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रायपुर बनेगा पपीता उत्पादक ज़िला : एक उत्पाद-एक ज़िला योजना में रायपुर शामिल
चर्चा में क्यों?
23 जुलाई, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार रायपुर ज़िले में बड़े पैमाने पर पपीते की खेती को लेकर उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को प्रोत्साहन एवं प्रशिक्षण दिये जाने का सिलसिला शुरू कर दिया गया है। ‘एक उत्पाद-एक ज़िला योजना’के तहत रायपुर ज़िले का चयन पपीते की खेती के लिये हुआ है।
प्रमुख बिंदु
- यह जानकारी 21 जुलाई को एक उत्पाद-एक ज़िला के तहत पपीता उत्पादन से पोषण की ओर विषय पर आयोजित कार्यशाला में दी गई। ज़िला पंचायत रायपुर के सीईओ अविनाश मिश्रा के मार्गदर्शन उद्यानिकी विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र रायपुर द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन लाभांडी में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया।
- किसानों को उन्नत और रोग-प्रतिरोधी क्षमता वाले पपीते के पौधे उपलब्ध हो सके, इसके लिये इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हार्टिकल्चर बैंगलोर में विकसित अर्का प्रभात किस्म का पपीते का पौधा रायपुर लाया गया है। इसकी मदद से नर्सरी तैयार कर किसानों को रोपण के लिये अर्का प्रभात पौधा उपलब्ध कराए जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
- पपीते की नई प्रजाति अर्का प्रभात की विशेषता यह है कि यह स्पॉट वायरस रसिस्टेंट है। इसमें वायरस से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता ज़्यादा होने के कारण पौधा रोग-रहित रहता है।
- कार्यशाला में किसानों को पपीते की खेती के लिये प्रोत्साहित करते हुए उप-संचालक उद्यानिकी कैलाश सिंह पैकरा ने कहा कि इसकी खेती के लिये शासन द्वारा किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान तथा बिना ब्याज के 3 लाख रुपए तक का ऋण दिया जा रहा है।
- उन्होंने कहा कि पपीता एक पौष्टिक फल है। इसकी पत्ती भी उपयोगी है। पपीते के स्वस्थ पौधे उद्यानिकी रोपणियों एवं कृषि केंद्रों पर भी उपलब्ध है। इसकी खेती के लिये विभाग के अधिकारियों एवं प्रक्षेत्र के कर्मचारियों द्वारा किसानों को जानकारी दी जा रही है।
- महाप्रबंधक, ज़िला व्यापार उद्योग अमेय त्रिपाठी ने किसानों को पपीते की मार्केटिंग, कोल स्टोरेज में रखरखाव और प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसान इसका लाभ उठाकर अपना कारोबार बढ़ा सकते हैं।
- वैज्ञानिक डॉ. नीरज मिश्रा ने किसानों को बताया गया कि पपीता पौष्टिकता में सबसे अधिक है और इस फल से अनेक प्रकार के प्रसंस्कृत उत्पाद बनाए जा सकते हैं, जैसे जैम, जैली, कतरी, कैंडी आदि। इसके जूस एवं नेक्टर की भी अधिक डिमांड है। पपीते का पाउडर भी बनाया जा सकता है। पपीते का उत्पादन कर मंडी में बेचने के साथ ही किसान इसके प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्द्धन पर ध्यान दें तो अधिक लाभ कमा सकते हैं।
- वैज्ञानिक मनोज कुमार साहू ने बताया कि पपीते की खेती को वायरस एवं बग्स से बचाने के लिये नीम के तेल के साथ शैंपू घोलकर छिड़काव किया जाना चाहिये। पपीते के पेड़ के आस-पास गेंदा फूल का पौधा लगाकर पपीते के पौधे को रोग से सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।
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