उत्तराखंड Switch to English
दून जू में शुरू होगी टाइगर सफारी
चर्चा मे क्यों?
23 मई, 2023 को उत्तराखंड के देहरादून चिड़ियाघर के वन क्षेत्राधिकारी मोहन सिंह रावत ने बताया कि राज्य के विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व की तर्ज पर शीघ्र ही देहरादून जू में भी टाइगर सफारी शुरू हो जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- यहाँ टाइगर सफारी के लिये ट्रैक तैयार हो चुका है, जबकि 11 बाड़ों (इनक्लोजर) बनाने का काम अंतिम चरण में है। बाड़ों का काम पूरा होते ही नैनीताल जू से बाघों के एक जोड़े को यहाँ शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसके बाद सैलानी जू क्षेत्र के कुल 25 हेक्टेयर हिस्से का दीदार कर सकेंगे।
- विदित है कि अभी तक जू की गतिविधियाँ मात्र पाँच हेक्टेयर क्षेत्रफल में संचालित की जा रही हैं।
- देहरादून चिड़ियाघर में टाइगर सफारी शुरू करने के लिये सेंट्रल जू अर्थारिटी (सीजेडए) की टीम भी दौरा कर चुकी है। बाड़ों का काम पूरा होते ही एक बार फिर सीजेडए की टीम मौका मुआयना करने के बाद अनुमति प्रदान करेगी।
- टाइगर सफारी के लिये तैयार इस ट्रैक में जिप्सी के बजाए इलेक्ट्रिक वाहनों से सैलानियों को घुमाया जाएगा, ताकि वाहनों के शोर और प्रदूषण से बचा जा सके।
- ज्ञातव्य है कि इस चिड़ियाघर की शुरूआत वर्ष 1976 में वन चेतना केंद्र के रूप में की गई थी। मालसी गाँव में होने और हिरन की संख्या अधिक होने के कारण बाद में इसका नाम मालसी डियर पार्क पड़ गया। मार्च 2012 में इसे मिनी जू में तब्दील कर दिया गया। अब यहाँ टाइगर सफारी शुरू होने के बाद जू को नई पहचान मिलने जा रही है।
- दून चिड़ियाघर में एक माह में गुलदार के दो शावकों को चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर से यहाँ लाया जाएगा। इसके अलावा दो भालू (स्लोथ और ब्लैक बीयर प्रजाति), दो लोमड़ी, दो हाइना (लकड़बग्घा) को भी जू में लाया जाएगा।
- गौरतलब है कि वर्तमान में जू में एक मादा गुलदार, 23 प्रकार की प्रजातियों की चिड़िया, 23 प्रकार के वन्यजीव, साँपों की दस प्रजातियाँ, मगरमच्छ, घड़ियाल जैसे जीव मौजूद हैं। इसके अलावा मछलियों के लिये एक्वेरियम तैयार किया गया है।
- देहरादून जू हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। बीते वर्ष 2022 में चिड़ियाघर में सात लाख 65 हज़ार पर्यटक आए। यहाँ प्रतिदिन 12 से 15 सौ पर्यटक पहुँचते हैं, जबकि रविवार को पर्यटकों की संख्या चार से पाँच हज़ार तक पहुँच जाती है। चिड़ियाघर को करीब तीन करोड़ 35 लाख रुपए की कमाई हुई। इसी पैसे से वन्यजीवों की देखभाल, खाना और अन्य खर्च किये जाते हैं।
- जू में माँसाहारी वन्यजीवों को मंगलवार के दिन उपवास रखा जाता है। इस दिन उन्हें किसी प्रकार का भोजन नहीं दिया जाता है। ऐसा उनके संतुलित आहार के मद्देनजर किया जाता है।
Switch to English