जा रही है।
- निगम किसानों के लिये उच्च गुणवत्ता के प्रमाणित बीज उत्पादन कर उचित मूल्य पर ग्राम स्तर तक उपलब्ध करा रहा है। निगम द्वारा मुख्यत: खरीफ में मूंग, उड़द, ग्वार, सोयाबीन, मूंगफली, ज्वार, बाजरा एवं रबी में गेहूँ, चना, सरसों एवं जौ के फसलों का बीज उत्पादन किया जा रहा है।
- यह योजना राज्य के सभी ज़िलों में क्रियान्वित की जाएगी तथा इस योजना पर कुल राशि रुपए 4.00 करोड़ व्यय किया जाएगा।
- इस योजना अंतर्गत प्रत्येक ज़िले में 51 उपहार किसानों को लॉटरी के माध्यम से प्रदान किये जाएंगे।
- प्रत्येक ज़िले में प्रथम उपहार स्वरूप ट्रैक्टर-1, द्वितीय उपहार बैट्री ऑपरेटेड नेपसेक स्प्रेयर मशीन 20 एवं तृतीय उपहार किसान टॉर्च 30 का लॉटरी से चयन कर उपहार किसानों को वितरित किये जाएंगे।
- उल्लेखनीय है कि राजस्थान राज्य बीज निगम के द्वारा किसानों के लिये बीज क्रय पर उपहार जैसी महत्त्वपूर्ण योजना लागू किये जाने से किसानों में प्रमाणित बीजों के उपयोग के प्रति रुचि बढेगी और किसान प्रमाणित बीजों का अधिकाधिक उपयोग कर अधिक उत्पादन एवं अधिक आय अर्जित कर सकेंगे।
हरियाणा Switch to English
नेचुरल गैस का उपयोग करने वाली हरियाणा की औद्योगिक इकाईयों को वैट में 50 प्रतिशत मिलेगी छूट
चर्चा में क्यों?
22 अक्तूबर, 2022 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में स्टैंडिंग फाइनेंस कमेटी की बैठक हुई जिसमें निर्णय लिया गया है कि प्रदेश में उन औद्योगिक इकाईयों को मूल्य संवर्धन कर (वैट) में 50 प्रतिशत छूट मिलेगी, जो अपनी ऊर्जा की आवश्यकता डीजल से चलने वाले जनरेटर सेट की बजाय नेचुरल गैस से पूरा करेंगी।
चर्चा में क्यों?
- यह योजना एमएसएमई सहित पूरे उद्योगों पर लागू होगी तथा इसकी अधिसूचना तिथि से 2 वर्ष तक प्रभावी रहेगी।
- उल्लेखनीय है राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में डीजल से चलने वाले जनरेटर सेट के उपयोग को प्रतिबंधित है। अब जो उद्योग अपनी ऊर्जा की आवश्यकता सीएनजी, पीएनजी से पूरा करेंगे उनको वैट में 50 प्रतिशत छूट मिलेगी।
- इसी प्रकार, हरियाणा इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति 2022 के तहत इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माता कंपनियों को प्रति वर्ष विभिन्न मदों में 164.66 करोड़ रुपए की सब्सिडी देने को भी कमेटी ने स्वीकृति प्रदान की।
- इस बैठक में बताया गया कि ईवी नीति का उद्देश्य पर्यावरण को संरक्षित करना, कार्बन फुटप्रिंट को कम करना, हरियाणा को ईवी मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना, ईवी क्षेत्र में कौशल विकास सुनिश्चित करना, ईवी वाहनों को आगे बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित करना, ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करना और ईवी तकनीक में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना है।
- यह नीति ईवी प्रौद्योगिकी में नए विनिर्माण को प्रोत्साहित करती है और मौजूदा ऑटोमोबाइल निर्माताओं को ईवी विनिर्माण क्षेत्र में विविधता लाने के लिये प्रोत्साहित भी करती है।
- इस नीति में ईवी निर्माताओं को फिक्स्ड पूंजी निवेश (एफसीआई), कुल एसजीएसटी, स्टाम्प शुल्क पर प्रोत्साहन देकर विभिन्न वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना, रोज़गार सृजन इत्यादि शामिल हैं।
- यह नीति शैक्षिक या अनुसंधान संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करती है। वर्ष 2030 तक हरियाणा राज्य परिवहन उपक्रमों के स्वामित्व वाले बस बेड़े को शत-प्रतिशत इलेक्ट्रिक बसों या ईंधन सैल वाहनों या अन्य गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित प्रौद्योगिकियों में बदलने का प्रयास किया जाएगा।
- इसके अलावा, सरकार ने गुरुग्राम और फरीदाबाद शहरों को मॉडल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (ईएम) शहरों में शत-प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), ई-मोबिलिटी हासिल करने के लिये चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को अपनाने के लिये चरणबद्ध लक्ष्य निर्धारित किये हैं।
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