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स्टेट पी.सी.एस.

  • 25 Jul 2023
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उत्तर प्रदेश Switch to English

जगजीवन आरपीएफ अकादमी लखनऊ में नवनिर्मित राष्ट्रीय शहीद स्मारक का अनावरण

चर्चा में क्यों?

24 जुलाई, 2023 को रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक संजय चंदर ने जगजीवन आरपीएफ अकादमी लखनऊ में नवनिर्मित राष्ट्रीय शहीद स्मारक एवं राष्ट्रीय रेलवे सुरक्षा संग्रहालय का अनावरण किया। 

प्रमुख बिंदु  

  • विदित है कि यह शहीद स्मारक 4800 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इस स्मारक पर 1957 से अब तक 1014 शहीद आरपीएफ कर्मियों के नाम अंकित किये गए हैं और आरपीएफ की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि दी गई है। 
  • इस संग्रहालय में आने वाले पर्यटक को एक ही नज़र में रेलवे सुरक्षा बल के इतिहास, उत्पत्ति, उपलब्धियों, कर्तव्यों और ज़िम्मेदारियों की पूरी जानकारी मिल जाएगी।  
  • संग्रहालय कुल 9000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें 37 विषयगत डिस्प्ले पैनल, 11 डिस्प्ले कैबिनेट, पुलिस प्रणाली का इंफो-ग्राफिक इतिहास, 87 कलाकृतियाँ, भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार से 500 पृष्ठ, बीते युग के 36 हथियार, सुरक्षा से संबंधित 150 रेलवे की वस्तुएँ, रेलवे सुरक्षा बल के विभिन्न रैंकों के 15 पुतले और कई अन्य महत्त्वपूर्ण वस्तुएँ प्रदर्शित हैं। 
  • इस संग्रहालय का आदर्श वाक्य ‘ज्ञानवर्धनायचसंरक्षणाय’है, जो आरपीएफ को ‘ज्ञान को बढ़ावा देने और विरासत को संरक्षित करने’के लिये लगातार प्रेरित करता है। 
  • इसके अलावा, रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक ने सेंट्रल आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल डिपो किर्की, खड़की, पुणे से प्राप्त और अकादमी परिसर में स्थापित वॉर ट्रॉफी टी-55 टैंक, नवनिर्मित बैडमिंटन और लॉन टेनिस कोर्ट, आरपीएफ के विशेष बैंड का भी अनावरण किया। 

 


बिहार Switch to English

बिहार में खेलों को बढ़ावा देने के लिये बन रही स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और एकेडमी

चर्चा में क्यों?

21 जुलाई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में खेल संस्कृति विकसित करने के लिये राज्य सरकार द्वारा कई स्तरों पर काम किया जा रहा है। इसके लिये राज्य में खेल विश्वविद्यालय और खेल अकादमी स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।  

प्रमुख बिंदु 

  • इसके अलावा, पद वर्ग स्वीकृति प्रशासकीय निकाय द्वारा इस खेल विश्वविद्यालय के लिये 31 और खेल अकादमी के लिये 81 पदों की स्वीकृति दे दी गई है।  
  • राज्य का पहला खेल विश्वविद्यालय और खेल अकादमी दोनों नालंदा ज़िले के राजगीर में स्थापित होना है। यह दोनों संस्थान राजगीर में बन रहे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम परिसर में स्थापित किये जाएंगे।  
  • गुजरात, पंजाब, असम, तमिलनाडु और राजस्थान के बाद खेल विश्वविद्यालय स्थापित करने वाला बिहार छठा राज्य बन गया है। इसके लिये बिहार खेल विश्वविद्यालय विधेयक 2021 विधानमंडल से पास किया गया था।  
  • इस विश्वविद्यालय के कुलपति का चयन खेल प्रशासन और खेल प्रबंधन के अनुभव के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी में से किया जाएगा। वहीं इस विश्वविद्यालय के पदेन कुलाधिपति मुख्यमंत्री होंगे। 
  • नालंदा ज़िले में बन रहे इस खेल विश्वविद्यालय में खेल से संबंधित डिप्लोमा से लेकर पोस्ट ग्रेजुएट तक की पढ़ाई की योजना है। प्रारंभिक चरण में शारीरिक शिक्षा, स्पोर्ट्स फिजिक्स, खेल प्रशिक्षण, स्पोर्ट्स मीडिया, खेल प्रबंधन और खेल प्रशासन संबंधी विषयों की पढ़ाई होगी।  
  • इस विश्वविद्यालय का मुख्यालय राजगीर में होगा। राजगीर का राज्य खेल अकादमी भी इसका हिस्सा होगा। विवि से संबद्ध सभी कॉलेज में महिलाओं के लिये 33 फीसदी सीटों पर आरक्षण का प्रावधान भी किया गया है। 
  • खेल विश्वविद्यालय खुल जाने से बिहार में न सिर्फ खेलों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इससे लोगों के लिये रोज़गार का सृजन भी होगा। इसके साथ ही राज्य में फिलहाल शारीरिक शिक्षकों और खेल प्रशिक्षकों की जो कमी है, उसे भी दूर किया जा सकेगा। 
  • इसके अतिरिक्त प्रदेश में नये फिजिकल ट्रेनिंग कॉलेज भी खोलने की तैयारी चल रही है, जिससे बड़ी संख्या में खेल प्रशिक्षक भी तैयार होंगे। 
  • विदित है कि पर्यटक नगरी राजगीर से महज पाँच किलोमीटर की दूरी पिलखी पंचायत के थेरा गांव में ठेरा हिंदुपुर मौजा के 90.765 एकड़ में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम सह स्पोर्ट्स एकेडमी का निर्माण हो रहा है।  
  • इस अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम के बन जाने के बाद यहाँ राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मैच भी खेले जाएंगे। 740.82 करोड़ रुपए खर्च कर इस क्रिकेट स्टेडियम और खेल अकादमी का निर्माण किया जा रहा है। 
  • राजगीर में बन रहे इस अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम सह स्पोर्ट्स एकेडमी में क्रिकेट के साथ अन्य खेलों का भी आयोजन होगा। यहाँ खेल पुस्तकालय भी होगा।  
  • इस स्टेडियम में इनडोर और आउटडोर खेल परिसर होगा। अकादमी में खेल का मैदान, खेल उपकरण, पुस्तकालय के साथ अनुसंधान, फिटनेस और प्रेरणा केंद्र जैसी सुविधाएँ होंगी।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान सिनेमा (विनियमन) (संशोधन) विधेयक-2023 ध्वनिमत से पारित

चर्चा में क्यों?

21 जुलाई, 2023 को राजस्थान विधानसभा ने राजस्थान सिनेमा (विनियमन) (संशोधन) विधेयक-2023 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया।  

प्रमुख बिंदु 

  • संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने 10 अगस्त, 2020 को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत एक पत्र लिखकर कानून की समीक्षा करते हुए इसमें गैर-अपराधीकरण के प्रावधान समाहित करने के निर्देश प्रदान किये थे।  
  • इसकी अनुपालना में  राजस्थान सिनेमा (विनियमन) अधिनियम-1952 को संशोधित करते हुए राजस्थान सिनेमा (विनियमन) (संशोधन) विधेयक-2023 विधेयक लाया गया है। 
  • इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने हेतु परिचालित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान राज्य अवंति बाई लोधी बोर्ड का हुआ गठन

चर्चा में क्यों?

24 जुलाई, 2023 को राजस्थान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार लोधी (लोधा) समाज की स्थिति का सर्वेक्षण करने, मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाने तथा पिछड़ेपन को दूर करने के सुझाव देने के लिये राजस्थान राज्य अवंति बाई लोधी बोर्ड का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री ने इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।  

प्रमुख बिंदु  

  • बोर्ड में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा 3 गैर-सरकारी सदस्य होंगे। साथ ही उद्योग विभाग, स्कूल शिक्षा (प्राथमिक/माध्यमिक) एवं संस्कृत शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, श्रम विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के आयुक्त/निदेशक/शासन सचिव अथवा उनके प्रतिनिधि बोर्ड में सरकारी सदस्य के रूप में होंगे।  
  • सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक स्तर के अधिकारी बोर्ड में सचिव का कार्य करेंगे।  
  • इसके अतिरिक्त प्रबंध निदेशक, राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड अथवा उनका प्रतिनिधि बोर्ड के विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।  
  • सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग बोर्ड के लिये प्रशासनिक विभाग होगा।  
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पूर्व में इस संबंध में घोषणा की गई थी।  
  • इस बोर्ड के गठन का उद्देश्य लोधी (लोधा) समाज के कल्याण हेतु विभिन्न योजनाएँ प्रस्तावित करना, वर्तमान में संचालित विभिन्न जनकल्याकारी योजनाओं के बारे में विभिन्न विभागों से समन्वय कर सुझाव देना, समाज के शैक्षिक एवं आर्थिक उन्नयन तथा रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये सुझाव देना है। यह बोर्ड समाज के परंपरागत व्यवसायों को नवीन तकनीक से लाभदायक स्थिति में लाने के सुझाव भी देगा। 

राजस्थान Switch to English

राजस्थान ऑनलाइन प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स के कल्याण के लिये विधेयक पारित करने वाला पहला राज्य बना

चर्चा में क्यों?

24 जुलाई, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर राज्य विधानसभा ने राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार (रजिस्ट्रीकरण और कल्याण) विधेयक-2023 पारित किया है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से आजीविका अर्जित कर रहे लाखों गिग वर्कर्स के कल्याण के लिये विधेयक पारित करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बना है। 

प्रमुख बिंदु  

  • राज्य सरकार ने ओला, स्विगी, उबर, जोमेटो जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से गिग वर्कर्स के रूप में जुड़े लाखों युवाओं को सौगात दी है। इन गिग वर्कर्स के हितों का संरक्षण कर अब उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी।  
  • इस विधेयक के माध्यम से बनने वाले अधिनियम के अंतर्गत राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार कल्याण बोर्ड की स्थापना की जाएगी। साथ ही राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार सामाजिक सुरक्षा और कल्याण निधि का गठन किया जाएगा। 
  • यह बोर्ड प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स का पंजीकरण सुनिश्चित करेगा। साथ ही पंजीकृत गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा के लिये योजनाओं को मॉनिटर करने के साथ ही ऐसी योजनाओं के प्रशासन के लिये राज्य सरकार को अपनी सिफारिशें देगा।  
  • बोर्ड यह भी सुनिश्चित करेगा कि इन योजनाओं के अनुसार फायदों तक गिग वर्कर्स की पहुँच हो और उनके कार्य करने की स्थिति बेहतर हो। यह बोर्ड गिग वर्कर्स के अधिकारों से संबंधित शिकायतों और अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन से संबंधित मामलों का समयबद्ध निवारण भी सुनिश्चित करेगा। 
  • गिग वर्कर्स के पंजीकरण के लिये एग्रीगेटर अधिनियम के लागू होने के 60 दिनों में गिग वर्कर्स का डेटा बेस राज्य सरकार को उपलब्ध कराएंगे। राज्य सरकार एग्रीगेटर्स का रजिस्टर अपने वेब पोर्टल पर प्रकाशित करेगी।  
  • इस अधिनियम से गिग वर्कर्स को राज्य सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा और उनकी शिकायतों पर उन्हें सुनवाई का अवसर प्राप्त होगा। 
  • गिग वर्कर्स का बोर्ड में प्रतिनिधित्व भी होगा, जिससे वे उनके कल्याण के लिये लिये जाने वाले निर्णयों में भाग ले सकेंगे। अधिनियम के अंतर्गत गिग वर्कर्स के लिये शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की जाएगी, जिसके समक्ष व्यक्तिश: अथवा ऑनलाइन माध्यम से याचिका प्रस्तुत की जा सकेगी। 
  • वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में  कम कौशल वाले युवाओं के लिये गिग कार्य से रोज़गार की व्यापक संभावनाएँ हैं। अर्थव्यवस्था और रोज़गार में बड़े योगदान के बावजूद गिग वर्कर्स अभी तक श्रम कानूनों के दायरे में नहीं आते हैं। ऐसे में उन्हें पारंपरिक कर्मचारियों की तरह संरक्षण नहीं मिल पाता है। इस अधिनियम से गिग वर्कर्स के हितों का संरक्षण होगा और उन्हें सामाजिक सुरक्षा मिल सकेगी। 
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2023-24 के राज्य बजट में गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने व शोषण से बचाने के लिये गिग वर्कर्स वेलफेयर एक्ट लाने तथा इसके अंतर्गत गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड की स्थापना की घोषणा की थी। इसके साथ ही उन्होंने 200 करोड़ रुपए की राशि से गिग वर्कर्स वेलफेयर एंड डेवलपमेंट फंड के गठन की भी घोषणा की थी।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर ने वर्ष 2019-20, 2020-21 एवं 2021-22 के बकाया पुरस्कारों की घोषणा की

चर्चा में क्यों?

24 जुलाई, 2023 को राजस्थान सरकार द्वारा प्रांत के साहित्य को प्रोत्साहित, सम्मानित और संवर्द्धित करने के लिये स्थापित स्वायत्तशासी संस्थान राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर ने वर्ष 2019-20, 2020-21 एवं 2021-22 के बकाया पुरस्कारों की घोषणा की। 

प्रमुख बिंदु  

  • अकादमी अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण की अध्यक्षता में हुई अकादमी संचालिका की बैठक में अनुमोदन पश्चात् इन पुरस्कारों की घोषणा की गई है।  
  • उल्लेखनीय है कि अध्यक्षविहीन समय के बकाया पुरस्कारों को दिये जाने हेतु गत अगस्त में ही कार्यभार सँभालने वाले अकादमी के युवा अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण की मांग पर मुख्यमंत्री एवं वित्तमंत्री अशोक गहलोत एवं कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने स्वीकृति प्रदान की थी। उस स्वीकृति के पश्चात् निर्धारित प्रक्रिया में आवेदन मांगे और प्राप्त प्रविष्टियों का मूल्यांकन कर उक्त पुरस्कार घोषित किये गए हैं।  
  • देश के अकादमिक इतिहास में ऐसा पहली बार है कि गत वर्षों के बकाया पुरस्कारों की सरकार की स्वीकृति के बाद किसी अकादमी ने घोषणा की है, वरना अध्यक्षविहीन काल के पुरस्कार सदैव लंबित ही रह जाते थे। 
  • राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा इन पुरस्कारों के तहत प्रतीक चिह्न के साथ एक निर्धारित राशि भी सम्मान्य साहित्यकार को दी जाती है।  
  • अकादमी के मौजूदा प्रावधानों के तहत मीरा पुरस्कार के लिये 75 हज़ार रुपए, सुधींद्र पुरस्कार, रांगेय राघव पुरस्कार, देवराज उपाध्याय पुरस्कार, कन्हैयालाल सहल पुरस्कार, देवीलाल सामर पुरस्कार, शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार प्रत्येक हेतु 31 हज़ार रुपए और प्रथम कृति सुमनेश जोशी पुरस्कार के लिये 21 हज़ार रुपए की राशि अर्पित की जाती है।  
  • अकादमी अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण ने बताया कि अगस्त माह में ही एक भव्य समारोह आयोजित कर इन पुरस्कारों को अर्पित किया जाएगा। 

वर्ष 2019-20 के पुरस्कार

पुरस्कार

प्राप्तकर्ता

कृति

मीरा पुरस्कार 

गोविंद माथुर (जयपुर)

मुड़ कर देखता है जीवन’(काव्य)

सुधींद्र पुरस्कार

भानु भारवि (जयपुर)

‘रंग अब वो रंग नहीं’(काव्य) 

रांगेय राघव पुरस्कार

संदीप मील (गांव पोसानी-सीकर)

‘कोकिलाशास्त्र’(गद्य कथा) 

देवराज उपाध्याय पुरस्कार

सदाशिव श्रोत्रिय (उदयपुर)

‘कविता का पार्श्व’(आलोचना) 

कन्हैयालाल सहल पुरस्कार

ओम नागर (अंता-बारा)

‘निब के चीरे से’(डायरी)

देवीलाल सामर पुरस्कार

अशोक राही (जयपुर)

‘विष्णुगुप्त चाणक्य और रावण मिल गया’(नाट्य) 

सुमनेश जोशी पुरस्कार

माधव राठौड़ (जोधपुर)

‘मार्क्स में मनु ढूंढ़ती’(कहानी) 

शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार

पंकज वीरवाल किशोर (सलंबूर)

(बाल साहित्य) 

वर्ष 2020-21 के पुरस्कार

पुरस्कार

प्राप्तकर्ता

कृति

मीरा पुरस्कार

डॉ. आर.डी. सैनी (जयपुर)

‘प्रिय ओलिव’(गद्य) 

सुधींद्र पुरस्कार

गुलाम मोहियूद्दीन माहिर (बीकानेर)

‘आतशे-कल्बो-जिगर’(गजल काव्य) 

रांगेय राघव पुरस्कार

रीना मेनारिया (उदयपुर)

‘बनास पार’(गद्य कथा) 

देवराज उपाध्याय पुरस्कार

माधव नागदा  (लालमादड़ी-नाथद्वारा)

‘समकालीन हिन्दी लघुकथा और आज का यथार्थ’(आलोचना) 

कन्हैयालाल सहल पुरस्कार

उमा (जयपुर)

‘किस्सागोई’(विविध) 

देवीलाल सामर पुरस्कार

राजकुमार बुनकर इंद्रेश (जयपुर)

सुमनेश जोशी पुरस्कार

ब्रिजेश माथुर (अजमेर)

-

शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार

पूरन सरमा (जयपुर)

‘सद्भाव का उजाला’(बाल साहित्य)

वर्ष 2021-22 के पुरस्कार

पुरस्कार

प्राप्तकर्ता

कृति

मीरा पुरस्कार

डॉ. पँजा शर्मा (जोधपुर)

‘मोबाइल, पिक और हॉस्टल तथा अन्य कहानियाँ (गद्य)

सुधींद्र पुरस्कार

जितेंद्र कुमार सोनी (धन्नासर-हनुमानगढ़)

‘रेगमाल’(काव्य) 

रांगेय राघव पुरस्कार

दिनेश पंचाल (विकासनगर, डूंगरपुर)

‘खेत’(गद्य)

देवराज उपाध्याय पुरस्कार

ओड़िसा प्रवासी दिनेश कुमार माली (सिरोही)

‘त्रेतारू एक सम्यक् मूल्यांकन’ (आलोचना) 

कन्हैयालाल सहल पुरस्कार

विमला भंडारी (सलंबूर)

‘अध्यात्म का वह दिन’ (यात्रा-संस्मरण)

देवीलाल सामर पुरस्कार

प्रबोध कुमार गोविल (जयपुर)

‘बता मेरा मौतनामा’ 

सुमनेश जोशी पुरस्कार

अश्विनी त्रिपाठी (बारां)

‘हाशिये पर आदमी’(गज़ल)

शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार

सत्यनारायण व्यास (रायपुर-भीलवाड़ा)

‘रोचक बाल कहानियाँ’(बाल साहित्य)


मध्य प्रदेश Switch to English

फिट इंडिया क्विज 2022 में शिवपुरी पब्लिक स्कूल के दो छात्र हुए सम्मानित

चर्चा में क्यों?

23 जुलाई, 2023 को बांद्रा, मुंबई स्थित बीकेसी में केंद्रीय युवा मामले, खेल और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने मध्य प्रदेश के शिवपुरी पब्लिक स्कूल 2 छात्रों को फिट इंडिया क्विज स्टेट राउंड के दूसरे एपिसोड में उनकी सफलता पर सम्मानित किया।   

प्रमुख बिंदु  

  • विदित है कि अनुराग सिंह ठाकुर ने मध्य प्रदेश सहित 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 72 स्कूली छात्रों को फिट इंडिया क्विज स्टेट राउंड के दूसरे एपिसोड में उनकी सफलता पर सम्मानित किया।   
  • ये 72 छात्र अपने-अपने राज्य में शीर्ष स्थान हासिल करने वाले हैं और अब फिट इंडिया क्विज के राष्ट्रीय दौर में प्रतिस्पर्द्धा करेंगे, जो स्टार स्पोर्ट्स और डिज़्नी हॉटस्टार पर प्रसारित किया जाएगा। 
  • फिट इंडिया प्रतियोगिता 2022 में शिवपुरी पब्लिक स्कूल के स्टूडेंट्स दिव्यांश गाला एवं अनिरुद्ध यादव ने स्टेट फाइनल में जीत हासिल करके ज़िले का गौरव बढ़ाया।  
  • प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के विजेता स्कूल को कुल 2.5 लाख रुपए की पुरस्कार राशि मिली, जबकि स्कूल के 2 छात्रों की टीम को कुल 25,000 रुपए का पुरस्कार दिया गया।  
  • राज्य प्रथम रनर-अप स्कूल को 1 लाख रुपए और छात्रों को कुल 10,000 रुपए की पुरस्कार राशि मिली। इसी प्रकार स्टेट सेकेंड रनर-अप स्कूल को 50,000 रुपए का नकद पुरस्कार मिला और भाग लेने वाले छात्रों को कुल 5,000 रुपए का पुरस्कार मिला। 
  • राज्य/केंद्रशासित प्रदेश दौर के लिये कुल 348 स्कूलों और 418 छात्रों का चयन किया गया था। इन छात्रों में 39% छात्राएँ थीं। चयनित स्कूलों ने दो छात्रों की एक टीम बनाई, जिन्होंने वेब राउंड की एक सीरीज के जरिये राज्य/केंद्र शासित प्रदेश चैंपियनशिप के लिये प्रतिस्पर्द्धा की। 36 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश चैंपियनों की पहचान के लिये कुल 120 राउंड आयोजित किये गए। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश चैंपियन के रूप में पहचाने गए 36 स्कूलों में से 12 सरकारी स्कूल हैं। 
  • स्कूलों के लिये फिट इंडिया नेशनल फिटनेस एंड स्पोर्ट्स क्विज का दूसरा संस्करण पिछले साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस की पूर्व संध्या पर अनुराग सिंह ठाकुर और राज्य मंत्री, युवा मामले और खेल और गृह मंत्रालय निसिथ प्रामाणिक द्वारा केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में शुभारंभ किया गया था। 
  • फिट इंडिया क्विज के दूसरे संस्करण में भारत के 702 ज़िलों के 16,702 स्कूलों के 61,981 छात्रों की भारी भागीदारी देखी गई है। इसकी तुलना में, फिट इंडिया क्विज के पहले संस्करण में 13,502 स्कूलों के कुल 36,299 छात्रों ने भाग लिया। पहले संस्करण की तुलना में क्विज के दूसरे संस्करण में भाग लेने वाले छात्रों की संख्या में 70% की बढ़ोतरी देखने को मिली। 
  • गौरतलब है कि फिट इंडिया क्विज स्कूल जाने वाले बच्चों के लिये खेल और फिटनेस पर भारत की सबसे बड़ी क्विज है। स्कूली बच्चों के बीच फिट इंडिया के संदेश को प्रचारित करने और स्कूलों में इसकी उपस्थिति को मज़बूत करने के उद्देश्य से 2020 में क्विज का शुभारंभ किया गया था।  
  • फिट इंडिया क्विज, फिट इंडिया मूवमेंट का एक हिस्सा है, जिसका शुभारंभ 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस पहल का उद्देश्य भारत को एक फिट और स्वस्थ राष्ट्र बनाना।
  • क्विज में कुल 3.25 करोड़ रुपए के नकद पुरस्कार स्कूल और छात्रों को प्रदान किये जाते हैं। यह देश के हर कोने से छात्रों को खेल और फिटनेस में अपने ज्ञान का प्रदर्शन करने और राष्ट्रीय स्तर पर एक मंच प्रदान करता है। 
  • राष्ट्रीय दौर के बाद विजेता स्कूल को कुल 25 लाख रुपए की पुरस्कार राशि मिलेगी, जबकि प्रथम उपविजेता और दूसरे उपविजेता स्कूल को क्रमश: 15 लाख रुपए और 10 लाख रुपए मिलेंगे।

मध्य प्रदेश Switch to English

भोपाल में बनेगा राष्ट्रीय मीडिया संग्रहालय

चर्चा में क्यों?

24 जुलाई, 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की महा-परिषद की बैठक में जानकारी दी गई कि भोपाल में राष्ट्रीय मीडिया संग्रहालय की स्थापना की जाएगी। 

प्रमुख बिंदु  

  • मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विश्वविद्यालय में केंद्रीय स्टूडियो, डिजिटल मीडिया लैब, सिनेमा और भारतीय भाषाओं पर केंद्रित पृथक विभागों तथा भरतमुनि शोध पीठ की स्थापना के प्रस्ताव को अनुमोदित किया।  
  • जनवरी 2018 के बाद हुई महा-परिषद की बैठक में पूर्व वर्षों के बजट अनुमान, लेखों एवं अंकेक्षण प्रतिवेदन का अनुमोदन किया गया। विभिन्न प्रबंधकीय विषयों पर भी निर्णय लिये गए।  
  • बैठक में बताया गया कि एशिया के पहले और देश के सबसे बड़े पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को लागू किया गया है। इंडिया टुडे, द वीक जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं द्वारा विश्वविद्यालय को देश के प्रथम 10 शिक्षण संस्थानों में शामिल किया गया है। 
  • महा-परिषद ने विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों के लिये 7वाँ वेतनमान लागू करने की कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान की। साथ ही 01 जनवरी, 2016 से लागू किये गए 7वें वेतनमान के आधार पर सभी शिक्षकों को एरियर का भुगतान करने की स्वीकृति भी दी गई।  
  • संविदा पर कार्यरत शिक्षकों के नियमितिकरण पर भी सहमति हुई। महा-परिषद ने अधि-वार्षिकी आयु को 60 से 62 वर्ष किये जाने पर भी अनुमोदन प्रदान किया।  
  • बैठक में विश्वविद्यालय के बिशनखेड़ी स्थित नवीन परिसर में विद्यार्थियों के व्यावहारिक प्रशिक्षण तथा सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के लिये रेडियो कर्मवीर की स्थापना को भी स्वीकृति प्रदान की गई। साथ ही शोध पुस्तक लेखन, पी-एचडी पाठ्यक्रम में सीट वृद्धि संबंधी प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी गई। 
  • बैठक में बताया गया कि विश्वविद्यालय द्वारा कंसोर्टियम फॉर एजुकेशनल कम्यूनिकेशन, यू.एन. पॉपुलेशन फंड, महात्मा गांधी कॉलेज ऑफ कम्यूनिकेशन कोजीकोड केरल, मीडिया एंड इंटरटेनमेंट स्किल्स काउंसिल नई दिल्ली तथा अन्य विश्वविद्यालयों और प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ एम.ओ.यू. किये गए।


हरियाणा Switch to English

पूर्व आईपीएस अधिकारी राजबीर देसवाल की 22वीं पुस्तक ‘जींद अंटा- स्टोरीज ऑफ सिक्सटीज’ का हुआ विमोचन

चर्चा में क्यों?

22 जुलाई, 2023 हरियाणा के मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी.एस. ढेसी ने पुलिस ऑफिसर्स मेस, मोगीनंद, पंचकूला में आयोजित कार्यक्रम में राजबीर देसवाल, आईपीएस (सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक) द्वारा लिखित ‘जींद अंटा-स्टोरीज ऑफ सिक्सटीज’नामक पुस्तक का विमोचन किया। 

प्रमुख बिंदु  

  • विदित है कि गत कुछ वर्षों में राजबीर देसवाल द्वारा लिखी गई यह उनकी 22वीं पुस्तक है। 
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव ने ‘जींद अंटा-स्टोरीज ऑफ सिक्सटीज’पुस्तक को महत्त्वपूर्ण बताया और कहा कि इससे सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से जींद शहर के इतिहास का पता चलता है। यह पुस्तक पाठकों को  ‘जींद- एक शहर जो चैन की नींद सोता है’से भी अवगत कराएगी। 
  • एक पूर्व पुलिसकर्मी, लेखक, गायक, संगीतकार, फोटोग्राफर और वकील की भूमिका में राजबीर देसवाल एक विरल उत्साह के बहुप्रतिभावान व्यक्ति हैं। पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एक अन्य पुस्तक  ‘टी बैग्स’पर भी कार्य कर रहे हैं। 
  • वर्तमान पुस्तक ‘जींद-अंटा: स्टोरीज ऑफ सिक्सटीज’लेखक के गाँव और छोटे से शहर जींद में बिताए बचपन की एक पुरानी याद है। हालाँकि यह एक छोटा सा जैव आत्मकथात्मक रेखाचित्र है, यह दस्तावेज़ प्रचलित सांस्कृतिक, सामाजिक, पारिवारिक, परिवेश या बीते समय की विचारधारा के बारे में अधिक बात करता है। 
  • यह पुस्तक प्रथाओं, परंपराओं, रीति-रिवाजों, पहनावे की शैलियों, मनोरंजन और एक साधारण जीवनशैली के अन्य पहलुओं का दस्तावेजीकरण करती है, जिन्हें सरल और सामान्य माना जाता है।  
  • इसके दो भाग हैं: पहला भाग अंटा नामक गाँव में व्याप्त वातावरण से संबंधित है और दूसरा भाग डेविड कॉपरफील्ड जैसे एक बड़े होते लड़के के अनुभवों से संबंधित है, जो उस मुफस्सिल शहर में हर किसी को पसंदीदा लगता था।  
  • टैग लाइनों में जींद के मुफस्सिल शहर का वर्णन किया गया है- ‘एक ऐसा शहर जो चैन की नींद सोता था’और टैगलाइन - ‘चंद्रमा कभी-कभी यहाँ विश्राम करता है’, जो गाँव अंटा के ग्रामीण इलाकों में प्राचीन और जंगली परिवेश का वर्णन करती है।  
  • यह राजबीर देसवाल की 22वीं किताब है, जिसमें तीन भाषाओं- हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू में कविता पर आठ किताबें शामिल हैं। राजबीर देसवाल की कहानियाँ पाठकों द्वारा बहुत बार पढ़ी जाती हैं और वह भारतीय पुलिस सेवा से सेवानिवृत्ति के बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ में प्रैक्टिस करते हैं।


छत्तीसगढ़ Switch to English

रायपुर बनेगा पपीता उत्पादक ज़िला : एक उत्पाद-एक ज़िला योजना में रायपुर शामिल

चर्चा में क्यों?

23 जुलाई, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार रायपुर ज़िले में बड़े पैमाने पर पपीते की खेती को लेकर उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को प्रोत्साहन एवं प्रशिक्षण दिये जाने का सिलसिला शुरू कर दिया गया है। ‘एक उत्पाद-एक ज़िला योजना’के तहत रायपुर ज़िले का चयन पपीते की खेती के लिये हुआ है। 

प्रमुख बिंदु  

  • यह जानकारी 21 जुलाई को एक उत्पाद-एक ज़िला के तहत पपीता उत्पादन से पोषण की ओर विषय पर आयोजित कार्यशाला में दी गई। ज़िला पंचायत रायपुर के सीईओ अविनाश मिश्रा के मार्गदर्शन उद्यानिकी विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र रायपुर द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन लाभांडी में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया। 
  • किसानों को उन्नत और रोग-प्रतिरोधी क्षमता वाले पपीते के पौधे उपलब्ध हो सके, इसके लिये इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हार्टिकल्चर बैंगलोर में विकसित अर्का प्रभात किस्म का पपीते का पौधा रायपुर लाया गया है। इसकी मदद से नर्सरी तैयार कर किसानों को रोपण के लिये अर्का प्रभात पौधा उपलब्ध कराए जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।  
  • पपीते की नई प्रजाति अर्का प्रभात की विशेषता यह है कि यह स्पॉट वायरस रसिस्टेंट है। इसमें वायरस से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता ज़्यादा होने के कारण पौधा रोग-रहित रहता है।  
  • कार्यशाला में किसानों को पपीते की खेती के लिये प्रोत्साहित करते हुए उप-संचालक उद्यानिकी कैलाश सिंह पैकरा ने कहा कि इसकी खेती के लिये शासन द्वारा किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान तथा बिना ब्याज के 3 लाख रुपए तक का ऋण दिया जा रहा है।  
  • उन्होंने कहा कि पपीता एक पौष्टिक फल है। इसकी पत्ती भी उपयोगी है। पपीते के स्वस्थ पौधे उद्यानिकी रोपणियों एवं कृषि केंद्रों पर भी उपलब्ध है। इसकी खेती के लिये विभाग के अधिकारियों एवं प्रक्षेत्र के कर्मचारियों द्वारा किसानों को जानकारी दी जा रही है।  
  • महाप्रबंधक, ज़िला व्यापार उद्योग अमेय त्रिपाठी ने किसानों को पपीते की मार्केटिंग, कोल स्टोरेज में रखरखाव और प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसान इसका लाभ उठाकर अपना कारोबार बढ़ा सकते हैं। 
  • वैज्ञानिक डॉ. नीरज मिश्रा ने किसानों को बताया गया कि पपीता पौष्टिकता में सबसे अधिक है और इस फल से अनेक प्रकार के प्रसंस्कृत उत्पाद बनाए जा सकते हैं, जैसे जैम, जैली, कतरी, कैंडी आदि। इसके जूस एवं नेक्टर की भी अधिक डिमांड है। पपीते का पाउडर भी बनाया जा सकता है। पपीते का उत्पादन कर मंडी में बेचने के साथ ही किसान इसके प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्द्धन पर ध्यान दें तो अधिक लाभ कमा सकते हैं।  
  • वैज्ञानिक मनोज कुमार साहू ने बताया कि पपीते की खेती को वायरस एवं बग्स से बचाने के लिये नीम के तेल के साथ शैंपू घोलकर छिड़काव किया जाना चाहिये। पपीते के पेड़ के आस-पास गेंदा फूल का पौधा लगाकर पपीते के पौधे को रोग से सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।


उत्तराखंड Switch to English

प्रदेश में अब हर साल पाँच फीसदी महँगी हो जाएंगी सरकारी सेवाएँ: यूजर चार्जेस बढ़ाने का आदेश जारी

चर्चा में क्यों 

22 जुलाई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में दी जा रही सरकारी सेवाओं के एवज में वसूले जा रहे उपयोगकर्ता शुल्क (यूजर चार्जेस) अब हर साल पहली अप्रैल को पाँच फीसदी महँगे हो जाएंगे। वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।  

प्रमुख बिंदु  

  • विदित है कि उपयोगकर्ता शुल्क का आशय ऐसे किसी भी शुल्क से है, जिसे विभिन्न विभाग या एजेंसियों के माध्यम से वसूला जा रहा है।
  • आदेश में कहा गया है कि नियमित रूप से शुल्क में कम बढ़ोतरी से लोगों पर एकमुश्त बोझ नहीं पड़ेगा और जनसेवाओं की मरम्मत और देखरेख के लिये धनराशि भी प्राप्त होती रहेगी। अभी तक विभागों के स्तर पर तीन से पाँच वर्ष के अंतराल में उपयोगकर्ता शुल्क वसूलने की प्रवृत्ति थी, जो एकमुश्त अधिक दिखाई देता था। 
  • सभी विभागों को अपने-अपने वेब पोर्टल एप के माध्यम से यूजर चार्ज लेने के लिये यूपीआई की सुविधा अनिवार्य रूप से उपलब्ध करानी होगी। आदेश में उपयोगकर्ता शुल्क की दरों को प्रचलित बाज़ार की महँगाई से जोड़ना आवश्यक बताया गया है। 
  • यूजर चार्ज की बढ़ोतरी दर को पाँच फीसदी से कम करने का अधिकार केवल प्रदेश मंत्रिमंडल को होगा। वह औचित्यपूर्ण प्रस्ताव पर संशोधित दरों को कम कर सकता है। 
  • आदेश के मुताबिक, यदि किसी सेवा का यूजर चार्जेस न्यूनतम पाँच फीसदी से अधिक बढ़ाना औचित्यपूर्ण व व्यावहारिक हो तो विभाग इसके लिये सक्षम होंगे। संशोधित दरें इस तरह से लागू होंगी कि इकाई के संचालन की लागत और अपग्रेडेशन लागत वहन हो सके। 
  • गौरतलब है कि अस्पतालों में पर्ची शुल्क, रोगों की जाँच का शुल्क, ड्राइविंग लाइसेंस व उसका रिन्यूवल, आरसी, वाहनों का ट्रांसफर, आय प्रमाणपत्र, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, खाता-खतौनी की नकल, रजिस्ट्री की नकल, पेयजल बिल, समेत कई अन्य विभागीय सेवाओं के एवज में यूजर चार्ज वसूला जाता है, जो पहली अप्रैल को पाँच फीसदी बढ़ जाएगा। 
  • वित्त विभाग के सूत्रों के मुताबिक, संपत्ति कर भी प्रत्येक वित्तीय वर्ष में एक अप्रैल को पाँच फीसदी बढ़ जाएगा। इसके लिये वित्त विभाग अलग से आदेश जारी करेगा। 

उत्तराखंड Switch to English

वायुमंडल की वाष्प और भाप से बनेगा पीने का पानी, रुद्रपुर में लगेगा प्रदेश का पहला प्लांट

चर्चा में क्यों?

24 जुलाई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश का पहला कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट स्थापित करने वाली रुद्रपुर ग्रीन एनर्जी कंपनी अब रुद्रपुर में वायुमंडल की वाष्प और भाप से पीने का पानी बनाने का प्लांट भी लगाएगी। कंपनी के अधिकारी प्लांट लगाने के लिये रुद्रपुर नगर निगम के मेयर व नगर आयुक्त से चर्चा कर चुके हैं। 

प्रमुख बिंदु  

  • जानकारी के अनुसार कचरे से सीएनजी और सीएनजी से बिजली बनाने के बाद अब रुद्रपुर ग्रीन एनर्जी कंपनी वायु से पीने का पानी बनाने की पहल करने जा रही है। इसके लिये कंपनी ने एरो वाटर प्राइवेट लिमिटेड के साथ अनुबंध कर लिया है।  
  • रुद्रपुर ग्रीन एनर्जी कंपनी के निदेशक समीर रेगे और परियोजना प्रभारी विकास कुमार ने बताया कि आधुनिक तकनीक के दौर में अब वाष्प, भाप और नमी से पीने का पानी बनाने का प्लांट लगने लगा है। इस तकनीक का इस्तेमाल कर जीवन में कभी भी पानी की कमी महसूस नहीं होगी।  
  • उन्होंने बताया कि करोड़ों रुपए की लागत से लगने वाले प्लांट को लेकर रुद्रपुर नगर निगम से संपर्क किया गया है। हालाँकि अभी मेयर रामपाल और नगर आयुक्त विशाल मिश्रा प्लांट को लगाने के लिये उच्चाधिकारियों से विचार कर रहे हैं। 
  • कंपनी की ओर से रुद्रपुर की कल्याणी नदी की सफाई व उसका जीर्णोद्धार करने के लिये भी परियोजना बनाई गई है। कल्याणी नदी के समीप जगह-जगह ट्रीटमेंट प्लांट लगाने से वह स्वच्छ हो सकती है।  
  • अधिकारियों ने बताया कि कंपनी की ओर से किसानों के लिये खाद के खर्चे को कम करने के लिये कल्याणी ब्रांड के तहत तरल खाद कम्युनिटी टैंक लॉन्च करने की भी परियोजना बनाई है। शहर के विभिन्न स्थलों पर खाद केंद्र बनाए जाएंगे। 
  • रुद्रपुर ग्रीन एनर्जी कंपनी के परियोजना प्रभारी विकास कुमार ने बताया कि बिल्ड ऑन ऑपरेट एंड ट्रांसफर की तकनीक से कंप्रेस्ड बायोगैस संयंत्र की स्थापना की गई है। पहले चरण में परियोजना की क्षमता प्रतिदिन 20 टन गीले बायोडिग्रेडेबल कचरे का उपयोग करते हुए कंप्रेस्ड बायोगैस के साथ सूखा और तरल जैविक खाद का उत्पादन किया जा रहा है। जल्द ही प्लांट की क्षमता 50 टन गीले कचरे से सीएनजी बनाने तक की है।  
  • बायोगैस का उपयोग खाना बनाने और बिजली उत्पादन के लिये किया जाएगा। कंप्रेस्ड बायोगैस का उपयोग परिवहन के लिये वाहन के ईंधन के रूप में किया जाएगा।

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