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पराली प्रबंधन का रोहतास मॉडल
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पराली प्रबंधन के रोहतास मॉडल को पूरे राज्य में लागू करने का निर्णय लिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- रोहतास मॉडल के तहत स्ट्राबेलर नामक मशीन की सहायता से उच्च दबाव पर पराली का कंप्रेस्ड बंडल बनाया जाता है। इस बंडल को डेयरी समितियों को बेचा जाता है, जहाँ इसका प्रयोग चारे के रूप में किया जाता है। इससे न केवल कृषकों को अतिरिक्त आय की प्राप्ति होती है, बल्कि पशुपालकों की चारे संबंधी समस्या का समाधान होने से पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिलता है।
- उल्लेखनीय है कि कृषि विज्ञान केंद्र, रोहतास के इस पराली प्रबंधन मॉडल को मई 2021 में इको-एग्रीकल्चर अवॉर्ड, 2021 से सम्मानित किया गया है।
- इसके अतिरिक्त राज्य कृषि विभाग द्वारा पराली से बायोचार बनाने के प्रयास भी शुरू कर दिये गए हैं, जिसके तहत पराली को विशेष भट्ठी की सहायता से लगभग 360ºC तापमान पर जलाकर बायोचार खाद का निर्माण किया जाएगा।
- गौरतलब है कि उत्तर भारत में पराली का प्रबंधन अत्यंत जटिल समस्या है। दरअसल प्रत्येक वर्ष किसानों द्वारा फसल अवशेषों (पराली) को जलाने से विभिन्न प्रकार की पर्यावरण एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, उदाहरण के लिये दिल्ली एनसीआर में शीत ऋतु में स्मॉग की समस्या। ऐसे में पराली प्रबंधन के रोहतास मॉडल को पूरे बिहार राज्य में विस्तारित करना महत्त्वपूर्ण कदम है।
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