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1.78 लाख PVTG नामांकित
चर्चा में क्यों
हाल ही में भारत के निर्वाचन आयोग ने झारखंड में समावेशी, सहभागितापूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिसमें विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (Particularly Vulnerable Tribal Groups- PVTG) के नामांकन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
मुख्य बिंदु:
PVTG का 100% नामांकन: आठ PVTG के 1.78 लाख मतदाताओं को मतदाता सूची में पूर्ण रूप से नामांकित किया गया है।
मतदाता सूची के आँकड़े: कुल 2.59 करोड़ मतदाता पंजीकृत हैं, जिनमें 1.28 करोड़ महिला मतदाता और 11.05 लाख से अधिक पहली बार मतदाता (18-19 वर्ष) शामिल हैं।
विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (Special Summary Revision- SSR): राज्य के लिये दूसरा SSR पूरा हो गया और मतदाता सूची 27 अगस्त, 2024 को प्रकाशित की गई ।
निर्वाचन आयोग का निर्देश: धन-बल के प्रयोग के प्रति शून्य सहनशीलता पर ज़ोर, जैसा कि प्रवर्तन एजेंसियों, राजनीतिक दलों और सुरक्षा बलों के साथ बैठकों के दौरान बताया गया।
विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTGs)
- भारत में जनजातीय आबादी कुल जनसंख्या का 8.6% है।
- जनजातीय समूहों में PVTG अधिक असुरक्षित हैं। इस कारक के कारण, अधिक विकसित और मुखर जनजातीय समूह जनजातीय विकास निधि का एक बड़ा भाग आहरित कर लेते हैं, जिसके कारण PVTG को अपने विकास के लिये अधिक निधि की आवश्यकता होती है।
- वर्ष 1973 में ढेबर आयोग ने आदिम जनजातीय समूहों (Primitive Tribal Groups- PTG) को एक अलग श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया, जो जनजातीय समूहों में कम विकसित हैं। वर्ष 2006 में भारत सरकार ने PTG का नाम बदलकर PVTG कर दिया।
- इस संदर्भ में, वर्ष 1975 में भारत सरकार ने सबसे कमज़ोर जनजातीय समूहों को PVTG नामक एक अलग श्रेणी के रूप में पहचानने की पहल की और 52 ऐसे समूहों की घोषणा की, जबकि वर्ष 1993 में अतिरिक्त 23 समूहों को इस श्रेणी में जोड़ा गया, जिससे कुल 705 अनुसूचित जनजातियों में से PVTG की संख्या 75 हो गई।
- PVTG की कुछ बुनियादी विशेषताएँ हैं, जैसे कि वे अधिकांशतः समरूप होते हैं, उनकी जनसंख्या कम है, वे अपेक्षाकृत भौतिक रूप से पृथक हैं, लिखित भाषा का अभाव होता है, प्रौद्योगिकी अपेक्षाकृत सरल है तथा परिवर्तन की दर धीमी होती है आदि।
- सूचीबद्ध 75 PVTG में सबसे अधिक संख्या ओडिशा में पाई जाती है।
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