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स्टेट पी.सी.एस.

  • 25 Apr 2023
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राजस्थान Switch to English

महँगाई राहत कैंप के पंजीकरण पोर्टल एवं वेबसाइट का लोकार्पण

चर्चा में क्यों?

23 अप्रैल, 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने निवास पर महँगाई राहत कैंप के पंजीकरण पोर्टल एवं वेबसाइट का लोकार्पण किया। उन्होंने महँगाई राहत कैंप की दिशानिर्देश पुस्तिका का विमोचन भी किया।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि पंजीकरण पोर्टल एवं वेबसाइट के माध्यम से आमजन का राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से जुड़ाव सुनिश्चित किया जा सकेगा तथा उन्हें योजनाओं के लाभ एवं उद्देश्य के बारे में जागरूक किया जा सकेगा।
  • मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि महँगाई राहत शिविरों के माध्यम से अधिकाधिक लोगों को राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि महँगाई राहत कैंप से सभी जरूरतमंद परिवारों को राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से जोड़कर महँगाई से राहत दिलाई जाएगी। इसके लिये 24 अप्रैल से 30 जून तक प्रदेशभर में महँगाई राहत कैंप आयोजित किये जाएंगे।
  • कैंपों में 10 जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ आमजन को मिलेगा, जिससे बढ़ती महँगाई की मार से राहत मिलेगी। मुख्यमंत्री 24 अप्रैल को सांगानेर की ग्राम पंचायत महापुरा में महँगाई राहत कैंप का शुभारंभ करेंगे।
  • सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार आयुक्त आशीष गुप्ता ने बताया कि पंजीकरण पोर्टल एवं वेबसाइट पर 10 योजनाओं की विस्तृत जानकारी एवं पंजीकरण के लिये आवश्यक दस्तावेजों की सूची, कैंप में पंजीकरण कराने से संबंधित उपयोगी फोटो-वीडियो गैलरी तथा सामान्य तौर पर पूछे जाने वाले प्रश्नों की सूची उत्तर सहित उपलब्ध होगी।
  • कैंप से संबंधित आने वाली समस्याओं के समाधान के लिये प्रत्येक ज़िले हेतु जारी हेल्पलाइन नंबर भी वेबसाइट पर मिल सकेंगे।
  • इन योजनाओं का मिलेगा लाभ-  
    • मुख्यमंत्री गैस सिलेंडर योजना के तहत 500 रुपए में सिलेंडर
    • मुख्यमंत्री नि:शुल्क बिज़ली योजना में घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट प्रतिमाह नि:शुल्क बिज़ली
    • मुख्यमंत्री नि:शुल्क कृषि बिज़ली योजना में कृषि उपभोक्ताओं को 2000 यूनिट प्रतिमाह नि:शुल्क बिज़ली
    • मुख्यमंत्री नि:शुल्क अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के दायरे में आने वाले सभी लाभार्थियों को प्रत्येक माह नि:शुल्क अन्नपूर्णा फूड पैकेट
    • मुख्यमंत्री ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के तहत महात्मा गांधी नरेगा में 100 कार्य दिवस पूरा करने वाले परिवारों को 25 दिन का अतिरिक्त रोज़गार एवं कथौड़ी, सहरिया तथा विशेष योग्यजन को 100 अतिरिक्त दिवस का रोज़गार
    • इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार गारंटी योजना के तहत वर्ष में 125 दिन कार्य के अवसर
    • सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत न्यूनतम 1000 रुपए पेंशन प्रतिमाह तथा प्रतिवर्ष 15 प्रतिशत की वृद्धि
    • मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपए
    • मुख्यमंत्री चिरंजीवी दुर्घटना बीमा योजना की राशि 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपए
    • मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना के तहत 2 दुधारू गौवंशीय पशुओं के लिये प्रति पशु 40 हज़ार रुपये का बीमा कवर


राजस्थान Switch to English

प्रदेश के एक लाख किसानों को तारबंदी के लिये मिलेगा अनुदान

चर्चा में क्यों?

22 अप्रैल, 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निराश्रित पशुओं से फसलों को बचाने के लिये प्रदेश के एक लाख किसानों को 4 करोड़ मीटर के तारबंदी के हेतु 444.40 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रावधान के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन के तहत समस्त लंबित प्रार्थना पत्रों को दो वर्षों में निस्तारित करने की दृष्टि से सहमति दी है।
  • उन्होंने अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के किसानों की जोत का आकार कम होने के कारण तारबंदी के लिये न्यूनतम सीमा 0.50 हैक्टेयर किये जाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी है।
  • तारबंदी में सामुदायिक भागीदारी पर अब पहले से अधिक अनुदान मिलेगा। इसमें 10 या अधिक किसानों के समूह को न्यूनतम 5 हैक्टेयर में तारबंदी के लिये अनुदान राशि 70 प्रतिशत की गई है।
  • वित्तीय वर्ष 2023-24 में तारबंदी पर अनुदान में करीब 444.40 करोड़ रुपए व्यय होंगे। इनमें 391 करोड़ रुपए कृषक कल्याण कोष से, 25 करोड़ रुपए राज्य योजना ‘तारबंदी द्वारा फसल सुरक्षा हेतु अनुदान’ से वहन होंगे। शेष 28.40 करोड़ रुपए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन से (राज्यांश 11.36 करोड़ रुपए) खर्च किये जाएंगे।
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बजट वर्ष 2023-24 में राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन के अंतर्गत तारबंदी को निरंतर जारी रखने की घोषणा की गई थी।

मध्य प्रदेश Switch to English

सरोगेसी अधिनियम के क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश अग्रणी राज्यों में शामिल

चर्चा में क्यों?

24 अप्रैल, 2023 को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई राज्य सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी एवं सरोगेसी बोर्ड की बैठक में यह जानकारी दी गई कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम-2021 के क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश, देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है।

प्रमुख बिंदु

  • बैठक में बताया गया कि अधिनियम में राज्य बोर्ड, ज़िला समुचित प्राधिकारी और ज़िला अपीलीय अधिकारी को अधिसूचित करने संबंधी कार्य करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है।
  • प्रदेश में अधिनियम के अधीन 74 संस्थाओं का पंजीयन किया गया है। इन संस्थाओं में एआरटी बैंक, एआरटी लेवल-1 क्लीनिक, एआरटी लेवल-2 क्लीनिक और सरोगेसी क्लीनिक शामिल हैं।
  • अधिनियम में सरोगेसी प्रक्रिया के लिये प्रोसेस फ्लो और विभिन्न प्रारूपों के निर्धारण में भी मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है।

मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश में गांधी सागर अभयारण्य होगा चीतों का नया घर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार अफ्रीकी देश नामीबिया से लाकर मध्य प्रदेश के श्योपुर कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य (केएनपी) में रखे गए चीतों के लिये अब गांधी सागर अभयारण्य को विकसित किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गांधी सागर अभयारण्य को चीतों के लिये विकसित किया जा रहा है और अगले छह महीने में यह बनकर तैयार हो जाएगा।
  • वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वन्यजीव सलाहकार बोर्ड के अधिकारियों के साथ एक बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वन अधिकारियों को अगले छह महीनों में गांधी सागर अभयारण्य को चीतों के नए घर के रूप में विकसित करने का निर्देश दिया है।
  • मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि गांधी सागर में नामीबिया से लाए गए चीतों के लिये नया निवास स्थान बनाने हेतु शिवराज सिंह चौहान सरकार की ओर से यह कदम विशेषज्ञों के सुझाव के बाद उठाया गया है। विशेषज्ञों ने सरकार को सुझाव दिया है कि कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य नामीबिया से लाए गए सभी चीतों के लिये पर्याप्त नहीं है।
  • चीतों के नया घर बनाने के लिये गांधी सागर अभयारण्य को विकसित करने में करीब 20 करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे। वन विभाग ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से इस संबंध में निर्णय लेने को कहा था।

हरियाणा Switch to English

हरियाणा में पत्रकारों की पेंशन 10,000 रुपए से बढ़ाकर 11,000 रुपए हुई

चर्चा में क्यों?

23 अप्रैल, 2023 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने संत श्री धन्ना भगत जयंती के अवसर पर पत्रकारों की पेंशन को 10,000 रुपए से बढ़ाकर 11,000 रुपए करने की घोषणा की।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री ने यह घोषणा दो दिवसीय अखिल भारतीय मीडिया मीट कंफेडरेशन ऑफ न्यूजपेपर एंड न्यूज एजेंसी एंप्लॉइज ऑर्गेनाइजेशन द्वारा चंडीगढ़ में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए की।
  • मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि अब पत्रकारों की पेंशन राशि ऑटोमेशन मोड पर डीए में वार्षिक वृद्धि के अनुपात में बढ़ेगी।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि मीडियाकर्मियों को अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन करने व उनको और सक्षम बनाने के लिये सरकार द्वारा 4000 किमी. तक की मुफ्त मासिक बस यात्रा, पत्रकारों के आश्रितों के लिये आयुष्मान भारत योजना के दायरे का विस्तार करना, आधुनिक सुविधाओं से लैस मीडिया केंद्र स्थापित करना, पत्रकार पेंशन और कई अन्य पहलें शामिल हैं।
  • उन्होंने कहा कि फील्ड पर काम करने वाले मीडियाकर्मियों के अलावा डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों को भी ऐसी सभी योजनाओं से जोड़ने की योजना है।
  • इसके अलावा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने संत श्री धन्ना भगत जी की जयंती पर कैथल ज़िले के गाँव धनौरी में आयोजित एक राज्य स्तरीय समारोह में बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि जींद के हैबतपुर में बन रहे मेडिकल कॉलेज का नाम संत शिरोमणि श्री धन्ना भगत के नाम पर रखा जाएगा।

झारखंड Switch to English

झारखंड में सूख गए चार हज़ार से अधिक जलाशय

चर्चा में क्यों?

24 अप्रैल, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड में चार हज़ार से अधिक जलाशय सूख गए हैं जबकि 560 जलाशयों का अतिक्रमण हो चुका है।

प्रमुख बिंदु

  • जानकारी के अनुसार देश में पहली बार जलाशयों का सेंसस हुआ है। इसमें सभी राज्यों के जलाशयों की स्थिति की जानकारी दी गई है। रिजर्वायर के मामले में झारखंड का स्थान पूरे देश में दूसरा है। जल संरक्षण के लिये किये गए प्रयास में झारखंड को पाँचवां स्थान मिला है।
  • झारखंड में कुल 107598 जलाशय हैं। इनमें 106176 गाँव तथा 1422 शहरी इलाके में हैं। इनमें से 4075 जलाशय सूख गए हैं। वहीं 1689 जलाशयों पर निर्माण कार्य होने से उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के 560 जलाशयों का अतिक्रमण हो चुका है। इसमें 472 तालाब, 37 जल संरक्षण के लिये बनाए गए परकोलेशन टैंक व चेक डैम, 30 टैंक, 12 रिजर्वायर, पाँच झील तथा एक अन्य जलाशय हैं।
  • इनमें से 22 जलाशयों में 25 फीसदी से कम कब्जा है, सात पर 25 से 75 फीसदी तक कब्जा है। वहीं एक जलाशय पर 75 फीसदी से अधिक कब्जा है। तालाबों की संख्या के मामले में झारखंड पूरे देश में पाँचवें स्थान पर है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के 1731 जलाशयों में कचरा भर गया है। 894 जलाशयों को ऐसा नुकसान पहुँचाया गया है, जिसका पुनरुद्धार भी नहीं हो सकता है। 147 जलाशयों का पानी खारा है। औद्योगिक कचरा के कारण 114 जलाशयों का उपयोग नहीं हो पा रहा है। 4416 जलाशय अन्य कारणों से उपयोग के लायक नहीं रह गए हैं।
  • झारखंड के कुल जलाशयों में 87878 का निर्माण सरकारी या गैर सरकारी स्तर से कराया गया है। केवल 19% जलाशय ही प्राकृतिक रूप से विकसित हैं।
  • यहाँ कुल 87080 तालाब और 4500 टैंक हैं। 135 झील, 3763 रिजर्वायर तथा 12008 जल संरक्षण के लिये बनाए गए परकोलेशन टैंक व चेक डैम हैं। कई तालाब का अतिक्रमण कर लिया गया है।
  • राज्य में कई जगह नदियों और तालाबों के इलाके में अतिक्रमण हो रहा है। अतिक्रमण के चलते राजधानी राँची में कई तालाबों का अस्तित्व समाप्त हो चुका है। कोल्हान क्षेत्र की जीवन रेखा कही जानेवाली सुवर्णरेखा नदी के तट पर भी जमशेदपुर में लगातार अतिक्रमण हो रहा है। इसके चलते यह विशाल नदी, जमशेदपुर में नाले में तब्दील होती जा रही है।
  • झारखंड के 72 फीसदी जलाशयों का उपयोग सिंचाई के लिये होता है। जारी रिपोर्ट के मुताबिक, औद्योगिक काम में मात्र 1077 जलाशय ही आते हैं, मत्स्य पालन के लिये 12721 जलाशयों का उपयोग हो रहा है, चार हज़ार जलाशयों का उपयोग घरेलू काम में होता है, 395 जलाशयों का उपयोग मनोरंजन के लिये हो रहा है। ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिये 5036 जलाशयों का उपयोग हो रहा है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के आधे से अधिक जलाशयों (करीब 55.5 फीसदी) में पूरे साल पानी रहता है। इसके अतिरिक्त 13.1 फीसदी जलाशयों में हर साल पानी भरता है। 28 फीसदी से अधिक जलाशयों में कभी-कभी पानी आता है। तीन फीसदी जलाशय ऐसे हैं, जहाँ पानी बहुत ही कम रहता है।

छत्तीसगढ़ Switch to English

खनिजों से राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष 2022-23 में मिला रिकार्ड 12 हज़ार 941 करोड़ रुपए का खनिज राजस्व

चर्चा में क्यों?

23 अप्रैल, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश में संचालित खनिज गतिविधियों से 12 हज़ार 941 करोड़ रुपए का रिकार्ड खनिज राजस्व प्राप्त हुआ है, जो विगत वर्ष की तुलना में 636 करोड़ रुपए अधिक है।

प्रमुख बिंदु

  • संचालक, भौमिकी तथा खनिकर्म जय प्रकाश मौर्य से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में मुख्यत: कोयला, लौह अयस्क, चूना पत्थर एवं बॉक्साइट खनिजों से राजस्व प्राप्त होता है।
  • लौह अयस्क से सर्वाधिक 3607 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। खनिज कोयले से 3336 करोड़ रुपए, चूना पत्थर से 392 करोड़ रुपए एवं बॉक्साइट से 31 करोड़ रुपए राजस्व प्राप्त हुआ है।
  • वित्तीय वर्ष 2022-23 में सर्वाधिक खनिज राजस्व प्राप्ति के ज़िलों में दंतेवाड़ा से 6419 करोड़, कोरबा से 2361 करोड़, रायगढ़ से 1717 करोड़, बालोद से 760 करोड़, बलौदाबाज़ार से 315 करोड़, कांकेर से 286 करोड़ एवं सरगुजा ज़िले से 262 करोड़ रुपए खनिज राजस्व की प्राप्ति हुई है।
  • प्रदेश में प्राप्त होने वाले खनिज जहाँ राज्य में अधोसंरचनात्मक विकास, बिजली के उत्पादन, उद्योगों के संचालन में अपना योगदान दे रहे हैं, वहीं खनिज राजस्व राज्य के वित्तीय विकास में महत्त्वपूर्ण साझेदारी प्रदान कर रहा है।
  • विभाग के संयुक्त संचालक अनुराग दीवान से प्राप्त जानकारी के अनुसार शासन की नवीन नीति के तहत वर्ष 2015-16 में ई-नीलामी के माध्यम से आवंटित 02 मुख्य खनिज चूना पत्थर ब्लॉक्स यथा करही चंडी, ज़िला बलौदाबाज़ार-भाटापारा एवं केसला, ज़िला रायपुर में वर्ष 2022-23 में उत्पादन प्रारंभ हुआ है।

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड का माणा अब देश का अंतिम नहीं पहला गाँव

चर्चा में क्यों?

24 अप्रैल, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के चमोली ज़िले में भारत-चीन सीमा पर बसे सीमांत गाँव माणा के प्रवेश द्वार पर सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से देश के अंतिम गाँव के स्थान पर पहले गाँव का साइन बोर्ड लगा दिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इसकी फोटो राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा है कि अब माणा देश का आखिरी नहीं बल्कि पहला गाँव के रूप में जाना जाएगा।
  • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमांत गाँव माणा में उसे देश के पहले गाँव के रूप में संबोधित किया था।
  • गौरतलब है कि 21 अक्तूबर, 2022 को माणा में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माणा गाँव को भारत के अंतिम गाँव की बजाय देश का पहला गाँव कहा था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि सीमाओं पर बसा हर गाँव देश का पहला गाँव कहलाएगा।
  • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के सीमावर्ती क्षेत्र आज वास्तव में और अधिक जीवंत हो रहे हैं। इसके लिये वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की शुरूआत की गई है।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज कार्य योजनाएँ ज़िला प्रशासन की ओर से ग्राम पंचायतों के सहयोग से तैयार की गई हैं। इससे इन क्षेत्रों के उत्पादों जड़ी-बूटियों, सेब, राजमा सहित फसलों के साथ-साथ यहाँ विकास की संभावनाओं को पंख लगेंगे।
  • यह योजना सीमांत क्षेत्रों से पलायन को रोकने में मददगार होगी और सीमांत क्षेत्रवासी देश की सुरक्षा में भी भागीदारी निभा सकेंगे।
  • विदित है कि उत्तराखंड में 3200 मीटर की ऊँचाई पर चमोली ज़िले में स्थित माणा गाँव सरस्वती नदी के तट पर स्थित है। प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल बद्रीनाथ यहाँ से लगभग 5 किमी. दूर है।
  • माणा गाँव यहाँ मिलने वाली जड़ी-बूटियों के लिये काफी प्रसिद्ध है। यहाँ की जड़ी-बूटी खाने से कई तरह की बीमारी में लाभ मिलता है। यहाँ मिलने वाली सभी जड़ी बूटी व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिये लाभदायक होती है।

माणा गाँव- पहले

माणा गाँव- अब


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