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झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 25 Apr 2023
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झारखंड में सूख गए चार हज़ार से अधिक जलाशय

चर्चा में क्यों?

24 अप्रैल, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड में चार हज़ार से अधिक जलाशय सूख गए हैं जबकि 560 जलाशयों का अतिक्रमण हो चुका है।

प्रमुख बिंदु

  • जानकारी के अनुसार देश में पहली बार जलाशयों का सेंसस हुआ है। इसमें सभी राज्यों के जलाशयों की स्थिति की जानकारी दी गई है। रिजर्वायर के मामले में झारखंड का स्थान पूरे देश में दूसरा है। जल संरक्षण के लिये किये गए प्रयास में झारखंड को पाँचवां स्थान मिला है।
  • झारखंड में कुल 107598 जलाशय हैं। इनमें 106176 गाँव तथा 1422 शहरी इलाके में हैं। इनमें से 4075 जलाशय सूख गए हैं। वहीं 1689 जलाशयों पर निर्माण कार्य होने से उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के 560 जलाशयों का अतिक्रमण हो चुका है। इसमें 472 तालाब, 37 जल संरक्षण के लिये बनाए गए परकोलेशन टैंक व चेक डैम, 30 टैंक, 12 रिजर्वायर, पाँच झील तथा एक अन्य जलाशय हैं।
  • इनमें से 22 जलाशयों में 25 फीसदी से कम कब्जा है, सात पर 25 से 75 फीसदी तक कब्जा है। वहीं एक जलाशय पर 75 फीसदी से अधिक कब्जा है। तालाबों की संख्या के मामले में झारखंड पूरे देश में पाँचवें स्थान पर है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के 1731 जलाशयों में कचरा भर गया है। 894 जलाशयों को ऐसा नुकसान पहुँचाया गया है, जिसका पुनरुद्धार भी नहीं हो सकता है। 147 जलाशयों का पानी खारा है। औद्योगिक कचरा के कारण 114 जलाशयों का उपयोग नहीं हो पा रहा है। 4416 जलाशय अन्य कारणों से उपयोग के लायक नहीं रह गए हैं।
  • झारखंड के कुल जलाशयों में 87878 का निर्माण सरकारी या गैर सरकारी स्तर से कराया गया है। केवल 19% जलाशय ही प्राकृतिक रूप से विकसित हैं।
  • यहाँ कुल 87080 तालाब और 4500 टैंक हैं। 135 झील, 3763 रिजर्वायर तथा 12008 जल संरक्षण के लिये बनाए गए परकोलेशन टैंक व चेक डैम हैं। कई तालाब का अतिक्रमण कर लिया गया है।
  • राज्य में कई जगह नदियों और तालाबों के इलाके में अतिक्रमण हो रहा है। अतिक्रमण के चलते राजधानी राँची में कई तालाबों का अस्तित्व समाप्त हो चुका है। कोल्हान क्षेत्र की जीवन रेखा कही जानेवाली सुवर्णरेखा नदी के तट पर भी जमशेदपुर में लगातार अतिक्रमण हो रहा है। इसके चलते यह विशाल नदी, जमशेदपुर में नाले में तब्दील होती जा रही है।
  • झारखंड के 72 फीसदी जलाशयों का उपयोग सिंचाई के लिये होता है। जारी रिपोर्ट के मुताबिक, औद्योगिक काम में मात्र 1077 जलाशय ही आते हैं, मत्स्य पालन के लिये 12721 जलाशयों का उपयोग हो रहा है, चार हज़ार जलाशयों का उपयोग घरेलू काम में होता है, 395 जलाशयों का उपयोग मनोरंजन के लिये हो रहा है। ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिये 5036 जलाशयों का उपयोग हो रहा है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के आधे से अधिक जलाशयों (करीब 55.5 फीसदी) में पूरे साल पानी रहता है। इसके अतिरिक्त 13.1 फीसदी जलाशयों में हर साल पानी भरता है। 28 फीसदी से अधिक जलाशयों में कभी-कभी पानी आता है। तीन फीसदी जलाशय ऐसे हैं, जहाँ पानी बहुत ही कम रहता है।

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