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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 25 Apr 2023
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सरोगेसी अधिनियम के क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश अग्रणी राज्यों में शामिल

चर्चा में क्यों?

24 अप्रैल, 2023 को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई राज्य सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी एवं सरोगेसी बोर्ड की बैठक में यह जानकारी दी गई कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम-2021 के क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश, देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है।

प्रमुख बिंदु

  • बैठक में बताया गया कि अधिनियम में राज्य बोर्ड, ज़िला समुचित प्राधिकारी और ज़िला अपीलीय अधिकारी को अधिसूचित करने संबंधी कार्य करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है।
  • प्रदेश में अधिनियम के अधीन 74 संस्थाओं का पंजीयन किया गया है। इन संस्थाओं में एआरटी बैंक, एआरटी लेवल-1 क्लीनिक, एआरटी लेवल-2 क्लीनिक और सरोगेसी क्लीनिक शामिल हैं।
  • अधिनियम में सरोगेसी प्रक्रिया के लिये प्रोसेस फ्लो और विभिन्न प्रारूपों के निर्धारण में भी मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है।

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मध्य प्रदेश में गांधी सागर अभयारण्य होगा चीतों का नया घर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार अफ्रीकी देश नामीबिया से लाकर मध्य प्रदेश के श्योपुर कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य (केएनपी) में रखे गए चीतों के लिये अब गांधी सागर अभयारण्य को विकसित किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गांधी सागर अभयारण्य को चीतों के लिये विकसित किया जा रहा है और अगले छह महीने में यह बनकर तैयार हो जाएगा।
  • वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वन्यजीव सलाहकार बोर्ड के अधिकारियों के साथ एक बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वन अधिकारियों को अगले छह महीनों में गांधी सागर अभयारण्य को चीतों के नए घर के रूप में विकसित करने का निर्देश दिया है।
  • मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि गांधी सागर में नामीबिया से लाए गए चीतों के लिये नया निवास स्थान बनाने हेतु शिवराज सिंह चौहान सरकार की ओर से यह कदम विशेषज्ञों के सुझाव के बाद उठाया गया है। विशेषज्ञों ने सरकार को सुझाव दिया है कि कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य नामीबिया से लाए गए सभी चीतों के लिये पर्याप्त नहीं है।
  • चीतों के नया घर बनाने के लिये गांधी सागर अभयारण्य को विकसित करने में करीब 20 करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे। वन विभाग ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से इस संबंध में निर्णय लेने को कहा था।

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