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राजस्थान सिनेमा (विनियमन) (संशोधन) विधेयक-2023 ध्वनिमत से पारित
चर्चा में क्यों?
21 जुलाई, 2023 को राजस्थान विधानसभा ने राजस्थान सिनेमा (विनियमन) (संशोधन) विधेयक-2023 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया।
प्रमुख बिंदु
- संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने 10 अगस्त, 2020 को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत एक पत्र लिखकर कानून की समीक्षा करते हुए इसमें गैर-अपराधीकरण के प्रावधान समाहित करने के निर्देश प्रदान किये थे।
- इसकी अनुपालना में राजस्थान सिनेमा (विनियमन) अधिनियम-1952 को संशोधित करते हुए राजस्थान सिनेमा (विनियमन) (संशोधन) विधेयक-2023 विधेयक लाया गया है।
- इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने हेतु परिचालित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।
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राजस्थान राज्य अवंति बाई लोधी बोर्ड का हुआ गठन
चर्चा में क्यों?
24 जुलाई, 2023 को राजस्थान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार लोधी (लोधा) समाज की स्थिति का सर्वेक्षण करने, मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाने तथा पिछड़ेपन को दूर करने के सुझाव देने के लिये राजस्थान राज्य अवंति बाई लोधी बोर्ड का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री ने इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- बोर्ड में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा 3 गैर-सरकारी सदस्य होंगे। साथ ही उद्योग विभाग, स्कूल शिक्षा (प्राथमिक/माध्यमिक) एवं संस्कृत शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, श्रम विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के आयुक्त/निदेशक/शासन सचिव अथवा उनके प्रतिनिधि बोर्ड में सरकारी सदस्य के रूप में होंगे।
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक स्तर के अधिकारी बोर्ड में सचिव का कार्य करेंगे।
- इसके अतिरिक्त प्रबंध निदेशक, राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड अथवा उनका प्रतिनिधि बोर्ड के विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग बोर्ड के लिये प्रशासनिक विभाग होगा।
- उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पूर्व में इस संबंध में घोषणा की गई थी।
- इस बोर्ड के गठन का उद्देश्य लोधी (लोधा) समाज के कल्याण हेतु विभिन्न योजनाएँ प्रस्तावित करना, वर्तमान में संचालित विभिन्न जनकल्याकारी योजनाओं के बारे में विभिन्न विभागों से समन्वय कर सुझाव देना, समाज के शैक्षिक एवं आर्थिक उन्नयन तथा रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये सुझाव देना है। यह बोर्ड समाज के परंपरागत व्यवसायों को नवीन तकनीक से लाभदायक स्थिति में लाने के सुझाव भी देगा।
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राजस्थान ऑनलाइन प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स के कल्याण के लिये विधेयक पारित करने वाला पहला राज्य बना
चर्चा में क्यों?
24 जुलाई, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर राज्य विधानसभा ने राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार (रजिस्ट्रीकरण और कल्याण) विधेयक-2023 पारित किया है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से आजीविका अर्जित कर रहे लाखों गिग वर्कर्स के कल्याण के लिये विधेयक पारित करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बना है।
प्रमुख बिंदु
- राज्य सरकार ने ओला, स्विगी, उबर, जोमेटो जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से गिग वर्कर्स के रूप में जुड़े लाखों युवाओं को सौगात दी है। इन गिग वर्कर्स के हितों का संरक्षण कर अब उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
- इस विधेयक के माध्यम से बनने वाले अधिनियम के अंतर्गत राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार कल्याण बोर्ड की स्थापना की जाएगी। साथ ही राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार सामाजिक सुरक्षा और कल्याण निधि का गठन किया जाएगा।
- यह बोर्ड प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स का पंजीकरण सुनिश्चित करेगा। साथ ही पंजीकृत गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा के लिये योजनाओं को मॉनिटर करने के साथ ही ऐसी योजनाओं के प्रशासन के लिये राज्य सरकार को अपनी सिफारिशें देगा।
- बोर्ड यह भी सुनिश्चित करेगा कि इन योजनाओं के अनुसार फायदों तक गिग वर्कर्स की पहुँच हो और उनके कार्य करने की स्थिति बेहतर हो। यह बोर्ड गिग वर्कर्स के अधिकारों से संबंधित शिकायतों और अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन से संबंधित मामलों का समयबद्ध निवारण भी सुनिश्चित करेगा।
- गिग वर्कर्स के पंजीकरण के लिये एग्रीगेटर अधिनियम के लागू होने के 60 दिनों में गिग वर्कर्स का डेटा बेस राज्य सरकार को उपलब्ध कराएंगे। राज्य सरकार एग्रीगेटर्स का रजिस्टर अपने वेब पोर्टल पर प्रकाशित करेगी।
- इस अधिनियम से गिग वर्कर्स को राज्य सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा और उनकी शिकायतों पर उन्हें सुनवाई का अवसर प्राप्त होगा।
- गिग वर्कर्स का बोर्ड में प्रतिनिधित्व भी होगा, जिससे वे उनके कल्याण के लिये लिये जाने वाले निर्णयों में भाग ले सकेंगे। अधिनियम के अंतर्गत गिग वर्कर्स के लिये शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की जाएगी, जिसके समक्ष व्यक्तिश: अथवा ऑनलाइन माध्यम से याचिका प्रस्तुत की जा सकेगी।
- वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में कम कौशल वाले युवाओं के लिये गिग कार्य से रोज़गार की व्यापक संभावनाएँ हैं। अर्थव्यवस्था और रोज़गार में बड़े योगदान के बावजूद गिग वर्कर्स अभी तक श्रम कानूनों के दायरे में नहीं आते हैं। ऐसे में उन्हें पारंपरिक कर्मचारियों की तरह संरक्षण नहीं मिल पाता है। इस अधिनियम से गिग वर्कर्स के हितों का संरक्षण होगा और उन्हें सामाजिक सुरक्षा मिल सकेगी।
- उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2023-24 के राज्य बजट में गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने व शोषण से बचाने के लिये गिग वर्कर्स वेलफेयर एक्ट लाने तथा इसके अंतर्गत गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड की स्थापना की घोषणा की थी। इसके साथ ही उन्होंने 200 करोड़ रुपए की राशि से गिग वर्कर्स वेलफेयर एंड डेवलपमेंट फंड के गठन की भी घोषणा की थी।
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राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर ने वर्ष 2019-20, 2020-21 एवं 2021-22 के बकाया पुरस्कारों की घोषणा की
चर्चा में क्यों?
24 जुलाई, 2023 को राजस्थान सरकार द्वारा प्रांत के साहित्य को प्रोत्साहित, सम्मानित और संवर्द्धित करने के लिये स्थापित स्वायत्तशासी संस्थान राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर ने वर्ष 2019-20, 2020-21 एवं 2021-22 के बकाया पुरस्कारों की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- अकादमी अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण की अध्यक्षता में हुई अकादमी संचालिका की बैठक में अनुमोदन पश्चात् इन पुरस्कारों की घोषणा की गई है।
- उल्लेखनीय है कि अध्यक्षविहीन समय के बकाया पुरस्कारों को दिये जाने हेतु गत अगस्त में ही कार्यभार सँभालने वाले अकादमी के युवा अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण की मांग पर मुख्यमंत्री एवं वित्तमंत्री अशोक गहलोत एवं कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने स्वीकृति प्रदान की थी। उस स्वीकृति के पश्चात् निर्धारित प्रक्रिया में आवेदन मांगे और प्राप्त प्रविष्टियों का मूल्यांकन कर उक्त पुरस्कार घोषित किये गए हैं।
- देश के अकादमिक इतिहास में ऐसा पहली बार है कि गत वर्षों के बकाया पुरस्कारों की सरकार की स्वीकृति के बाद किसी अकादमी ने घोषणा की है, वरना अध्यक्षविहीन काल के पुरस्कार सदैव लंबित ही रह जाते थे।
- राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा इन पुरस्कारों के तहत प्रतीक चिह्न के साथ एक निर्धारित राशि भी सम्मान्य साहित्यकार को दी जाती है।
- अकादमी के मौजूदा प्रावधानों के तहत मीरा पुरस्कार के लिये 75 हज़ार रुपए, सुधींद्र पुरस्कार, रांगेय राघव पुरस्कार, देवराज उपाध्याय पुरस्कार, कन्हैयालाल सहल पुरस्कार, देवीलाल सामर पुरस्कार, शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार प्रत्येक हेतु 31 हज़ार रुपए और प्रथम कृति सुमनेश जोशी पुरस्कार के लिये 21 हज़ार रुपए की राशि अर्पित की जाती है।
- अकादमी अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण ने बताया कि अगस्त माह में ही एक भव्य समारोह आयोजित कर इन पुरस्कारों को अर्पित किया जाएगा।
वर्ष 2019-20 के पुरस्कार |
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पुरस्कार |
प्राप्तकर्ता |
कृति |
मीरा पुरस्कार |
गोविंद माथुर (जयपुर) |
मुड़ कर देखता है जीवन’(काव्य) |
सुधींद्र पुरस्कार |
भानु भारवि (जयपुर) |
‘रंग अब वो रंग नहीं’(काव्य) |
रांगेय राघव पुरस्कार |
संदीप मील (गांव पोसानी-सीकर) |
‘कोकिलाशास्त्र’(गद्य कथा) |
देवराज उपाध्याय पुरस्कार |
सदाशिव श्रोत्रिय (उदयपुर) |
‘कविता का पार्श्व’(आलोचना) |
कन्हैयालाल सहल पुरस्कार |
ओम नागर (अंता-बारा) |
‘निब के चीरे से’(डायरी) |
देवीलाल सामर पुरस्कार |
अशोक राही (जयपुर) |
‘विष्णुगुप्त चाणक्य और रावण मिल गया’(नाट्य) |
सुमनेश जोशी पुरस्कार |
माधव राठौड़ (जोधपुर) |
‘मार्क्स में मनु ढूंढ़ती’(कहानी) |
शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार |
पंकज वीरवाल किशोर (सलंबूर) |
(बाल साहित्य) |
वर्ष 2020-21 के पुरस्कार |
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पुरस्कार |
प्राप्तकर्ता |
कृति |
मीरा पुरस्कार |
डॉ. आर.डी. सैनी (जयपुर) |
‘प्रिय ओलिव’(गद्य) |
सुधींद्र पुरस्कार |
गुलाम मोहियूद्दीन माहिर (बीकानेर) |
‘आतशे-कल्बो-जिगर’(गजल काव्य) |
रांगेय राघव पुरस्कार |
रीना मेनारिया (उदयपुर) |
‘बनास पार’(गद्य कथा) |
देवराज उपाध्याय पुरस्कार |
माधव नागदा (लालमादड़ी-नाथद्वारा) |
‘समकालीन हिन्दी लघुकथा और आज का यथार्थ’(आलोचना) |
कन्हैयालाल सहल पुरस्कार |
उमा (जयपुर) |
‘किस्सागोई’(विविध) |
देवीलाल सामर पुरस्कार |
राजकुमार बुनकर इंद्रेश (जयपुर) |
– |
सुमनेश जोशी पुरस्कार |
ब्रिजेश माथुर (अजमेर) |
- |
शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार |
पूरन सरमा (जयपुर) |
‘सद्भाव का उजाला’(बाल साहित्य) |
वर्ष 2021-22 के पुरस्कार |
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पुरस्कार |
प्राप्तकर्ता |
कृति |
मीरा पुरस्कार |
डॉ. पँजा शर्मा (जोधपुर) |
‘मोबाइल, पिक और हॉस्टल तथा अन्य कहानियाँ (गद्य) |
सुधींद्र पुरस्कार |
जितेंद्र कुमार सोनी (धन्नासर-हनुमानगढ़) |
‘रेगमाल’(काव्य) |
रांगेय राघव पुरस्कार |
दिनेश पंचाल (विकासनगर, डूंगरपुर) |
‘खेत’(गद्य) |
देवराज उपाध्याय पुरस्कार |
ओड़िसा प्रवासी दिनेश कुमार माली (सिरोही) |
‘त्रेतारू एक सम्यक् मूल्यांकन’ (आलोचना) |
कन्हैयालाल सहल पुरस्कार |
विमला भंडारी (सलंबूर) |
‘अध्यात्म का वह दिन’ (यात्रा-संस्मरण) |
देवीलाल सामर पुरस्कार |
प्रबोध कुमार गोविल (जयपुर) |
‘बता मेरा मौतनामा’ |
सुमनेश जोशी पुरस्कार |
अश्विनी त्रिपाठी (बारां) |
‘हाशिये पर आदमी’(गज़ल) |
शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार |
सत्यनारायण व्यास (रायपुर-भीलवाड़ा) |
‘रोचक बाल कहानियाँ’(बाल साहित्य) |
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