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श्रीरामचरितमानस अब विश्व का सबसे लंबा गीत : बनारस के जगदीश के नाम हुआ गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड
चर्चा में क्यों?
23 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार श्रीरामचरितमानस अब विश्व का सबसे लंबा गीत बन चुका है। उत्तर प्रदेश के बनारस के डॉ. जगदीश पिल्लई ने 138 घंटे 41 मिनट और 20 सेकेंड के श्रीरामचरितमानस गीत को अपनी आवाज़ दी है।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि इसके पहले यह रिकॉर्ड अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के नाम था। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होने के साथ ही अमेरिका के नाम दर्ज ये रिकॉर्ड अब भारत के नाम हो चुका है।
- डॉ. जगदीश पिल्लई उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा यानी पाँच बार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्डधारी बन गए हैं।
- राज्य के आयुष मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु ने डॉ. जगदीश पिल्लई को उनके घर जाकर गिनीज प्रमाणपत्र प्रदान किया।
- गौरतलब है कि डॉ. जगदीश पिल्लई ने हिन्दी भाषी न होने के बावजूद अवधी में इतने सुंदर एवं भावनात्मक तरीके से भजन व कीर्तन के साथ इतने लंबे गीत को खुद धुन देकर गाया और इसे गिनीज बुक में दर्ज कराया। उन्हें इस काम को पूरा करने में चार साल का समय लग गया।
- श्रीरामचरितमानस गीत दुनिया भर के 100 से अधिक ऑडियो चैनल पर प्रसारित हो चुका है। इसलिये गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड ने श्रीरामचरितमानस को लांगेस्ट ऑफिशियली रिलीज्ड सॉंग यानि आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त दुनिया के सबसे लंबे गाने के रूप में दर्ज किया है।
- ज्ञातव्य है कि अब तक का सबसे लंबा गीत 115 घंटे 45 मिनट का था जो एक दिसंबर 2021 को सेंट एल्बंस हर्टफोर्डशायर (यूके) में रहने वाले मार्क क्रिस्टोफर ली और द पॉकेट गॉड्स ने गाया था। उन्होंने एक ही तरह के वाद्य संगीत बजाकर इस रिकॉर्ड को हासिल किया था।
- डॉ. जगदीश पिल्लई ने बताया कि 2016 से ही दुनिया के सबसे लंबे गाने के रिकॉर्ड को तोड़ने की इच्छा थी। उनका कहना है कि जब भारत में रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथ हैं तो यह रिकॉर्ड भी भारत के ही नाम होना चाहिये। अवधी भाषा में होने के कारण पहले बोलचाल और उच्चारण को समझने के लिये मित्र प्रदीप मिश्रा की मदद ली।
- इसके बाद रिकॉर्डिंग के लिये मित्र दीपक जायसवाल से संपर्क किया। दीपक जायसवाल को भी गिनीज पार्टिसिपेशन सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया।
- उल्लेखनीय है कि डॉ. जगदीश पिल्लई ने बनारस का नाम पहली बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में 2012 में दर्ज कराया था। उन्होंने सबसे कम समय में एनीमेशन मूवी बनाकर 2012 में एक कैनेडियन का रिकॉर्ड तोड़ा था। कैनेडियन ने जो काम छह घंटे में किया था, डॉ. पिल्लई ने उसे साढ़े तीन घंटे में पूरा किया।
- दूसरा रिकॉर्ड 16,300 पोस्टकार्ड से लांगेस्ट लाइन ऑफ पोस्टकार्ड बनाया। तीसरी बार लार्जेस्ट पोस्टर अवेयरनेस कैंपेन और चौथी बार योगा जनजागरूकता अभियान के तहत सबसे लंबा लिफाफा बनाकर अपना नाम गिनीज रिकॉर्ड में दर्ज कराया था।
- वैदिक विज्ञान में पीएचडी करने वाले डॉ. पिल्लई पाँच सौ से ज्यादा पुस्तकों के लेखक हैं।
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कोयले को मीथेन में बदलने पर काम करेगा बीएचयू
चर्चा में क्यों?
23 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार कोयला मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वैज्ञानिकों को ग्रीन एनर्जी पर अपनी तरह का देश का पहला महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट दिया है, जिसके अंतर्गत वैज्ञानिक कोयले को ज़मीन के अंदर इसकी मूल स्थिति में ही मीथेन में बदलने पर काम करेंगे।
प्रमुख बिंदु
- ऊर्जा संकट के मद्देनज़र ही मंत्रालय ने कोयले के बायोमिथेनाइजेशन पर यह महत्त्वपूर्ण परियोजना दी है। इसके अंतर्गत अध्ययन में देखा जाएगा कि कोयले को इन-सीटू (वह प्राकृतिक व मूल स्थिति, जिसमें ज़मीन के भीतर कोयला रहता है) स्थिति में ‘मीथेन’में बदलने में जैविक विधि कितनी कारगर होती है।
- यह अध्ययन बीएचयू के भूविज्ञान विभाग के प्रो. प्रकाश कुमार सिंह और वनस्पति विज्ञान की प्रो. आशालता सिंह करेंगी।
- प्रो. प्रकाश सिंह तथा प्रो. आशालता सिंह की टीम डीएसटी के एक अन्य प्रोजेक्ट में यह अध्ययन कर रही है कि भारत के पूर्वोत्तर और कुछ अन्य स्थानों में पाए जाने वाले सल्फर-युक्त कोयले से बायो केमिकल तकनीक द्वारा कैसे सल्फर कम किया जा सके। इससे सल्फर से होने वाली पर्यावरणीय क्षति से बचा जा सकता है।
- इस अध्ययन से दो परिणाम निकलेंगे। पहला यह कि कोयले को जमीन में ही मीथेन में बदलकर ग्रीन एनर्जी प्राप्त की जा सकेगी। दूसरा, कोयला खनन रोकने से पर्यावरण को होने वाले दुष्परिणाम से भी बचाया जा सकेगा।
- हाल ही में कोल इंडिया के सीएमपीडीआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने बीएचयू का दौरा किया और परियोजना की बारीकियों को जाना।
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