‘स्वच्छ विद्यालय स्वस्थ बच्चे’ अभियान 2022 का शुभारंभ | झारखंड | 25 Mar 2022
चर्चा में क्यों?
24 मार्च, 2022 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने विधानसभा परिसर से ‘स्वच्छ विद्यालय स्वस्थ बच्चे’अभियान 2022 का शुभारंभ किया तथा स्वच्छता प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
प्रमुख बिंदु
- कोरोना काल में लंबी अवधि तक बंद रहे विद्यालयों की आधारभूत संरचनाओं को पुन: क्रियाशील करने तथा शिक्षकों एवं बच्चों को स्वच्छता एवं साफ-सफाई पर विशेष प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से विद्यालय स्तर पर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग तथा यूनिसेफ के संयुक्त प्रयास से ‘स्वच्छ विद्यालय स्वस्थ बच्चे’अभियान 2022 का शुभारंभ किया गया है।
- यह अभियान 24 से 30 मार्च, 2022 तक प्रदेश के सभी विद्यालयों में चलाया जाएगा, जिसके अंतर्गत विद्यालयों को सुरक्षित एवं सुव्यवस्थित करने का प्रयास किया जाएगा।
- अभियान के तहत प्रदेश के सभी 263 प्रखंडों में एक स्वच्छता प्रचार वाहन चलाया जाएगा, जो प्रचार-प्रसार करते हुए 35000 विद्यालयों को सुव्यवस्थित करने में सहयोग प्रदान करेगा।
- इस कार्य में यूनिसेफ एवं उनकी सहयोगी संस्थाएँ ज़िला/प्रखंड संकुल एवं विद्यालय स्तर पर तकनीकी सहयोग तथा प्रशिक्षण में सहयोग दे रही हैं।
- इस अभियान से विद्यालयों को बल तथा स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार प्रतियोगिता में अपनी ग्रेडिंग सुधारने का पर्याप्त मौका भी मिलेगा।
झारखंड विधानसभा दल परिवर्तन पर सदस्यता से निरहर्ता के नियम 2006 में संशोधन | झारखंड | 25 Mar 2022
चर्चा में क्यों?
24 मार्च, 2022 को झारखंड विधानसभा में संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत झारखंड विधानसभा दल परिवर्तन पर सदस्यता से निरहर्ता के नियम 2006 में संशोधन विधानसभा से पारित हुआ।
प्रमुख बिंदु
- इसके अनुसार अब कोई भी व्यक्ति संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत स्पीकर के न्यायाधिकरण में दल-बदल की याचिका दायर कर सकता है। पहले यह अधिकार सिर्फ स्पीकर के पास था कि वह दल-बदल मामले में स्वत: संज्ञान ले सकता था। नए संशोधन में इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।
- यह संशोधन सर्वोच्च न्यायालय के दिये गए निर्णय के आलोक में किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2013 में फैसला दिया था कि दल-बदल अधिनियम के अधीन कोई बाहरी व्यक्ति इस विषय को उठा सकता है।
- इस संबंध में विधानसभा की विशेष समिति ने दल-बदल मामले में विधानसभा अध्यक्ष के स्वत: संज्ञान की शक्ति को हटाने की सिफारिश की थी, जिसे अब विलोपित कर दिया गया है।
- इसके अलावा शून्यकाल और प्रश्नकाल के नियमों में भी संशोधन किया गया है। मुख्यमंत्री प्रश्नकाल को हटा दिया गया है तथा नियमावली में शून्यकाल की संख्या 15 से बढ़ाकर 25 कर दी गई है। साथ ही अब 14 दिन पहले प्रश्न डालने की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।