पलामू टाइगर रिज़र्व | झारखंड | 24 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
झारखंड के अधिकारी पलामू टाइगर रिज़र्व (PTR) के बाघ को वापस ला रहे हैं, जो झारखंड के दलमा वन्यजीव अभयारण्य और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में भटक गया था।
मुख्य बिंदु
- स्थानांतरण का प्रस्ताव:
- गाँवों के लिये खतरा:
- PTR छोड़ने के बाद से बाघ ने मवेशियों का शिकार करके जमशेदपुर और पुरुलिया में ग्रामीणों को आतंकित कर दिया है।
- बाघ की मौजूदगी से दलमा वन्यजीव अभयारण्य के आसपास के 86 गाँवों के निवासियों में भय व्याप्त हो गया है।
- चुनौतियाँ एवं चिंताएँ:
- यह बाघ फिलहाल दलमा वन्यजीव अभयारण्य में फँसा हुआ है और भूख से मर रहा है तथा जंगल में रास्ता खोजने के लिये संघर्ष कर रहा है।
- क्षेत्र का पहाड़ी इलाका और घनी मानव आबादी स्थिति को और अधिक जटिल बना देती है।
- विशेषज्ञों को डर है कि लंबे समय तक एकांतवास और भोजन की कमी के कारण बाघ अवसादग्रस्त हो सकता है, जिसके कारण वन विभाग को उसके स्वास्थ्य के लिये कदम उठाने होंगे।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण(NTCA)
दलमा वन्यजीव अभयारण्य
- जमशेदपुर में स्थित दलमा वन्यजीव अभयारण्य (आश्रय) हाथियों के लिये प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ पाए जाने वाले अन्य जीवों में भौंकने वाले हिरण, सुस्त भालू और विभिन्न सरीसृप प्रजातियाँ उल्लेखनीय हैं।
- 193.22 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला यह वन्यजीव अभयारण्य सुवर्णरेखा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में स्थित है।
- यहाँ मुख्य रूप से शुष्क मिश्रित पर्णपाती वन हैं, जिनमें कुछ शुष्क प्रायद्वीपीय साल भी हैं। यहाँ की मुख्य वृक्ष प्रजातियों में टर्मिनलिया, जामुन, धौरा, केंदू, करम आदि शामिल हैं।
- पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र संरक्षित क्षेत्रों, राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास 10 किलोमीटर के भीतर के क्षेत्र हैं, जिन्हें पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत अधिसूचित किया गया है।
पलामू टाइगर रिज़र्व (PTR)
- पलामू टाइगर रिज़र्व की स्थापना वर्ष 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत की गई थी।
- यह विश्व का पहला ऐसा अभयारण्य है, जहाँ पदचिह्नों के आधार पर बाघों की गणना की गई।
- 'बेतला राष्ट्रीय उद्यान' झारखंड के लातेहार ज़िले में 1130 वर्ग किलोमीटर के कुल क्षेत्र में फैले पलामू टाइगर रिज़र्व के भीतर 226.32 वर्ग किलोमीटर में स्थित है।